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मूल शांति पूजन विधि
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि- इस
पूजन को कोई भी स्वयं कर सकता है। जिनका यज्ञोपवीत न हुआ हो,
वे प्रणव (ॐ) रहित मन्त्रों का उच्चारण करें। पार्थिव-पूजन करने का
अधिकार स्त्री, शूद्र, अन्त्यज आदि सभी
वर्गों को है। पार्थिव शिवलिंग पूजन से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। ग्रह
अनिष्ट प्रभाव हो या अन्य कामना की पूर्ति सभी कुछ इस पूजन से प्राप्त हो जाता है।
पार्थिव-पूजन के लिये स्नान, संध्योपासन आदि नित्यकर्म से निवृत्त होकर शुभासन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठे। पूजा की सामग्री को सँभालकर रख दे। अच्छी मिट्टी भी रख ले।(शमी या पीपल के पेड़ की जड़ की मिट्टी या विमौट (वल्मीक) अच्छी मानी जाती है। या पवित्र जगह से ऊपर से चार अंगुल मिट्टी हटाकर भीतर की मिट्टी का अथवा गंगादि पवित्र स्थानों की मिट्टी का संग्रह करे।) भस्म का त्रिपुण्ड्र लगाकर रुद्राक्ष की माला पहन ले ।(बिना भस्मत्रिपुण्ड्रेण बिना रुद्राक्षमालया। पूजितोऽपि महादेवो न स्यात् तस्य फलप्रदः । तस्मान्मृदापि कर्तव्यं ललाटे वै त्रिपुण्ड्रकम् ॥(लिङ्गपुराण))
अर्थात् भस्म से त्रिपुण्ड्र लगाये
बिना और रुद्राक्ष माला पहने बिना पूजा कर देने से भगवान् शङ्कर फल प्रदान नहीं
करते। इसलिये भस्म न हो तो मिट्टी से भी त्रिपुण्ड्र लगाकर पूजा करे।
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
अब पहले आचमन और प्राणायाम,
पवित्री-धारण, शरीर-शुद्धि और आसन-शुद्धि कर
लेनी चाहिये । रक्षादीप जला ले। तत्पश्चात् स्वस्तिवाचन का पाठ करे, इसके बाद दाहिने हाथ में अर्घ्यपात्र लेकर उसमें कुशत्रय, पुष्प, अक्षत, जल और द्रव्य
रखकर निम्नलिखित संकल्प करे-
(क) सकाम संकल्प-ॐ
विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः, अद्य....मम
सर्वारिष्टनिरसनपूर्वकसर्वपापक्षयार्थं दीर्घायुरारोग्यधनधान्यपुत्रपौत्रादिसमस्तसम्पत्प्रवृद्ध्यर्थं
श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं श्रीसाम्बसदाशिवप्रीत्यर्थं
पार्थिवलिङ्गपूजनमहं करिष्ये ।
(ख) निष्काम संकल्प-ॐ
विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः, अद्य.... श्रीपरमात्मप्रीत्यर्थं
पार्थिवलिङ्गपूजनमहं करिष्ये।
भूमि-प्रार्थना-इस प्रकार संकल्प
करने के बाद निम्नलिखित मन्त्र से भूमि की प्रार्थना करे-
ॐ सर्वाधारे धरे देवि त्वद्रूपां
मृत्तिकामिमाम्। ग्रहीष्यामि प्रसन्ना त्वं लिङ्गार्थं भव सुप्रभे॥
ॐ ह्राঁ पृथिव्यै नमः।
मिट्टी का ग्रहण-उद्धृतासि वराहेण
कृष्णेन शतबाहुना ।
मृत्तिके त्वां च गृह्णामि प्रजया च
धनेन च ॥
'ॐ हराय नमः' -यह मन्त्र पढ़कर मिट्टी ले। मिट्टी को अच्छी तरह देखकर कंकड़ आदि निकाल
दे। कम-से-कम १२ ग्राम मिट्टी हो। जल मिलाकर मिट्टी को गूंथ ले।
लिङ्ग-गठन–'ॐ महेश्वराय नमः' कहकर लिङ्ग का गठन करे । यह अँगूठे से न छोटा हो और न बित्ते से बड़ा । मिट्टी की नन्ही-सी गोली बनाकर लिङ्ग के ऊपर रखे। यह 'वज्र' कहलाता है।
फिर सर्व प्रथम गौरी -गणपति पूजन, कलश स्थापन, पुण्याहवाचन और नवग्रह मण्डल का पूजन करना चाहिये । इन पूजन विधियों के लिए डी पी कर्मकांड की सीरीज का अवलोकन करें।
अब पार्थिव
शिव लिंग पूजा विधि प्रारम्भ करें-
काँसा आदि के पात्र में बिल्वपत्र
रखकर उस पर निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर लिङ्ग की स्थापना करे।
प्राण प्रतिष्ठा विधि:
'ॐ शूलपाणये नमः, हे शिव इह प्रतिष्ठितो भव।' यह कहकर लिङ्ग की
प्रतिष्ठा करे। या निम्न रूप से प्रतिष्ठा करे-
विनियोगःहाथ में जल लेकर विनियोग
मन्त्र पढ़ कर जल भूमि पर छोड़ दें-
ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा
मन्त्रस्य ब्रह्मा विष्णु महेश्वरा ऋषयः ऋग्यजुः सामानिच्छन्दांसि क्रियामयवपु:
प्राणख्या देवता आं बीजम् ह्रीं शक्तिः क्रौं कीलकं श्रीसाम्बसदाशिव पार्थिवलिङ्ग देव
प्राण प्रतिष्ठापने विनियोगः।
प्रतिष्ठा - हाथ में पुष्प लेकर उसे मूर्ति का स्पर्श कराते
हुए निम्न मन्त्र पढ़ें-
ॐ ब्रह्मा विष्णु रूद्र ऋषिभ्यो नमः शिरसि।
ॐऋग्यजुः सामच्छन्दोभ्यो नमःमुखे।
ॐ प्राणाख्य देवतायै नमः हृदि।
ॐआं बीजाय नमः गुह्ये।
ॐह्रीं शक्तये नमः पादयोः।
ॐ क्रौं कीलकाय
नमः सर्वांगे।
अब न्यास के बाद एक पुष्प या
बेलपत्र से शिवलिंग का स्पर्श करते हुए प्राणप्रतिष्ठा मंत्र बोलें-
प्राणप्रतिष्ठा मंत्र:
ॐ आं ह्रीं क्रौं य र ल व शं पं सं हं सः सोऽहं शिवस्य प्राणा इह प्राणाः।
ॐ आं ह्रीं क्रौं य र ल व शं पं सं हं सः सोऽहं शिवस्य जीव इह स्थितः।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं
शिवस्य सर्वेन्द्रियाणि वाङ्मनस्त्वक्चक्षुः श्रोत्राघ्राणजिह्नापाणिपादपायूपस्थानि
इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।।
अब नीचे के मंत्र से आवाहन करें-
आवाहन मंत्र:
ॐ भूः पुरुषं साम्ब सदाशिवमावाहयामि,ॐ भुवः पुरुषं साम्बसदाशिवमावाहयामि,ॐ स्वः पुरुषं
साम्बसदाशिवमावाहयामि।
स्वामिन् सर्व जगन्नाथ यावत्
पूजावसानकम् ।
तावत्त्वं प्रीति भावेन लिंगेस्मिन्
सन्निधो भव ॥
अब ॐ से तीन बार प्राणायाम कर न्यास
करे।
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
संक्षिप्त न्यास विधि:
विनियोगः
ॐ अस्य श्री शिव पञ्चाक्षर मंत्रस्य
वामदेव ऋषि अनुष्टुप् छन्दः श्री सदाशिवो देवता ॐ बीजं नमः शक्तिः शिवाय कीलकम् मम
साम्ब सदाशिव प्रीत्यर्थ न्यासे पार्थिवलिङ्ग पूजने जपे च विनियोगः।
ऋष्यादिन्यास:
ॐ वामदेव ऋषये नमः शिरसि।
ॐ अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे।
ॐ साम्बसदाशिव देवतायै नमः हृदये।
ॐ बीजाय नमः गुह्ये।
ॐ नमः शक्तये नमः पादयोः।
ॐ शिवाय कीलकाय नमः सर्वांगे।
शिव पंचमुख न्यासः
ॐ नं तत्पुरुषाय नमः हृदये।
ॐ मम् अघोराय नमः पादयोः।
ॐ शिं सद्योजाताय नमः गुह्ये।
ॐ वां वामदेवाय नमः मस्तके।
ॐ
यम् ईशानाय नमःमुखे।
करन्यासः
ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ नं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ मं मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ शिं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ वां कनिष्टिकाभ्यां नमः।
ॐ यं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
हृदयादिन्यासः
ॐ हृदयाय नमः।
ॐ नं शिरसे स्वाहा।
ॐ मं शिखायै वषट्।
ॐ शिं कवचाय हुम्।
ॐ वां नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ यं अस्त्राय फट्।
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-श्रीशिवपूजा
अब पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि के
लिए सदाशिव का ध्यान करें-
ध्यान
ध्यायेत् नित्यं महेशं रजतगिरि
निभिं चारु चन्द्रावतंसम् ।
रत्नाकल्पोज् ज्वलांगं परशुमृगवरा
भीति हस्तं प्रसन्नम् ॥
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगण्येः
व्याघ्रकृतिं वसानम् ।
विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिल भय
हरं पंच वक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, ध्यायामि ॥
आवाहन
व्याघ्र चर्मधरं देवं चिति
भस्मनुलेपनम् ।
अह्वायां उमाकान्तं नागाभरण भूषितम्
॥
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः
सहस्रपात् ।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा
अत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥
आगच्छ देवदेवेश तेजोराशे जगत्पते ।
क्रियमाणां मया पूजां गृहाण सुरसत्तमे
॥
ॐ भूः पुरुषं साम्बसदाशिवं आवाहयामि
।
ॐ भुवः पुरुषं साम्बसदाशिवं
आवाहयामि ।
ॐ स्वः पुरुषं साम्बसदाशिवं
आवाहयामि ।
ॐ भूर्भुवः स्वः साम्बसदाशिवं
आवाहयामि ॥
ॐ उमाकान्ताय नमः । आवाहयामि ॥
आवाहितो भव । स्थापितो भव ।
सन्निहितो भव ।
सन्निरुद्धो भव । अवकुण्ठिथो भव ।
सुप्रीतो भव ।
सुप्रसन्नो भव । सुमुखो भव । वरदो
भव ।
प्रसीद प्रसीद ॥
आसन
पुरुष एवेदगुं सर्वम् यद्भूतं यच्छ
भव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानः यदन्नेनातिरोहति
॥
दिव्य सिंहास नासीनं त्रिनेत्रं
वृषवाहनम् ।
इन्द्रादि देवनमितं ददाम्यासन
मुत्तमम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, आसनं
समर्पयामि ॥
पाद्य
एतावानस्य महिमा अतो ज्यायागुंश्च
पूरुषः ।
पादोऽस्य विश्वा भूतानि
त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥
गङ्गादि सर्व तीर्थेभ्यो मया
प्रार्थनया हृतम् ।
तोयमे तत् सुख स्पर्शं पाद्यर्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय
नमः,
पाद्यं समर्पयामि ॥
अर्घ्य
त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः
पादोऽस्येहाभवात्पुनः ।
ततो विश्वङ्व्यक्रामत् साशनानशने
अभि ॥
गन्धोदकेन पुष्पेण चन्दनेन
सुगन्धिना ।
अर्घ्यं गृहाण देवेश भक्ति मे अचलां
कुरु ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, अर्घ्यं
समर्पयामि ॥
आचमन
तस्माद्विराडजायत विराजो अधि पूरुषः
।
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमि मथो
पुरः ॥
कर्पूरोक्षीर सुरभि शीतलं विमलं
जलम् ।
गङ्गायास्तु समानीतं गृहाणाचमनीयकम्
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, आचमनीयं
समर्पयामि ॥
मधुपर्क
नमोस्तु सर्वलोकेश उमादेहार्ध
धारिणे ।
मधुपर्को मया दत्तो गृहाण जगदीश्वर
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, मधुपर्कं
समर्पयामि ॥
स्नान
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म
इध्मश्शरद्धविः ॥
गंगाच यमुनाश्चैव नर्मदाश्च सरस्वति
।
तापि पयोष्णि रेवच ताभ्यः
स्नानार्थमाहृतम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, मलापकर्श
स्नानं समर्पयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-पञ्चामृत स्नान
पयः स्नान
ॐ आप्याय स्व स्वसमेतुते
विश्वतः सोमवृष्ण्यं भवावाजस्य सङधे
॥
पयस्नानमिदं देव त्रिलोचन वृषद्वज ।
गृहाण गौरीरमण त्वद्भक्तेन
मय्यार्पितम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, पयः स्नानं
समर्पयामि ॥
पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि ॥
दधि स्नान
ॐ दधिक्रावणो अकारिषं
जिष्णोरश्वस्यवाजिनः ।
सुरभिनो मुखाकरत् प्राण
आयुंषितारिषत् ॥
दध्न चैव महादेव स्वप्नं क्रीयते
मया ।
गृहाण त्वं सुरादीश सुप्रसन्नो
भवाव्यय ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, दधि स्नानं
समर्पयामि ॥
दधि स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि ॥
घृत स्नान
ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य योनिर्घृते
श्रितो घृतंवस्यधाम
अनुष्ठधमावह मादयस्व स्वाहाकृतं
वृषभ वक्षिहव्यम् ॥
सर्पीश च महारुद्र स्वप्नं क्रीयते
दुन ।
गृहाण श्रद्धया दत्तं तव
प्रीतार्थमेव च ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, घृत स्नानं
समर्पयामि ॥
घृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि ॥
मधु स्नान
ॐ मधुवाता ऋतायथे मधुक्षरंति
सिन्धवः माध्विनः संतोष्वधीः
मधुनक्ता मुथोषसो मधुमत्वार्थिवं
रजः मधुद्यौ रस्तुनः पिता
मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमां अस्तु
सूर्यः माध्वीर्गावो भवंतुनः ॥
इदं मधु मया दत्तं तव पुष्ट्यर्थमेव
च ।
गृहाण देवदेवेश ततः शान्तिं प्रयश्च
मे ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, मधु स्नानं
समर्पयामि ॥
मधु स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि ॥
शर्करा स्नान
ॐ स्वादुः पवस्य दिव्याय जन्मने
स्वादुदरिन्द्राय सुहवीतु नाम्ने ।
स्वादुर्मित्राय वरुणाय वायवे
बृहस्पतये मधुमा अदाभ्यः ॥
सिथया देव देवेश स्नापनं क्रीयते
यतः ।
ततः संतुष्टिमापन्नः प्रसन्नो वरदो
भव ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, शर्करा स्नानं
समर्पयामि।
शर्करा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि।
गंधोदक स्नान
ॐ गंधद्वारां दुराधर्शां नित्य
पुष्पां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्व भूतानां तामि होप
व्हयेश्रियम् ॥
हर चंदन सम्भूतं हर प्रीतिश्च
गौरवात् ।
सुरभि प्रिय परमेश गंध स्नानाय
गृह्यताम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, गंधोदक स्नानं
समर्पयामि ॥
अभ्यंग स्नान
ॐ कनिक्रदज्वनुशं प्रभ्रुवान।
इयथिर्वाचमरितेव नावम् ।
सुमङ्गलश्च शकुने भवासि मात्वा
काचिदभिभाविश्व्या विदत ॥
अभ्यंगार्थं महीपाल तैलं पुष्पादि
सम्भवम् ।
सुगंध द्रव्य सम्मिश्रं संगृहाण
जगत्पते ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, अभ्यंग स्नानं
समर्पयामि।
अंगोद्वर्तनक
अंगोद्वर्तनकं देव कस्तूर्यादि
विमिश्रितम् ।
लेपनार्थं गृहाणेदं हरिद्रा
कुङ्कुमैर्युतम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, अंगोद्वर्तनं
समर्पयामि ॥
उष्णोदक स्नान
नाना तीर्थादाहृतं च तोयमुष्णं
मयाकृतम् ।
स्नानार्थं च प्रयश्चामि
स्वीकुरुश्व दयानिधे ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, उष्णोदक
स्नानं समर्पयामि ॥
शुद्धोदक स्नान
मन्दाकिन्याः समानीतं
हेमाम्बोरुहावासितम् ।
स्नानार्थे मय भक्त्या नीरुं
स्वीकुर्यतां विभो ॥
ॐ आपोहिष्टा मयो भुवः । तान ऊर्जे
दधातन ।
महीरणाय चक्षसे । योवः शिवतमोरसः
तस्यभाजयते हनः ।
उशतीरिव मातरः । तस्मात् अरंगमामवो
। यस्य क्षयाय जिंवध ।
आपो जन यथाचनः ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, शुद्धोदक
स्नानं समर्पयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-महा अभिषेक
शुध्द
जल,
गंगाजल अथवा दुग्धादि से लिंगाष्टक स्त्रोतम,
शिवमहिम्न: स्तोत्रम्, रुद्रसूक्त, शिवसंकल्प रुद्राष्टाकम्, पुरुषसूक्त या
रुद्राष्टाध्यायी आदि मन्त्रों का पाठ करते हुए पार्थिवशिवलिंग का अभिषेक करे ।
(पत्र-पुष्प से आच्छादित कर ही अभिषेक करना चाहिये, जिससे
पार्थिवलिङ्ग की मिट्टी क्षरित न हो।)
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, महा अभिषेक
स्नानं समर्पयामि ॥
ॐ नमः शिवाय । स्नानानंतर आचमनीयं
समर्पयामि ॥
वस्त्र
ॐ तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन्
पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ॥
वस्त्र सूक्ष्मं दुकूलं च देवानामपि
दुर्लभम् ।
गृहाणतं उमाकान्त प्रसन्नो भव
सर्वदा ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, वस्त्रयुग्मं
समर्पयामि॥
यज्ञोपवीत
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं
पृषदाज्यम् ।
पशूगुँस्तागुंश्चक्रे
वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये ॥
यज्ञोपवीतं सहजं ब्रह्मणं निर्मितं
पुर ।
आयुष्यं भव वर्चस्वम् उपवीतं गृहाण
मे ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, यज्ञोपवीतं
समर्पयामि ॥
आभरण
गृहाण नानाभरणानि शम्भो महेश
जम्बूनाद निर्मितानि ।
ललाट कण्ठोत्तम कर्ण हस्त नितम्ब
हस्तांगुलि भूषणानि ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, आभरणानि
समर्पयामि ॥
गन्ध
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः ऋचः सामानि
जज्ञिरे ।
छन्दाँगुसि जज्ञिरे तस्मात्
यजुस्तस्मादजायत ॥
गन्धं गृहाण देवेश कस्तूरि
कुङ्कुमान्वितम् ।
विलेपनार्थं कर्पूररोचन लोहितं मया
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, गन्धं
समर्पयामि ॥
नाना परिमल द्रव्य
ॐ अहिरैव भोग्येः पर्येति बाहुं
जाया हेतिं परिभादमानः ।
हस्तज्ञो विश्वावयुनानि
विद्वान्पुमास्प्रमांसं परिपातु विश्वतः ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, नाना परिमल
द्रव्यं समर्पयामि ॥
अक्षत
तस्मादश्वा अजायन्त ये के चो भयादतः
।
गावो ह जज्ञिरे तस्मात् तस्माज्जाता
अजावयः ॥
अक्षतान् धवलान् शुभ्रान्
कर्पूरागुरु मिश्रितान् ।
गृहाण परया भक्त्या मया तुभ्यं समर्पितान्
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, अक्षतान्
समर्पयामि ॥
पुष्प
बिल्वापमार्ग धत्तूर करवीरार्क
सम्भवैः ।
बकोत्फलद्रोण मुख्यैः पुष्पै पूजित
शंकर ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, पुष्पाणि
समर्पयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-अथाङ्गपूजा
ॐ शिवाय नमः । पादौ पूजयामि ॥
ॐ व्योमात्मने नमः । गुल्फौ पूजयामि
॥
ॐ अनन्तैश्वर्य नाथाय नमः । जानुनी
पूजयामि ॥
ॐ प्रधानाय नमः । जंघे पूजयामि ॥
ॐ अनन्त विराजसिंहाय नमः । ऊरून्
पूजयामि ॥
ॐ ज्ञान भूताय नमः । गुह्यं पूजयामि
॥
ॐ सत्यसेव्याय नमः । जघनं पूजयामि ॥
ॐ अनन्तधर्माय नमः । कटिं पूजयामि ॥
ॐ रुद्राय नमः । उदरं पूजयामि ॥
ॐ सत्यधराय नमः । हृदयं पूजयामि ॥
ॐ ईशाय नमः । पार्श्वौ पूजयामि ॥
ॐ तत्पुरुषाय नमः । पृष्ठदेहं
पूजयामि ॥
ॐ अघोरहृदयाय नमः । स्कन्धौ पूजयामि
॥
ॐ व्योमकेशात्मरूपाय नमः । बाहून्
पूजयामि ॥
ॐ हराय नमः । हस्तान् पूजयामि ॥
ॐ चतुर्भाववे नमः । कण्ठं पूजयामि ॥
ॐ वामदेवाय नमः । वदनं पूजयामि ॥
ॐ पिनाकहस्ताय नमः । नासिकां
पूजयामि ॥
ॐ श्रीकण्ठाय नमः । श्रोत्रे
पूजयामि ॥
ॐ इन्दुमुखाय नमः । नेत्राणि
पूजयामि ॥
ॐ हरये नमः । भ्रवौ पूजयामि ॥
ॐ सद्योजातवेदाय नमः । भ्रूमध्यं
पूजयामि ॥
ॐ वामदेवाय नमः । ललाटं पूजयामि ॥
ॐ सर्वात्मने नमः । शिरः पूजयामि ॥
ॐ चन्द्रमौलये नमः । मौलिं पूजयामि
॥
ॐ सदाशिवाय नमः । सर्वाङ्गाणि
पूजयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-अथ पुष्प पूजा
ॐ शर्वाय नमः । करवीर पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ भवनाशनाय नमः । जाजी पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ महादेवाय नमः । चम्पक पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ उग्राय नमः । वकुल पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ उग्रनाभाय नमः । शतपत्र पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ भवाय नमः । कल्हार पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ शशिमौलिने नमः । सेवन्तिका पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ रुद्राय नमः । मल्लिका पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ नीलकण्ठाय नमः । इरुवंतिका पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ शिवाय नमः । गिरिकर्णिका पुष्पं
समर्पयामि ॥
ॐ भवहारिणे नमः । आथसी पुष्पं
समर्पयामि ॥
बिल्वापमार्ग धत्तूर करवीरार्क
सम्भवैः ।
बकोत्फलद्रोण मुख्यैः पुष्पै पूजित
शंकर ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, नानाविधपुष्पाणि
समर्पयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि-अथ पत्र पूजा
ॐ महादेवाय नमः । बिल्व पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ महेश्वराय नमः । जाजी पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ शंकराय नमः । चम्पका पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ वृषभध्वजाय नमः । तुलसी पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ शूलपाणिने नमः । दूर्वा युग्मं
समर्पयामि ॥
ॐ कामाङ्ग नाशनाय नमः । सेवंतिका
पत्रं समर्पयामि ॥
ॐ देवदेवेशाय नमः । मरुग पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ श्रीकण्ठाय नमः । दवन पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ ईश्वराय नमः । करवीर पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ पार्वतीपतये नमः । विष्णुक्रान्ति
पत्रं समर्पयामि ॥
ॐ रुद्राय नमः । माचि पत्रं
समर्पयामि ॥
ॐ श्रीभगवते साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय
नमः,
सर्वपत्राणि समर्पयामि ।
बिल्वपत्र --
पार्थिव शिव लिंग पूजन में बिल्वाष्टकम् का पाठ करते हुए शिव लिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाते जाएँ।
शिव पूजन के लिए देखें-वैदिक शिव पूजन विधि
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
आवरण पूजा- अब सदाशिव के आवरण का पूजा
करें-
प्रथमावरण पूजा
देवस्य पश्चिमे सद्योजाताय नमः ।
उत्तरे वामदेवाय नमः ।
दक्षिणे अघोराय नमः ।
पूर्वे तत्पुरुषाय नमः ।
ऊर्ध्वं ईशानाय नमः ।
द्वितीयावरण पूजा
आग्नेय कोणे हृदयाय नमः ।
ईशानकोणे शिरसे स्वाहा ।
नैऋत्य कोणे शिखायै वौषट् ।
वायव्य कोणे कवचाय हुम् ।
अग्रे नेत्रत्रयाय वौषट् ।
दिक्षु अस्त्राय फट् ।
तृतीयावरण पूजा
प्राच्यां अनन्ताय नमः ।
आवाच्यां सूक्ष्माय नमः ।
प्रतीच्यां शिवोत्तमाय नमः ।
उदिच्यां एकनेत्राय नमः ।
ईशान्यां एकरुद्राय नमः ।
आग्नेयां त्रै मूर्तये नमः ।
नैऋत्यां श्रीकण्ठाय नमः ।
वायव्यां शिखन्दिने नमः ।
चतुर्थावरण पूजा
उत्तरे दिग्दले उमायै नमः ।
ईशान दिग्दले चण्डेश्वराय नमः ।
पूर्व दिग्दले नन्दीश्वराय नमः ।
आग्नेय दिग्दले महाकालाय नमः ।
दक्षिण दिग्दले वृषभाय नमः ।
नैऋत्य दिग्दले गणेश्वराय नमः ।
पश्चिम दिग्दले भृंघीशाय नमः ।
वायव्य दिग्दले महासेनाय नमः ।
पंचमावरण पूजा
इंद्राय नमः । अग्नये नमः ।
यमाय नमः । नैऋतये नमः ।
वरुणाय नमः । वायव्ये नमः ।
कुबेराय नमः । ईशानाय नमः ।
ब्राह्मणे नमः । अनंताय नमः ।
षष्ठावरण पूजा
वज्राय नमः । शक्तये नमः ।
दण्डाय नमः । खड्गाय नमः ।
पाशाय नमः । अंकुशाय नमः ।
गधायै नमः । त्रिशूलाय नमः ।
पद्माय नमः । चक्राय नमः ।
सर्वेभ्यो आवरण देवताभ्यो नमः ।
सर्वोपचारार्थे गन्धाक्षत पुष्पाणि
समर्पयामि॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
अष्टोत्तरशतनाम पूजा – अब सदाशिव के
विभिन्न नामों का पूजन करें-
शिवाय नमः । महेश्वराय नमः । शम्भवे
नमः । पिनाकिने नमः । शशिशेखराय नमः । वामदेवाय नमः । विरूपाक्षाय नमः । कपर्दिने
नमः । नीललोहिताय नमः । शंकराय नमः । शूलपाणये नमः । खट्वांगिने नमः । विष्णुवल्लभाय
नमः । शिपिविष्टाय नमः । अम्बिकानाथाय नमः । श्रीकण्ठाय नमः । भक्तवत्सलाय नमः ।
भवाय नमः । शर्वाय नमः । त्रिलोकेशाय नमः । शितिकण्ठाय नमः । शिवा प्रियाय नमः । उग्राय
नमः । कपालिने नमः । कामारये नमः । अन्धकासुरसूदनाय नमः । गंगाधराय नमः ।
ललाटाक्षाय नमः । कालकालाय नमः । कृपानिधये नमः । भीमाय नमः । परशुहस्ताय नमः । मृगपाणये
नमः । जटाधराय नमः । कैलासवासिने नमः । कवचिने नमः । कठोराय नमः । त्रिपुरान्तकाय
नमः । वृषांकाय नमः । वृषभारूढाय नमः । भस्मोद्धूलित विग्रहाय नमः । सामप्रियाय
नमः । स्वरमयाय नमः । त्रयीमूर्तये नमः । अनीश्वराय नमः । सर्वज्ञाय नमः । परमात्मने
नमः । सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः । हविषे नमः । यज्ञमयाय नमः । सोमाय नमः ।
पंचवक्त्राय नमः । सदाशिवाय नमः । विश्वेश्वराय नमः । वीरभद्राय नमः । गणनाथाय नमः
। प्रजापतये नमः । हिरण्यरेतसे नमः । दुर्धर्षाय नमः । गिरीशाय नमः । गिरिशाय नमः
। अनघाय नमः । भुजंगभूषणाय नमः । भर्गाय नमः । गिरिधन्वने नमः । गिरिप्रियाय नमः ।
कृत्तिवाससे नमः । पुरारातये नमः । भगवते नमः । प्रमथाधिपाय नमः । मृत्युंजयाय नमः
। सूक्ष्मतनवे नमः । जगद्व्यापिने नमः । जगद्गुरुवे नमः । व्योमकेशाय नमः ।
महासेनजनकाय नमः । चारुविक्रमाय नमः । रुद्राय नमः । भूतपतये नमः । स्थाणवे नमः । अहयेबुध्न्याय
नमः । दिगम्बराय नमः । अष्टमूर्तये नमः । अनेकात्मने नमः । सात्विकाय नमः ।
शुद्धविग्रहाय नमः । शाश्वताय नमः । खण्डपरशवे नमः । अज्ञाय नमः । पाशविमोचकाय नमः
। मृडाय नमः । पशुपतये नमः । देवाय नमः । महादेवाय नमः । अव्ययाय नमः । हरये नमः ।
भगनेत्रभिदे नमः । अव्यक्ताय नमः । दक्षाध्वरहराय नमः । हराय नमः । पूषदन्तभिदे
नमः । अव्यग्राय नमः । सहस्राक्षाय नमः । सहस्रपदे नमः । अपवर्गप्रदाय नमः ।
अनन्ताय नमः । तारकाय नमः । परमेश्वराय नमः । इति अष्टोत्तर पूजां समर्पयामि ॥
धूप
वनस्पत्युद्भवो दिव्यो गन्धाढ्यो
गन्धवुत्तमः ।
आघ्रेयः महिपालो धूपोयं
प्रतिगृह्यताम् ॥
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन्
।
मुखं किमस्य कौ बाहू कावूरू
पादावुच्येते ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, धूपं
आघ्रापयामि ॥
दीप
दीपं हि परमं शम्भो घृत प्रज्वलितं
मया ।
दत्तं गृहाण देवेश मम ज्ञानप्रद भव
॥
भक्त्या दीपं प्रयश्चामि देवाय
परमात्मने ।
त्राहि मां नरकात् घोरात् दीपं
ज्योतिर् नमोस्तुते ॥
ब्राह्मणोस्य मुखमासीत् बाहू
राजन्यः कृतः ।
उरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां
शूद्रो अजायत ॥
श्रीभगवते साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय
नमः,
दीपं दर्शयामि ॥
नैवेद्य- नैवेद्य देकर विभिन्न
मुद्राओं का प्रदर्शन करें-
ॐ सदाशिवाय विद्महे महादेवाय धीमहि
।
तन्नो शंकर प्रचोदयात् ॥
ॐ नमः शिवाय ॥
निर्वीषिकरणार्थे तार्क्ष मुद्रा ।
अमृती करणार्थे धेनु मुद्रा ।
पवित्रीकरणार्थे शङ्ख मुद्रा ।
संरक्षणार्थं चक्र मुद्रा ।
विपुलमाया करणार्थे मेरु मुद्रा ।
ॐ सत्यंतवर्तेन परिसिञ्चामि
भोः! स्वामिन् भोजनार्थं आगश्चादि
विज्ञाप्य
सौवर्णे स्थालिवैर्ये मणिगणकचिते
गोघृतां
सुपक्वां भक्ष्यां भोज्यां च
लेह्यानपि
सकलमहं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकै रूपेतं
समधु दधि घृतं क्षीर पाणीय युक्तं
ताम्बूलं चापि शिवं प्रतिदिवसमहं
मनसे चिन्तयामि ॥
अद्य तिष्ठति यत्किञ्चित्
कल्पितश्चापरंगृहे
पक्वान्नं च पानीयं यथोपस्कर संयुतं
यथाकालं मनुष्यार्थे मोक्ष्यमानं
शरीरिभिः
तत्सर्वं शिवपूजास्तु प्रयतां मे
महेश्वर
सुधारसं सुविफुलं आपोषणमिदं
तव गृहाण कलशानीतं यथेष्टमुप
भुज्ज्यताम् ॥
ॐ नमः शिवाय । अमृतोपस्तरणमसि
स्वाहा ॥
ॐ प्राणात्मने स्वाहा ।
ॐ अपानात्मने स्वाहा ।
ॐ व्यानात्मने स्वाहा ।
ॐ उदानात्मने स्वाहा ।
ॐ समानात्मने स्वाहा ।
ॐ नमः शिवाय ।
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्ति मे अचलां
कुरुः ।
ईप्सितं मे वरं देहि इहत्र च परां
गतिम् ॥
श्री सदाशिवं नमस्तुभ्यं महा
नैवेद्यं उत्तमम् ।
संगृहाण सुरश्रेष्ठ भक्ति मुक्ति
प्रदायकम् ॥
नैवेद्यं समर्पयामि ॥
सर्वत्र अमृतोपिधान्यमसि स्वाहा ।
ॐ नमः शिवाय । उत्तरापोषणं
समर्पयामि ॥
महा फल
इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव ।
तेन मे सफलावाप्तिर् भवेत् जन्मनि
जन्मनि ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, महाफलं
समर्पयामि ।
फलाष्टक
कूष्माण्ड मातुलिङ्गं च
नारिकेलफलानि च ।
गृहाण पार्वतीकान्त सोमेश
प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, फलाष्टकं
समर्पयामि ॥
करोद्वर्तन
करोद्वर्तन्कं देवमया दत्तं हि
भक्तितः ।
चारु चंद्र प्रभां दिव्यां गृहाण
जगदीश्वर ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, करोद्वर्तनार्थे
चंदनं समर्पयामि ॥
ताम्बूल
पूगिफलं सताम्बूलं नागवल्लि
दलैर्युतम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां देव येल लवङ्ग
संयुक्तम् ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, पूगिफल
ताम्बूलं समर्पयामि ॥
दक्षिणा
हिरण्य गर्भ गर्भस्थ हेमबीज
विभावसोः ।
अनंत पुण्य फलदा अथः शांतिं प्रयश्च
मे ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, सुवर्ण पुष्प दक्षिणां समर्पयामि ॥
महा नीराजन
चक्षुर्दां सर्वलोकानां तिमिरस्य
निवारणम् ।
अर्थिक्यं कल्पितं भक्त्या गृहाण
परमेश्वर ॥
श्रीयै जातः श्रिय अनिरियाय श्रियं
वयो जरित्रभ्यो ददाति
श्रियं वसाना अमृतत्त्व मायन् भवंति
सत्या समिधा मितद्रौ
श्रिय येवैनं तत् श्रिया मादधाति
संतत मृचा वषट्कृत्यं
संततं संधीयते प्रजया पशुभिः ययेवं
वेद ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, महानीराजनं
दीपं समर्पयामि ॥
कर्पूर दीप
अर्चत प्रार्चत प्रिय मे दासो अर्चत
।
अर्चन्तु पुत्र का वतपुरन्न धृष्ण
वर्चत ॥
कर्पूरकं महाराज रम्भोद्भूतं च
दीपकम् ।
मङ्गलार्थं महीपाल सङ्गृहाण जगत्पते
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, कर्पूर दीपं
समर्पयामि ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि- अष्टमूर्तियों की पूजा
अब गन्ध, अक्षत, फूल के द्वारा भगवान् शङ्कर की आठों मूर्तियों की आठों दिशाओं में पूजा करे-
१-पूर्वदिशा में (पृथ्वीरूप में)- ॐ शर्वाय
क्षितिमूर्तये नमः ।
२-ईशानकोण में (जलरूप में)- ॐ भवाय
जलमूर्तये नमः ।
३-उत्तरदिशा में (अग्निरूप में)- ॐ
रुद्राय अग्निमूर्तये नमः ।
४-वायव्यकोण में (वायुरूप में)- ॐ
उग्राय वायुमूर्तये नमः ।
५-पश्चिमदिशा में (आकाशरूप में)- ॐ
भीमाय आकाशमूर्तये नमः।
६-नैर्ऋत्यकोण में (यजमानरूप में)- ॐ
पशुपतये यजमानमूर्तये नमः ।
७-दक्षिणदिशा में (चन्द्ररूप में)- ॐ
महादेवाय सोममूर्तये नमः।
८-अग्निकोण में (सूर्यरूप में)- ॐ
ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः ।
इसके बाद 'ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का कम-से-कम एक माला अथवा दस
बार जप करे। उसके बाद-
गुह्यातिगुह्यगोप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् ।
सिद्धिर्भवतु मे देव ! त्वत्प्रसादान्महेश्वर ॥
- यह
मन्त्र पढ़कर देवता के दक्षिण हाथ में जप को समर्पित करें।
महा आरती - इसके बाद महा आरती करें।
आरती नीचे अंत में दिया जा रहा है-
प्रदक्षिणा
नाभ्या आसीदन्तरिक्षम् शीर्ष्णो
द्यौः समवर्तत ।
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात् तथा
लोकांग अकल्पयन् ॥
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि
च ।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणे
पदे पदे ॥
प्रदक्षिण त्रियं देव प्रयत्नेन मया
कृतम् ।
तेन पापाणि सर्वाणि विनाशाय नमोऽस्तुते
॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, प्रदक्षिणान्
समर्पयामि ॥
नमस्कार
सप्तास्यासन् परिधयः त्रिस्सप्त
समिधः कृताः ।
देवा यद्यज्ञं तन्वानाः
अबध्नन्पुरुषं पशुम् ॥
नमस्ते सर्वलोकेश नमस्ते जगदीश्वर ।
नमस्तेस्तु पर ब्रह्म नमस्ते
परमेश्वर ॥
हेतवे जगतावेव संसारार्णव सेतवे ।
प्रभवे सर्वविद्यानां शम्भवे गुरुवे
नमः ॥
नमो नमो शम्भो नमो नमो जगत्पते ।
नमो नमो जगत्साक्षिण् नमो नमो
निरञ्जन ॥
नमोस्तुते शूलपाणे नमोस्तु वृषभध्वज
।
जीमूतवाहन करे सर्व त्र्यम्बक शंकर
॥
महेश्वर हरेशान सुवनाक्ष वृषाकपे ।
दक्ष यज्ञ क्षयकर काल रुद्र
नमोऽस्तुते ॥
त्वमादिरस्यजगत् त्वं मध्यं
परमेश्वर ।
भवानंतश्च भगवन् सर्वगस्त्वयं
नमोस्तुते ॥
पूर्वे शर्वाय कीर्तिमूर्तये नमः ।
ईशान्यां भवाय जलमूर्तये नमः ।
उत्तरे रुद्राय अग्निमूर्तये नमः ।
वायुव्यां उग्राय वायुमूर्तये नमः ।
पश्चिमे भीमाय आकाशमूर्तये नमः ।
नैऋत्यां पशुपतये यजमान मर्दये नमः।
दक्षिणे महादेवाय सोममूर्तये नमः ।
आग्नेयां ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, नमस्कारान्
समर्पयामि ॥
मन्त्रपुष्पाञ्जलि
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवाः तानि
धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमानः सचन्ते यत्र
पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा
जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं
जपेत् ॥
विद्या बुद्धि धनैश्वर्य पुत्र
पौत्रादि सम्पदः ।
पुष्पांजलि प्रदानेन देहिमे ईप्सितं
वरम् ॥
नमोऽस्त्वनंताय सहस्र मूर्तये सहस्र
पादाक्षि शिरोरु बाहवे ।
सहस्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्र
कोटी युगधारिणे नमः ॥
ॐ नमो महद्भ्यो नमो अर्भकेभ्यो नमो
युवभ्यो नमो आसीनेभ्यः ।
यजां देवान्य दिशक्रवा ममा जायसः शं
समावृक्षिदेव ॥
ॐ ममत्तुनः परिज्ञावसरः ममत्तु वातो
अपां व्रशन्वान् ।
शिशीतमिन्द्रा पर्वता युवन्नस्थन्नो
विश्वेवरिवस्यन्तु देवाः ॥
ॐ कथात अग्ने शुचीयंत
अयोर्ददाशुर्वाजे भिराशुशानः ।
उभेयत्तोकेतनये
दधाना ऋतस्य सामनृणयंत देवाः ॥
ॐ राजाधि राजाय प्रसह्य साहिने नमो
वयं वैश्रवणाय
कूर्महे समे कामान् काम कामाय मह्यं
कामेश्वरो
वैश्रवणो दधातु कुबेराय वैश्रवणाय
महाराजाय नमः ॥
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भोज्यं
स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठां राज्यं
महाराज्यमाधिपत्यमयं समंत
पर्यायिस्यात् सार्व भोंअः
सार्वायुशः अंतादा
परार्धात् पृथिव्यै समुद्र
पर्यन्ताय एकरालिति तदप्येश
श्लोकोभिगीतो मरूतः परिवेष्टारो
मरुतस्या वसन्गृहे
आवीक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा
सभासद इति ॥
श्रीभगवते
साम्बसदाशिवपार्थिवेश्वराय नमः, मन्त्रपुष्पाञ्जलि
समर्पयामि ॥
क्षमार्पण
यत्किंचित् कुर्महे देव सद
सुकृत्दुष्कृतम् ।
तन्मे शिवपादस्य भुंक्षवक्षपय शंकर
॥
करचरणकृतं वा कायजं कर्मजं वा ।
श्रवण नयनजं वा मानसं वापराधम् ॥
विहितमवहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व ।
जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो
॥
प्रार्थना
नमोव्यक्ताय सूक्ष्माय नमस्ते
त्रिपुरान्तक ।
पूजां गृहाण देवेश
यथाशक्त्युपपादिताम् ॥
किं न जानासि देवेश त्वयी भक्तिं
प्रयश्च मे ।
स्वपादाग्रतले देव दास्यं देहि
जगत्पते ॥
बद्धोहं विविद्धै पाशै
संसारुभयबंधनै ।
पतितं मोहजाले मं त्वं समुध्धर शंकर
॥
प्रसन्नो भव मे श्रीमन् सद्गतिः
प्रतिपाद्यताम् ।
त्वदालोकन मात्रेण पवित्रोस्मि न
संशयः ॥
त्वदन्य शरण्यः प्रपन्न्स्य नेति ।
प्रसीद स्मरन्नेव हन्न्यास्तु
दैन्यम् ॥
नचेत्ते भवेद्भक्ति वात्सल्य हानि ।
स्ततो मे दयालो दयां सन्निदेहि ॥
सकारणमशेषस्य जगतः सर्वदा शिवः ।
गो ब्राह्मण नृपाणां च शिवं भवतु मे
सदा ॥
विसर्जन
नित्यं नैमित्तिकं काम्यं यत्कृतं
तु मया शिव ।
तत् सर्वं परमेशान मया तुभ्यं
समर्पितम् ॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं
जनार्दन ।
यत्पूजितं मयादेव परिपूर्णं तदस्तु
मे ॥
आवाहनं न जानामि,
न जानामि विसर्जनम् ।
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व
पुरुषोत्तम ॥
अपराध सहस्राणि क्रियन्ते अहर्निशं
मया ।
तानि सर्वाणि मे देव क्षमस्व
पुरुषोत्तम ॥
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थान
महेश्वर।
पूजा अर्चना काले पुनरगमनाय च।
यान्तु देव गणाः सर्वे पूजां आदाय
महेश्वरम् ।
इष्ट काम्यार्थ सिध्यर्थं पुनरागमनाय च ॥
ॐ हरो महेश्वरश्चैव शूलपाणिः पिनाकधृक् ।
शिवः पशुपतिश्चैव महादेव-विसर्जनम्।।
भगवान् श्री शंकरः प्रीयताम् ॥
॥ॐ तत्सत् श्री सदाशिवार्पणमस्तु ॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
अथ त्रिगुण आरती शिवजी की
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी
धारा ॥ टेक॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुडासन वृषवाहन साजे ॥ जय॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति
सोहे
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ जय॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ जय॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे
सनकादिक गरुडादिक भूतादिक संगे ॥
जय॥
कर मध्ये सुकमण्डल चक्र त्रिशूल
धर्ता
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ जय॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
प्रणवाक्षर ॐ मध्ये ये तीनों एका ॥
जय॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दो
ब्रह्मचारी
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
जय॥
त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर
गावे
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ जय॥॥ इति॥
पार्थिव शिव लिंग पूजा विधि
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