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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
महालक्ष्मी पूजन विधि
दीपावली या
अन्य अवसरों पर (यथा मूर्ति पूजन,व्रत,उद्यापन,वाहन,मशीनरी,व्यापार,उद्योग) माँ महालक्ष्मी पूजन विधि निम्न विधि से करें-
दीपावली पर घर
या प्रतिष्ठान को अच्छी तरह साफ-सुथरा कर सभी ओर चौंक(रंगोली) आदि से सजाकर दीपों
से जगमगा दें। गणेश जी के दाहिने माँ लक्ष्मी की नवीन मूर्ति को किसी चौंकी पर
चमकीला लाल या पीला वस्त्र बिछाकर रखें और पास ही किसी थाल पर केशरयुक्त चन्दन से
अष्टदल कमल बनाकर उसमे द्रव्य(रुपए,पैसे)रख पूजन करें। पूजन शुरू करने के पूर्व पूजन की समस्त
सामग्री व्यवस्थित रूप से पूजा-स्थल पर रख लें।
महालक्ष्मी
पूजन विधि में सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र या नवीन वस्त्र धारणकर ,
माथे पर तिलक
लगाएँ और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा
की ओर मुँह करके पूजन प्रारम्भ करें।
महालक्ष्मी पूजन विधि
पवित्रकरण : निम्न
मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः
पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत्
पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
पुनः
पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं ।
आसन : निम्न
मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी
त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना घृता ।
त्वं च धारय
मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम् ॥
आचमन : दाहिने
हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें-
ॐ केशवाय नमः
स्वाहा, ॐ नारायणाय नमः स्वाहा, ॐ माधवाय नमः स्वाहा ।
निम्न मंत्र बोलकर
हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय
नमः हस्तं प्रक्षालयामि ।
दीपक : दीपक
प्रज्वलित करें (एवं हाथ धोकर) दीपक पर पुष्प एवं कुंकुम से पूजन करें-
दीप देवि महादेवि
शुभं भवतु मे सदा ।
यावत्पूजा-समाप्तिः
स्यातावत् प्रज्वल सुस्थिराः ॥
(पूजन कर प्रणाम करें)
अब सबसे पहले स्वस्ति-वाचन
करें उसके बाद नीचे लिखित संकल्प मंत्र बोलें-
संकल्प :
अपने दाहिने
हाथ में जल, पुष्प, अक्षत व द्रव्य लेकर श्री महालक्ष्मी आदि के पूजन का संकल्प
करें-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया
प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे
वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भरतखंडे भारतवर्षे
आर्य्यावर्तेक देशांतर्गत (अमुक) क्षेत्रे/नगरे/ग्रामे अमुक नाम संवत्सरे,
अमुकायने अमुक
ऋतौ महामांगल्यप्रद मासोत्तमे अमुक मासे शुभे अमुक पक्षे अमुक तिथौ अमुक वासरे
अमुक नक्षत्रे अमुक राशि स्थिते चंद्रे अमुक राशि स्थिते सूर्य्ये अमुक राशि
स्थितेदेवगुरौ शेखेषु गृहेषु यथा यथा राशि स्थितेषु सत्सु एवं गृहगुणगण विशेषण
विशिष्ठायां शुभ पुण्यतिथौ (अमुक) गौत्रः (अमुक नाम शर्मा/ वर्मा/ गुप्तो दासोऽहम् ) अहं
श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं
मम
सकुटुम्बस्य
सपरिवारस्य
क्षेमस्थौर्य
आयुरारोग्य
ऐश्वरर्याभिवृद्ध्यर्थमाधिभौतिकाधिदैविकाध्यात्मिक
त्रिविधतापशमनार्थं धर्मार्थकाममोक्षफलप्राप्त्यर्थं
ममसकलकामनासिद्धयर्थम्
नित्यलाभाय स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं च दीपावली- महोत्सवे गणेश-अम्बिका-श्रीमहालक्ष्मी,
महासरस्वती-
महाकाली- लेखनी- मषीपात्र- कुबेरादि देवानाम् पूजनम् च करिष्ये ।
अब श्रीगणेश-अंबिका
का पूजन करें।
इसके पश्चात षोडशमातृका पूजन,
कलश पूजन तथा नवग्रह पूजन करें ।तत्पश्चात गणेशजी की प्रतिमा(मूर्ति)का पूजन कर महालक्ष्मी का
पूजन विधि पूर्वक करें।
महालक्ष्मी पूजन विधि प्रारंभ
महालक्ष्मी
पूजन में सबसे पहले माँ लक्ष्मी के मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा ॐ मनो जूति॰ मंत्र
से करें। अब श्रीसूक्त की ऋचाओं के साथ महालक्ष्मी पूजन विधि प्रारम्भ करें-
ध्यान :
पुष्प लेकर
निम्न ध्यान मंत्र पढ़कर पुष्प अर्पित करें-
या सा
पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गम्भीरावर्तनाभिस्तनभरनमिता
शुभ्रवस्त्रोत्तरीया ।
या
लक्ष्मीर्दिव्यरूपैर्मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सा नित्यं
पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता ॥
ॐ
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चंद्रां
हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
आह्वान :
आह्वान के लिए
पुष्प अर्पित करें-
सर्वलोकस्य
जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम् ।
सर्वदेवमयीमीशां
देवीमावाहयाम्यहम्॥
ॐ तां म आ वह
जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ॥
यस्यां
हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, महालक्ष्मीमावाहयामि, आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
आसन :
आसन के लिए
कमलपुष्प चढ़ाये -
तप्तकांचनवर्णाभं
मुक्तामणिविराजितम् ।
अमलं कमलं
दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ
अश्र्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं
देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, आसनं समर्पयामि ।
पाद्य :
चन्दन,पुष्प मिश्रित जल अर्पित करें-
गंगादितीर्थसम्भूतं
गन्धपुष्पादिभिर्युतम् ।
पाद्यं
ददाम्यहं देवि गृहाणाशु नमोऽस्तु ते ॥
ॐ कां
सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां
पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।
अर्घ्य :
अष्टगन्ध मिश्रित
जल अर्घ्यपात्र से देवी के हाथों में दें-
अष्टगन्धसमायुक्तं
स्वर्णपात्रप्रपूरितम् ।
अर्घ्यं
गृहाणमद्यतं महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥
ॐ चन्द्रां
प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्यनीमीं
शरणं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि ।
आचमन :
जल चढ़ाएँ-
सर्वलोकस्य या
शक्तिर्ब्रह्मविष्ण्वादिभिः स्तुता ।
ददाम्याचमनं
तस्यै महालक्ष्म्यै मनोहरम् ।
ॐ आदित्यवर्णे
तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्य फलानि
तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या-अलक्ष्मीः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
स्नान : स्नानीय
जल अर्पित करें-
मन्दाकिन्याः
समानीतैर्हेमाम्भोरुहवासितैः ।
स्नानं
कुरुष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभिः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, स्नानं समर्पयामि ।
आचमन :
स्नानान्ते
आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
('ॐ महालक्ष्म्यै नमः' बोलकर आचमन हेतु जल दें।)
दुग्ध स्नान :
कच्चे दूध से
स्नान कराएँ, पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ-
कामधेनुसमुत्पन्नां
सर्वेषां जीवनं परम् ।
पावनं
यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम् ॥
ॐ पयः
पृथिव्यां पय औषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धाः ।
पयस्वतीः
प्रदिशः सन्तु मह्यम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, पयः स्नानं समर्पयामि । पयः स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
दधिस्नान :
दधि से स्नान
कराएँ, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ-
पयसस्तु
समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम् ।
दध्यानीतं मया
देवि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः
सुरभि नो मुखा
करत्प्र ण आयू ΰ षि तारिषत् ।
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, दधिस्नानं समर्पयामि। दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
घृत स्नान :
घृत स्नान
कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ-
नवनीतसमुत्पन्नं
सर्वसंतोषकारकम् ।
घृतं तुभ्यं
प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ घृतं
घृतपावनः पिबत वसां वसापावनः
पिबतान्तरिक्षस्य
हविरसि स्वाहा ।
दिशः प्रदिश
आदिशो विदिश उद्दिशो दिग्भ्यः स्वाहा ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, घृतस्नानं समर्पयामि । घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
मधु स्नान : शहद
स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ-
