Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2022
(523)
-
▼
September
(38)
- मुण्डमालातन्त्र पटल १२ भाग २
- मुण्डमालातन्त्र पटल १२
- दुर्गा तंत्र
- दुर्गा कवच
- गीत गोविन्द
- विष्णोरष्टाविंशतिनाम स्तोत्र
- मंगलम्
- सिद्ध सरस्वती स्तोत्र
- सरस्वती पूजन विधि
- मेधासूक्त
- मुण्डमालातन्त्र पटल ११
- सरस्वतीरहस्योपनिषद
- मुण्डमालातन्त्र पटल १०
- दशगात्र श्राद्ध
- दुर्गा शतनाम स्तोत्र
- श्रीरामचन्द्राष्टक
- श्रीराम स्तुति
- श्रीरामप्रेमाष्टक
- सपिण्डन श्राद्ध
- तुलसी उपनिषद्
- मुण्डमालातन्त्र पटल ९
- रामाष्टक
- रुद्रयामल तंत्र पटल १६
- श्रीराममङ्गलाशासन
- श्रीसीतारामाष्टक
- इन्द्रकृत श्रीराम स्तोत्र
- जटायुकृत श्रीराम स्तोत्र
- श्रीरामस्तुती ब्रह्मदेवकृत
- देव्या आरात्रिकम्
- रुद्रयामल तंत्र पटल १५
- मुण्डमालातन्त्र पटल ८
- पशुपति अष्टक
- श्रीमद्भागवत पूजन विधि
- शालिग्राम पूजन विधि
- श्रीलक्ष्मीनृसिंहस्तोत्र
- शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र
- वेदसार शिव स्तोत्र
- मुण्डमालातन्त्र पटल ७
-
▼
September
(38)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवता
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
मूल शांति पूजन विधि
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
श्रीराममङ्गलशासन
जामातामुनि कृत इस श्रीराममङ्गलाशासन
का जो साधक नित्य पाठ करता है उनके जीवन में सब मंगल-ही मंगल होता है।
श्रीराममङ्गलाशासनम्
मङ्गलं कौशलेन्द्राय महनीयगुणाब्धये
।
चक्रवर्तितनूजाय सार्वभौमाय मङ्गलम्
॥ १॥
प्रशंसनीय गुणों के सागर कौशलेन्द्र
श्रीरामचन्द्रजी का मङ्गल हो, चक्रवर्ती
राजा दशरथ के पुत्र मण्डलेश्वर श्रीरामचन्द्रजी का मङ्गल हो ॥१॥
वेदवेदान्तवेद्याय मेघश्यामलमूर्तये
।
पुंसां मोहनरूपाय पुण्यश्लोकाय
मङ्गलम् ॥ २॥
जो वेद-वेदान्तों के ज्ञेय हैं,
मेघ के समान श्याममूर्तिवाले हैं और पुरुषों में जिनका स्वरूप
अत्यन्त मनोहर है, उन पुण्यश्लोक (पवित्र यशवाले) श्रीरामचन्द्रजी
का मङ्गल हो॥२॥
विश्वामित्रान्तरङ्गाय
मिथिलानगरीपतेः ।
भाग्यानां परिपाकाय भव्यरूपाय
मङ्गलम् ॥ ३॥
जो विश्वामित्र ऋषि के प्रिय और
राजा जनक के भाग्यों के फलस्वरूप हैं, उन
भव्यरूपवाले श्रीरामचन्द्रजी का मङ्गल हो ॥३।।
पितृभक्ताय सततं भ्रातृभिः सह सीतया
।
नन्दिताखिललोकाय रामभद्राय मङ्गलम्
॥ ४॥
जो सदा पिता की भक्ति करनेवाले हैं,
जो अपने भ्राताओं और सीताजी के साथ सुशोभित होते हैं और
जिन्होंने समस्त लोक को आनन्दित किया है, उन श्रीरामभद्र
का मङ्गल हो॥ ४ ॥
त्यक्तसाकेतवासाय चित्रकूटविहारिणे
।
सेव्याय सर्वयमिनां धीरोदयाय
मङ्गलम् ॥ ५॥
जिन्होंने अयोध्या-निवास को छोड़कर
चित्रकूट पर विहार किया और जो सब यतियों के सेव्य हैं,
उन धीरोदय श्रीरामभद्र का मङ्गल हो ॥ ५॥
सौमित्रिणा च जानक्या
चापबाणासिधारिणे ।
संसेव्याय सदा भक्त्या स्वामिने मम
मङ्गलम् ॥ ६॥
लक्ष्मण तथा जानकीजी सदा
भक्तिपूर्वक जिनकी सेवा करते हैं, जो धनुष-बाण और
तलवार को धारण किये हुए हैं, उन मेरे स्वामी श्रीरामभद्र
का मङ्गल हो ॥६॥
दण्डकारण्यवासाय खरदूषणशत्रवे ।
गृध्रराजाय भक्ताय मुक्तिदायास्तु
मङ्गलम् ॥ ७॥
जिन्होंने दण्डकवन में निवास किया
है,
जो खर-दूषण के शत्रु हैं और अपने भक्त गृध्रराज को मुक्ति देनेवाले
