recent

Slide show

[people][slideshow]

Ad Code

Responsive Advertisement

JSON Variables

Total Pageviews

Blog Archive

Search This Blog

Fashion

3/Fashion/grid-small

Text Widget

Bonjour & Welcome

Tags

Contact Form






Contact Form

Name

Email *

Message *

Followers

Ticker

6/recent/ticker-posts

Slider

5/random/slider

Labels Cloud

Translate

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's.

Pages

कर्मकाण्ड

Popular Posts

मोहिनी एकादशी व्रत

मोहिनी एकादशी व्रत

इससे पूर्व आपने एकादशी व्रत कथा में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में वरूथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ा। अब पढेंगे की- वैशाख मास में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत कहते हैं।

मोहिनी एकादशी व्रत

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि, "हे कृष्ण!वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी कथा क्या है? इस व्रत की क्या विधि है, यह सब विस्तारपूर्वक बताइए।"   श्रीकृष्ण कहने लगे कि ,  "हे धर्मराज! मैं आपसे एक कथा कहता हूँ, जिसे गुरू वसिष्ठ ने श्री रामचंद्रजी से कही थी। एक समय श्रीराम बोले कि ,  "हे गुरुदेव! कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे समस्त पाप और दु:ख का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दु:ख भोगे हैं।

महर्षि वशिष्ठ बोले-  "हे राम! आपने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। आपकी बुद्धि अत्यंत शुद्ध तथा पवित्र है।  वैशाख मास में जो एकादशी आती है उसका नाम मोहिनी एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य सब पापों तथा दु:खों से छूटकर मोहजाल से भी मुक्त हो जाता है।मोह किसी भी चीज का हो, मनुष्य को कमजोर ही करता है. इसलिए मोह से छुटकारा पाने की कामना रखने वाले इंसान के लिए बहुत उत्तम है मोहिनी एकादशी का व्रत "

इस तिथि और व्रत के विषय में एक कथा कही जाती है। सरस्वती नदी के रमणीय तट भद्रावती नाम की सुंदर नगरी है। वहां धृतिमान नामक राजा, जो चन्द्रवंश में उत्पन और सत्यप्रतिज्ञ थे, राज्य करते थे। उसी नगर में एक वैश्य रहता था जो धनधान्य से परिपूर्ण समृद्धिशाली था, उसका नाम था धनपाल वह सदा पुन्यकर्म में ही लगा रहता था दूसरों के लिए पौसला (प्याऊ), कुआँ, मठ, बगीचा, पोखरा और घर बनवाया करता था। भगवान विष्णु की भक्ति में उसका हार्दिक अनुराग था। उसके पाँच पुत्र थे। सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्ट्बुद्धि। धृष्ट्बुद्धि पांचवा था। वह सदा बड़े-बड़े पापों में संलग्न रहता था। जुये आदि दुर्व्यसनों में उसकी बड़ी आसक्ति थी। वह वेश्याओं से मिलने के लिये लालायित रहता और अन्याय के मार्ग पर चलकर पिता का धन बरबाद किया करता। एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह दर दर भटकने लगा। इसी प्रकार भटकते हुए भूख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौँन्डिन्य के आश्रम जा पहुँचा। शोक के भार से पीड़ित वह मुनिवर कौँन्डिन्य के पास गया और हाथ जोड़ कर बोला : 'ब्रह्मन ! द्विजश्रेष्ट ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।' कौँन्डिन्य बोले : वैशाख के शुक्ल पक्ष में 'मोहिनी' नाम से प्रसिद्द एकादशी का व्रत करो। 'मोहिनी' को उपवास करने पर प्राणियों के अनेक जन्मों के किए हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।' मुनि का यह वचन सुनकर धृष्ट्बुद्धि का चित्त प्रसन्न हो गया। उसने कौँन्डिन्य के उपदेश से विधिपूर्वक 'मोहिनी एकादशी' का व्रत किया। इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर आरूढ़ हो सब प्रकार के उपद्रवों से रहित श्रीविष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह 'मोहिनी' का व्रत बहुत उत्तम है। इसके पढने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा की महिमा

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह तिथी सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है। इस दिन जो व्रत रहता है उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता हैं। यह तिथी सब पापों को हरनेवाली है। इस दिन जो व्रत रखते है वह मनुष्य मोहजाल तथा पातकों से छुटकारा पा जाते हैं।

शेष जारी....आगे पढ़े- अपरा एकादशी व्रत कथा

No comments:

vehicles

[cars][stack]

business

[business][grids]

health

[health][btop]