recent

Slide show

[people][slideshow]

Ad Code

Responsive Advertisement

JSON Variables

Total Pageviews

Blog Archive

Search This Blog

Fashion

3/Fashion/grid-small

Text Widget

Bonjour & Welcome

Tags

Contact Form






Contact Form

Name

Email *

Message *

Followers

Ticker

6/recent/ticker-posts

Slider

5/random/slider

Labels Cloud

Translate

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's.

Pages

कर्मकाण्ड

Popular Posts

दुर्गा शतनाम स्तोत्रम्

दुर्गा शतनाम स्तोत्रम्

इस दुर्गा शतनाम स्तोत्र के स्मरणमात्र से ही जीव जीवनमुक्त हो जाता है । सभी मनोरथ पूर्ण हो जाता है । इस शतनाम का पाठ करने से निश्चय ही मन्त्रसिद्धि होता है । अतः इसे मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रम् कहा जाता है।

दुर्गा शतनाम स्तोत्रम्

मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रम्

दुर्गा भवानी देवेशी विश्वनाथ-प्रिया शिवा ।

घोरदंष्ट्रा करालास्या मुण्डमाला-विभूषिता ॥10

रुद्राणी तारिणी तारा माहेशी भव-वल्लभा ।

नारायणी जगद्धात्री महादेव-प्रिया जया ॥11

विजया च जयाराध्या सर्वाणी हर-वल्लभा ।

असिता चाणिमा देवी लघिमा गरिमा तथा ॥12

महेश-शक्ति र्विश्वेशी गौरी पर्वतनन्दिनी ।

नित्या च निष्कलङ्का च निरीहा नित्य-नूतना ॥13

रक्ता रक्तमुखी वाणी वसुयुक्ता वसुप्रदा ।

रामप्रिया रामरता रघुनाथ-वर-प्रदा ॥14

राज्येश्वरी राज्यरता कृष्णा कृष्ण-वर-प्रदा ।

यशोदा राधिका चण्डी द्रोपदी रुक्मिणी तथा ॥15

गुहप्रिया गुहरता गुहवंश-विलासिनी ।

गणेशजननी माता विश्वरूपा च जाह्नवी ॥16

गङ्गा काशी कालिका च भैरवी भुवनेश्वरी ।

निर्मला च सुगन्धा च देवकी देव-पूजिता ॥17

दक्षजा दक्षिणा दक्षा दक्षयज्ञ-विनाशिनी ।

सुशीला सुन्दरी सौम्या मातङ्गी कमला कला ॥18

निशुम्भनाशिनी शुम्भनाशिनी चण्ड-नाशिनी ।

धूम्रलोचन-संहन्त्री महिषासुर मर्दिनी ॥19

उमा गौरी कराला च कामिनी विश्वमोहिनी ।

जगदीश-प्रिया जन्म-नाशिनी भवनाशिनी ॥20

घोर-वक्त्रा ललजिह्वा चाट्टहासा दिगम्बरा ।

भारती स्वर्गदा देवी भोगदा मोक्षदायिनी ॥21

दुर्गाशतनामस्तोत्रम् फलश्रुति

इत्येवं शतनामानि कथितानि वरानने ।

नाम-स्मरणमात्रेण जीवन्मुक्तो न संशयः ॥22

हे वरानने ! इस प्रकार मैंने शतनाम का कथन किया है । इन नामों के स्मरणमात्र से ही जीव जीवनमुक्त हो जाता है । इसमें कोई सन्देह नहीं है ।

यः पठेत् प्रातरुत्थाय स्मृत्वा दुर्गापदद्वयम् ।

मुच्यते जन्मबन्धेभ्यो नात्र कार्या विचारणा ॥23

जो व्यक्ति प्रातःकाल शय्या से उठकर 'दुर्गा दुर्गा' इन पदद्वय का स्मरण कर, इस शतनाम का पाठ करता है, वह जन्मबन्धन से मुक्त हो जाता है । इस विषय में अन्य कुछ भी विचार न करें ।

सन्ध्याकाले दिवाभागे निशायां वा निशामुखे ।

पठित्वा शतनामानि मन्त्र-सिद्धिं लभेद् ध्रुवम् ॥24

सन्ध्याकाल में, दिवाभाग में, निशामुख (प्रदोष) में या रात्रि में, इस शतनाम का पाठ करने से निश्चय ही मन्त्रसिद्धि का लाभ करता है ।

अज्ञात्वा स्तवराजन्तु दशविद्यां भजेद् यदि ।

तथापि नैव सिद्धिः स्यात् सत्यं सत्यं महेश्वरि ! ॥25

हे महेश्वरि ! इस स्तवराज को न जानकर, यदि कोई दशमहाविद्या की भजना करता है, फिर भी उसे सिद्धिलाभ नहीं होती है। यह सत्य, सत्य है ।

कामरूपे कामभागे कामिनी काममन्दिरे ।

कामिनी-वल्लभो भूत्वा विहरेत् क्षिति-मण्डले ॥26

कामरूप के कामदेश में कामिनी के काममन्दिर में इस शत-नाम का पाठ करके (साधक) कामिनीवल्लभ बनकर इस क्षितिमण्डल पर विचरण करता है ।

इति मुण्डमालातन्त्रान्तर्गतम् चतुर्थे पटले मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

No comments:

vehicles

[cars][stack]

business

[business][grids]

health

[health][btop]