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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
भैरव स्तोत्र
भैरव को अपने भक्तों का रक्षक माना जाता है। उनकी पूजा व इस महाकाल भैरव स्तोत्र पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
भैरव अथवा महाकाल भैरव स्तोत्र से लाभ
इस महाकाल भैरव स्तोत्र पाठ
करने से-
भैरव अपने भक्तों की रक्षा करते
हैं। वे सभी संकटों चाहे वे प्राकृतिक हों या मानव निर्मित से बचाते हैं।
मन को शांत करती है। यह चिंता,
तनाव और भय को दूर करने में मदद करती है।
सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वे
भक्तों को धन, यश, स्वास्थ्य
और सुख प्रदान करते हैं।
नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी नजर से
रक्षा करते हैं। वे भूत-प्रेत और अन्य अशुभ शक्तियों से बचाते हैं।
आत्मविश्वास बढ़ता है। यह व्यक्ति
को साहसी और निर्भीक बनाता है।
मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग भी
प्रशस्त करती है।
महाकाल भैरव स्तोत्रम्
जलद् पटलनीलं दीप्यमानोग्रकेशं,
त्रिशिख डमरूहस्तं चन्द्रलेखावतंसं
।
विमल वृष निरुढं चित्रशार्दूळवास:,
विजयमनिशमीडे विक्रमोद्दण्डचण्डम् ॥
सबल बल विघातं क्षेपाळैक पालम्,
बिकट कटि कराळं ह्यट्टहासं विशाळम्
।
करगतकरबाळं नागयज्ञोपवीतं,
भज जन शिवरूपं भैरवं भूतनाथम् ॥
भैरव स्तोत्रम्
यं यं यं यक्ष रूपं दशदिशिवदनं
भूमिकम्पायमानं ।
सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट
जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम् ।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं
चौर्ध्वरोयं करालं ।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं
क्षेत्रपालम् ।।
रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं
तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम् ।
घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा
घोर नादम् ।।
कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं
ज्वालितं कामदेहं ।
दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं
भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं
दीर्घ जिह्वकरालं ।
धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत
मुखं मासुरं भीमरूपम् ।।
रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं
ताम्रनेत्रं विशालम् ।
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं
भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं
ब्रह्मरूपं स्वरूपम् ।
खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं
भास्करम् भीमरूपम् ।।
चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं
चालितं भूत चक्रम् ।
मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं
भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल
कालांधकारम् ।
क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन
नेत्र संदिप्यमानम् ।।
हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित
गहनगर्जित भूमिकम्पं ।
बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं
क्षेत्रपालम् ।।
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पांत
दहन प्रभो ।
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातु
महर्षि ।।
इति: श्रीमहाकाल भैरव स्तोत्रम् सम्पूर्ण।।
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