राहु चालीसा
राहु चालीसा राहु देव की कृपा
प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। राहु देव,
जिन्हें छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है, जीवन
में आने वाले संकटों और बाधाओं को समाप्त करने वाले हैं। उनकी आराधना व्यक्ति को
मानसिक शांति, भौतिक सुख, और आध्यात्मिक
उन्नति प्रदान करती है। यह चालीसा विशेष रूप से कालसर्प दोष और राहु ग्रह के
अन्य दोषों का निवारण करने के लिए प्रभावी मानी जाती है।
राहु चालीसा का पाठ करने के क्या
लाभ हैं?
राहु चालीसा का पाठ कालसर्प दोष को
शांत करता है। यह पाठ जीवन के हर प्रकार के संकटों को दूर करता है। मानसिक शांति
और ध्यान में स्थिरता लाता है। शत्रु से उत्पन्न भय और बाधाओं को समाप्त करता है। करियर
और नौकरी में आ रही रुकावटें समाप्त होती हैं। राहु की महादशा और गोचर के अशुभ
प्रभाव शांत होते हैं। राहु देव की कृपा से धन और समृद्धि प्राप्त होती है। शारीरिक
और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। उनकी पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और
संतोष का संचार होता है। सच्चे मन और श्रद्धा से चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों
को राहु देव अपने आशीर्वाद से समृद्ध करते हैं और उनके जीवन को सफल बनाते हैं। विशेष
तांत्रिक अनुष्ठानों में राहु देव का ध्यान किया जाता है। राहु देव अपने भक्तों की
हर मनोकामना पूरी करते हैं और उनके जीवन को मंगलमय बनाते हैं।
राहु चालीसा का पाठ किस दिन और किस
समय करना सबसे शुभ माना जाता है?
राहु चालीसा का पाठ काले अथवा स्वच्छ वस्त्र पहनकर और काले कंबल के आसन में बैठकर प्रातः काल और संध्या के समय मंगलवार अथवा बुधवार के दिन से प्रारंभ करना सर्वोत्तम है। ग्रहण काल के समय राहु देव के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है। राहु काल के समय में उनकी पूजा और चालीसा का पाठ प्रभावी होता है। चालीसा का पाठ करने से पूर्व राहु देव का पूजन करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और राहु यंत्र या प्रतिमा स्थापित करें। तेल का दीपक जलाएं और गंगाजल से अभिषेक करें। नीले या काले रंग के पुष्प, काले तिल, गुड़, धूप, अगरबत्ती, काले वस्त्र, लौंग और चंदन अर्पित करें। गुड़ और तिल का भोग लगाएं । संभव हो तो
राहु
देव के बीज मंत्र:
"ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे
नमः।"
अथवा
राहु गायत्री मंत्र:
"ॐ नागध्वजाय विद्महे
पद्महस्ताय धीमहि। तन्नो राहुः प्रचोदयात्।"
अथवा
महामंत्र:
"ॐ राहवे नमः।" मंत्र का
108 बार जाप करें। श्रद्धा और भक्ति से श्री राहु चालीसा का पाठ करें। राहु देव का
आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में प्रसाद वितरित करें।
श्री राहु चालीसा
Rahu Chalisa
राहुचालीसा
॥ दोहा ॥
नमो नमो श्री राहु सुखकारी ।
सभी कष्टों को हरने वाले,
भक्तों को सुख देने वाले ॥
जयति जयति श्री राहु महाराज ।
भव बंधन से करते सबका उद्धार ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति श्री राहु दयाला ।
सदा भक्तन के संकट हारा ॥
सर्पाकार,
फणी धर शेषा ।
राहु देव,
संकट हरनेवाला ॥
सिर कटे पर धड़ ना छोड़ा ।
अमृत पान किया संत मोड़ा ॥
राहु केतु,
कालग्रह जाने ।
सभी संकटों को दूर भगाने ॥
सर्पाकार,
छाया ग्रह माने ।
सभी जनों के दुख हर जाने ॥
केतु राहु संग्राम मचाया ।
देवताओं को भी डराया ॥
भानु ग्रास,
चंद्र को धाया ।
सभी ग्रहों पर प्रभाव दिखाया ॥
राहु-केतु छाया ग्रह भारे ।
सभी ग्रहों में राहु न्यारे ॥
राहु दोष जो जनम कुंडली ।
राहु चालीसा करें निरंतर ॥
जीवन में सभी कष्ट मिटावे ।
राहु देव कृपा बरसावे ॥
भक्त जो राहु देव को ध्यावे ।
सभी संकटों को हर लावे ॥
राहु ग्रह का प्रभाव हटावे ।
सभी जनों को सुख दिलावे ॥
कालसर्प दोष भी टारे ।
राहु चालीसा जो जन गावे ॥
राहु ग्रह के मंत्र जपे जो ।
जीवन में सब सुख पावे सो ॥
शत्रु से जो भयभीत होवे ।
राहु देव का ध्यान धरावे ॥
राहु देव की शरण जो आवे ।
सभी कष्टों से मुक्ति पावे ॥
राहु देव का ध्यान लगावे ।
जीवन में सुख शांति पावे ॥
राहु देव का यश गावे ।
सभी संकट दूर भगावे ॥
भक्ति भाव से राहु देव को ।
जो भी भक्त सुमिरे मन में ॥
सभी संकट,
कष्ट मिटावे ।
राहु देव कृपा बरसावे ॥
राहु देव की शरण जो आवे ।
जीवन में सभी सुख पावे ॥
राहु देव का यश गावे ।
सभी संकट दूर भगावे ॥
कृपा दृष्टि राहु देव की ।
जो भी भक्त मन में ध्यावे ॥
राहु देव के चरणों में ।
सभी भक्त शीश नवावे ॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे ।
सभी ग्रहों पर राहु बसे ॥
राहु देव की महिमा न्यारी ।
सभी ग्रहों में राहु भारी ॥
सर्पाकार राहु देव का ।
जो भी भक्त सुमिरे मन में ॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे ।
सभी जनों को सुख दिलावे ॥
कृपा दृष्टि राहु देव की ।
सभी भक्तों को सुख पावे ॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे ।
सभी ग्रहों पर राहु बसे ॥
राहु देव की महिमा न्यारी ।
सभी ग्रहों में राहु भारी ॥
सर्पाकार राहु देव का ।
जो भी भक्त सुमिरे मन में ॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे ।
सभी जनों को सुख दिलावे ॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे ।
सभी ग्रहों पर राहु बसे ॥
राहु देव की महिमा न्यारी ।
सभी ग्रहों में राहु भारी ॥
सर्पाकार राहु देव का ।
जो भी भक्त सुमिरे मन में ॥
॥ दोहा ॥
नमो नमो श्री राहु सुखकारी ।
सभी कष्टों को हरने वाले,
भक्तों को सुख देने वाले ॥
जयति जयति श्री राहु महाराज ।
भव बंधन से करते सबका उद्धार ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
श्री राहु देव की आरती
॥श्री राहु देव की आरती ॥
आरती करे राहु देव तुम्हारी
आरती करे राहु देव तुम्हारी ॥
प्रेम विनय से तुमको पूजे
दे दे सुख अकस्माती ॥
आरती करे हम देव तुम्हारी
आरती करे हम देव तुम्हारी
महाशक्तिशाली
सर्प है अर्ध काया तेरा रूप विशाला
शिंहिका और विप्र चित के
तुम जेष्ठ पुत्र प्यारा
शिव और शक्ति के प्यारे भक्त हो
भक्तों के कष्ट निहारी
आरती करे हम देव तुम्हारी ॥
श्री राहु चालीसा व आरती समाप्त ।।

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