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महामृत्युञ्जय
महामृत्युञ्जय मंत्र का उल्लेख
ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। वहीं शिवपुराण सहित अन्य ग्रंथो में भी
इसका महत्व बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युञ्जय उसे कहते हैं जो मृत्यु को
जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युञ्जय मंत्र का जप किया
जाता है। इसके जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। ये मंत्र जीवन देने
वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है।
महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से हर तरह का डर खत्म हो जाती है। इस मंत्र का जप
करने से अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर दूर होता है। साथ ही कुंडली के दूसरे बुरे
रोग भी शांत होते हैं । शिवपुराण में उल्लेख किए गए इस मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य
को भी जीवन की प्राप्त हुई थी।
महामृत्युञ्जय मंत्र
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय
मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं
पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
ॐ- यह ईश्वर का वाचक है,
परब्रह्म का प्रतिक है।
त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
यजामहे- हम पूजते हैं,
सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम- मीठी महक वाला,
सुगंधित।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति,
फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम- वह जो पोषण करता है,
शक्ति देता है।
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- जैसे,
इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से
अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से
मुक्षिया,
हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मात्र न
अमृतात- अमरता,
मोक्ष।
महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद
इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान
शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र
हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे
जगत का पालन-पोषण करते हैं। या
हम त्रि- नेत्र वाले (तीन आंखें)
शिवजी का पूजन करते है, जो पवित्र सुगंध
धारण करते है, हमे पोषित करते है (स्वास्थ्य, सुख और संपत्ति में वृद्धि करते है), जो हमारा पोषण
करके शक्ति प्रदान करते है।
जैसे पका हुआ फल (ककड़ी या खीरा)
अपने तने से अपने आप (सहजता से) अलग हो जाता है (स्वतंत्र हो जाता है) ,
वैसे हम भी इस संसार के सारे सुख भोगकर, अपने
आप (सहजता से) मृत्यु और पुनर्जन्म से स्वतंत्र हो जाए, मृत्यु
से मुक्ति पाकर, अमरता (मोक्ष) प्राप्त कर सके।
इस मंत्र का जाप करने का यही
उद्देश्य है कि हम समय आने पर संसार के सारे बंधनों को सहजता से छोड़कर मोक्ष की
प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील बने और शिव भगवान से प्रार्थना करे कि हम पर ये ज्ञान
प्रदान करने की कृपा करे।
इस लिए इस मंत्र का नाम महा
मृत्युंजय मंत्र है मतलब मृत्यु को जीत लेना, अमर
होना।
श्रीमृत्युञ्जयध्यानम् १
वन्दे मृत्युञ्जयं साम्ब नीलकण्ठं
चतुर्भुजम् ।
चन्द्रकोटिप्रतीकाशं
पूर्णचन्द्रनिभाननम् ॥ १॥
बिम्बाधरं विशालाक्षं
चन्द्रालङ्कृतमस्तकम् ।
अक्षमालाम्बरधरं वरदं चाभयप्रदम् ॥
२॥
महार्हकुण्डलाभूषं हारालकृतवक्षसम्
।
भस्मोद्धूलितसर्वाङ्गं
फालनेत्रविराजितम् ॥ ३॥
व्याघ्रचर्मपरीधानं व्यालयज्ञोपवीतिनम्
।
पार्वत्या सहितं वन्दे
सर्वाभीष्टवरप्रदम् ॥ ४॥
इति श्रीमृत्युञ्जयध्यानं
सम्पूर्णम् ।
महामृत्युञ्जयध्यानम् २
हस्ताम्भोज-युगस्थ-कुम्भयुगलादुद्धृत्य
तोयं शिरः
सिञ्चन्तं करयोर्युगेन दधतं स्वाङ्के
सकुम्भौ करौ ।
अक्ष-स्रग्-मृगहस्तमम्बुजगतं मूर्द्धस्थचन्द्रं
स्रवत्
पीयूषोऽत्र तनुं भजे स-गिरिजं मृत्युञ्जयं
त्र्यम्बकम् ॥ १॥
चन्द्रोद्भासित-मूर्द्धजं सुरपतिं
पीयूषपात्रं वहद्
हस्ताब्जेन दधत् सुदिव्यममलं
हास्यायपङ्केरुहम् ।
सूर्येन्द्वग्नि-विलोचनं करतले
पाशाक्षसूत्राङ्कुशा-
म्भोजं बिभ्रतमक्षयं पशुपतिं मृत्युञ्जयं
संस्मरे ॥ २॥
स्मर्त्तव्याखिललोकवर्ति सततं
यज्जङ्गमस्थावरं
व्याप्तं येन च यत्प्रपञ्चविहितं मुक्तिश्च
यत् सिद्ध्यति ।
यद्वा स्यात् प्रणवत्रिभेदगहनं
श्रुत्वा च यद् गीयते
तद्वस्तुस्थिति-सिद्धयेऽस्तु वरदं ज्योतिस्त्रयोत्थं
महः ॥ ३॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं
पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥ ४॥
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं
चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलाङगं परशुमृगवराभीतिहस्तं
प्रसन्नम् ।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्ति
वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं
पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥ ५॥
इति महामृत्युञ्जयध्यानं समाप्तम् ।
महामृत्युञ्जयमालामन्त्रः
१.
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
हौं हैं हां ।
ॐ मृत्युञ्जयाय नमश्शिवाय हुं फट्
स्वाहा ॥
२.
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय चन्द्रशेखराय
जटामकुटधारणाय,
अमृतकलशहस्ताय,
अमृतेश्वराय सर्वात्मरक्षकाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं
हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं पालय पालय,
महामृत्युञ्जयाय सर्वरोगारिष्टं
निवारय
निवारय,
आयुरभिवृद्धिं कुरु कुरु आत्मानं रक्ष रक्ष,
महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट्
स्वाहा ॥
३.
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जथेश्वराय पार्वतीमनोहराय
अमृतस्वरूपाय कालान्तकाय करुणाकराय
गङ्गाधराय । ॐ हां
हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ
श्लीं पं शुं हुं जुं सः
जुं सः जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय सर्वरोगारिष्टं
निवारय निवारय सर्वदुष्टग्रहोपद्रवं
निवारय निवारय, आत्मानं
रक्ष रक्ष,
आयुरभिवृद्धिं
कुरु कुरु महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं
फट् स्वाहा ॥
४। ॐ नमो भगवते महामृत्युजयेश्वराय
जटामकुटधारणाय
चन्द्रशेखराय श्रीमहाविष्णुवल्लभाय,
पार्वतीमनोहराय,
पञ्चाक्षर परिपूर्णाय,
परमेश्वराय, भक्तात्मपरिपालनाय,
परमानन्दाय परब्रह्मपरापराय । ॐ हां
हौं नं मं शिं वं यं
हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं
सः जुं सः जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय लं लं लौं
इन्द्रद्वारं बन्धय बन्धय ।
आत्मानं रक्ष रक्ष,
सर्वग्रहान् बन्धय बन्धय स्तम्भय
स्तम्भय सर्वरोगारिष्टं निवारय
निवारय,
दीर्घायुष्यं कुरु
कुरु । ॐ नमो भगवते
महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
५.
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय,
कालकालसंहाररुद्राय,व्याघ्रचर्माम्बरधराय,
कृष्णसर्पयज्ञोपवीताय,
अनेककोटिब्रह्मकपालालङ्कृताय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
। ॐ श्लीं पं शुं
हुं जुं सः जुं सः जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय रं
रं रौं अग्निद्वारं बन्धय बन्धय,
आत्मानं रक्ष रक्ष ।
सर्वग्रहान्बन्धय बन्धय । स्तम्भय
स्तम्भय,
सर्वरोगारिष्टं
निवारय निवारय । अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय हुं
फट् स्वाहा ॥
६.
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय त्रिनेत्राय
कालकालान्तकाय आत्मरक्षाकराय लोकेश्वराय अमृतस्वरूपाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
। ॐ श्लीं पं शुं हुं
जुं सः जुं सः जुं पालय पालय
महामृत्युञ्जयाय हं हं हौं
यमद्वारं बन्धय बन्धय आत्मानं रक्ष
रक्ष,
सर्वग्रहान्
बन्धय बन्धय स्तम्भय स्तम्भय
सर्वरोगारिष्टं निवारय
निवारय महामृत्युभयं निवारय निवारय
अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु । ॐ नमो
भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
७.
ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय त्रिशूल डमरुकपाल
मालिकाव्याघ्रचर्माम्बरधराय,
परशुहस्ताय, श्रीनीलकण्ठाय
निरञ्जनाय,
कालकालान्तकाय, भक्तात्मपरिपालकाय,
अमृतेश्वराय । ॐ हां हौं नं मं शिं
वं यं हौं हां । ॐ
श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः जुं
पालय पालय महामृत्युञ्जयाय
षं षं षौं निरृतिद्वारं बन्धय बन्धय
। आत्मानं रक्ष
रक्ष । सर्वग्रहान्बन्धय बन्धय ।
स्तम्भय स्तम्भय ।
महामृत्युजयेश्वराय अरोगदृढ
गात्रदीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
८.
ॐ नमो भगवते महामृत्युजयेश्वराय महारुद्राय
सर्वलोकरक्षाकराय चन्द्रशेखराय
कालकण्ठाय आनन्दभुवनाय
अमृतेश्वराय कालकालान्तकाय
करुणाकराय कल्याणगुणाय
भक्तात्मपरिपालकाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं ।
पालय पालय महामृत्युजयेश्वराय पं पं
पौं
वरुणद्वारं बन्धय बन्धय । आत्मानं
रक्ष रक्ष ।
सर्वग्रहान् स्तम्भय स्तम्भय ।
महामृत्युञ्जयमूर्तये रक्ष रक्ष ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय ।
महामृत्युभयं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय ।
अरोगदृढगात्रदीर्घायुष्यं कुरु करु
।
ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय हुं
फट् स्वाहा ॥
९.
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय गङ्गाधराय
परशुहस्ताय पार्वतीमनोहराय
भक्तपरिपालनाय परमेश्वराय
परमानन्दाय । ॐ हां हौं नं मं शिं
वं यं हौं हां । ॐ श्लीं
पं शुं हुं जुं सः जुं सः जुं पालय
पालय,
महामृत्युञ्जयाय यं यं यौं
वायुद्वारं बन्धय बन्धय,
आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्वग्रहान्
बन्धय बन्धय,
स्तम्भय स्तम्भय,
महामृत्युञ्जयमूर्तये रक्ष रक्ष
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय,
महामृत्युजयेश्वराय
अरोगदृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु
कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
१०. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय चन्द्रशेखराय
उरगमणिभूषिताय शार्दूलचर्माम्बरधराय,
सर्वमृत्युहराय
पापध्वंसनाय आत्मरक्षकाय ॐ हां हौं
नं मं शिं वं यं
हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं
सः जुं सः जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय सं सं सौं
कुबेरद्वारं बन्धय बन्धय ।
आत्मानं रक्षं रक्ष । सर्वग्रहान्
बन्धय बन्धय । स्तम्भय
स्तम्भय । महामृत्युञ्जयमूर्तये
रक्ष रक्ष । सर्वरोगारिष्टं
निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु । ॐ नमो
भगवते महामृत्युजयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
११. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
सर्वात्मरक्षाकराय
करुणामृतसागराय पार्वतीमनोहराय
अघोरवीरभद्राट्टहासाय
कालरक्षाकराय अचञ्चलस्वरूपाय
प्रलयकालाग्निरुद्राय
आत्मानन्दाय सर्वपापहराय
भक्तपरिपालनाय पञ्चाक्षरस्वरूपाय
भक्तवत्सलाय परमानन्दाय । ॐ हां हौं
नं मं शिं वं यं
हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं
सः जुं सः जुं पालय पालय
महामृत्युञ्जयाय । शं शं शौं
ईशानद्वारं बन्धय बन्धय,
स्तम्भय स्तम्भय,
शं शं शौं ईशानमृत्युञ्जय मूर्तये
आत्मानं रक्ष रक्ष,
सर्वग्रहान् बन्धय बन्धय स्तम्भय
स्तम्भय । शं शं शौ ईशानमृत्युञ्जय
मूर्तये रक्ष
रक्ष सर्वरोगारिष्टं निवारय,
निवारय, महामृत्युभयं निवारय
निवारय । महामृत्युञ्जयेश्वराय
अरोगदृढगात्रदीर्घायुष्यं
कुरु करु । ॐ नमो भगवते
महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट्
स्वाहा ॥
१२. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
आकाशतत्वभुवनेश्वराय अमृतोद्भवाय
नन्दिवाहनाय
आकाशगमनप्रियाय गजचर्मधारणाय
कालकालाय भूतात्मकाय
महादेवाय भूतगणसेविताय
(आकाशतत्त्वभुवनेश्वराय)
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं
पालय पालय महामृत्युञ्जयाय टं टं
टौं
आकाशद्वारं बन्धय बन्धय आत्मानं
रक्ष रक्ष
सर्वग्रहान्बन्धय बन्धय । स्तम्भय
स्तम्भय ।
टं टं टौं परमाकाशमूर्तये
महामृत्युञ्जयेश्वराय रक्ष रक्ष ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय,
महामृत्युभयं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
१३. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय महारुद्राय
कालाग्नि
रुद्रभुवनाय महाप्रलयताण्डवेश्वराय
अपमृत्युविनाशनाय
कालकालेश्वराय कालमृत्यु संहारणाय
अनेककोटिभूतप्रेतपिशाच
ब्रह्मराक्षसयक्षराक्षसगणध्वंसनाय
आत्मरक्षाकराय
सर्वात्मपापहराय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं पालय पालय
