एकात्मता स्तोत्र

एकात्मता स्तोत्र

एकात्मता स्तोत्र भारत की राष्ट्रीय एकता का उद्बोधक गीत है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में गाया जाता है। यह संस्कृत में है। इसमें आदिकाल से लेकर अब तक के भारत के महान सपूतों एवं सुपुत्रियों की नामावलि है जिन्होने भारत एवं महान हिन्दू सभ्यता के निर्माण में योगदान दिया। इसके अलावा इसमें आदर्श नारियाँ, धार्मिक पुस्तकें, नदियाँ, पर्वत, पवित्रात्मायें, पौराणिक पुरुष, वैज्ञानिक एवं सामाजिक-धार्मिक पर्वतक आदि सबके नामों का उल्लेख है।

एकात्मता स्तोत्र

एकात्मता स्तोत्र

 ॐ नमः सच्चिदानंदरूपाय परमात्मने

ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमांगल्यमूर्तये॥१॥

, सत्य, चित और आनंद रुप, प्रकाश स्वरुप, विश्व कल्याण के धाम परमात्मा को नमन है।

 प्रकृतिः पंचभूतानि ग्रहलोकस्वरास्तथा

दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वंतु मंगलम्‌॥२॥          

प्रकृति, पञ्च भूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश), ग्रह (मंगल, बुध, शुक्र आदि), संगीत के सातों सुर, दसों दिशाएं और भूत, वर्तमान और भविष्य समस्त कालों में सदैव कल्याणकारी हों।   

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्‌

ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्याम् वन्दे भारतमातरम्‌ ॥३॥       

रत्नों का भंडार, समुद्र जिसके चरण पखारता है, (पर्वतराज) हिमालय जिसका मुकुट है, ब्रह्मर्षि और राजर्षि जिसके प्रतिष्ठित पुत्र हैं, उस भारत माता को नमन ।  

महेंद्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः

ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा ॥४॥   

पवित्र पर्वत श्रेणियों: महेंद्र गिरि, मलय गिरि, सह्याद्रि, देव स्वरुप हिमालय, रैवतक, विन्ध्याचल और अरावली को हम सर्वदा ह्रदय में धारण करें।  

गंगा सरस्वती सिंधु ब्रह्मपुत्राश्च गण्डकी

कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ॥५॥

पवित्र नदियों गंगा, सरस्वती, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गण्डकी, कावेरी, यमुना, रेवा (नर्मदा), कृष्णा, गोदावरी और महानदी को हम सर्वदा ह्रदय में धारण करें।  

 अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका

वैशाली द्वारका ध्येया पुरी तक्शशिला गया ॥६॥    

पवित्र तीर्थ स्थलों: अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवन्तिका, वैशाली, द्वारिका, पुरी, तक्षशिला, गया ।

 प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत्‌

इंद्रप्रस्थं सोमनाथस्तथामृतसरः प्रियम्‌॥७॥ 

प्रयाग, पाटलिपुत्र, विजयनगर, इंद्रप्रस्थ, सोमनाथ और प्रिय अमृतसर को हम सर्वदा ह्रदय में धारण करें ।

 चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा

रामायणं भारतं च गीता षड्दर्शनानि च ॥८॥         

श्रेष्ठ धार्मिक पुस्तकों चार वेद, अठारह पुराण, सभी उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता, छह दर्शन । जैनागमास्त्रिपिटकः गुरुग्रन्थः सतां गिरः

एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा॥९॥

जैन शास्त्र आगम, बौद्ध धर्म के त्रिपिटक और संतों की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब जैसे ज्ञान के भंडार, श्रेष्ठ, वन्दनीय ग्रंथों को हम सर्वदा ह्रदय में धारण करें।  

 अरुन्धत्यनसूय च सावित्री जानकी सती

द्रौपदी कन्नगे गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ॥१०॥

अरुंधती, अनुसूया, सावित्री, जानकी, सती, द्रौपदी, कण्णगी, गार्गी, मीरा, दुर्गावती।

