recent

Slide show

[people][slideshow]

Ad Code

Responsive Advertisement

JSON Variables

Total Pageviews

Blog Archive

Search This Blog

Fashion

3/Fashion/grid-small

Text Widget

Bonjour & Welcome

Tags

Contact Form






Contact Form

Name

Email *

Message *

Followers

Ticker

6/recent/ticker-posts

Slider

5/random/slider

Labels Cloud

Translate

Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's.

Pages

कर्मकाण्ड

Popular Posts

तुलसी स्तोत्र

तुलसी स्तोत्र

पुण्डरीककृत इस तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से सभी पापों का नाश होता है और स्थिर लक्ष्मी, ज्ञान तथा अविचल भक्ति प्राप्ति होती है ।

तुलसी स्तोत्र

तुलसीस्तोत्र

Tulasi stotra

तुलसी स्तोत्रम्

तुलसीस्तोत्रम्

श्रीपुण्डरीककृत तुलसी स्तोत्रम्

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।

यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥

हे जगज्जननि ! हे विष्णु की प्रियवल्लभे ! आपको नमस्कार है। आपसे ही शक्ति प्राप्तकर ब्रह्मा आदि देवता विश्व का सृजन, पालन तथा संहार करने में समर्थ होते हैं ।

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।

नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥

हे कल्याणमयी तुलसि ! आपको नमस्कार है। हे सौभाग्यशालिनी विष्णुप्रिये ! आपको नमस्कार है। हे मोक्षदायिनी देवि ! आपको नमस्कार है। हे सम्पत्ति देने वाली देवि ! आपको नमस्कार है ।

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।

कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥

भगवती तुलसी समस्त आपदाओं से नित्य मेरी रक्षा करें। इनका संकीर्तन अथवा स्मरण करने पर ये देवी तुलसी मनुष्य को पवित्र कर देती हैं ।

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।

यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥ ४।।

प्रकाशमान विग्रह वाली भगवती तुलसी को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ, जिनका दर्शन करके पातकी मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं ।

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।

या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥

तुलसी के द्वारा यह सम्पूर्ण चराचर जगत् रक्षित है। पापी मनुष्यों के द्वारा इनका दर्शनमात्र कर लेने से ये भगवती उनके पापों का नाश कर देती हैं ।

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ ।

कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥

हे तुलसि ! आपको नमस्कार है, जिन्हें श्रद्धापूर्वक हाथ जोड़कर नमस्कार करने मात्र से कलियुग में सभी स्त्रियाँ, वैश्य तथा अन्य लोग समस्त सुख प्राप्त कर लेते हैं ।

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।

यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥७॥

इस पृथ्वीतल पर तुलसी से बढ़कर अन्य कोई देवता नहीं है, जिनके द्वारा यह जगत् उसी भाँति पवित्र कर दिया गया है जैसे भगवान् विष्णु के प्रति अनुरागभाव से कोई वैष्णव पवित्र हो जाता है ।

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।

आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥८॥

इस कलियुग में भगवान् विष्णु के सिर पर अर्पित किया गया तुलसीदल मनुष्य के श्रेष्ठ मस्तक पर सभी प्रकार के कल्याण-साधन प्रतिष्ठित कर देता है ।

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।

अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥९॥

समस्त देवगण तुलसी में निवास करते हैं, अतः लोक में मनुष्य को सभी देवताओं की पूजा करने के साथ ही तुलसी की भी आराधना करनी चाहिये ।

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे

पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥१०॥

हे सब कुछ जानने वाली तुलसि ! आपको नमस्कार है। हे विष्णुप्रिये ! हे सर्वसम्पत्ति दायिनि ! सभी पापों से मेरी रक्षा कीजिये ।

तुलसीस्तोत्रम् महात्म्य

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता । 

विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥११॥

पूर्वकाल में श्रेष्ठ तुलसीदलों से भगवान् विष्णु की नित्य उपासना करते हुए बुद्धिमान् पुण्डरीक इस स्तोत्र का गान किया करते थे ।

इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

॥ इस प्रकार श्रीपुण्डरीककृत तुलसीस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

No comments:

vehicles

[cars][stack]

business

[business][grids]

health

[health][btop]