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मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
एकलिंगतोभद्र मंडल
इससे पूर्व आपने डी॰पी॰कर्मकाण्ड
भाग १९ में हरिहर मण्डल पूजन विधि पढ़ा। अब इस डी॰पी॰कर्मकाण्ड भाग २० में आप एकलिंगतोभद्र
मण्डल के विषय में पढ़ेंगे।
डी॰पी॰कर्मकाण्ड भाग २०- एकलिंगतोभद्र मण्डल
Ek Lingto Bhadra Mandal
एकलिंगातोंभद्र मण्डल शिवपूजन के
लिए विशेष वैदिक चक्र है, इसमें भगवान शिव के
परिकरों, परिच्छदों, आयुधों, आभूषणों का ही पूजन किया जाता है। इससे भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं और
साधक के अभीष्ट की सिद्धि होती है। इसमें एक वर्ग में बारह x बारह कोष्ठक बने हुए हैं । कोष्ठकों में रंगयोजना ऐसी बनायी गयी है कि
मध्य में एक शिवलिंग की आकृति बन रही है ।
अथ एकलिंगतोभद्र मंडल वेदी आवाह्न मंत्र
अष्ट भैरव आवाहन पूर्व से
ईशान कोण पर्यन्त:-
पूर्वे –
१. ॐ भूर्भुवः स्वः असिताङ्गभैरवाय
नमः, असिताङ्गभैरवमावाहयामि
स्थापयामि।
आग्नेय्याम् –
२. ॐ भूर्भुवः स्वः रूरूभैरवाय नमः,
रूरूभैरवमावाहयामि स्थापयामि।
दक्षिणस्याम् –
३. ॐ भूर्भुवः स्वः चण्ड भैरवाय नमः,
चण्डभैरवमावाहयामि स्थापयामि।
नैर्ऋत्याम् –
४. ॐ भूर्भुवः स्वः क्रोधभैरवाय नमः,
क्रोधभैरवमावाहयामि स्थापयामि ।
पश्चिमे –
५. ॐ भूर्भुवः स्वः उन्मत्त भैरवाय
नमः, उन्मत्तभैरवमावाहयामि स्थापयामि
।
वायव्याम्-
६. ॐ भूर्भुवः स्वः कपालभैरवाय नमः,
कपालभैरवमावाहयामि स्थापयामि ।
उत्तरे-
७. ॐ भूर्भुवः स्वः भीषणभैरवाय नमः,
भीषणभैरवमावाहयामि स्थापयामि ।
ईशान्याम् –
८. ॐ भूर्भुवः स्वः संहारभैरवाय नमः,
संहारभैरवमावाहयामि स्थापयामि।
एकलिंगतोभद्र मंडल
रुद्र आवाहन पूर्व से
ईशान कोण पर्यन्त :-
पूर्वे –
९. ॐ भूर्भुवः स्वः भवाय नमः,
भवमावाहयामि स्थापयामि।
आग्नेय्याम् –
१०. ॐ भूर्भुवः स्वः शर्वाय नमः,
शर्वमावाहयामि स्थापयामि।
दक्षिणे-
११. ॐ भूर्भुवः स्वः पशुपतये नमः,
पशुपतिमावाहयामि स्थापयामि ।
नैर्ऋत्याम् –
१२. ॐ भूर्भुवः स्वः नैर्ऋत्यम् नमः,
ईशानमावाहयामि स्थापयामि ।
पक्षिमे
१३. ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः,
रुद्रमावाहयामि स्थापयामि।
वायव्याम् –
१४. ॐ भूर्भुवः स्वः उग्राय नमः,
उग्रमावाहयामि स्थापयामि ।
उत्तरे-
१५. ॐ भूर्भुवः स्वः भौमाय नमः,
भीममावाहयामि स्थापयामि ।
ईशान्याम्-
१६. ॐ भूर्भुवः स्वः महते नमः,
महान्तमावाहयामि स्थापयामि ।
एकलिंगतोभद्र मंडल
अष्टनाग आवाहन पूर्व से
ईशान पर्यन्त आठो दिशाओ में :-
पूर्वे –
१७. ॐ भूर्भुवः स्वः अनन्ताय नमः,
अनन्तमावाहयामि स्थापयामि।
आग्नेय्याम् –
१८. ॐ भूर्भुवः स्वः वासुकये नमः,
वासुकिमावाहयामि स्थापयामि।
दक्षिणे –
१९. ॐ भूर्भुवः स्वः तक्षकाय नमः,
तक्षकमावाहयामि स्थापयामि ।
नैर्ऋत्याम् –
२०. ॐ भूर्भुवः स्वः कुलिशाय नमः,
कुलिशमावाहयामि स्थापयामि ।
पश्चिमे –
२१. ॐ भूर्भुवः स्वः कर्कोटकाय नमः,
कर्कोटकमावाहयामि स्थापयामि।
वायव्याम् –
२२. ॐ भूर्भुवः स्वः शङ्खपालाय नमः,
शङ्खपालमावाहयामि स्थापयामि ।
उत्तरे-
२३. ॐ भूर्भुवः स्वः कम्बलाय नमः,
कम्बलमावाहयामि स्थापयामि ।
ईशान्याम् –
२४. ॐ भूर्भुवः स्वः अश्वातराय नमः,
अश्वतरमावाहयामि स्थापयामि ।
ईशानेन्द्रयोर्मध्ये –
२५. ॐ भूर्भुवः स्वः शूलाय नमः,
शूलमावाहयामि स्थापयामि।
इन्द्राग्निमध्ये –
२६. ॐ भूर्भुवः स्वः चन्द्रमौलिने
नमः, चन्द्रमौलिनमावाहयामि स्थापयामि
।
अग्नियमयोर्मध्ये –
२७. ॐ भूर्भुवः स्वः चन्द्रमसे नमः,
चन्द्रमसमावाहयामि स्थापयामि ।
यम निर्ऋत मध्ये –
२८. ॐ भूर्भुवः स्वः वृषभध्वजाय नमः,
वृषभध्वजमावाहयामि स्थापयामि ।
निर्ऋति वरुण के मध्य –
२९. ॐ भूर्भुवः स्वः त्रिलोचनाय नमः,
त्रिलोचनमावाहयामि स्थापयामि ।
वरुण - वायु मध्ये -
३०. ॐ भूर्भुवः स्वः शक्तिधराय नमः,
शक्तिधरमावाहयामि स्थापयामि ।
वायु-सोम मध्ये –
३१. ॐ भूर्भुवः स्वः महेश्वराय नमः,
महेश्वरमावाहयामि स्थापयामि ।
सोम ईशान के मध्ये –
३२. ॐ भूर्भुवः स्वः शूलपाणये नमः,
शूल पाणिमावाहयामि स्थापयामि ।
एकलिंगतोभद्र मंडल ध्यान
नमः शम्भवाय च मयोभवाय च
नमः शङ्कराय च मयस्कराये च
नमः शिवाय च शिवतराय च ॥
एकलिंगतोभद्र मंडल प्रतिष्ठापना
-
ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य
बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिमं दधातु ।
विश्वे
देवास इह मादयन्तामो३म्प्रतिष्ठ ॥
कलश स्थापन विधि से वेदी पर कलश
स्थापित करके रुद्र का आवाहन कर ऊर्ध्वलिखित मन्त्र से प्रतिष्ठा करके षोडशोपचार
पूजन करें उसके बाद प्रार्थना करें-
ॐ एकलिङ्गतोभद्र मण्डलावाहितदेवताः
सुप्रतिष्ठिता वरदा भवन्तु ।
एकलिंगतोभद्र मंडल प्रार्थना
भूत्यालेपनभूषितः
प्रविलसन्नेत्राग्निदीपाङ्कुरः।
कण्ठे पन्नगपुष्पदामसुभगो गङ्गाजलैः
पूरितः ॥
ईषत्ताम्रजटाऽग्रपल्लवयुतोन्यस्तो
जगन्मण्डपे।
शम्भुर्मङ्गलकुम्भतामुपगतो
भूयात्सतां श्रेयसे ॥
यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता
देवापगा मस्तके।
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि
व्यालराट् ।
सोऽयं भूतिविभूषण: सुरवर: सर्वाधिपः
सर्वदा ।
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः
श्रीशङ्करः पातु माम् ॥
एकलिंगतोभद्र मंडल समर्पण
–
कृतेन अनेन पूजनेन एकलिङ्गतोभद्र मण्डलावाहितदेवताः
प्रीयन्तां न मम ।
।। इति एकलिंगतोभद्र मण्डल देवता पूजनम् ।।
आगे जारी- डी॰पी॰कर्मकाण्ड भाग 21 द्वादशलिंगतोभद्र मंडल
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