दुर्गा शतनाम स्तोत्र
यह दुर्गा शतनाम स्तोत्र रसिकमोहन विरचित मुण्डमालातन्त्र के चतुर्थ पटल के श्लोक १०-२४ में वर्णित है जो
कोई मनुष्य श्रद्धा से या अश्रद्धा से भी दुर्गा के इस शतनाम का श्रवण या स्मरण
करता है,
वह सभी दुःखों से मुक्त हो जाता है और वह इहलोक में सुख का भोग कर
अंत मोक्ष प्राप्त करता है ।
मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रम्
ॐ दुर्गा भवानी देवेशी
विश्वनाथप्रिया शिवा ।
घोरदंष्ट्राकरालास्या
मुण्डमालाविभूषिता ॥ १॥
रुद्राणी तारिणी तारा माहेशी
भववल्लभा ।
नारायणी जगद्धात्री महादेवप्रिया
जया ॥ २॥
विजया च जयाराध्या शर्वाणी हरवल्लभा
।
असिता चाणिमादेवी लघिमा गरिमा तथा ॥
३॥
महेशशक्तिर्विश्वेशी गौरी
पर्वतनन्दिनी ।
नित्या च निष्कलङ्का च निरीहा
नित्यनूतना ॥ ४॥
रक्ता रक्तमुखी वाणी
वस्तुयुक्तासमप्रभा ।
यशोदा राधिका चण्डी द्रौपदी
रुक्मिणी तथा ॥ ५॥
गुहप्रिया गुहरता गुहवंशविलासिनी ।
गणेशजननी माता विश्वरूपा च जाह्नवी
॥ ६॥
गङ्गा काली च काशी च भैरवी
भुवनेश्वरी ।
निर्मला च सुगन्धा च देवकी
देवपूजिता ॥ ७॥
दक्षजा दक्षिणा दक्षा
दक्षयज्ञविनाशिनी ।
सुशीला सुन्दरी सौम्या मातङ्गी
कमलात्मिका ॥ ८॥
निशुम्भनाशिनी शुम्भनाशिनी
चण्डनाशिनी ।
धूम्रलोचनसंहारी महिषासुरमर्दिनी ॥
९॥
उमा गौरी कराला च कामिनी
विश्वमोहिनी ।
जगदीशप्रिया जन्मनाशिनी भवनाशिनी ॥
१०॥
घोरवक्त्रा ललज्जिह्वा अट्टहासा
दिगम्बरा ।
भारती स्वरगता देवी भोगदा
मोक्षदायिनी ॥ ११॥
दुर्गाशतनामस्त्रोत्रम् फलश्रुति
इत्येवं शतनामानि कथितानि वरानने ।
नाम-स्मरणमात्रेण जीवन्मुक्तो न
संशयः ॥१२॥
हे वरानने ! इस प्रकार मैंने शतनाम
का कथन किया है । इन नामों के स्मरणमात्र से ही जीव जीवनमुक्त हो जाता है । इसमें
कोई सन्देह नहीं है ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय स्मृत्वा
दुर्गापदद्वयम् ।
मुच्यते जन्मबन्धेभ्यो नात्र कार्या
विचारणा ॥१३॥
जो व्यक्ति प्रातःकाल शय्या से उठकर
'दुर्गा दुर्गा' इन पदद्वय का स्मरण कर, इस शतनाम का पाठ करता है, वह जन्मबन्धन से मुक्त हो
जाता है । इस विषय में अन्य कुछ भी विचार न करें ।
सन्ध्याकाले दिवाभागे निशायां वा निशामुखे
।
पठित्वा शतनामानि मन्त्र-सिद्धिं
लभेद् ध्रुवम् ॥१४॥
सन्ध्याकाल में,
दिवाभाग में, निशामुख (प्रदोष) में या रात्रि
में, इस शतनाम का पाठ करने से निश्चय ही मन्त्रसिद्धि का लाभ
करता है ।
इति मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
0 Comments