हैं, उन श्रीरामभद्र का मङ्गल हो॥७॥
सादरं शबरीदत्तफलमूलाभिलाषिणे ।
सौलभ्यपरिपूर्णाय सत्त्वोद्रिक्ताय
मङ्गलम् ॥ ८॥
जो आदरसहित शबरी के भी दिये
हुए फल-मूल के अभिलाषी हुए, जो सुलभता से पूर्ण
(अर्थात् थोड़े ही परिश्रम से प्राप्य) हैं और जिनमें सत्त्वगुण का आधिक्य है,
उन श्रीरामभद्र का मङ्गल हो ॥ ८॥
हनुमत्समवेताय हरीशाभीष्टदायिने ।
वालिप्रमथानायास्तु महाधीराय
मङ्गलम् ॥ ९॥
जो हनुमानजी से युक्त हैं,
हरीश (सुग्रीव) के अभीष्ट को देनेवाले हैं और बालि को
मारनेवाले हैं, उन महाधीर श्रीरामभद्र का मङ्गल हो
॥९॥
श्रीमते रघुवीराय
सेतूल्लङ्घितसिन्धवे ।
जितराक्षसराजाय रणधीराय मङ्गलम् ॥
१०॥
जो सेतु बाँधकर समुद्र को लाँघ गये और
जिन्होंने राक्षसराज रावण पर विजय पायी, उन
रणधीर श्रीमान् रघुवीर का मङ्गल हो ॥१०॥
विभीषणकृते प्रीत्या
लङ्काभीष्टप्रदायिने ।
सर्वलोकशरण्याय श्रीराघवाय मङ्गलम्
॥ ११॥
जिन्होंने प्रसन्नता से विभीषण को
उनका अभीष्ट लङ्का का राज्य दे दिया और जो सब लोकों को शरण में रखनेवाले हैं,
उन श्रीराघव रामभद्र का मङ्गल हो ॥ ११॥
आसाद्य नगरीं दिव्यामभिषिक्ताय
सीतया ।
राजाधिराजराजाय रामभद्राय मङ्गलम् ॥
१२॥
वन से दिव्य नगरी अयोध्या में
आने पर जिनका सीताजी के सहित राज्याभिषेक हुआ,
उन महाराजाओं के राजा श्रीरामभद्र का मङ्गल हो ॥१२ ।।
ब्रह्मादिदेवसेव्याय ब्रह्मण्याय
महात्मने ।
जानकीप्राणनाथाय रघुनाथाय मङ्गलम् ॥
१३॥
जो ब्रह्मा आदि देवताओं के
सेव्य हैं, ब्रह्मण्य (ब्राह्मणों और वेदों
की रक्षा करनेवाले) हैं, श्रीजानकीजी के प्राणनाथ हैं, उन रघुकुल के नाथ
श्रीरामभद्र का मङ्गल हो ॥ १३ ॥
श्रीसौम्यजामातृमुनेः
कृपयास्मानुपेयुषे ।
महते मम नाथाय रघुनाथाय मङ्गलम् ॥
१४॥
जो श्रीसम्पन्न सुन्दर आकारवाले
जामाता मुनि की कृपा से हमलोगों को प्राप्त हुए हैं, उन मेरे महान् प्रभु रघुनाथजी का मङ्गल हो ॥ १४ ॥
मङ्गलाशासनपरैर्मदाचार्यपुरोगमैः ।
सर्वैश्च पूर्वैराचार्यः
सत्कृतायास्तु मङ्गलम् ॥ १५॥
मेरे आचार्य जिनमें मुख्य हैं,
उन अर्वाचीन आचार्यों तथा सम्पूर्ण प्राचीन आचार्यो ने मङ्गलाशासन में
परायण होकर जिनका सत्कार किया है, उन श्रीरामभद्र का
मङ्गल हो॥ १५॥
रम्यजामातृमुनिना मङ्गलाशासनं कृतम्
।
त्रैलोक्याधिपतिः श्रीमान् करोतु
मङ्गलं सदा ॥ १६॥
जामातामुनि ने इस सुन्दर मङ्गलाशासन
का निर्माण किया है। इससे प्रसन्न होकर तीनों लोकों के पति श्रीमान् रामभद्र
सदा ही मङ्गल करें॥ १६ ॥
॥ इति श्रीवरवरमुनिस्वामिकृतश्रीराममङ्गलाशासनं सम्पूर्णम् ॥
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (37)
- Worship Method (32)
- अष्टक (55)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (27)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (33)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवता (2)
- देवी (192)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (79)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (43)
- वेद-पुराण (692)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (56)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (23)
- श्रीराधा (3)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (111)
- स्तोत्र संग्रह (714)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: