वेद पुराण
वेद पुराण ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुआ है। वेद अनादि या अपौरुषेय है। पुराण पौरुषेय और अपौरुषेय दो प्रकार के भेदों से युक्त है। वेदों में जो बात सूत्र रूप में कही गई है वही पुराणों में विस्तार से वर्णित है।
वेद पुराण की परिभाषा
‘वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है जानना,अतः वेद का शाब्दिक अर्थ है 'ज्ञान'। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। इन्हें देववाणी के रूप में माना गया है| इसीलिए ये ' श्रुति' कहलाते हैं। वेदों को परम सत्य माना गया है। उनमें लौकिक अलौकिक सभी विषयों का ज्ञान भरा पड़ा है। ४ मुख्य वेद है जिन्हें 'चतुर्वेद' कहा जाता है। चारों वेदों का सम्बन्ध यज्ञ से है। प्रत्येक वेद के चार अंग हैं। वे हैं वेदसंहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक तथा उपनिषद्।
‘पुराण' का शाब्दिक अर्थ है - 'प्राचीन आख्यान' या 'पुरानी कथा'। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत। ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है - कहना या बतलाना।[उद्धरण चाहिए] रघुवंश में पुराण शब्द का अर्थ है "पुराण पत्रापग मागन्नतरम्" एवं वैदिक वाङ्मय में "प्राचीन: वृत्तान्त:" दिया गया है।[उद्धरण चाहिए] अठारह महा (प्रमुख) और अठारह उप (लघु) पुराण हैं। अत: पुराणों की कुल संख्या ३६ है।
वेद पुराण
रघुवंशम्
सर्ग-१, सर्ग-२, सर्ग-३, सर्ग-४, सर्ग-५, सर्ग-६, सर्ग-७, सर्ग-८, सर्ग-९, सर्ग-१०,
सर्ग-११, सर्ग-१२, सर्ग-१३, सर्ग-१४, सर्ग-१५, सर्ग-१६, सर्ग-१७, सर्ग-१८, सर्ग-१९
श्रीपरशुरामकल्पसूत्रम्
गरुडपुराण-सारोद्धार
अध्याय- १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६
शिवमहापुराण
शिवमहापुराण– माहात्म्य
अध्याय
01, अध्याय 02, अध्याय 03, अध्याय 04, अध्याय 05, अध्याय 06, अध्याय 07
शिवमहापुराण
– विद्येश्वरसंहिता
अध्याय 01, अध्याय 02, अध्याय 03, अध्याय 04, अध्याय 05, अध्याय 06, अध्याय 07, अध्याय 08, अध्याय 09, अध्याय 10, अध्याय 11, अध्याय 12, अध्याय 13, अध्याय 14, अध्याय 15, अध्याय 16, अध्याय 17, अध्याय 18, अध्याय 19, अध्याय 20, अध्याय 21, अध्याय 22, अध्याय 23, अध्याय 24, अध्याय 25
शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता [प्रथम-सृष्टिखण्ड]
अध्याय 01, अध्याय 02, अध्याय 03, अध्याय 04, अध्याय 05, अध्याय 06, अध्याय 07, अध्याय 08, अध्याय 09, अध्याय 10, अध्याय 11, अध्याय 12, अध्याय 13, अध्याय 14, अध्याय 15, अध्याय 16, अध्याय 17, अध्याय 18, अध्याय 19, अध्याय 20
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