recent

Slide show

[people][slideshow]

Ad Code

Responsive Advertisement

JSON Variables

Total Pageviews

Blog Archive

Search This Blog

Fashion

3/Fashion/grid-small

Text Widget

Bonjour & Welcome

Tags

Contact Form






Contact Form

Name

Email *

Message *

Followers

Ticker

6/recent/ticker-posts

Slider

5/random/slider

Labels Cloud

Translate

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's.

Pages

कर्मकाण्ड

Popular Posts

नवदुर्गा – कात्यायनी Katyayani

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani

शक्ति पर्व नवरात्रि में छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। नवदुर्गा में कात्यायनी छठी स्वरूप है। कात्यायन ऋषि की आराध्या होने से ही यह देवी कात्यायनी कहलाती है। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। दुर्गा के इस रूप कात्यायनी को आयुर्वेद औषधि में कई नामों से जाना जाता है। जैसे- अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका माचिका भी कहते हैं।

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥

नवदुर्गा – कात्यायनी Katyayani


नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani की कथा – 

पौराणिक  कथा है कि एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ऋषि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए, उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन उत्पन्न हुए। उन्होंने भगवती पराम्बरा की उपासना करते हुए कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। माता ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय के पश्चात जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था। महर्षि कात्यायन ने इनकी पूजा की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी कहलायीं। शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक कात्यायन ऋषि ने इनकी पूजा की, पूजा ग्रहण कर दशमी को इस देवी ने महिषासुर का वध किया। माँ कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया।  महिसासुर से युद्ध करते हुए माँ जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया।  शहद युक्त पान खाने से माँ कात्यायनी की थकान दूर हो गयी और महिषासुर का वध कर दिया।  

अन्य कथा अनुसार भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यानि यमुना के तट पर माँ कात्यायनी की ही आराधना की थी। इसलिए माँ कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जानी जाती है। गोपियों द्वारा पढ़ा यह मंत्र विवाह के लिए अत्यंत असरकारी व लोकप्रिय है।

कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम: 

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani का स्वरुप – 

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। माँ का शरीर खूबसूरत आभूषणों से सुसज्जित है। उनका वर्ण सोने के समान चमकता रहता है। इनकी चार भुजायें हैं, इनका दाहिना ऊपर का हाथ अभय मुद्रा में है, नीचे का हाथ वरदमुद्रा में है। बांये ऊपर वाले हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल का फूल है और इनका वाहन सिंह है।

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani पूजन से लाभ – 

माता अपने भक्तों पर बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाती हैं तथा उनकी हर मुराद को पूरी करती है। माता कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करता है । इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है। इनकी विशेष पूजा कन्या के विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। माँ की आराधना करने से विवाह संबंधी किसी भी प्रकार के दोष हो, वे खत्म हो जाते हैं। कात्यायनी के पूजन करने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है । माँ कात्यायनी अपने भक्तों को वरदान और आशीर्वाद प्रदान करती है। माँ कात्यायनी शत्रुहंता है इसलिए इनकी पूजा करने से शत्रु पराजित होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। अगर भक्त खुद को पूरी तरह से माँ कात्यायनी को समर्पित कर दें, तो माँ कात्यायनी उसे अपना असीम आशीर्वाद प्रदान करती है। कात्यायनी कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है।

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani पूजन विधि:  

नवरात्र में व्रत रहकर माता का पूजन श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। आचमनगौरी-गणेशनवग्रहमातृका कलश स्थापना आदि के बाद माताजी की मूर्ति का पूजन षोडशोपचार विधि से पुजा करें । माताजी को सूजी का हलवा और शहद का भोग लगाएँ। माता को पांच तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटे।  देवी कात्यायनी को लाल रंग का पुष्प खासकर लाल गुलाब चढ़ाये।

कात्यायनी माता का पूजन, ध्यान, स्तोत्र, कवच आदि इस प्रकार है-

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani ध्यान                                                                                  

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम् । सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम् ॥

स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम् । वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि ॥ 

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम् । मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥

 प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम् । कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम ॥

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani स्तोत्र पाठ                                                                                    

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां । स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते ॥ 

पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां । सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते ॥ 

परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा । परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते ॥

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani कवच                                                                                  

कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी । 

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी ॥ 

कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी ॥

नवदुर्गा कात्यायनी Katyayani की आरती

जय जय अंबे जय कात्यायनी । जय जगमाता जग की महारानी ।। 

बैजनाथ स्थान तुम्हारा । वहां वरदाती नाम पुकारा ।। 

कई नाम हैं कई धाम हैं । यह स्थान भी तो सुखधाम है ।। 

हर मंदिर में जोत तुम्हारी । कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।। 

हर जगह उत्सव होते रहते । हर मंदिर में भक्त हैं कहते ।। 

कात्यायनी रक्षक काया की । ग्रंथि काटे मोह माया की ।। 

झूठे मोह से छुड़ानेवाली । अपना नाम जपानेवाली ।। 

बृहस्पतिवार को पूजा करियो । ध्यान कात्यायनी का धरियो ।। 

हर संकट को दूर करेगी । भंडारे भरपूर करेगी ।। 

जो भी मां को भक्त पुकारे । कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।  

No comments:

vehicles

[cars][stack]

business

[business][grids]

health

[health][btop]