 लक्ष्मी अहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा

निवेदिता सारदा च प्रणम्य मातृ देवताः ॥११॥       

लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई होल्कर, कलेड़ी की चनम्मा और कित्तूर की चनम्मा, रुद्रमाम्बा, निवेदिता और शारदादेवी जैसी मातृ देवियों को प्रणाम है ।    

श्री रामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः

मार्कंडेयो हरिश्चन्द्र प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ॥१२॥     

श्रीराम, भरत, कृष्ण, भीष्म, धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, मार्कंडेय, सत्यवादी हरिश्चंद्र, प्रहलाद, नारद, ध्रुव ।

हनुमान्‌ जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः

दधीचि विश्वकर्माणौ पृथु वाल्मीकि भार्गवः ॥१३॥ 

हनुमान, जनक, व्यास (समस्त वैदिक साहित्य के प्रणेता), वशिष्ठ, शुकदेव, बलि, दधीचि, विश्वकर्मा, राजा पृथु, वाल्मीकि, भृगुवंशी परशुराम ।        

भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा

शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥१४॥

भगीरथ, एकलव्य, मनु, धनवंतरि और रंतिदेव, पुराणों में जिनकी महिमा का गुणगान किया गया है ।  

बुद्ध जिनेन्द्र गोरक्शः पाणिनिश्च पतंजलिः

शंकरो मध्व निंबार्कौ श्री रामानुज वल्लभौ ॥१५॥   

भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, महान योगी गोरखनाथ, पाणिनी (महान वैयाकरण), पातंजलि ( योगसूत्र के लेखक), आदि शंकराचार्य (महान हिंदू दार्शनिक), मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, श्रीरामानुज, वल्लभाचार्य।

 झूलेलालोथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा

नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ॥१६॥         

झूलेलाल (सिंधी हिंदुओं के महान रक्षक), चैतन्य महाप्रभु, तिरुवल्लुवर, नयन्नार, अल्वर, कंबन (तमिल के रामायण कवि), बसवेश्वर ।

देवलो रविदासश्च कबीरो गुरु नानकः

नरसी तुलसीदासो दशमेषो दृढव्रतः ॥१७॥

महर्षि देवल, संत रविदास, कबीर, गुरु नानक, भक्त नरसी मेहता, तुलसीदास, दृढनिश्चयी दशम गुरु गोविन्द सिंह ।

श्रीमच्छङ्करदेवश्च बंधू सायन माधवौ

ज्ञानेश्वरस्तुकाराम रामदासः पुरन्दरः ॥१८॥

 शंकरदेव (असम के वैष्णव संत), भाई सायण और माधवाचार्य , संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, समर्थ गुरु रामदास, पुरंदरदास।  

बिरसा सहजानन्दो रमानन्दस्तथा महान्‌

वितरन्तु सदैवैते दैवीं षड्गुणसंपदम्‌ ॥१९॥

 बिरसा (बिहार), स्वामी सहजानंद और स्वामी रामानंद (मध्ययुगीन काल में सनातन धर्म के रक्षक ) ये महापुरुष हममें दैवी गुणों का प्रसार करें।   

भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकनस्तथा

सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ॥२०॥      

भरत मुनि (जड़भरत), कवि कालिदास, श्री भोजराज, जकन, हिंदी कवि भक्त सूरदास, भक्त त्यागराज, और कविश्रेष्ठ रसखान ।

रविवर्मा भातखंडे भाग्यचन्द्रः स भोपतिः

कलावंतश्च विख्याताः स्मरणीया निरंतरम्‌ ॥२१॥   

(प्रसिद्ध चित्रकार) रवि वर्मा , (महान संगीतकार) भातखंड और (मणिपुर के राजा) भाग्यचन्द्र जैसे कलाकार नित्य स्मरणीय हैं ।  

अगस्त्यः कंबु कौन्डिण्यौ राजेन्द्रश्चोल वंशजः

अशोकः पुश्य मित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्‌ ॥२२॥  

अगस्त्य, कम्बु, कौण्डिन्य, चोल वंश के राजा राजेंद्र, सम्राट अशोक, पुष्यमित्र (शुंग राजवंश के संस्थापक), कलिंग के नीतिज्ञ राजा खारवेल।  