तरुपुष्पसमुद्भूतं
सुस्वादु मधुरं मधु ।
तेजः
पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ मधु वाता
ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः ।
माध्वीर्नः
सन्त्वोषधीः ॥
मधु नक्तमुतोषसो
मधुमत्पार्थिव ΰ रजः ।
मधु द्यौरस्तु
नः पिता ॥मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमाँ२ अस्तु सूर्यः ।
माध्वीर्गावो
भवन्तु नः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, मधुस्नानं समर्पयामि । मधुस्नानन्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
शर्करा स्नान
: शर्करा स्नान कराकर जल से स्नान कराएँ-
इक्षुसारसमुद्भूता
शर्करा पुष्टिकारिका ।
मलापहारिका
दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ अपा ΰ रसमुद्वयस ΰ सूर्ये सन्त ΰ समाहितम् ।
अपा ΰ रसस्य
यो रसस्तं वो
गृह्याम्युत्तममुपयामगृहीतोऽसीन्द्राय
त्वा जुष्टं
गृह्णाम्येष
ते योनिरिन्द्राय त्वा जुष्टतमम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करा स्नानान्ते पुनः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ।
पंचामृत स्नान
: (पंचामृत स्नान व जल से स्नान कराएँ-
पयो दधि घृतं
चैव मधुशर्करयान्वितम् ।
पंचामृतं
मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ पञ्च नद्यः
सरस्वतीमपि यन्ति सस्त्रोतसः ।
सरवस्ती तु
पञ्चधा सो देशेऽभवत् सरित् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि,
पंचामृतस्नानान्ते
शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
गन्धोदक स्नान
: चंदनयुक्त जल से स्नान कराएँ-
मलयाचलसम्भूतं
चन्दनागरुसम्भवम् ।
चन्दनं देवदेवेशि
स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, गन्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(अब श्री सूक्त,
पुरुष सूक्त,कनकधारा अथवा सहस्रनाम आदि से पुष्पार्चन
अथवा जल अभिषेक करें।)
शुद्धोदक
स्नान : गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराएँ-
मन्दाकिन्यास्तु
यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं
तुभ्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
आचमन : तत्पश्चात
'ॐ महालक्ष्म्यै नमः' से आचमन कराएँ।
वस्त्र :
वस्त्र अर्पित
करें, आचमनीय जल दें-
दिव्याम्बरं
नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया
देवि गृहाण जगदम्बिके ॥
ॐ उपैतु मां
देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि
राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, वस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
उपवस्त्र :
उपवस्त्र
चढ़ाएँ, आचमन के लिए जल दें-
कंचुकीमुपवस्त्रं
च नानारत्नैः समन्वितम् ।
गृहाण त्वं
मया दत्तं मंगले जगदीश्र्वरि ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
यज्ञोपवीत : यज्ञोपवीत
समर्पित करें-
ॐ तस्मादअकूवा
अजायंत ये के चोभयादतः ।
गावोह यज्ञिरे
तस्मात्तस्माज्जाता अजावयः ॥
ॐ यज्ञोपवीतं
परमं वस्त्रं प्रजापतयेः त्सहजं पुरस्तात ॥
आयुष्यम
अग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तुतेजः ।
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः । यज्ञोपवीतं समर्पयामि ।
आभूषण : आभूषण
समर्पित करें-
रत्नकंकणवैदूर्यमुक्ताहारादिकानि
च ।
सुप्रसन्नेन
मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व भोः ॥
ॐ
क्षुत्विपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतमसमृद्धिं
च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, नानाविधानि कुंडलकटकादीनि आभूषणानि समर्पयामि ।
गन्ध :
केसर मिश्रित
चन्दन अर्पित करें-
श्रीखण्डं चन्दनं
दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं
सुरश्रेष्ठे चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ गन्धद्वारां
दुराधर्षां नित्युपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं
सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, गन्धं समर्पयामि ।
रक्त चन्दन :
रक्त चंदन
चढ़ाएँ-
रक्तचन्दनसम्मिश्रं
पारिजातसमुद्भवम् ।
मया दत्तं
महालक्ष्मी चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, रक्तचन्दनं समर्पयामि ।
सिन्दूर :
सिन्दूर चढ़ाएँ-
सिन्दूरं
रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये ।
भक्तया दत्तं
मया देवि सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ सिन्धोरिव
प्राध्वने शूघनासो वात प्रमियः पतयन्ति यह्वाः।
घृतस्य धारा
अरुषो न वाजी काष्ठा भिन्दन्नूर्मिभिः पिन्वमानः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, सिन्दूरं समर्पयामि ।
कुंकुम : कुंकुम
अर्पित करें-
कुंकुमं कामदं
दिव्यं कुंकुमं कामरूपिणम् ।
अखण्डकामसौभाग्यं
कुंकुमं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महालक्ष्म्यै
नमः, कुंकुमं समर्पयामि ।
पुष्पसार
(इत्र) : इत्र चढ़ाएँ-
तैलानि च
सुगन्धीनि द्रव्याणि विविधानि च ।
मया दत्तानि
लेपार्थं गृहाण परमेश्वरि ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, पुष्पसारं च समर्पयामि ।
अक्षत :
कुंकुमाक्त
अक्षत चढ़ाएँ-
अक्षताश्च
सुरश्रेष्ठे कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता
भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, अक्षतान् समर्पयामि ।
पुष्पमाला :
कमल के पुष्प
तथा पुष्पमालाओं से अलंकृत करें-
माल्यादीनि
सुगन्धीनि माल्यादीनि वै प्रभो ।
मयानीतानि
पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ मनसः
काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां
रूपमन्नास्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि ।
दूर्वा :
दूर्वांकुर
अर्पित करें-
विष्ण्वादिसर्वदेवानां
प्रियां सर्वसुशोभनाम् ।
क्षीरसागरसम्भूते
दूर्वां स्वीकुरू सर्वदा ॥
ॐ महालक्ष्म्यै
नमः, दूर्वांकुरान् समर्पयामि ।
महालक्ष्मी पूजन विधि
अंग पूजा : महालक्ष्मी
के विभिन्न अंगों का कुंकुम एवं अक्षत से पूजन करें-
ॐ चपलायै नमः,
पादौ पूजयामि।
ॐ चंचलायै नमः,
जानुनी
पूजयामि।
ॐ कमलायै नमः,
कटिं पूजयामि।
ॐ कात्यायन्यै
नमः, नाभिं पूजयामि।
ॐ जगन्मात्रे
नमः, जठरं पूजयामि।
ॐ
विश्ववल्लभायै नमः, वक्षः स्थलम् पूजयामि।
ॐ कमलवासिन्यै
नमः, हस्तौ पूजयामि।
ॐ पद्माननायै
नमः, मुखं पूजयामि।
ॐ
कमलपत्राक्ष्यै नमः, नेत्रत्रयं पूजयामि।
ॐ श्रियै नमः,
शिरः पूजयामि।
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, सर्वांग पूजयामि।
महालक्ष्मी पूजन विधि
अष्टसिद्धिपूजन
: इसके पश्चात पूर्वादि आठों दिशाओं में निम्न आठ सिद्धियों का पूजन करें-
पूर्व दिशा
में :- ॐ अणिम्ने नमः।
आग्नेय कोण
में :- ॐ महिम्ने नमः।
दक्षिण दिशा
में :- ॐ गरिम्णे नमः।
नैऋत्य कोण
में :- ॐ लघिम्ने नमः।
पश्चिम दिशा
में :- ॐ प्राप्त्यै नमः।
वायव्य कोण
में :- ॐ प्रकाम्यै नमः।
उत्तर दिशा
में :- ॐ ईशितायै नमः।
ईशान कोण में
:- ॐ वशितायै नमः।
महालक्ष्मी पूजन विधि
अष्टलक्ष्मी
पूजन : इसके बाद पूर्वादि दिशा के क्रम से आठों दिशाओं में अष्टलक्ष्मी का पूजन
करें-
पूर्व दिशा
में :- ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः।
आग्नेय कोण
में :- ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः।
दक्षिण दिशा
में :- ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः।
नैऋत्य कोण
में :- ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः।
पश्चिम दिशा
में :- ॐ कामलक्ष्म्यै नमः।
वायव्य कोण
में :- ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः।
उत्तर दिशा
में :- ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः।
ईशान कोण में
:- ॐ योगलक्ष्म्यै नमः।
धूप : धूप
आघ्रापित करें-
वनस्पतिरसोद्भूतो
गन्धाढ्यः सुमनोहरः ।
आघ्रेयः
सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ कर्दमेन
प्रजा भूता मयि संभव कर्दम ।
श्रियं वासय
में कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, धूपमाघ्रापयामि ।
दीप : दीपक
दिखाकर हाथ धो लें-
कार्पासवर्तिसंयुक्तं
घृतयुक्तं मनोहरम् ।
तमोनाशकरं
दीपं गृहाण परमेश्वरि ॥
ॐ आपः सृजन्तु
स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं
मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, दीपं दर्शयामि ।
