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बुधमङ्गलस्तोत्रम्
बुधमङ्गलस्तोत्रम्- बुध ग्रह
सौरमंडल के चार स्थलीय ग्रहों में से एक है, तथा
यह पृथ्वी के समान एक चट्टानी पिंड है। यह 2,439.7 किमी की
विषुववृत्तिय त्रिज्या वाला सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। बुध ग्रह सौरमंडल के
बड़े उपग्रहों गेनिमेड और टाइटन से भी छोटा है, हालांकि यह
उनसे भारी है। बुध तकरीबन 70% धातु व 30% सिलिकेट पदार्थ का बना है। बुध का 5.427 ग्राम/सेमी3 का घनत्व सौरमंडल में उच्चतम के दूसरे क्रम पर है, यह
पृथ्वी के 5.515 ग्राम/सेमी3 के घनत्व
से मात्र थोडा सा कम है। यदि गुरुत्वाकर्षण संपीड़न के प्रभाव को गुणनखंडो में
बांट दिया जाए, तब 5.3 ग्राम/सेमी3 बनाम पृथ्वी के 4.4 ग्राम/सेमी3 के असंकुचित घनत्व के साथ, बुध जिस पदार्थ से बना
है वह सघनतम होगा। अपने छोटे आकार व 59-दिवसीय-लंबे धीमे
घूर्णन के बावजुद बुध का एक उल्लेखनीय और वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र है। मेरिनर 10 द्वारा लिए गए मापनों के अनुसार यह पृथ्वी की तुलना में लगभग 1.1% सर्वशक्तिशाली है। इस चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति बुध के विषुववृत्त पर
करीब 300 nT है। पृथ्वी की तरह बुध का भी चुंबकीय क्षेत्र दो
ध्रुवीय है। पृथ्वी के उलट, बुध के ध्रुव ग्रह के घूर्णी
अक्ष के करीब-करीब सीध में है। अंतरिक्ष यान मेरिनर-10 व
मेसेंजर दोनों से मिले मापनों ने दर्शाया है कि चुंबकीय क्षेत्र का आकार व शक्ति
स्थायी है। बुध की कक्षा सभी ग्रहों में सर्वाधिक चपटी है। इसकी कक्षीय विकेंद्रता
0.21 है। सूर्य से इसकी दूरी 46,000,000 से लेकर 70,000,000 किमी (29,000,000 से 43,000,000 मील) तक विचरित है। एक पूर्ण
परिक्रमा के लिए इसे 87.969 पृथ्वी दिवस लगते हैं। दायें
बाजू का रेखाचित्र विकेंद्रता के असर को दिखाता है, जिसमें
बुध की कक्षा एक वृत्ताकार कक्षा के ऊपर मढ़ी दिख रही है जबकि उनकी अर्द्ध प्रमुख
धुरी बराबर है।
बुध ग्रह का पूजन में निम्न बुधमङ्गलस्तोत्रम्
का पाठ करें-
बुधमङ्गलस्तोत्रम्
सौम्योदङ्मुख-पीतवर्ण-मगधश्चात्रेयगोत्रोद्भवो
।
बाणेशानदिशः सुहृच्छनिभृगुः शत्रुः
सदा शीतगुः ॥ १॥
कन्या युग्मपतिर्दशाष्टचतुरः
षण्नेत्रकः शोभनो ।
विष्णुः पौरुषदेवते शशिसुतः
कुर्यात्सदा मङ्गलम् ॥ २॥
प्रार्थना
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्
।
पूजां नैव हि जानामि क्षमस्व
परमेश्वर ॥ १॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं
सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु
मे ॥ २॥
बुध त्वं बुद्धिजननो बोधवान् सर्वदा
नृणाम् ।
तत्त्वावबोधं कुरु मे सोमपुत्र
नमोऽस्तु ते ॥ ३॥
अनया पूजया बुधदेवः प्रीयताम् ।
ॐ बुधाय नमः ॐ आत्रेयाय नमः ॐ सोम
पुत्राय नमः ।
॥ ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः ॐ ॥
इति श्रीबुधमङ्गलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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