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चौसठ योगिनी स्तोत्र

चौसठ योगिनी स्तोत्र

चौंसठ योगिनीयां आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। ये सभी माता पर्वती की सखियां हैं। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये समस्त योगिनियों का संबंध काली कुल और तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं। चौसठ योगिनी स्तोत्र का नित्य पाठ करने से सभी बाधाओं से सुरक्षा मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

चौसठ योगिनी स्तोत्र

चौसठ योगिनी स्तोत्रम्

Chousath Yogini stotra

६४ योगिनी स्तोत्र

चौसठ योगिनी स्तोत्रं

चतुःषष्टि योगिनी स्तोत्र

आवाह्याम्य्हम देवी योगिनी परमेश्वरिम ।

योगाभ्यासेन संतुष्टा परध्यान समन्विता ।।

योग के अभ्यास से प्रसन्न और गहन ध्यान में लीन, देवी योगिनी परमेश्वरी का मैं आवाहन करता/करती हूँ।

दिव्य कुंडल संकाशा दिव्य ज्वाला त्रिलोचना ।

मूर्तिमती ह्रामुर्ता च उग्रा चैवोग्ररूपिनी ।।

अनेकभाव संयुक्ता संसारावर्ण तारिणी ।

यज्ञे कुर्वन्तु निर्विघ्नं श्रेया यच्छन्तु मातरः ।।

दिव्य कुंडल, दिव्य ज्वाला और तीन आँखों वाली, मूर्तिमती, उग्र और अत्यंत उग्र रूप वाली, अनेकों भावों और शक्तियों से युक्त, संसार से तारने वाली और यज्ञ को निर्विघ्न पूर्ण कराने वाली देवी मां कल्याण प्रदान करनेवाली हैं।

दिव्य योगी महायोगी सिद्धयोगी गणेश्वरी ।

प्रेताशी डाकिनी काली कालरात्रि निशाचरी ।।

ये दिव्य योगी, महायोगी, सिद्धयोगी, गणेश्वरी, प्रेताशी, डाकिनी, काली, कालरात्रि और निशाचरी सहित योगिनियों की विभिन्न शक्तियों और रूपों को संबोधित करती हैं।

हुंकारी सिद्धबेताली खर्परी भूतगामिनी ।

उर्ध्वकेशी विरुपाक्षी शुष्कांगी मासभोजिनी ।।

ये हुंकारी, सिद्धबेताली, खरपरी, भूतगामिनी, उर्ध्वकेशी, विरुपाक्षी, शुष्कांगी और मासभोजिनी - ये योगिनियों के विभिन्न और भयावह रूप के नाम है।

फूत्कारी वीरभद्राक्षी धूम्राक्षी कलहप्रिया ।

रक्ता च घोररक्ताक्षी विरुपाक्षी भयंकरी ।।

फूत्कारी, वीरभद्राक्षी, धूम्राक्षी, कलहप्रिया, रक्ता, घोररक्ताक्षी, विरुपाक्षी और भयंकरी- इन योगिनियों के नाम का वर्णन विभिन्न शास्त्रों, विशेष रूप से डामर-तंत्र में मिलता है।

चोरिका मारिका चंडी वाराही मुंडधारिणी ।

भैरवी चक्रिणी क्रोधा दुर्मुखी प्रेतवासिनी ।।

चोरिका, मारिका, चंडी, वाराही, मुंडधारिणी, भैरवी, चक्रिणी, क्रोधा, दुर्मुखी और प्रेतवासिनी - ये योगिनी देवी के शक्तिशाली और उग्र रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं और तांत्रिक और शृंगारिक साधनाओं में पूजी जाती हैं।

कलाक्षी मोहिनी चक्री कंकाली भुवनेश्वरी ।

कुंडला तालकुमारी यमदूती करालिनी ।।

कलाक्षी, मोहिनी, चक्री, कंकाली, भुवनेश्वरी, कुंडला, तालकुमारी, यमदूती, और करालिनी जैसी योगिनियों का उल्लेख है।

कौशिकी यक्षिणी यक्षी कौमारी यंत्रवाहिनी ।

दुर्घटे विकटे घोरे कम्पाले विष लंघने ।।

कौशिकी, यक्षिणी, यक्षी, कौमारी, यंत्रवाहिनी, दुर्घटा, विकटा, घोरा, कम्पाला और विष लंघना - ये योगिनियों रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो देवी के उग्र स्वभाव को दर्शाती हैं।

चतु:षष्टि स्माख्याता योगिन्न्यो हि वरप्रदा ।

त्रिलोक्यपूजिताः नित्यं देवमानुष योगिभिः।।

वरदान देने वाली, तीनों लोकों द्वारा पूजनीय जो देवताओं, मनुष्यों और योगियों द्वारा नित्य पूजनीय हैं। यह शक्ति चौसठ योगिनियाँ नाम से प्रसिद्ध है।

।।इतिश्री चतुःषष्टि योगिनी स्तोत्रम्।।

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