नैवेद्य : नैवेद्य (पंचमिष्ठान्न व सूखे मेवे आदि)
निवेदित कर
पुनः हस्तप्रक्षालन के लिए जल अर्पित करें-
नैवेद्यं
गृह्यतां देवि भक्ष्यभोज्य समन्वितम् ।
षड्रसैन्वितं
दिव्यं लक्ष्मी देवि नमोऽस्तु ते ॥
ॐ आर्द्रां
पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ॥
चन्द्रां
हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥
ॐ महालक्ष्म्यै
नमः, नैवेद्यं निवेदयामि ।
ॐ प्राणाय
स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ समानाय स्वाहा । ॐ उदानाय स्वाहा । ॐ
व्यानाय
स्वाहा।
मध्ये पानीयम्,
उत्तरापोशऽनार्थं
हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि ।
करोद्वर्तन : 'ॐ महालक्ष्म्यै नमः' यह कहकर करोद्वर्तन के लिए हाथों में चन्दन उपलेपित करें।
आचमन :
आचमन के लिए
जल दें-
शीतलं निर्मलं
तोयं कर्पूरण सुवासितम् ।
आचम्यतां जलं
ह्येतत् प्रसीद परमेश्वरि ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
ऋतुफल : ऋतुफल
(सीताफल, गन्ना, सिंघाड़े व अन्य फल) अर्पित करें तथा आचमन के लिए जल दें-
फलेन फलितं
सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।
तस्मात्
फलप्रदादेन पूर्णाः सन्तु मनोरथाः ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, अखण्डऋतुफलं समर्पयामि,
आचमनीयं जलं च
समर्पयामि ।
ताम्बूल :
लवंग,
इलायची,सुपाड़ी सहित ताम्बूल अर्पित करें-
पूगीफलं
महादिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् ।
एलादिचूर्णसंयुक्तं
ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ आर्द्रां यः
करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां
हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि ।
दक्षिणा :
दक्षिणा चढ़ाएँ-
हिरण्यगर्भगर्भस्थं
हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्यफलदमतः
शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
ॐ तां म आ वह
जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां
हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, दक्षिणां समर्पयामि ।
नीराजन :
आरती के
पश्चात जल छोड़ें व हाथ धोएँ-
चक्षुर्दं
सर्वलोकानां तिमिरस्य निवारणम् ।
आर्तिक्यं
कल्पितं भक्तया गृहाण परमेश्वरि ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, नीराजनं समर्पयामि ।
प्रदक्षिणा :
प्रदक्षिणा
करें-
यानि कानि च
पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि तानि
विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥
प्रार्थना : हाथ
जोड़कर प्रार्थना करें और प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें-
विशालाक्षी
महामाया कौमारी शंखिनी शिवा ।
चक्रिणी
जयदात्री चरणमत्ता रणाप्रिया ॥
भवानि त्वं
महालक्ष्मीः सर्वकामप्रदायिनी ।
सुपूजिता
प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मी! नमोऽस्तु ते ॥
नमस्ते साधक
प्रचुर आनंद सम्पत्ति सुखदायिनी ।
या
गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारम् समर्पयामि ।
समर्पण :
हाथ में जल लेकर छोड़ दें-
'कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीतताम्,
न मम'
।
देहली,
दवात,
बही-खाता,
तिजोरी व
दीपावली (दीपमालिका) पूजन
महालक्ष्मी पूजन विधि
देहलीविनायक
पूजन :
अपने
व्यापारिक प्रतिष्ठान व घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर 'ॐ श्रीगणेशाय नमः', 'स्वस्तिक चिन्ह', 'शुभ-लाभ' आदि मांगलिक एवं कल्याणकारी शब्द सिन्दूर अथवा केसर से
लिखें। इसके पश्चात निम्न मंत्र बोलकर 'ॐ देहलीविनायकाय नमः' गन्ध, पुष्प, अक्षत से पूजन करें।
श्री महाकाली (दवात)
पूजन :
काली
स्याहीयुक्त दवात को भगवती महालक्ष्मी के सामने पुष्प तथा अक्षत पर रखें,
सिन्दूर से
स्वस्तिक बना दें तथा मौली लपेट दें। निम्न मंत्र बोलकर 'ॐ श्रीमहाकाल्यै नमः' गन्ध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप न नैवेद्य से दवात में भगवती महाकाली का पूजन करें। इस
प्रकार प्रार्थनापूर्वक उन्हें प्रणाम करें-
कालिके! त्वं
जगन्मातर्मसिरूपेण वर्तसे ।
उत्पन्ना त्वं
च लोकानां व्यवहारप्रसिद्धये ॥
या कालिका
