Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2021
(800)
-
▼
June
(39)
- विष्णु
- कृष्ण
- लक्ष्मी माता
- श्रीराम
- माँ दुर्गा
- शिव
- गणेशजी
- वेद पुराण
- उपनिषद
- अमृतबिन्दु उपनिषद्
- एकाक्षर उपनिषद्
- व्रत- कथा-त्यौहार
- गर्भ उपनिषद
- अध्यात्मोपनिषत्
- कलिसंतरण उपनिषद
- रघुवंशम् पञ्चम सर्ग
- शुकरहस्योपनिषत्
- नवग्रह
- नवग्रह पूजन विधि
- नवग्रह पूजन सामग्री
- नवग्रहस्तोत्रम्
- नवग्रहसूक्तम्
- नवग्रह स्तोत्र
- नवग्रहपीडाहरस्तोत्रम्
- नवग्रह कवच
- नवग्रह चालीसा
- वट सावित्री व्रत
- यमाष्टक
- केतु अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
- केतुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम्
- केतुकवचम्
- केतुस्तोत्रम्
- राहुमङ्गलस्तोत्रम्
- राहु अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
- राहुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम्
- राहुस्तोत्रम्
- राहुकवचम्
- शनैश्चर सहस्रनामस्तोत्रम्
- शनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
-
▼
June
(39)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
नवग्रह पूजन सामग्री
नवग्रह शांति के लिए कुछ खास पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है, जिससे की हम उस ग्रह या नवग्रह का पूजन कर सकें अतः यहाँ श्री नवग्रह पूजन सामग्री दिया जा रहा है।
श्री नवग्रह पूजन सामग्री
दूध-1पाव रुई-5रु॰
दही-1पाव इत्र(बड़ा) -1नग
घी-1पाव हवनलकड़ी-1कि॰
शहद- 1 नग जंवा -10रु॰
शक्कर-1पाव तिल-10रु॰
गुड़-1पाव नवग्रहसमिधा-1नग
गंगाजल-1नग सर्वोषधि-1नग
गुलाबजल-1नग चन्दनचुरा-10रु॰
मौलीधागा-1नग हवनमाली-1नग
जनेऊ-10नग गमछा-1नग
चन्दन-10रु॰ उड़ददाल-5रु॰
गुलाल-5रु॰ नारियलगिरी-1नग
बंदन-10रु॰ भोजपत्र-10रु॰
कुमकुम-5रु॰ कमलगट्टा-10रु॰
हल्दी-10नग जटामासी-10रु॰
सुपाड़ी-10नग पिसीहल्दी-10रु॰
पंचमेवा-20रु॰ कपूर-10रु॰
पान-15नग हूम(दसांग)–1कि॰
लौंग-10रु॰ नारियल-4नग
इलायची-10रु॰ अगरबत्ती-1नग
धूप-2नग सफ़ेदकपड़ा-सवामी॰
केला,सेब,मिठाई फूल दुबी आमपत्ता फूलमाला
श्री नवग्रह पूजन सामग्री
इसके अतिरिक्त यदि किसी विशेष ग्रह का शांति करना हो तो प्रत्येक ग्रह के दान के लिए निम्न सामग्री लगेगा-
सूर्य ग्रह के दान के लिए – सोना-तांबा, गेहूँ, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, केसर, खस, मैनसिल, सोना, बछड़ेवाली लाल गाय, लाल कमल, लाल चन्दन, साठी चाँवल, स्वर्णपत्र पर अंकित सूर्य मूर्ति या यंत्र व माणिक्य।
सूर्य शांति के लिए - आदित्य हृदयस्तोत्र का पाठ करें। माता-पिता की सेवा तथा सूर्य को अर्घ्य, जल में रोली तथा लाल पुष्प डालकर देना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व उठें तथा रविवार का व्रत करें। सूर्य के मंत्र “ॐ घृणि: सूर्याय नम:” का ७००० जप करना श्रेष्ठ है। अनामिका उंगली में तांबे का छल्ला या माणिक्य धारण करना या हस्त नक्षत्र या रविवार को भी शुभ होगा। नमक का कम उपयोग करें। बुजुर्गों का सम्मान करें। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भाग लें।
चंद्र ग्रह के दान के लिए – सफेद वस्त्र, चांदी, दूध, जल पूर्ण कुम्भ, पानी वाला नारियल, सफेद चंदन, चांदी का चंद्रमा, विल्बपत्र, सफेद मिष्ठान्न,सफ़ेद बैल या गाय,चाँवल,बांस का पात्र, टोकरी, शंख, कपूर, घी, दही, चीनी, मिश्री, श्वेत पुष्प, मोती।