चाणक्य चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः

समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेंद्रो बप्परावलः ॥२३॥          

चाणक्य और चंद्रगुप्त, विक्रमादित्य, शालिवाहन, समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, राजा शैलेंद्र, बप्पा रावल ।         

 लाचिद्भास्कर वर्मा च यशोधर्मा च हूणजित्‌

श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः ॥२४॥        

लिच्छवी राजा भास्करवर्मा , हूणों के विजेता यशोधर्म, श्री कृष्णदेव राय (विजयनगर साम्राज्य के महान राजा), ललितादित्य (एक महान योद्धा) ।  

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिव भूपतिः

रणजितसिंह इत्येते वीरा विख्यात विक्रमाः ॥२५॥  

मुसून अरि नायक (प्रोलय नायक, कप्पा नायक), महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, और महाराजा रणजीत सिंह आदि विख्यात वीर (हममें बल का संचार करें) ।  

वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः शुश्रुतस्तथा

चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिर सुधीः ॥२६॥     

वैज्ञानिकों में - कपिल, कणाद, सुश्रुत (महान सर्जन), चरक, भास्कराचार्य, बुद्धिमान वराहमिहिर ।        

नागार्जुन भरद्वाज आर्यभट्टो वसुर्बुधः

ध्येयो वेंकट रामश्च विज्ञा रामानुजायः ॥२७॥

 नागार्जुन, भारद्वाज, आर्य भट, बुद्धिमान जगदीश चन्द्र बसु, सी वी रमन और रामानुजन ध्यायनीय हैं।

 रामकृष्णो दयानंदो रवींद्रो राममोहनः

रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानंद उद्यशः ॥२८॥         

श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानंद, रवींद्र नाथ टैगोर, राजा राम मोहन राय, स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविंद के बारे में लाया जाता है स्वामी विवेकानंद जैसे कर्मयोगी। 

दादाभाई गोपबंधुः टिळको गांधी रादृताः

रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रमण्य भारती ॥२९॥       

दादाभाई नैरोजी, गोपबंधु दास, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी जैसे समाज सुधारक, महर्षि रमण, महामना मदन मोहन मालवीय, तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती ।           

 सुभाषः प्रणवानंदः क्रांतिवीरो विनायकः

ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ॥३०॥

 नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, स्वामी प्रणवानंद, महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर, ठक्कर बप्पा, भीमराव अम्बेडकर, महात्मा ज्योति राव फुले, नारायण गुरु जैसे क्रांति का श्रीगणेश करने वाले ।

 संघशक्ति प्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा

स्मरणीय सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥३१॥

और संघ शक्ति का सूत्रपात करने वाले डॉ. हेडगेवार और उनके उत्तराधिकारी श्री गुरुजी गोलवलकर नवीन चेतना का संचार करने वाले एवं नित्य स्मरणीय हैं।        

अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरण संसक्तहृदयाः

अविज्ञाता वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरि पवः

समाजोद्धर्तारः सुहितकर विज्ञान निपुणाः

नमस्तेभ्यो भूयात्सकल सुजनेभ्यः प्रतिदिनम्‌ ॥ ३२॥

भारत माता के चरणों से प्रेम करने वाले, युद्ध में मातृभूमि के लिए शत्रुओं के स्वप्नों को ध्वस्त करने वाले अनजान वीर, महान समाज सुधारकों और पर्यवेक्षण के माध्यम से समाज कल्याण करने वाले कुशल वैज्ञानिक एवं समस्त सज्जनों को नमस्कार है ।

 इदमेकात्मता स्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्‌

स राष्ट्रधर्म निष्ठावानखंडं भारतं स्मरेत्‌ ॥३३॥         

जो इस एकात्मता स्त्रोत का नित्य श्रद्धा के साथ पाठ करता है वह राष्ट्रधर्म में निष्ठावान होकर अखंड भारत का स्मरण करता है ।   

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