गणेशजी
गणेशजी आदिदेव हैं तथा किसी भी पूजन
के प्रारंभ में पहले इन्ही का पूजन होता है अतः प्रथम पूज्य हैं। शिवमानस पूजा में
श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का
मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है। चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की
प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं। वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर
में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण
दृष्टि की सूचक हैं। उनकी लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है।
श्रीगणेशजी
भगवान गणेश देवो के देव महादेव और
माता पार्वती के पुत्र हैं। इनके बड़े भाई भगवान अय्यपा कार्तिकेय हैं इनकी ३ बड़ी
बहनें हैं जिनके नाम हैं अशोकसुन्दरी, मनसा
देवी और देवी ज्योति। गणेशजी का मुख्य अस्त्र फरसा,पाश,
अंकुश हैं। प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू,
प्रिय पुष्प- लाल रंग के,प्रिय वस्तु- दुर्वा
(दूब), शमी-पत्र हैं।इनका वाहन – मूषक
है और ये जल तत्व के अधिपति देव हैं। इनके भांजे मुनि आस्तिक हैं और इनके बहनोई
राजा नहुष और मुनि जरत्कारू हैं। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है।
रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां है। शुभ और लाभ गणेशजी के पुत्र
हैं।बुधवार इनके प्रीय वार कहे जाते हैं ज्योतिष शास्त्र में बुध व केतू के अधिपति
देव है।
गणेशजी
Ganesh
श्रीगणपत्यथर्वशीर्षम्
गणेश चालीसा
श्रीगणेश पूजन विधि
गणेशजी को दूर्वा प्रिय व तुलसी निषिद्ध
उच्छिष्ट गणपति सहस्रनामस्तोत्रम्
त्रैलोक्य मोहन एकाक्षरगणपति कवच
गकारादि श्रीगणपति सहस्रनामस्तोत्र
श्रीगणपतिगकाराष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
गणपति स्तोत्र
गणाध्यक्षस्तोत्र

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