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कर्मकाण्ड

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शिव

शिव

शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। शिव त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। यें सृष्टि के संहारक और जगतपिता हैं। भगवान शिव को रूद्र नाम से जाता है रुद्र का अर्थ है रुत दूर करने वाला अर्थात् दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। भगवान शिव को स्वयंभू कहा जाता है जिसका अर्थ है कि वह अजन्मा है अर्थात् वह मानव शरीर से पैदा नहीं हुए हैं। जिस प्रकार इस ब्रह्मण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई शुरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। भोलेनाथ को अजन्मा और अविनाशी कहा जाता है। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात् समय। शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं। इसी स्वरूप द्वारा परमात्मा ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एकत्रित कर रखा है। परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है क्योंकि पूर्ण सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर टिका हुआ है। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव के गले में नाग देवता वासुकी विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। शिवजी को संहार का देवता कहा जाता है। यें सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। वे अर्धनारीश्वर होते हुए भी कामजित हैं। गृहस्थ होते हुए भी श्मशानवासी, वीतरागी हैं। सौम्य, आशुतोष होते हुए भी भयंकर रुद्र हैं। शिव परिवार भी इससे अछूता नहीं हैं। उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर व मूषक सभी का समभाव देखने को मिलता है। वे स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व के महान विचार का परिचायक हैं।

शिवजी

शिवजी  

शिव पूजन सामाग्री

॥शिवमहिम्न: स्तोत्रम् ॥- शिवमहिम्न स्तोत्रम्

॥बिल्वाष्टकस्तोत्रम् ॥- बिल्वाष्टकम्

वैदिक शिव पूजन विधि

त्वरितरुद्र

रूद्र सूक्त 

सोलह सोमवार व्रत कथा 

शिव  सहस्रनाम स्तोत्रम 

शिवसहस्रनाम स्तोत्र 

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रम्व श्रीशिवसहस्रनामावलिः शिवरहस्यान्तर्गतम्

शिवसहस्रनामस्तोत्रम्  श्रीशिवरहस्यान्तर्गतम्

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रं  शिवरहस्ये नवमांशे अध्याय २

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रम्  व श्रीशिवसहस्रनामावली

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रम् भगीरथकृतं श्रीदेवीभागवत उपपुराणान्तर्गतम् 

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रम् स्कन्दपुराणान्तर्गतम्

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रम्  शङ्करसंहितायां स्कन्दमहापुराणान्तर्गतम्

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रं  वायुपुराणे अध्याय ३०

श्रीशिवसहस्रनामस्तोत्रं  श्रीसौरपुराणान्तर्गतम्

शिव प्रश्नावली चक्र

सोमवार व्रत कथा

रुद्राष्टकम्

कठरुद्रोपनिषत्

रुद्राष्टाध्यायी

शरभोपनिषत्

कालाग्निरुद्रोपनिषत्

शिवसङ्कल्पोपनिषत्

शिव  चालीसा

पार्थिव  शिव लिंग पूजा विधि

शिव  रक्षा स्तोत्र

प्रदोषस्तोत्राष्टकम्

प्रदोषस्तोत्रम्

सोम  प्रदोष व्रत कथा 

अघोरमूर्तिसहस्रनामस्तोत्रम्

अघोरकवचम्  अघोरमूर्तिकवचम्

अघोरस्तोत्रम्

शिवरामाष्टकम्

अमोघशिवकवचम्

अर्धनारीश्वरस्तोत्र - अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्रम्

अर्धनारीश्वरस्तोत्रम्

अर्धनारीश्वरसहस्रनामस्तोत्रम्

अर्धनारीश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

दारिद्र्यदहन शिवस्तोत्रम्

आक्रन्दमानगिरया शिवस्तुतिः

श्रीशिवस्तुतिः - वन्दे शिवं शङ्करम्

लिंगाष्टकस्त्रोतम्

द्वादशज्योतिर्लिंग

श्रीशिवस्तुतिःअन्धककृता

ईशानस्तवः

शिवताण्डवस्तोत्रम्

ईश्वर प्रार्थनास्तोत्रम्

ईश्वर स्तोत्र

सदाशिवस्वरूपाणि

सदाशिवस्तोत्रम्

श्रीसदाशिवकवचस्तोत्रम्

सदाशिवकवचम्

श्रीकण्ठेश अष्टक स्तुति स्तोत्रम्  

भैरव चालीसा

महाकाल भैरव स्तोत्र

अष्टमूर्तिस्तोत्रम्  

कालभैरवाष्टकम्

नीलरुद्रोपनिषद् 

शिवमहापुराण

शिवानन्दलहरी

महाकाल स्तुति    

महामृत्युंजयकवच त्र्ययाम्बकम् 

महामृत्युंजय कवच स्तोत्रम्

शिव स्तुति

अष्टभैरव

महाकाल मङ्गलम्

महाकाल स्तोत्र

महाकाल सहस्रनाम स्तोत्रम्

महाकालसहस्रनामस्तोत्रम् २

महाकालककाराद्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र 

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

शिव षडक्षर स्तोत्र

श्रीशिवस्तुती नारायणपण्डितकृत

महालिङ्गस्तुति

श्रीरुद्रकोटीश्वराष्टकम्

महामृत्युञ्जय

शिवमहिमा एवं स्तुतिः उमामहेश्वरमाहात्म्यम्

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