रोगहरा सुवन्द्या भक्तैः समस्तैर्व्यवहरादक्षैः ।
जनैर्जनानां
भयहारिणी च सा लोकमाता मम सौख्यदास्तु ॥
(पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें।)
महालक्ष्मी पूजन विधि
लेखनी पूजन :
लेखनी (कलम)
पर मौली बाँधकर सामने की ओर रखें। निम्न मंत्र बोलकर पूजन करें :-
लेखनी
निर्मिता पूर्वं ब्रह्मणा परमेष्ठिना ।
लोकानां च
हितार्थाय तस्मात्तां पूजयाम्यहम् ॥
'ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नमः'
गंध,
पुष्प,
पूजन कर इस
प्रकार प्रार्थना करें -
शास्त्राणां
व्यवहाराणां विद्यानामाप्नुयाद्यतः ।
अतस्त्वां
पूजयिष्यामि मम हस्ते स्थिरा भव ॥
महालक्ष्मी पूजन विधि
बही-खाता (
सरस्वती) पूजन :
बही-खातों पर
स्वस्तिक बनाएँ व बसना पर स्वस्तिक चिह्न बनाकर उस पर रखें एवं एक थैली के ऊपर
रोली या केसरयुक्त चंदन से स्वस्तिक चिन्ह बनाएँ तथा थैली में पाँच हल्दी की
गाँठें, धनिया, कमलगट्टा, अक्षत, दूर्वा व द्रव्य रखकर, उसमें सरस्वती माता का ध्यान करें व प्रणाम करें -
या
कुन्देन्दुतुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्यासना ॥
या
ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता ।
सा मां पातु
सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
निम्न मंत्र
द्वारा सरस्वती का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य द्वारा पूजन करें -
'ॐ वीणापुस्तक धारिण्यै श्री सरस्वत्यै नमः'
तिजोरी
(कुबेर) पूजन :
तिजोरी पर
स्वस्तिक बनाएँ एवं निधिपति कुबेर का निम्न वाक्य बोलकर आह्वान करें :-
आवाहयामि देव
त्वामिहायाहि कृपां कुरु ।
कोशं वर्द्धय
नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्र्वर ॥
आह्वान के
पश्चात निम्न मंत्र द्वारा 'ॐ कुबेराय नमः' कुबेर का गन्ध, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन कर प्रार्थना करें-
धनदाय
नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च ।
भगवन्
त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः ॥
इसके पश्चात
पूर्व में महालक्ष्मी के साथ पूजित थैली (हल्दी,
धनिया,
कमलगट्टा,
द्रव्य,
दूर्वादि से
युक्त) तिजोरी में रखकर कुबेर एवं महालक्ष्मी को प्रणाम करें।
तुला-पूजन :
व्यापारिक
प्रतिष्ठान में उपयोग आने वाले तराजू (तुला) पर स्वस्तिक बनाकर उस पर मौली लपेटें व लपेटे तुलाधिष्ठातृदेवता का ध्यान
निम्न प्रकार से करें-
नमस्ते
सर्वदेवानां शक्तित्वे सत्यमाश्रिता ।
साक्षीभूता
जगद्धात्री निर्मिता विश्वयोनिना ॥
ध्यान के
पश्चात निम्न मंत्र द्वारा 'ॐ तुलाधिष्ठातृदेवतायै नमः'
तुला का गंध,
अक्षत,
धूप,
दीप,
नैवेद्य से
पूजन कर प्रणाम करें।
महालक्ष्मी पूजन विधि
दीपमालिका
(दीपक) पूजन :
एक थाली में
ग्यारह, इक्कीस या उससे अधिक या कम (यथाशक्ति) दीपक प्रज्वलित कर
उन्हें महालक्ष्मी के सामने की ओर रखकर उस दीपमालिका की इस प्रकार प्रार्थना करें-
त्वं
ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारकाः ।
सर्वेषां
ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ॥
प्रार्थना के
पश्चात निम्न मंत्र 'ॐ दीपावल्यै नमः' द्वारा दीप माला का गंध,
पुष्प,
धूप,
दीप,
नैवेद्य से
पूजन करें।
अंत में इन
सभी दीपकों द्वारा घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान को सजाएँ। इसके पश्चात दीपक और कपूर
से श्री महालक्ष्मी की महाआरती करें।
महालक्ष्मी पूजन विधि
माँ लक्ष्मी
की आरती :
महालक्ष्मी
नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये
नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये
नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत
हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी
माता, मैया जय
लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन
सेवत, हर विष्णु
विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा
ध्यावत, नारद ऋषि
गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
दुर्गा रुप
निरंजनि, सुख-संपत्ति
दाता ।
जो कोई तुमको
ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि
धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
