नवग्रह पूजन सामग्री
नवग्रह शांति के लिए कुछ खास पूजन
सामग्री की आवश्यकता होती है, जिससे
की हम उस ग्रह या नवग्रह का पूजन कर सकें अतः यहाँ श्री नवग्रह पूजन सामग्री दिया
जा रहा है।
नवग्रह पूजन सामग्री
Navagrah pujan samagri
श्री नवग्रह पूजन सामग्री
नवग्रह पूजन सामग्री
दूध-1
पाव
दही-1
पाव
घी-1
पाव
शहद- 1 नग
शक्कर-1
पाव
गुड़-1
पाव
गंगाजल-1
नग
गुलाबजल-1
नग
मौलीधागा-1
नग
जनेऊ-10
नग
चन्दन-10
रु॰
गुलाल-
5 रु॰
बंदन-10
रु॰
कुमकुम-5
रु॰
हल्दी-10
नग
सुपाड़ी(बड़ा) -10
नग
पंचमेवा-20
रु॰
पान-15
नग
लौंग-10
रु॰
इलायची-10
रु॰
धूप-
2 नग
अगरबत्ती-1
नग
रुई-
5 रु॰
इत्र(बड़ा) -1
नग
हवनलकड़ी-1
कि॰
जंवा -10
रु॰
तिल-10
रु॰
नवग्रहसमिधा-1
नग
सर्वोषधि-1
नग
चन्दनचुरा-10
रु॰
हवनमाली-1
नग
गमछा-1
नग
उड़ददाल-
5 रु॰
नारियलगिरी-1
नग
भोजपत्र-10
रु॰
कमलगट्टा-10
रु॰
जटामासी-10
रु॰
पिसीहल्दी-10
रु॰
कपूर-10
रु॰
हूम(दसांग)–1 पाव
नारियल- 3 नग
सफ़ेदकपड़ा- सवामी॰
केला,सेब,मिठाई
तील का तेल - 1पाव
ध्वजा- 9 रंग का
वेदी रंग- काला,पिला
लाल,गुलाबी,नीला,हरा, अथवा नवग्रह चांवल
फूल, दुबी, आमपत्ता, फूलमाला
श्री नवग्रह पूजन सामग्री
इसके अतिरिक्त यदि किसी विशेष ग्रह
का शांति करना हो तो प्रत्येक ग्रह के दान के लिए
निम्न सामग्री लगेगा-
सूर्य ग्रह के दान के लिए –
सोना-तांबा, गेहूँ, गुड़,
लाल फूल, लाल वस्त्र, केसर,
खस, मैनसिल, सोना,
बछड़ेवाली लाल गाय, लाल कमल, लाल चन्दन, साठी चाँवल, स्वर्णपत्र
पर अंकित सूर्य मूर्ति या यंत्र व माणिक्य।
सूर्य शांति के लिए - आदित्य हृदयस्तोत्र का पाठ करें। माता-पिता की सेवा तथा सूर्य को अर्घ्य,
जल में रोली तथा लाल पुष्प डालकर देना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व
उठें तथा रविवार का व्रत करें। सूर्य के मंत्र “ॐ घृणि:
सूर्याय नम:” का ७००० जप करना श्रेष्ठ है। अनामिका उंगली में
तांबे का छल्ला या माणिक्य धारण करना या हस्त नक्षत्र या रविवार को भी शुभ होगा।
नमक का कम उपयोग करें। बुजुर्गों का सम्मान करें। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में
भाग लें।
चंद्र ग्रह के दान के लिए –
सफेद वस्त्र, चांदी, दूध,
जल पूर्ण कुम्भ, पानी वाला नारियल, सफेद चंदन, चांदी का चंद्रमा, विल्बपत्र,
सफेद मिष्ठान्न,सफ़ेद बैल या गाय,चाँवल,बांस का पात्र, टोकरी,
शंख, कपूर, घी, दही, चीनी, मिश्री, श्वेत पुष्प, मोती।
चंद्रदेव शांति के
लिए-चन्द्रस्तोत्र का पाठ करें या भगवान शिव का पूजन व अभिषेक करें। सोमवार का व्रत करें,
पहाड़ों की यात्रा करें तथा स्वमाता के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त
करें। “ॐ सों सोमाय नमः” मंत्र का
११००० जप करें। छोटी उंगली में कम से कम ५ रत्ती का मोती धारण करें।
मंगल ग्रह के दान के लिए –
लाल वस्त्र, तांबा, मसूर
या मसूर की दाल, मीठी रोटी, लाल बैल,
सोना, गुड़, लाल चन्दन,
घी, केशर, कस्तूरी,
गेहूँ, लाल कनेर, लाल
रंग का फल, लाल रंग का फूल, सोना या
तांबा का मंगल प्रतिमा, मूंगा।
मंगल की शांति के लिए - हनुमानजी को
चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर व शुद्ध घी का चोला चढ़ाएं तथा मंगल स्तोत्र का पाठ
करें। इमरती, जलेबी, बूंदी तथा चूरमे का प्रसाद अर्पण करें। अपने कुटुंब, सहयोगियों से बैर न रखें। सगे भ्राता को सम्मान दें। गरीबों को भोजन व
बंदरों को गुड़ चना खिलाएं, मंगलवार का व्रत करें। “ॐ अं अंगारकाय नमः” मंत्र का २८००० जप करें। अनामिका
उंगली में मूंगा धारण करें।
बुध ग्रह के दान के लिए –
हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मुंग
की दाल, पन्ना, सोना, चाँदी का वर्क।
बुध ग्रह की शांति के लिए-
मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, बुधस्तोत्र
का पाठ करें। । हरे मूंग भिगोकर पक्षियों को दाना डालें। पालक या हरा चारा गायों
को खिलाएं। पक्षियों विशेषकर तोतों को पिंजरों से स्वतंत्रता दिलाएं। नौ वर्ष से
छोटी कन्याओं के पाद प्रक्षालन अर्थात पैर धोकर उनको प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त
करें। बुधवार का व्रत रखें। “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का ९००० जप करके बुध की अनुकंपा प्राप्त करें। छोटी उंगली में पन्ना
धारण करें।
बृहस्पति ग्रह के दान के लिए –
गुड़, चना या चने की दाल, केला, पीला वस्त्र, पीला फल,
केशर, घी, बेसन, नमक, मिठाई, हल्दी, सोना, पुखराज।
बृहस्पति देव गुरु की प्रसन्नता के
लिए - ब्राह्मणों का सम्मान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। केशर का तिलक मस्तक
पर लगाएं एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का योग्य व्यक्तियों को दान करें। किन्नरों की
सेवा करें। भगवान ब्रह्मा का केले से पूजन करें तथा कुल पुरोहित का सम्मान करके
आशीर्वाद प्राप्त करें। बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें भगवान लक्ष्मी-नारायण का
पूजन करें, सत्यनारायण की कथा
कराएँ। केले के वृक्ष में हल्दी मिश्रित जल चढ़ाएं। गुरुवार का व्रत रखें। “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का १९००० जप करें।
पहली(प्रथमा) उंगली में पुखराज धारण करें।
शुक्र ग्रह के दान के लिए –
रंगीन वस्त्र,इत्र,चन्दन,कपूर,चीनी, हीरा,सोना,चाँदी।
शुक्र ग्रह की शांति के लिए-
कनकधारा का दैनिक पाठ करें, शुक्रस्तोत्र
का पाठ करें। श्वेत और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। गो की सेवा तथा गोशाला में गुड़,
हरा चारा, चने की दाल गायों को खिलाएं। विशेष
रूप से श्रीविद्या का पूजन कराएं। एकाक्षी ब्राह्मण को कांसे के कटोरे में खीर
खिलाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। विशेष परिस्थिति में रोग हो तो मृत
संजीवनी का मंत्र जप कराएं। अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए। संयम से रहें।
व्यसनों से बचें। शुक्रवार का व्रत रखें। “ॐ शुं शुक्राय नमः”
मंत्र का १६००० जप करें। (मध्यमा) बीच की उंगली में हीरा धारण करें।
शनि ग्रह के दान के लिए –
काला वस्त्र,उड़द दाल,काला
तील, सरसों का तेल,स्टील का बर्तन,लोहे की वस्तु या लोहा, सोना, नीलम,
भैंस, काला कम्बल, जूता।
शनि ग्रह की शांति के लिए- पीपल
वृक्ष तथा भैरव का पूजन करें,शनि
देव का पूजन करें । इमरती, उड़द की दाल, दही बड़े भैरवजी को चढ़ाएं व प्रसाद में बांटें । श्री हनुमान चालीसा तथा
सुंदरकांड का नियमित पाठ करें। मजदूरों को तली हुई खाद्य वस्तुओं का दान करें।
शनिवार का व्रत करें। पिता के संबंधियों से अच्छे मधुर संबंध बनाए रखें। शनिवार को
तिल के तेल का शनि पर अभिषेक करें। शनि स्तोत्रों का पाठ करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का २३००० जप करें।
(मध्यमा) बीच की उंगली में नीलम धारण करें।
राहु ग्रह के दान के लिए –
काला वस्त्र,उड़द दाल,काला
तील, सोना, गोमेद, काला या नीला कम्बल ।
राहु की शांति के लिए- मां सरस्वती
का पाठ-पूजन करना चाहिए, घर पर बने
शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें। किसी भी प्रकार का बिजली का सामान इकट्ठा न
होने दें तथा बिजली का सामान मुफ्त में न लें। मातृपक्ष के संबंधियों की सेवा करें
और अश्लील साहित्य या फिल्में न देखें। भगवान गणेश का अभिषेक करें, माँ दुर्गा का पूजन करें। “ॐ रां राहवे नमः”
“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः” मंत्र का
१८००० जप करें। गोमेद धारण करें। इसका स्वभाव शनि की भांति होता है। अतः इनके लिए
शनिवार को दान या शांति करें। बुधवार इनके लिए भी शुभ है।
केतु ग्रह के दान के लिए –
काला वस्त्र,उड़द दाल,काला
तील, सोना, लहसुनिया, काला या भूरा कम्बल,लोहा ।
केतु ग्रह की शांति के लिए- गणेशजी
की पूजा-अर्चना करें। बच्चों को केले खिलाएं और किसी भी धर्मस्थल पर ध्वजा चढ़ाएं।
कुत्तों को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं। कुत्तों को चोट कदापि न पहुंचाएं। भगवान गणेश
का अभिषेक करें, या शिव परिवार का
पूजन करें। “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का
१७००० जप करें। लहसुनिया धारण करें। इसका स्वभाव मंगल की भांति होता है। अतः इनके
लिए मंगलवार को दान या शांति करें। बुधवार इनके लिए भी शुभ है।
श्री नवग्रह पूजन सामग्री समाप्त।।

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