पूजन विधि, ज्योतिष, स्तोत्र संग्रह, व्रत कथाएँ, मुहूर्त, पुजन सामाग्री आदि

कौंरी पूजन सामग्री

कौंरी पूजन सामग्री

भैरव अथवा गंगा पूजन विधि अथवा छत्तीसगढ़ कौंरी पूजन पद्धति- मृत्युपर्यंत दशम दिन (दशगात्र) को होने वाले पूजन कर्मकांड गंगा, भैरव पूजन को ही छत्तीसगढ़ में कौंरी पुजा के नाम से जाना जाता है। इस पूजन की सामग्री और साथ में गंगाभैरवजी की आरती भी दिया जा रहा है ।

कौंरी पूजन सामग्री

छत्तीसगढ़ कौंरी पूजन सामग्री

Chhattisagad  kounri pujan samagri

छत्तीसगढ़ कौंरी (गंगा भैरव पूजन) सामग्री

भैरव अथवा गंगा पूजन विधि

कौंरी पूजन सामग्री

दही- 10 रु०                      

घी – 1 पाव                         

शक्कर- 10 रु०                    

गुड़- 10 रु० 

गंगाजल - 1नग                  

मौलीधागा - 1नग                   

जनेऊ – 3 नग                    

गुलाल- 10 रु०     

बंदन - 10 रु०                   

कुमकुम- 10 रु०                      

हल्दी- 10 नग                     

सुपाड़ी- 10 नग

पान- 5 नग                      

लौंग- 10 रु०                           

इलायची- 10 रु०               

धूपबत्ती - 1 नग

सफ़ेदकपडा- सवामी०         

रुई – 5 रु०                            

उड़ददाल - 10 रु०           

पिसी हल्दी- 10रु०    

कपूर- 10 रु०                 

हूम(दसांग)- 1 पाव                     

नारियल - 4 नग              

अगरबत्ती – 1 नग

लायचीदाना- 1 पाव           

दीया-3नग                              

माचिस- 1 नग            

हवन लकड़ी -1कि०

जंवा - 1 पाव                   

तिल-20 रु०                    

नवग्रहसमिधा - 1 नग            

हवनसामग्रीपैकेट

ध्वजा- 3 नग(लाल,सफ़ेद,काला)

कौंरी पूजन- घरेलू सामग्री                      

पीलाचाँवल       

लोटा (1कांसा का)- 2 नग          

थाली- 2 नग             

फूलमाला- 2 नग       

दोना, पत्तल, फूल, दुबी, आमपत्ता, तुलसीदल चाँवलकंडा,

चाँवल आंटा का दीया- 1 नग      

टिप- रोठ 3,5 या 7 बनाना है।

भैरव पूजन - छत्तीसगढ़ कौंरी (गंगा भैरव पूजन )पद्धति के लिए पढ़ें-

पं॰ डी॰ दुबे कृत् गंगा भैरव पूजन छत्तीसगढ़ कौंरी पूजन पद्धति:

छत्तीसगढ़ कौंरी (गंगा भैरव पूजन)पद्धति सामग्री

गंगाजी की आरती

॥गंगा आरती॥

ॐ जय गंगे माता मैया जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ॥

 ॐ जय गंगे माता.................. ॥

चंद्र-सी ज्योति तुम्हारी जल निर्मल आता

मैया  जल निर्मल आता ॥

शरण पड़े जो तेरी सो नर तर जाता ॥

ॐ जय गंगे माता.................. ॥

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता

मैया सब जग को ज्ञाता ।

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ॥

ॐ जय गंगे माता.................. ॥

एक बार जो प्राणी शरणगति आता

मैया शरणगति आता ।

यम की त्रास मिटाकर परमगति पाता ॥

ॐ जय गंगे माता.................. ॥

भैरव पूजन - छत्तीसगढ़ कौंरी (गंगा भैरव पूजन)पद्धति

भैरवजी की आरती

॥ भैरव आरती ॥

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा ।

जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।

 तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक ।

 भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ।।

 वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी ।

 महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी ।।

 तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे ।

 चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे ।।

 तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।

 कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी ।।

 पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत ।

 बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत ।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें ।

 सो नर मनवांछित फल पावें ।।

इतिश्री छत्तीसगढ़ कौंरी पूजन सामग्री ।।

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