महामृत्युञ्जयाय क्षं क्षं क्षौं
अन्तरिक्षद्वारं
बन्धय बन्धय आत्मानं रक्ष रक्ष,
सर्वग्रहान् बन्धय, बन्धय,
स्तम्भय स्तम्भय ।
क्षं क्षं क्षौं चिदाकाशमूर्तये
महामृत्युञ्जयेश्वराय रक्ष रक्ष ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय ।
महामृत्युभयं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
१४. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय सदाशिवाय
पार्वतीपरमेश्वराय महादेवाय
सकलतत्वात्मरूपाय
शशाङ्कशेखराय तेजोमयाय सर्वसाक्षिभूताय
पञ्चाक्षराय पश्चभूतेश्वराय
परमानन्दाय परमाय
परापराय परञ्ज्योतिःस्वरूपाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं पालय पालय,
महामृत्युञ्जयाय हं हां हिं हीं हैं
हौं
अष्टमूर्तये महामृत्युञ्जय मूर्तये
आत्मानं रक्ष रक्ष
सर्वग्रहान्बन्धय बन्धय स्तम्भय
स्तम्भय
महामृत्युञ्जयमूर्तये रक्ष रक्ष
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय
सर्वमृत्युभयं निवारय निवारय,
महामृत्युञ्जयेश्वराय
अरोगदृढगात्रदीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
१५. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय लोकेश्वराय
सर्वरक्षाकराय चन्द्रशेखराय
गङ्गाधराय नन्दिवाहनाय
अमृतस्वरूपाय अनेककोटिभूतगणसेविताय
कालभैरव कपालभैरव
कल्पान्तभैरव महाभैरवादि
अष्टत्रिंशत्कोटिभैरवमूर्तये
कपालमालाधर खट्वाङ्गचर्मखड्गधर
परशुपाशाङ्कुशडमरुक
त्रिशूल चाप बाण गदा शक्ति भिण्डि
मुद्गरप्रास परिघा शतघ्नी
चक्रायुधभीषणाकार सहस्रमुख
दंष्ट्राकरालवदन विकटाट्टहास
विस्फाटित ब्रह्माण्डमण्डल
नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रवलय नागेन्द्रहार
नागेन्द्र कङ्कणालङ्कृत महारुद्राय
मृत्युञ्जय त्र्यम्बक
त्रिपुरान्तक विरूपाक्ष विश्वेश्वर
वृषभवाहन विश्वरूप
विश्वतोमुख सर्वतोमुख
महामृत्युञ्जयमूर्तये आत्मानं रक्ष रक्ष,
महामृत्युभयं निवारय निवारय,
रोगभयं उत्सादय उत्सादय,
विषादिसर्पभयं शमय शमय,
चोरान् मारय मारय,
सर्वभूतप्रेतपिशाच ब्रह्मराक्षसादि
सर्वारिष्टग्रहगणान्
उच्चाटय उच्चाटय ।
मम अभयं कुरु कुरु । मां सञ्जीवय
सञ्जीवय ।
मृत्युभयात् मां उद्धारय उद्धारय ।
शिवकवचेन मां रक्ष रक्ष ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं ।
पालय पालय महामृत्युञ्जयमूर्तये
आत्मानं रक्ष रक्ष ।
सर्वग्रहान् निवारय निवारय । महामृत्युभयं
निवारय निवारय ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोगदृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय
हुं फट् स्वाहा ॥
१६. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय अमृतेश्वराय
अखिललोकपालकाय आत्मनाथाय सर्वसङ्कट
निवारणाय पार्वतीपरमेश्वराय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां
।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः
जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय हं हां हौं
जुं सः जुं सः जुं
मृत्युञ्जयमूर्तये आत्मानं रक्ष
रक्ष सर्वग्रहान् निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयमूर्तये सर्वसङ्कटं
निवारय निवारय
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय ।
महामृत्युभयं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयमूर्तये सर्वसङ्कटं
निवारय निवारय
सकलदुष्टग्रहगणोपद्रवं निवारय
निवारय ।
अष्ट महारोगं निवारय निवारय ।
सर्वरोगोपद्रवं निवारय निवारय ।
हैं हां हं जुं सः जुं सः जुं महामृत्युञ्जय
मूर्तये
अरोगदृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु
कुरु । दारापुत्रपौत्र
सबान्धव जनान् रक्ष रक्ष,
धन धान्य कनक भूषण
वस्तु वाहन कृषिं गृह ग्रामरामादीन्
रक्ष रक्ष ।
सर्वत्र क्रियानुकूलजयकरं कुरु कुरु
आयुरभिवृद्धिं कुरु कुरु ।
जुं सः जु सः जुं सः
महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा । ॐ ॥
ॐ मृत्युञ्जयाय विद्महे भीमरुद्राय
धीमहि ।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।
इति महामृत्युञ्जयमालामन्त्रः सम्पूर्णः ।
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