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नवग्रह कवच

नवग्रह कवच

नवग्रह कवच का वर्णन यामल तंत्र में किया गया है। इस कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति को रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, अशुभ प्रभाव, शत्रु बाधा आदि से मुक्ति मिल सकती है। मंत्रों के जाप में सदैव उसके उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, अन्यथा आपको उस मंत्र का सही फल प्राप्त नहीं होगा। यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो ग्रहों का अशुभ प्रभाव या ग्रहदोष के नकारात्मक प्रभावों को तत्क्षण दूर करने में समर्थ है।

नवग्रह कवच

नवग्रह कवचम्

Navagrah kavach

नवग्रह कवच स्तोत्र

अथ श्री नवग्रहकवच

ॐ शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:।

मुखमङ्गारक: पातु कण्ठं च शशिनन्दन:।।

सूर्य मेरे सिर की, चंद्रमा मेरे कपाल की, मंगल मेरे मुख की, और चंद्रमा का पुत्र (बुध) मेरे कंठ की रक्षा करें।

बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनन्दन:।

जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनन्दन:।।

बृहस्पति मेरी बुद्धि की, भृगुनंदन (शुक्र) मेरे हृदय की, शनि मेरे पेट की और दितिनंदन (राहु) मेरी जीभ की रक्षा करें।"

पादौ केतु: सदा पातु: वारा: सर्वाङ्गमेव च ।

तिथयोऽष्टौ दिश: पान्तु: नक्षत्राणि वपु: सदा: ।।

केतु मेरे पैरों की रक्षा करें। सभी वार (दिन) मेरे पूरे शरीर की, तिथियां और आठों दिशाएं तथा नक्षत्र सदैव मेरे शरीर की रक्षा करें।

अंसौ राशि: सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च ।

सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत् ।।

राशि चक्र सदा मेरी रक्षा करें, मुझे स्थिरता प्रदान करें, दीर्घायु, सुखी संतान और युद्ध में विजय प्रदान करें।

नवग्रह कवच महात्म्य

रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात् ।

श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते ।।

जो नित्य इस नवग्रह कवच का पाठ करता है वह रोगी रोग से मुक्त हो जाता है, बंदी बंधन से छूट जाता है, हमेशा समृद्धि प्राप्त करता है और उसे किसी भी प्रकार से हानि नहीं होता है।

य: करे धारयेन्नित्यं तस्य रिष्टिर्न जायते ।

पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते ।।

जो इस कवच को धारण करता है, उसे कोई कष्ट नहीं होता है तथा जो इस कवच को नित्य पढ़ता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत् ।

जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय: ।।

एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्ग स्पृष्ट्वापि वा पठेत् ।।

इस रक्षा (कवच) को पढ़ने या शरीर को स्पर्श करके धारण करने से जो स्त्री मृतवत्सा या काकवंध्या (जिसके बच्चे जीवित नहीं रहते या जो एक ही बच्चा पैदा कर पाती है) और जीववत्सा (जिसके बच्चे जीवित रहते हैं) वह भी पुत्रवती हो जाएगी, इसमें कोई संदेह नहीं है।

इति ग्रहयामले उत्तरखण्डे नवग्रह कवचं समाप्तम् ।

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