Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2022
(523)
-
▼
April
(21)
- चर्पट पंजरिका
- रघुवंशम् सर्ग १५
- गोविन्द स्तोत्र
- रघुवंशम् सर्ग १४
- बलराम स्तुति
- रघुवंशम् सर्ग १३
- श्रीनन्दनन्दनस्तोत्र
- रघुवंशम् सर्ग १२
- मन्त्रमहोदधि तरङ्ग ११
- रघुवंशम् सर्ग ११
- बगला दशक
- रघुवंशम् सर्ग १०
- यमुना सहस्रनाम स्तोत्र
- यमुना कवच
- त्रिवेणी स्तोत्र
- यमुना स्तोत्र
- रघुवंशम् सर्ग ९
- दुर्गा कवचम्
- जनमोहन तारा स्तोत्र
- दुर्गा कवच
- दुर्गा शतनाम स्तोत्रम्
-
▼
April
(21)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
दुर्गा शतनाम स्तोत्रम्
मन्त्रसिद्धिप्रदमहादुर्गाशतनामस्तोत्रम्
दुर्गा भवानी देवेशी
विश्वनाथ-प्रिया शिवा ।
घोरदंष्ट्रा करालास्या
मुण्डमाला-विभूषिता ॥10॥
रुद्राणी तारिणी तारा माहेशी
भव-वल्लभा ।
नारायणी जगद्धात्री महादेव-प्रिया
जया ॥11॥
विजया च जयाराध्या सर्वाणी
हर-वल्लभा ।
असिता चाणिमा देवी लघिमा गरिमा तथा
॥12॥
महेश-शक्ति र्विश्वेशी गौरी
पर्वतनन्दिनी ।
नित्या च निष्कलङ्का च निरीहा
नित्य-नूतना ॥13॥
रक्ता रक्तमुखी वाणी वसुयुक्ता
वसुप्रदा ।
रामप्रिया रामरता रघुनाथ-वर-प्रदा ॥14॥
राज्येश्वरी राज्यरता कृष्णा
कृष्ण-वर-प्रदा ।
यशोदा राधिका चण्डी द्रोपदी
रुक्मिणी तथा ॥15॥
गुहप्रिया गुहरता गुहवंश-विलासिनी ।
गणेशजननी माता विश्वरूपा च जाह्नवी
॥16॥
गङ्गा काशी कालिका च भैरवी
भुवनेश्वरी ।
निर्मला च सुगन्धा च देवकी
देव-पूजिता ॥17॥
दक्षजा दक्षिणा दक्षा
दक्षयज्ञ-विनाशिनी ।
सुशीला सुन्दरी सौम्या मातङ्गी कमला
कला ॥18॥
निशुम्भनाशिनी शुम्भनाशिनी
चण्ड-नाशिनी ।
धूम्रलोचन-संहन्त्री महिषासुर
मर्दिनी ॥19॥
उमा गौरी कराला च कामिनी
विश्वमोहिनी ।
जगदीश-प्रिया जन्म-नाशिनी भवनाशिनी
॥20॥
घोर-वक्त्रा ललजिह्वा चाट्टहासा
दिगम्बरा ।
भारती स्वर्गदा देवी भोगदा
मोक्षदायिनी ॥21॥
दुर्गाशतनामस्तोत्रम् फलश्रुति
इत्येवं शतनामानि कथितानि वरानने ।
नाम-स्मरणमात्रेण जीवन्मुक्तो न
संशयः ॥22॥
हे वरानने ! इस प्रकार मैंने शतनाम
का कथन किया है । इन नामों के स्मरणमात्र से ही जीव जीवनमुक्त हो जाता है । इसमें
कोई सन्देह नहीं है ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय स्मृत्वा
दुर्गापदद्वयम् ।
मुच्यते जन्मबन्धेभ्यो नात्र कार्या
विचारणा ॥23॥
जो व्यक्ति प्रातःकाल शय्या से उठकर
'दुर्गा दुर्गा' इन पदद्वय का स्मरण कर, इस शतनाम का पाठ करता है, वह जन्मबन्धन से मुक्त हो
जाता है । इस विषय में अन्य कुछ भी विचार न करें ।
सन्ध्याकाले दिवाभागे निशायां वा
निशामुखे ।
पठित्वा शतनामानि मन्त्र-सिद्धिं
लभेद् ध्रुवम् ॥24॥
सन्ध्याकाल में,
दिवाभाग में, निशामुख (प्रदोष) में या रात्रि
में, इस शतनाम का पाठ करने से निश्चय ही मन्त्रसिद्धि का लाभ
करता है ।
अज्ञात्वा स्तवराजन्तु दशविद्यां
भजेद् यदि ।
तथापि नैव सिद्धिः स्यात् सत्यं
सत्यं महेश्वरि ! ॥25॥
हे महेश्वरि ! इस स्तवराज को न
जानकर,
यदि कोई दशमहाविद्या की भजना करता है, फिर भी
उसे सिद्धिलाभ नहीं होती है। यह सत्य, सत्य है ।
कामरूपे कामभागे कामिनी काममन्दिरे
।
कामिनी-वल्लभो भूत्वा विहरेत्
क्षिति-मण्डले ॥26॥
कामरूप के कामदेश में कामिनी के
काममन्दिर में इस शत-नाम का पाठ करके (साधक) कामिनीवल्लभ बनकर इस क्षितिमण्डल पर
विचरण करता है ।
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (38)
- Worship Method (32)
- अष्टक (54)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (25)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (32)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवी (190)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (80)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (41)
- वेद-पुराण (691)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (54)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (22)
- श्रीराधा (2)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (109)
- स्तोत्र संग्रह (711)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: