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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र
भगवान् श्री गणेश की पूजन में श्री
गणेश द्वादश नाम स्तोत्र को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। धर्म शास्त्रों के
अनुसार श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य जीवन के सभी विघ्नों
का नाश होता है। भगवान श्री गणेश के १२ नामों का संस्कृत में संकलन श्री गणेश
द्वादश नाम स्तोत्र के प्रतिरूप में जाना
जाता है। भगवान गणेश का “शुक्लाम्बरधरं
विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् के द्वारा गाया हुआ है। इस वंदना में गणेश जी का अपने
कारज में आमंत्रित किया जा रहा और उन्हें प्रसन्न किया जा रहा है।
श्रीगणेशद्वादशनामस्तोत्रम्
श्रीगणेशाय नमः ॥
शुक्लाम्बरधरं विश्णुं शशिवर्णं
चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं
ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तयेः ॥ १॥
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः
सुरासुरैः ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ॥
२॥
गणानामधिपश्चण्डो
गजवक्त्रस्त्रिलोचनः ।
प्रसन्नो भव मे नित्यं
वरदातर्विनायक ॥ ३॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः ।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः
॥ ४॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो
गजाननः ।
द्वादशैतानि नामानि गणेशस्य तु यः
पठेत् ॥ ५॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थि
विपुलं धनम् ।
इष्टकामं तु कामार्थी धर्मार्थी
मोक्षमक्षयम् ॥ ६॥
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे
निर्गमे तथा ।
सङ्ग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न
जायते ॥ ७॥
इति मुद्गलपुराणोक्तं
श्रीगणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र अर्थ सहित
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं
चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये
॥
अर्थ : जिसने सफ़ेद वस्त्र धारण
किये हुए हैं, जो सर्वव्यापी है, जिसके चार हाथ हैं। जिसका चेहरा सदा करुणा से भरा हुआ और तेजमय है,
जो समस्त बाधाओं से रक्षा करते हैं, हम उसका
ध्यान करते हैं।
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः
सुरासुरैः ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः
।।
अर्थ : उन श्री गणेशको नमन है जिनकी
उपासना देवता और असुर दोनों ही अपनी इच्छाओं की पूर्ति और सर्व विघ्नोंके नाश हेतु
करते हैं ।
ॐ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो
विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो
गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः
पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे
निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न
जायते॥
भावार्थ:-
१.सुमुख २.एकदन्त ३.कपिल ४.गजकर्ण
५.लम्बोदर ६.विकट ७.विघ्ननाश ८.विनायक ९.धूम्रकेतु १०.गणाध्यक्ष ११.भालचन्द्र
१२.गजानन;
इन बारह नामों के पाठ करने व सुनने
से छः स्थानों जैसे विद्यारम्भ, विवाह ,
प्रवेश(प्रवेश करना), निर्गम(निकलना) ,
संग्राम और संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है।
श्रीगणेशद्वादशस्तोत्रम् २
श्रीगणपतये नमो नमः ।
अथ श्रीगणेशद्वादशस्तोत्रम् ।
गिरिराजसुतापुत्रं प्रणवाकारदैवतम्
।
स्वररागसुसङ्गीतं गणनाथं भजाम्यहम्
॥ १॥
सर्वारम्भनमस्कारं
सर्वविघ्नप्रणाशनम् ।
सर्वविद्यादिमूलं तं गणनाथं
भजाम्यहम् ॥ २॥
ऋषभारूढसत्सूनुं ऋषिसज्जनवल्लभम् ।
ऋषिश्रेष्ठगुरुस्तोत्रं गणनाथं
भजाम्यहम् ॥ ३॥
गजाननं गरिष्ठं गं
गंमन्त्राक्षरपूजितम् ।
गाङ्गेयपूर्वजं गङ्गं गणनाथं
भजाम्यहम् ॥ ४॥
महागणपतिं पूज्यं
मङ्गल्यवाक्प्रवाहिणम् ।
महद्ब्रह्माण्डकुक्षिं तं गणनाथं
भजाम्यहम् ॥ ५॥
पञ्चाननप्रमोदं तं
पाणिस्थज्ञानमोदकम् ।
पशुपाशविमोक्तारं गणनाथं भजाम्यहम्
॥ ६॥
धनज्ञानप्रदातारं धरकेदारसुस्थलम् ।
धन्यैकदन्तदैवत्यं गणनाथं भजाम्यहम्
॥ ७॥
निष्ठापूजितनित्यं तं
नित्यपूजनसौभगम् ।
नित्योंकारस्वतुण्डं नं गणनाथं
भजाम्यहम् ॥ ८॥
सप्तस्वरशुभानृत्यं
सर्वसिद्धिविनायकम् ।
सर्वमङ्गलधातारं गणनाथं भजाम्यहम् ॥
९॥
त्यागराजगुरुस्वामिसत्कीर्तनसुसेवितम्
।
शिष्यापुष्पास्तुतिस्तोत्ररागभावं
सुमङ्गलम् ॥ १०॥
मङ्गलं गणनाथाय हेरंबाय सुमङ्गलम् ।
मङ्गलं विघ्नवाराय शुभोत्तुङ्गाय
मङ्गलम् ॥ ११॥
गणेशस्फुरितस्तोत्रं विघ्नघ्नं
ज्ञानदं शुभम् ।
गणनाथकृपापूर्णं पठितव्यं दिने दिने
॥ १२॥
इति
सद्गुरुश्रीत्यागराजस्वामिशिष्यया भक्तया पुष्पया
श्रीगणेशस्फुरितस्तोत्रं गुरुस्वामिसन्निधौ समर्पितम् ।
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