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- श्रीराधा स्तोत्रम्
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मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
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रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
गणपति मङ्गल मालिका स्तोत्र
श्रीकृष्णेन्द्र रचित श्रीगणपति मङ्गल
मालिका स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणपति कृपा होती है और विद्या-बुद्धि,लक्ष्मी
व सर्वसिद्धि मिलती है ।
श्रीगणपतिमङ्गलमालिकास्तोत्रम्
श्रीकण्ठप्रेमपुत्राय
गौरीवामाङ्गवासिने ।
द्वात्रिंशद्रूपयुक्ताय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ १॥
आदिपूज्याय देवाय दन्तमोदकधारिणे ।
वल्लभाप्राणकान्ताय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ २॥
लम्बोदराय शान्ताय
चन्द्रगर्वापहारिणे ।
गजाननाय प्रभवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ ३॥
पञ्चहस्ताय वन्द्याय पाशाङ्कुशधराय
च ।
श्रीमते गजकर्णाय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ ४॥
द्वैमातुराय बालाय हेरम्बाय
महात्मने ।
विकटायाखुवाहाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ ५॥
पृष्णिशृङ्गायाजिताय
क्षिप्राभीष्टार्थदायिने ।
सिद्धिबुद्धिप्रमोदाय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ ६॥
विलम्बियज्ञसूत्राय
सर्वविघ्ननिवारिणे ।
दूर्वादलसुपूज्याय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ ७॥
महाकायाय भीमाय महासेनाग्रजन्मने ।
त्रिपुरारी वरो धात्रे श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ ८॥
सिन्दूररम्यवर्णाय नागबद्धोदराय च ।
आमोदाय प्रमोदाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ ९॥
विघ्नकर्त्रे दुर्मुखाय
विघ्नहर्त्रे शिवात्मने ।
सुमुखायैकदन्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ १०॥
समस्तगणनाथाय विष्णवे धूमकेतवे ।
त्र्यक्षाय फालचन्द्राय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ ११॥
चतुर्थीशाय मान्याय
सर्वविद्याप्रदायिने ।
वक्रतुण्डाय कुब्जाय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ १२॥
तुण्डिने कपिलाक्षाय श्रेष्ठाय
ऋणहारिणे ।
उद्दण्डोद्दण्डरूपाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ १३॥
कष्टहर्त्रे द्विदेहाय
भक्तेष्टजयदायिने ।
विनायकाय विभवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्
॥ १४॥
सच्चिदानन्दरूपाय निर्गुणाय
गुणात्मने ।
वटवे लोकगुरवे श्रीगणेशाय मङ्गलम् ॥
१५॥
श्रीचामुण्डासुपुत्राय प्रसन्नवदनाय
च ।
श्रीराजराजसेव्याय श्रीगणेशाय
मङ्गलम् ॥ १६॥
श्रीचामुण्डाकृपापात्र
श्रीकृष्णेन्द्रविनिर्मिताम् ।
विभूतिमातृकारम्यां
कल्याणैश्वर्यदायिनीम् ॥ १७॥
श्रीमहागणनाथस्य शुभां
मङ्गलमालिकाम् ।
यः पठेत् सततं वाणीं लक्ष्मीं
सिद्धिमवाप्नुयात् ॥ १८॥
इति श्रीकृष्णेन्द्ररचितं श्रीगणपतिमङ्गलमालिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
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