चौघड़िया
किसी भी कार्य का प्रारंभ करने के
लिए शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। इसके अंतर्गत वार,
तिथि, माह, वर्ष लग्न,
मुहूर्त, योग, नक्षत्र
आदि को देखा जाता है। इस क्रम में किसी भी वार को कौन सा समय शुभ है यह भी देखा
जाता है। चौघड़िया समय का वह हिस्सा है जो शुभ या अशुभ हो सकता है। दिन और रात का
चौघड़िया अलग अलग होता है।
चौघड़ियां
चौघड़िया शब्द दो शब्दों का मेल है -
चो, अर्थात् चार, और घड़िया, यानी घड़ी। हिंदू समय के अनुसार, प्रत्येक घड़ी, 24 मिनट के बराबर है। सूर्योदय से
सूर्यास्त तक 30 घड़ी होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया गया है। इसलिए, दिन में 8 चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात्रि चौघड़िया मुहूर्त होते
हैं। एक चौघड़िया 4 घड़ी (लगभग 96 मिनट)
के बराबर होता है। अतः, एक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे तक रहता है।
चौघड़िया
दिन और रात के दौरान 8-8 चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक घटी लगभग 24 मिनट की
होती है तथा एक चौघड़िया 4 घटी (लगभग 96 मिनट) का होता है। प्रत्येक चौघड़िया मुहूर्त लगभग 4
घटी का होता है, इसलिए इसे चौघड़िया= चौ (चार) + घड़िया (घटी)
के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका मुहूर्त भी कहते हैं।
चौघड़िया
चौघड़िया के नाम:- 1.अमृत, 2.रोग, 3.लाभ, 4.शुभ, 5.चर, 6.काल, 7.उद्वेग 8.अमृत। वैसे चौघड़िया वार के अनुसार 7 ही होते हैं परंतु जहां से वह प्रारंभ होता है वहीं से वह समाप्त होता है। वार से जुड़ा हैं चौघड़िया मुहूर्त:- वार और ग्रह से जुड़ा है और प्रत्येक चौघड़िया वार से। जैसे रविवार का सूर्य ग्रह है जिसका चौघड़ियां उद्वेग से प्रारंभ होता है। इस तरह क्रमश: सोमवार का चंद्रमा अमृत से, मंगलवार का मंगल रोग से, बुधवार का बुध लाभ से, गुरुवार को गुरु शुभ से, शुक्रवार का शुक्र चर से, शनिवार का शनि काल से प्रारंभ होता है। मतलब जिस दिन जो वार होता है उस दिन का प्रारंभ उक्त चौघड़िया से होता है।
दिन की चौघड़ियां
प्रातः ६ बजे से प्रारंभ
|
चौघड़ियां |
रवि |
सोम |
मंगल |
बुध |
गुरु |
शुक्र |
शनि |
|
प्रथम
६ से ७.३० |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
|
द्वितीय
७.३०से ९ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
|
तृतीय ९से१०.३० |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
|
चतुर्थ
१०.३०से१२ |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
|
पंचम १२से
१.३० |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
|
षष्ठम
१.३०से ३ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
|
सप्तम ३से
४.३० |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
|
अष्टम
४.३०से ६ |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
शुभ चौघड़ियां शुभ,
लाभ, अमृत, चर
रात की चौघड़ियां
शाम ६ बजे से प्रारंभ
|
चौघड़ियां |
रवि |
सोम |
मंगल |
बुध |
गुरु |
शुक्र |
शनि |
|
प्रथम ६से
७.३० |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
|
द्वितीय
७.३०से ९ |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
|
तृतीय ९से१०.३० |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
|
चतुर्थ १०.३०से१२ |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
|
पंचम १२से
१.३० |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
|
षष्ठम १.३०से
३ |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
|
सप्तम ३से
४.३० |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
शुभ |
चर |
काल |
|
अष्टम ४.३०से
६ |
शुभ |
चर |
काल |
उद्वेग |
अमृत |
रोग |
लाभ |
अशुभ चौघड़ियां- उद्वेग,
रोग, काल कौन सा चौघड़िया शुभ है? किसी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने के
लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघड़ियाओं को उत्तम माना गया है
और शेष तीन चौघड़ियाओं, रोग, काल और
उद्वेग, को त्याग देना चाहिए। चौघड़िया मुहूर्त का चयन करते
समय, वार वेला, काल वेला, राहु काल, और काल रात्रि के समय को त्याग दिया जाना
चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय कोई भी मंगल कार्य करना फलदायी नहीं होता है।
वार वेला और काल वेला दिन के दौरान प्रचलित हैं जबकि रात के दौरान काल रात्रि
प्रचलित है। प्रत्येक दिन का पहला मुहूर्त उस
दिन के ग्रह स्वामी द्वारा प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए,
रविवार का पहला चौघड़िया मुहूर्त सूर्य द्वारा प्रभावित है। इसके बाद
के मुहूर्त क्रमशः शुक्र, बुध, चन्द्रमा,
शनि, बृहस्पति तथा मंगल द्वारा प्रभावित
चौघड़िया आते हैं। दिन का अन्तिम मुहूर्त भी उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा
प्रभावित माना गया है। 1. उद्वेग चौघड़िया ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को
आमतौर पर अशुभ माना गया है इसीलिए इसे उद्वेग के रूप में चिह्नित किया जाता है।
हालांकि, इस चौघड़िया में सरकारी कार्यों
को किया जा सकता है। 2.चर चौघड़िया शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह
माना जाता है। इसलिए इसे चर या चंचल रूप में चिह्नित किया गया है। शुक्र की चर
प्रकृति के कारण, चर चौघड़िया को
यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। 3.लाभ चौघड़िया बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक ग्रह है
इसलिए इसे लाभ के रूप में चिह्नित किया गया है। लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी
विद्या को सिखने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है। 4.अमृत चौघड़िया चंद्र ग्रह अति शुभ और लाभकारी ग्रह
है। इसीलिए इसे अमृत के रूप में चिह्नित किया गया है। अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार
के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। 5.काल चौघड़िया शनि एक पापी ग्रह है इसीलिए इसे काल
के रूप में चिह्नित किया गया है। काल चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना
चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में
धनोपार्जन हेतु की जाने वाली गतिविधियों के लिए यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है। 6.शुभ चौघड़िया बृहस्पति अत्यंत ही शुभ ग्रह है और
यह लाभकारी ग्रह माना गया है। इसलिए इसे शुभ के रूप में चिह्नित किया जाता है। शुभ
चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। 7.रोग चौघड़िया मंगल एक क्रूर और अनिष्टकारी ग्रह
है। इसलिए इसे रोग के रूप में चिह्नित किया गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ
कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन युद्ध में शुत्र को हराने के लिए रोग चौघड़िया की
अनुशंसा की जाती है। इतिश्री चौघड़िया ।। |

Post a Comment