तुम ही पाताल
निवासनी, तुम ही
शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
जिस घर तुम
रहती हो, ताँहि में
हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो
जाता, मन नहीं
घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
तुम बिन यज्ञ
ना होता, वस्त्र न
कोई पाता ।
खान पान का
वैभव, सब तुमसे
आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
शुभ गुण मंदिर
सुंदर, क्षीरोदधि
जाता ।
रत्न चतुर्दश
तुम बिन, कोई नहीं
पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
महालक्ष्मी जी
की आरती, जो कोई नर
गाता ।
उँर आंनद
समाता,पाप उतर
जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी
माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी
माता, मैया जय
लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन
सेवत, हर विष्णु
विधाता ॥
(आरती करके जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें,
पूजा में
सम्मिलित सब लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।)
महालक्ष्मी पूजन विधि
मंत्र-पुष्पांजलि
: अपने हाथों में पुष्प लेकर निम्न मंत्रों को बोलें-
ॐ यज्ञेन
यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
तेह नाकं
महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥
ॐ राजाधिराजाय
प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मे कामान्
कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।
ॐ स्वस्ति
साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं
महाराज्यमपित्यमयं
समन्तपर्यायी स्यात् सार्वभौमः
सार्वायुषान्तादापरार्धात्
।
पृथिव्यै
समुद्रपर्यन्ताया एकराडिति
तदप्येष
श्लोकोऽभिगीतो मरुतः परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन् गृहे ।
आविक्षितस्य
कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ।
ॐ
विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात् ।
सं बाहुभ्यां
धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन् देव एकः ॥
महालक्ष्म्यै
च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि,
तन्नो
लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।
ॐ या श्रीः
स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीःपापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः ।
श्रद्धा सतां
कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां
नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ॥
ॐ
महालक्ष्म्यै नमः, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि ।
(हाथ में लिए फूल महालक्ष्मी पर चढ़ा दें।)
प्रदक्षिणा
करें, साष्टांग प्रणाम करें, अब हाथ जोड़कर निम्न क्षमा प्रार्थना मंत्र बोलें-
क्षमा
प्रार्थना :
आवाहनं न
जानामि न जानामि विसर्जनम् ॥
पूजां चैव न
जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥
मन्त्रहीनं
क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया
देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥
त्वमेव माता च
पिता त्वमेव
त्वमेव
बन्धुश्च सखा त्वमेव ।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम्
मम देवदेव ।
पापोऽहं
पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः ।
त्राहि माम्
परमेशानि सर्वपापहरा भव ॥
अपराधसहस्राणि
क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति
मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥
पूजन समर्पण
:हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-
'ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्री महालक्ष्मीः प्रसीदतुः ॥'
(जल छोड़ दें, प्रणाम करें)
विसर्जन :
अब हाथ में
अक्षत लें (गणेश एवं महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी) प्रतिष्ठित देवताओं
को अक्षत छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जन कर्म करें-
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् ।
इति: महालक्ष्मी पूजन विधि सम्पूर्ण
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