माँ दुर्गा
भागवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्बा
का अवतरण श्रेष्ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीमद् देवीभागवत के
अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का
अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋग्वेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है,
उन्ही से सारे विश्व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई
अविनाशी नही है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति,
गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार
रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा
कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि
तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा मां हिन्दुओं
की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा और आदि
नामों से भी जाना जाता हैं । शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना
परम ब्रह्म से की जाती है।
दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक
देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई
न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। माता का
दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा। माता ने
शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी
देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी
के नाम से भी विख्यात हो गई। देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री,
लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है,
अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका
सबसे भयानक रूप "काली" है, अर्थात काला रूप।
माँ दुर्गा
महा-तन्त्रीक्रम दुर्गा सप्तशती
मृत-सञ्जीवनीक्रम दुर्गा सप्तशती
ब्रह्माण्डमोहनाख्यं दुर्गाकवचम्
दुर्गा कवच
शूलिनी दुर्गा सुमुखीकरण स्तोत्र
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