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डी पी कर्मकांड भाग- १३ चौसठ योगनी पूजन chousath yogani pujan
आपने डी पी
कर्मकांड भाग- ११ व १२ में मातृकाओं का स्थापन और पूजन
पढ़ा । अब डी पी कर्मकांड भाग-१३ में चौसठ योगनी पूजन chousath yogani pujan (चतुःषष्टियोगिनी
पूजन) पढ़ेंगे । देवी पूजन, वास्तुपूजन, यज्ञादि अनुष्ठानों मे चौसठ योगनीयों
का विशेष पूजन वेदी बनाकर किया जाता है परंतु साधारण पुजा मे इनका स्थान
सुविधानुसार प्रधान कलश के पास अथवा मातृकावेदी के समीप रखा जा सकता है । चौसठ
योगनी chousath yogani pujan का आवाहन के लिए बाँयें हाथ में
पुष्पाक्षत लेकर, दायें हाथ से मन्त्रोच्चारण करते हुए छोड़ते जायें -
चतुःषष्टियोगिनी पूजन
१. ॐ दिव्ययोगायै नमः । दिव्ययोगामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२. ॐ महायोगायै नमः । महायोगामावाहयामि, स्थापयामि ॥
३. ॐ सिद्धयोगायै नमः । सिद्धयोगामावाहयामि, स्थापयामि ॥
४. ॐ महेश्वर्यै नमः । महेश्वरीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५. ॐ पिशाचिन्यै नमः । पिशाचिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
६. ॐ डाकिन्यै नमः । डाकिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
७. ॐ कालरात्र्यै नमः । कालरात्रीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
८. ॐ निशाचर्यै नमः । निशाचरीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
९. ॐ कंकाल्यै नमः । कंकालीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१०. ॐ रौद्रवेताल्यै नमः । रौद्रवेतालीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
११. ॐ हुँकार्यै नमः । हुँकारीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१२. ॐ ऊर्ध्वकेश्यै नमः । ऊर्ध्वकेशीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१३. ॐ विरुपाक्ष्यै नमः । विरुपाक्षीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१४. ॐ शुष्काङ्ग्यै नमः । शुष्काङ्गीमाआवाहयामि, स्थापयामि ॥
१५. ॐ नरभोजिन्यै नमः । नरभोजिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१६. ॐ फट्कार्यै नमः। फट्कारीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१७. ॐ वीरभद्रायै नमः । वीरभद्रामावाहयामि, स्थापयामि ॥
१८. ॐ धूम्राक्ष्यै नमः । धूम्राक्षीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
१९. ॐ कलहप्रियायै नमः । कलहप्रियामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२०. ॐ रक्ताक्ष्यै नमः । रक्ताक्षीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
२१. ॐ राक्षस्यै नमः । राक्षसीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
२२. ॐ घोरायै नमः । घोरामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२३. ॐ विश्वरुपायै नमः । विश्वरुपामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२४. ॐ भयङ्कर्यै नमः । भयङ्करीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
२५. ॐ कामाक्ष्यै नमः । कामाक्षीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
२६. ॐ उग्रचामुण्डायै नमः । उग्रचामुण्डामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२७. ॐ भीषणायै नमः । भीषणामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२८. ॐ त्रिपुरान्तकायै नमः । त्रिपुरान्तकामावाहयामि, स्थापयामि ॥
२९. ॐ वीरकौमारिकायै नमः । वीरकौमारिकामावाहयामि, स्थापयामि ॥
३०. ॐ चण्ड्यै नमः । चण्डीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३१. ॐ वाराह्यै नमः । वाराहीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३२. ॐ मुण्डधारिण्यै नमः । मुण्डधारिणीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३३. ॐ भैरव्यै नमः । भैरवीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३४. ॐ हस्तिन्यै नमः । हस्तिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३५. ॐ क्रोधदुर्मुख्यै नमः । क्रोधदुर्मुखीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३६. ॐ प्रेतवाहिन्यै नमः। प्रेतवाहिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३७. ॐ खट्वाङ्गदीर्घलम्बोष्ठ्यै नमः । खट्वाङ्गदीर्घलम्बोष्ठीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३८. ॐ मालत्यै नमः । मालतीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
३९. ॐ मन्त्रयोगिन्यै नमः । मन्त्रयोगिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४०. ॐ अस्थिन्यै नमः । अस्थिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४१. ॐ चक्रिण्यै नमः । चक्रिणीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४२. ॐ ग्राहायै नमः । ग्राहामावाहयामि, स्थापयामि ॥
४३. ॐ भुवनेश्वर्यै नमः । भुवनेश्वरीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४४. ॐ कण्टक्यै नमः। कण्टकीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४५. ॐ कारक्यै नमः । कारकीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४६. ॐ शुभ्रायै नमः । शुभ्रामावाहयामि, स्थापयामि ॥
४७. ॐ क्रियायै नमः । क्रियामावाहयामि, स्थापयामि ॥
४८. ॐ दूत्यै नमः । दूतीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
४९. ॐ करालिन्यै नमः । करालिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५०. ॐ शङ्खिन्यै नमः । शङ्खिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५१. ॐ पद्मिन्यै नमः । पद्मिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५२. ॐ क्षीरायै नमः । क्षीरामावाहयामि, स्थापयामि ॥
५३. ॐ असन्धायै नमः । असन्धामावाहयामि, स्थापयामि ॥
५४. ॐ प्रहारिण्यै नमः । प्रहारिणीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५५. ॐ लक्ष्म्यै नमः । लक्ष्मीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५६. ॐ कामुक्यै नमः । कामुकीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५७. ॐ लोलायै नमः । लोलामावाहयामि, स्थापयामि ॥
५८. ॐ काकदृष्ट्यै नमः । काकदृष्टिमावाहयामि, स्थापयामि ॥
५९. ॐ अधोमुख्यै नमः । अधोमुखीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
६०. ॐ धूर्जट्यै नमः । धूर्जटीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
६१. ॐ मालिन्यै नमः । मालिनीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
६२. ॐ घोरायै नमः । घोरामावाहयामि, स्थापयामि ॥
६३. ॐ कपाल्यै नमः । कपालीमावाहयामि, स्थापयामि ॥
६४. ॐ विषभोजिन्यै नमः । विषभोजिनीमावाहयामि,
स्थापयामि ॥
उक्त चौंसठ योगिनियों के नाममन्त्रों से आवाहन करने के बाद पुनःपुष्पाक्षत लेकर मन्त्र बोलते हुए छोड़ दे । —
आवाहयाम्यहं देवीर्योगिनीः परमेश्वरीः । योगाभ्यासेन संतुष्टाः परं ध्यानसमन्विताः ।।
दिव्यकुण्डलसंकाशादिव्यज्वालास्त्रिलोचनाः । मूर्तिमतीर्ह्यमूर्त्ताश्च उग्राश्चैवोग्ररुपिणीः ।।
अनेकभावसंयुक्ताः संसारार्णवतारिणीः । यज्ञे कुर्वन्तु निर्विघ्नं श्रेयो यच्छन्तु मातरः ।।
ॐ चतुःषष्टियोगिनीभ्यो नमः, युष्मान् अहम् आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च ।
डी पी कर्मकांड भाग- १३ चौसठ योगनी पूजन chousath yogani pujan
अब 'ॐ मनो जूति' मंत्र से अक्षत छोड़ते हुए चौसठ योगनी की प्रतिष्ठा करें ।
पूजन— अब निम्न मंत्र से पंचोपचार/षोडशोपचार पूजन करे—
ॐ चतुःषष्टियोगिनीभ्यो नमः ।
पूजन के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करे—
यज्ञे कुर्वन्तु निर्विघ्नं श्रेयो यच्छन्तु मातरः ।
पुनः अक्षत लेकर—
अनया पूजया ॐ चतुःषष्टियोगिन्यः प्रीयन्ताम् न मम - कहकर छोड़ दे ।
इति डी पी कर्मकांड भाग- १३ चौसठ योगनी पूजन chousath yogani pujanचतुःषष्टियोगिनीपूजनम्
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