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रामायण
रामायण’
= ‘राम’ + ‘अयन’। ‘अयन’ का अर्थ है ‘यात्रा’ इसलिये रामायण का अर्थ है राम की यात्रा। रामचरितमानस
= राम + चरित + मानस, रामचरितमानस का अर्थ है राम के चरित्र
का सरोवर। रामचरितमानस के बालकाण्ड के दोहा क्रमांक ३५ से दोहा क्रमांक ४२ में
तुलसीदास जी ने इस सरोवर के स्वरूप का वर्णन किया है।
भिन्न-भिन्न प्रकार से गिनने पर
रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं। इनमें
से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती
है।रामायण हिन्दू रघुवंश के राजा राम की गाथा है। । यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा
लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य, स्मृति
का वह अंग है। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के छः अध्याय हैं जो
काण्ड के नाम से जाने जाते हैं, इसके २४,००० श्लोक हैं।
रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी
तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी
साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत
रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात
काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड,
सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और
उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे
बड़े और छोटे काण्ड हैं।
रामचरितमानस भारतीय संस्कृति का
वाहक महाकाव्य ही नहीं अपितु विश्वजनीन आचारशास्त्र का बोधक महान् ग्रन्थ भी है।
यह मानव धर्म के सिद्धान्तों के प्रयोगात्मक पक्ष का आदर्श रूप प्रस्तुत करने वाला
ग्रन्थ है। यह विभिन्न पुराण निगमागम सम्मत, लोकशास्त्र काव्यावेक्षणजन्य स्वानुभूति पुष्ट प्रातिभ चाक्षुष विषयीकृत
जागतिक एवं पारमार्थिक तत्त्वों का सम्यक् निरूपण करता है। गोस्वामी जी ने स्वयं
कहा है-
नाना पुराण निगमागम सम्मत
यद्रामायणे निगदितं क्वचिदन्योऽपि
स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ भाषा
निबंधमति मंजुलमातनोति ॥
अर्थात यह ग्रन्थ नाना पुराण,
निगमागम, रामायण तथा कुछ अन्य ग्रन्थों से
लेकर रचा गया है और तुलसी ने अपने अन्तः सुख के लिए रघुनाथ की गाथा कही है।
रामायण
रामचरितमानस
बालकांड पहला विश्राम
रामचरितमानस
बालकांड दूसरा विश्राम
रामचरितमानस
बालकांड तीसरा विश्राम
रामचरितमानस
बालकांड चौथा विश्राम
रामचरितमानस
बालकांड पांचवां विश्राम
रामचरितमानस
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रामचरितमानस
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