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एकादशी व्रत

एकादशी व्रत

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत सभी हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए श्रेयस्कर बताया गया है। वैष्णवों के लिए तो एकादशी का व्रत करना अनिवार्य है। शास्त्रों में एकादशी व्रत महान पुण्यदायी व समस्त पापों को नाश करने वाला बताया गया है। एकादशी श्रीहरि विष्णु को समर्पित व्रत है। प्रत्येक महीने की एकादशी तिथि को व्रत रख कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। नारदपुराण के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए।

एकादशी व्रत

एकादशी व्रत विधि


1. एकादशी के दिन क्रोध न करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।

2. एकादशी का व्रत-उपवास करने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

3. रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

4. एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें।

5. यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें।

6. फिर प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि 'आज मैं चोर, पाखंडी़ और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा।'

7. तत्पश्चात 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णुके सहस्रनाम पाठ करें।

8. भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।

9. यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्री‍हरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।

10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।

11. इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए।

12. अधिक नहीं बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।

13. इस दिन यथा‍शक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है।

14. वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।

15. एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

16. केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।

17. प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।

18. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा देना चाहिए।

 

एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए तथा रात को पूजा स्थल के समीप सोना चाहिए। अगले दिन उठाकर (एकादशी) प्रात: स्नान के बाद व्यक्ति को पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

एकादशी निराहारः स्थित्वाद्यधाहं परेङहन।

भोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष शरणं में भवाच्युत।।

पूरे दिन व्रत रखकर भगवान श्री का पुजन कर व्रत कथा पढ़ या सुनने के बाद रात को भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से आराधना करनी चाहिए। इसके बाद द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु को भोग लगाकर पंडित को भोजन करने को बाद स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए।

प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत आते हैं और हर मास की एकादशी का एक विशेष नाम होता है। इस प्रकार वर्ष में २४ एकादशी व्रत होता है जो की मलमास या अधिमास होने पर इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। 

एकादशी(व्रत) का नाम निम्न हैं:

एकादशी का नाम

मास

पक्ष

उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष

कृष्ण

मोक्षदा एकादशी

मार्गशीर्ष

शुक्ल

सफला एकादशी

पौष

कृष्ण

पुत्रदा एकादशी

पौष

शुक्ल

षटतिला एकादशी

माघ

कृष्ण

जया एकादशी

माघ

शुक्ल

विजया एकादशी

फाल्गुन

कृष्ण

आमलकी एकादशी

फाल्गुन

शुक्ल

पापमोचिनी एकादशी

चैत्र

कृष्ण

कामदा एकादशी

चैत्र

शुक्ल

वरूथिनी एकादशी

वैशाख

कृष्ण

मोहिनी एकादशी

वैशाख

शुक्ल

अपरा एकादशी

ज्येष्ठ

कृष्ण

निर्जला एकादशी

ज्येष्ठ

शुक्ल

योगिनी एकादशी

आषाढ़

कृष्ण

देवशयनी एकादशी

आषाढ़

शुक्ल

कामिका एकादशी

श्रावण

कृष्ण

पुत्रदा एकादशी

श्रावण

शुक्ल

अजा एकादशी

भाद्रपद

कृष्ण

परिवर्तिनी एकादशी

भाद्रपद

शुक्ल

इंदिरा एकादशी

आश्विन

कृष्ण

पापांकुशा एकादशी

आश्विन

शुक्ल

रमा एकादशी

कार्तिक

कृष्ण

देव प्रबोधिनी एकादशी

कार्तिक

शुक्ल

पद्मिनी एकादशी

मलमास या अधिमास

शुक्ल

परमा एकादशी

मलमास या अधिमास

कृष्ण

एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ ही कथा भी सुनी जाती है। इस व्रत से सभी पाप नष्ट होते है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी के सभी व्रतकथा आने वाले अंक पढ़े ।

शेष जारी....... उत्पन्ना एकादशी व्रतकथा

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