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शिव चालीसा
हिन्दू धर्म में शिव चालीसा का खास
महत्व है। शिव जी को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल उपाय है । भक्त सरल भाषा में जो
भगवान की प्रार्थना करता है उसे चालीसा कहते हैं। शिव चालीसा का चालीसा कहने के
पीछे एक कारण यह भी है कि इसमें चालीस पंक्तियां हैं। इस प्रकार लोकप्रिय शिव
चालीसा का पाठ कर भक्त बहुत आसानी से अपने भगवान को प्रसन्न कर लेते हैं। शिव
चालीसा के द्वारा आप अपने सभी दुख भूलकर शंकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह भक्त शिव जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी कर लेते हैं।
शिव चालीसा का महत्व और फायदे-
१.
शिव चालीसा का पाठ
करने से डर से छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन'
मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम'
देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें। इस पंक्ति को शाम के समय नहीं बल्कि
सुबह पढ़ें। इस प्रकार 40 दिन तक लगातार पढ़ें आपको लाभ
मिलेगा।
२.
अगर आप बहुत से
परेशान और दुखी हैं तो निराश न हों। शिव चलीसा की इस एक पंक्ति का जाप करें,
देवन जबहिं जाय पुकारा' तबहिं दुख प्रभु आप
निवारा। ध्यान दें इस पंक्ति को रात में 11 बार पढ़ें और काम
पूरा होने के बाद गरीबों के बीच मिठाई जरूर बांटें।
३.
अगर आप किसी
इच्छित कार्य के लिए प्रयासरत हैं तो शिव चालीसा की यह लाइन पढ़ें पूजन रामचंद्र
जब कीन्हा' जीत के लंक विभीषण दीन्हा। इस
पंक्ति को सायंकाल में 13 बार पढ़े और ऐसा लगातार 27 दिन तक करते रहें।
४.
ऐसी मान्यता है कि
शिव जी को प्रसन्न करना बहुत आसान है इसलिए कुंवारी लड़कियां शिवजी जैसा वर पाने
के लिए न केवल शिव चालीसा का पाठ करती हैं बल्कि सोमवार को व्रत भी रखती हैं।
अच्छा वर पाने के लिए शिव चालीसा के इन लाइन का पाठ करें कठिन भक्ति देखी प्रभु
शंकर'
भई प्रसन्न दिए इच्छित वर। इस लाइन का सुबह 54
बार पाठ करें। ऐसा 21 दिन करने से लड़कियों को मनचाहा वर
मिलता है। सोमवार के दिन व्रत रखकर शिव चलीसा का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते
हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। शिवचालीसा का पाठ करने से स्त्रियों को मृत्यु से
कोई भय नहीं रहता तथा उनकी सेहत भी ठीक रहती है। यदि आप शिव जी की कृपा चाहते हैं
तो ईमानदारी पूर्वक पाठ करें आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
५.
शिव चालीसा का
हिन्दू धर्म में खास महत्व है। सावन के सोमवार के दिन शिव चालीसा का पाठ लाभकारी
होता है। इस तरह से पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। सेहत ठीक रहती
है और शिव जी हर तरह के खतरे से बचाते हैं। बीमार व्यक्ति की ठीक हो जाता है और
गर्भवती स्त्रियों के बच्चों की भलाई हेतु यह शिव चालीसा बेहद कारगर होता है।
शिव चालीसा पाठ के नियम-
प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर साफ
कपड़े पहनें। उसके बाद शिव चालीसा पढ़ने के लिए पवित्र मन से ईश्वर का ध्यान करें।
चालीसा ब्रह्म मुहूर्त में एक सफेद आसन पर बैठे। उसके बाद उत्तर पूर्व या पूर्व
दिशा की तरफ मुंह कर लें। ईश्वर की मूर्ति के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं और 11 बार पाठ करें। पाठ करते समय शिवलिंग पर जल का पात्र रखे और प्रसाद रूप
में मिश्री का भोग लगाएं। पूजा में चावल, कलावा, सफेद चंदन, धूप-दीप, पीले
फूलों की माला और सफेद आक के 11 फूल भी रखें। साथ ही एक
बेलपत्र भी उल्टा करके शिवलिंग पर अर्पित करें। पाठ शुरू करने से पहले लोटे का जल
भी रखें। ध्यान रखें एक दिन में दो-तीन बार पाठ करें। यह पाठ लगातार 40 दिन तक करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पाठ तेज आवाज
में पढ़े ताकि भक्तों को भी सुनाई दे, इससे लाभ होगा। उसके
बाद लोटे के जल को घर में चारों तरफ छिड़क दें और प्रसाद को बच्चों में बाटें।
अथ शिव चालीसा
॥दोहा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत
सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन
कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन
छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को
देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग
सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा
शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर
मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को
कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख
प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब
मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ
मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार
विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं
कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब
प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक
स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि
भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे
सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब
नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के
लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह
परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन
पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये
प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब
के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत
रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि
अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से
मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में
पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु
अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई
जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण
विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद
शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर
ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत
है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे
सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव
प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान
पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं
ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख
पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास
शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल
दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण॥
शिव चालीसा समाप्त॥
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भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए सावन का महीना अति उत्तम माना जाता है, इसमें शिव जी का रुद्राभिषेक भी किया जाता है। इसमें शिव चालीसा का भी पाठ अवश्य ही किया जाता है।
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