चंद्रदेव शांति के लिए-चन्द्रस्तोत्र का पाठ करें या भगवान शिव का पूजन व अभिषेक करें। सोमवार का व्रत करें, पहाड़ों की यात्रा करें तथा स्वमाता के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। “ॐ सों सोमाय नमः” मंत्र का ११००० जप करें। छोटी उंगली में कम से कम ५ रत्ती का मोती धारण करें।
मंगल ग्रह के दान के लिए – लाल वस्त्र, तांबा, मसूर या मसूर की दाल, मीठी रोटी, लाल बैल, सोना, गुड़, लाल चन्दन, घी, केशर, कस्तूरी, गेहूँ, लाल कनेर, लाल रंग का फल, लाल रंग का फूल, सोना या तांबा का मंगल प्रतिमा, मूंगा।
मंगल की शांति के लिए - हनुमानजी को चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर व शुद्ध घी का चोला चढ़ाएं तथा मंगल स्तोत्र का पाठ करें। इमरती, जलेबी, बूंदी तथा चूरमे का प्रसाद अर्पण करें। अपने कुटुंब, सहयोगियों से बैर न रखें। सगे भ्राता को सम्मान दें। गरीबों को भोजन व बंदरों को गुड़ चना खिलाएं, मंगलवार का व्रत करें। “ॐ अं अंगारकाय नमः” मंत्र का २८००० जप करें। अनामिका उंगली में मूंगा धारण करें।
बुध ग्रह के दान के लिए – हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मुंग की दाल, पन्ना, सोना, चाँदी का वर्क।
बुध ग्रह की शांति के लिए- मांदुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, बुधस्तोत्र का पाठ करें। । हरे मूंग भिगोकर पक्षियों को दाना डालें। पालक या हरा चारा गायों को खिलाएं। पक्षियों विशेषकर तोतों को पिंजरों से स्वतंत्रता दिलाएं। नौ वर्ष से छोटी कन्याओं के पाद प्रक्षालन अर्थात पैर धोकर उनको प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करें। बुधवार का व्रत रखें। “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का ९००० जप करके बुध की अनुकंपा प्राप्त करें। छोटी उंगली में पन्ना धारण करें।
बृहस्पति ग्रह के दान के लिए – गुड़, चना या चने की दाल, केला, पीला वस्त्र, पीला फल, केशर, घी, बेसन, नमक, मिठाई, हल्दी, सोना, पुखराज।
बृहस्पति देव गुरु की प्रसन्नता के लिए - ब्राह्मणों का सम्मान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। केशर का तिलक मस्तक पर लगाएं एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का योग्य व्यक्तियों को दान करें। किन्नरों की सेवा करें। भगवान ब्रह्मा का केले से पूजन करें तथा कुल पुरोहित का सम्मान करके आशीर्वाद प्राप्त करें। बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें भगवान लक्ष्मी-नारायण का पूजन करें, सत्यनारायण की कथा कराएँ। केले के वृक्ष में हल्दी मिश्रित जल चढ़ाएं। गुरुवार का व्रत रखें। “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का १९००० जप करें। पहली(प्रथमा) उंगली में पुखराज धारण करें।
शुक्र ग्रह के दान के लिए – रंगीन वस्त्र,इत्र,चन्दन,कपूर,चीनी, हीरा,सोना,चाँदी।
शुक्र ग्रह की शांति के लिए- कनकधारा का दैनिक पाठ करें,शुक्रस्तोत्र का पाठ करें। श्वेत और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। गो की सेवा तथा गोशाला में गुड़, हरा चारा, चने की दाल गायों को खिलाएं। विशेष रूप से श्रीविद्या का पूजन कराएं। एकाक्षी ब्राह्मण को कांसे के कटोरे में खीर खिलाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। विशेष परिस्थिति में रोग हो तो मृत संजीवनी का मंत्र जप कराएं। अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए। संयम से रहें। व्यसनों से बचें। शुक्रवार का व्रत रखें। “ॐ शुं शुक्राय नमः” मंत्र का १६००० जप करें। (मध्यमा) बीच की उंगली में हीरा धारण करें।
शनि ग्रह के दान के लिए – काला वस्त्र,उड़द दाल,काला तील, सरसों का तेल,स्टील का बर्तन,लोहे की वस्तु या लोहा, सोना, नीलम, भैंस, काला कम्बल, जूता।
शनि ग्रह की शांति के लिए- पीपल वृक्ष तथा भैरव का पूजन करें,शनि देव का पूजन करें । इमरती, उड़द की दाल, दही बड़े भैरवजी को चढ़ाएं व प्रसाद में बांटें । श्री हनुमान चालीसा तथा सुंदरकांड का नियमित पाठ करें। मजदूरों को तली हुई खाद्य वस्तुओं का दान करें। शनिवार का व्रत करें। पिता के संबंधियों से अच्छे मधुर संबंध बनाए रखें। शनिवार को तिल के तेल का शनि पर अभिषेक करें। शनि स्तोत्रों का पाठ करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का २३००० जप करें। (मध्यमा) बीच की उंगली में नीलम धारण करें।
राहु ग्रह के दान के लिए – काला वस्त्र,उड़द दाल,काला तील, सोना, गोमेद, काला या नीला कम्बल ।
राहु की शांति के लिए- मां सरस्वती का पाठ-पूजन करना चाहिए, घर पर बने शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें। किसी भी प्रकार का बिजली का सामान इकट्ठा न होने दें तथा बिजली का सामान मुफ्त में न लें। मातृपक्ष के संबंधियों की सेवा करें और अश्लील साहित्य या फिल्में न देखें। भगवान गणेश का अभिषेक करें, माँ दुर्गा का पूजन करें। “ॐ रां राहवे नमः” “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः” मंत्र का १८००० जप करें। गोमेद धारण करें। इसका स्वभाव शनि की भांति होता है। अतः इनके लिए शनिवार को दान या शांति करें। बुधवार इनके लिए भी शुभ है।
केतु ग्रह के दान के लिए – काला वस्त्र,उड़द दाल,काला तील, सोना, लहसुनिया, काला या भूरा कम्बल,लोहा ।
केतु ग्रह की शांति के लिए- गणेशजी की पूजा-अर्चना करें। बच्चों को केले खिलाएं और किसी भी धर्मस्थल पर ध्वजा चढ़ाएं। कुत्तों को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं। कुत्तों को चोट कदापि न पहुंचाएं। भगवान गणेश का अभिषेक करें, या शिव परिवार का पूजन करें। “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का १७००० जप करें। लहसुनिया धारण करें। इसका स्वभाव मंगल की भांति होता है। अतः इनके लिए मंगलवार को दान या शांति करें। बुधवार इनके लिए भी शुभ है।
श्री नवग्रह पूजन सामग्री समाप्त
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (38)
- Worship Method (32)
- अष्टक (54)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (25)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (32)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवी (190)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (80)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (41)
- वेद-पुराण (691)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (54)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (22)
- श्रीराधा (2)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (109)
- स्तोत्र संग्रह (711)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: