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मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
दुर्गा स्तोत्र
दुर्गाजी के इस स्तोत्र को पढ़ने या सुनने मात्र से सभी पापों से मुक्त होकर श्रीदुर्गालोक की प्राप्ति होता है । देवी की पूजा करके प्रसन्नचित्त हाथ जोड़कर इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिये :
श्रीदुर्गा स्तोत्रम्
दुर्गां शिवां शान्तिकरीं ब्रह्माणीं
ब्रह्मणः प्रियाम् ।
सर्वलोकप्रणेत्रीं च प्रणमामि
सदाऽम्बिकाम् ॥ १॥
मङ्गलां शोभनां शुद्धां निष्कलां
परमां कलाम् ।
विश्वेश्वरीं विश्ववन्द्यां
चण्डिकां प्रणमाम्यहम् ॥ २॥
सर्वदेवमयीं देवी सर्वदेवनमस्कृताम्
।
ब्रह्मेशविष्णुनमितां प्रणमामि सदा
उमाम् ॥ ३॥
विन्ध्यस्थां विन्ध्यनिलयां
दिव्यस्थाननिवासिनीम् ।
योगिनीं योगविद्यां च चण्डिकां
प्रणमाम्यहम् ॥ ४ ॥
ईशानमातरं
देवीमीश्वरीमीश्वरप्रियाम् ।
प्रणतोऽस्मि सदा दुर्गां
संसारार्णवतारिणीम् ॥ ५ ॥
दुर्गा संकटहन्त्रीति दुर्गेति
प्रथिता भुवि।
सर्वबुद्धयधिदेवीयमन्तर्यामिस्वरुपिणी॥६॥
वैष्णवानां च शैवानामुपास्येयं च
नित्यशः ।
मूलप्रकृतिरूपा सा
सृष्टिस्थित्यन्तकारिणी ॥ ७॥
सर्वे देवा हरिब्रह्मप्रमुखा
मनवस्तथा।
मुनयो ज्ञाननिष्ठाश्च योगिनश्चाश्रमास्तथा
॥ ८ ॥
लक्ष्म्यादयस्तथा देव्यः सर्वा
ध्यायन्ति तां शिवाम् ।
इदं यः पठते स्तोत्रं श्रृणुयाद्वपि
भक्तितः ॥ ९ ॥
तदेव जन्मसाफल्यं दुर्गास्मरणमस्ति
चेत् ।
स मुक्तः सर्वपापेभ्यो दुर्गलोके
महीयते ॥१०॥
इति: दुर्गा स्तोत्रम् ।
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