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- दुर्गा कवच
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- सरस्वती पूजन विधि
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- सरस्वतीरहस्योपनिषद
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- दशगात्र श्राद्ध
- दुर्गा शतनाम स्तोत्र
- श्रीरामचन्द्राष्टक
- श्रीराम स्तुति
- श्रीरामप्रेमाष्टक
- सपिण्डन श्राद्ध
- तुलसी उपनिषद्
- मुण्डमालातन्त्र पटल ९
- रामाष्टक
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- श्रीराममङ्गलाशासन
- श्रीसीतारामाष्टक
- इन्द्रकृत श्रीराम स्तोत्र
- जटायुकृत श्रीराम स्तोत्र
- श्रीरामस्तुती ब्रह्मदेवकृत
- देव्या आरात्रिकम्
- रुद्रयामल तंत्र पटल १५
- मुण्डमालातन्त्र पटल ८
- पशुपति अष्टक
- श्रीमद्भागवत पूजन विधि
- शालिग्राम पूजन विधि
- श्रीलक्ष्मीनृसिंहस्तोत्र
- शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र
- वेदसार शिव स्तोत्र
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मूल शांति पूजन विधि
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
सरस्वती पूजन विधि
सरस्वती पूजन विधि- सरस्वती माता की
पूजा करने वाले को सबसे पहले शुद्धासन पर बैठकर मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा
तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जलानी चाहिए। इसके बाद पूजन
आरंभ करनी चाहिए।
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
सबसे पहले डी०पी०कर्मकाण्ड भाग-१
अनुसार बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से " ॐ अपवित्रः०॥"मन्त्र
से अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर छिड़कना
चाहिये।
फिर आचमन करें –
ॐ केशवाय नमः ,
ॐ नारायणाय नमः , ॐ माधवाय नमः ,
हाथ धोएं ॐ गोविन्दाय नमः ।
पुन: आसन शुद्धि के लिए आसन पर जल
छोड़े -
ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं
विष्णुनाधृता ।
त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु
चासनम् ॥
शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना
चाहिए। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें-
'चन्दनस्य
महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम् ।
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु
सर्वदा ॥'
संकल्प
बिना संकल्प के की गयी पूजा सफल
नहीं होती है इसलिए संकल्प करें। हाथ में तिल, फूल,
अक्षत,द्रब्य, मिठाई और फल लेकर-
'हरि ॐ तत्सत् अद्येह
श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञाय प्रवर्तमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्वितीय
परार्धे विष्णुपदे श्री श्वेतवराह कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अमुक देशे अमुक
क्षेत्रे शालिवाहनीयशाके के वर्तमाने अमुक नाम संवत्सरे उत्तरायणे, अमुक ऋतौ अमुक मासे, अमुक पक्षे अमुक तिथौ अमुक
नक्षत्रे अमुक वासरे सर्व ग्रहेषु यथा राशि स्थान स्थितेषु सत्सु येवं गुणविशेषेण
विशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ मम आत्मन श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्यर्थं विशेषतया
विद्याध्याने सफलता प्राप्त्यर्थं अथवा सर्व मनोकामना सिद्धयर्थ अमुक गोत्रस्य
परिवारान्वितस्य मम ज्ञाताज्ञातपापक्षयपूर्वक अस्मदादीनां सबालवनितानां
विद्यान्रागिणां सर्वेषां बालकानां बालिकानां च श्रीवागीश्वरी
सरस्वती-सुप्रसादसिद्धिद्वारा सर्वविधविद्या -प्राप्त्यर्थं ज्ञानविवृद्धयर्थं
श्रीसरस्वती देवीप्रीत्यर्थं यथा शक्त्या यथा मिलितोपचार द्रव्यैः पुराणोक्त
मन्त्रैः ध्यानावाहनादि षोडशोपचारैः सरस्वती देवी उद्दिश्य, सरस्वती
देवीं प्रीत्यर्थं इयं पूजनं एवं (यदि
हवन भी कर रहे हों तो) हवन करिष्ये (करिष्यामहे ) ।'
इस मंत्र को बोलते हुए हाथ में रखी
हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने अथवा नीचे रख दें।
इसके बाद डी०पी०कर्मकाण्ड भाग-२
अथवा गणपति अथर्वशिर्षम् अनुसार गौरी- गणपति जी की पूजन करें।
इसी प्रकार से अष्टदलकमल बनाकर कलश
का और पुनः नवग्रह की पूजा करें।
इसके बाद यदि संभव हो तो अधिदेवता तथा प्रत्यधिदेवता, पञ्चलोकपाल, दश दिक्पाल, षोडशमातृका, सप्तघृतमातृका, चौसठ योगनी तथा सर्वतोभद्र मंडल अथवा केवल सर्वतोभद्र मंडल का पूजन करें।
अब सरस्वती पूजन प्रारंभ करें ।
सरस्वती पूजा पद्धति
पीठ पूजन
सबसे पहले पीठदेवताओं का अक्षत
पुष्प से पूजन करें।
मण्डूकादि पीठदेवताओं का अक्षत
पुष्प छिड़कते हुए पूजन करें-
ॐ मं मंण्डुकाय नमः । ॐ
कालाग्निरुद्राय नमः । ॐ मूलप्रकृत्यै नमः ।
ॐ आधारशक्तये नमः । ॐ कूर्माय नमः ।
ॐ अनन्ताय नमः ।
ॐ वराहाय नमः । ॐ पृथिव्यै नमः। ॐ
सुधासमुद्राय नमः।
ॐ रत्नद्वीपाय नमः । ॐ सुवर्णद्वीपाय
नमः । ॐ नन्दनोद्यानाय नमः ।
ॐ मणिमण्डपाय नमः । ॐ सुवर्णमण्डपाय
नमः। ॐ सुवर्णवेदिकायै नमः ।
ॐ रत्नसिंहासनाय नमः । ॐ धर्माय नमः
। ॐ ज्ञानाय नमः ।
ॐ वैराग्याय नमः । ॐ ऐश्वर्याय नमः
।
अब पूर्वादिदिशाओं में नवपीठशक्ती पीठदेवताओं
का अक्षत पुष्प छिड़कते हुए पूजन करें-
ॐ अधर्माय नमः । ॐ अज्ञानाय नमः । ॐ
अवैराग्याय नमः ।
ॐ अनैश्वर्याय नमः । ॐ अनन्ताय नमः।
ॐ पद्माय नमः ।
ॐ अँ अर्कमण्डलाय नमः । ॐ उँ
सोममण्डलाय नमः ।
ॐ मঁ वह्निमण्डालाय
नमः। ॐ सं सत्त्वाय नमः । ॐ रजसे नमः।
ॐ तं तमसे नमः । ॐ आं आत्मने नमः ।
ॐ अं अन्तरात्मने नमः।
ॐ पं परमात्मने नमः। ॐ ह्रीं
ज्ञानात्मने नमः । ॐ मायातत्त्वाय नमः ।
ॐ कालतत्त्वाय नमः । ॐ विद्यातत्त्वाय
नमः । ॐ परतत्त्वाय नमः।
पुनः पूर्वादिक्रम से नवपीठशक्ती का
अक्षत पुष्प छिड़कते हुए पूजन करें-
ॐ मेधायै नमः । ॐ प्रज्ञायै नमः । ॐ
प्रभायै नमः ।
ॐ विद्यायै नमः । ॐ ज्ञानायै नमः ।
ॐ धृत्यै नमः ।
ॐ स्मृत्यै नमः । ॐ बुद्ध्यै नमः ।
मध्य में - ॐ विद्येश्वर्यै नमः
।
सरस्वती पूजन विधि
अब सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान
करें-
रत्नकान्तिनिभां देवी
ज्योत्स्नाजालविकाशिनीम् ।
मुक्ताहारयुतां शुभ्रां
शशिखण्डविभूषिताम् ॥१॥
बिभ्रतीं दशहस्तैश्च व्याख्यां
वर्णस्य मालिकाम् ॥
अमृतेन तथा पूर्ण घटं च
दिव्यपुस्तकम् ॥ २॥
दधतीं वामहस्तेन पीनस्तनभरान्विताम्
॥
मध्ये क्षीणां तथा स्वच्छां
नानारत्नविभूषिताम् ॥ ३ ॥
प्राणप्रतिष्ठा
इसके बाद सरस्वती देवी की प्रतिमा
को प्राण-प्रतिष्ठित करें।
यजमान हाथ में अक्षत,पुष्प लेकर
मूर्ति पर छिड़कते हुए अथवा मूर्ति पर हाथ रखकर निम्न मन्त्र से प्राणप्रतिष्ठा १६
आवृत्ति करें -
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं षं षं
सं हं सः सोऽहं अस्या सरस्वती प्रतिमायाः प्राणा इह प्राणाः ।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं षं षं
सं हं सः सोऽहं अस्या सरस्वती प्रतिमायाः जीव इह स्थितः ।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं षं षं
सं हं सः सोऽहं अस्या सरस्वती प्रतिमायाः सर्वेन्द्रियाणि वाङ्मन्स्त्वक्चक्षुः
श्रोत्राजिह्वाघ्राणपाणिपादपायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा ।
पुनः यजमान हाथ में पुष्प को लेकर
निम्न मंत्र द्वारा मूर्ति प्रतिष्ठापित करे-
ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य
बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ ঌसमिमं दधातु ।
विश्वे देवास इह मादयन्तामो३
प्रतिष्ठ ॥
एष वै प्रतिष्ठानाम यज्ञो यत्रौतेन
यज्ञेन यजन्ते सर्व मे प्रतिष्ठितम्भवति ।।
इस प्रकार फूल समर्पित करें ।
अब सोने या चांदी का शलाका लेकर
अथवा आमपत्ता से नेत्रों में शहद लगाते हुए निम्न मंत्र से माता सरस्वती के नेत्र
जागरण करें :
ॐ तत्त चक्षुर्देहवहितम्
छुक्र-मुच्चरतः हुं फट् ।।
इसके बाद यदि किसी मंदिर में
प्रतिमा का अचल प्रतिष्ठा कर रहे हों तो ध्रुव सूक्त का पाठ करें ।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें-
“ॐ भूर्भुवः स्वः
महासरस्वती, इहागच्छ इह तिष्ठ ।
इस मंत्र को बोलकर अक्षर छोड़ें।
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
अथ सरस्वती पूजा
आवाहन :
सर्वलोकस्य जननीं सर्वविद्यां
प्रदायिनीम् ।
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
महासरस्वतीमावाहयामि,
इदं आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि
।। (आह्वान के लिए पुष्प अर्पित करें।)
आसन :
तप्तकांचनवर्णाभं
मुक्तामणिविराजितम् ।
अमलं कमलं दिव्यमासनं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं आसनं समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें।)
पाद्य :
गंगादितीर्थसम्भूतं
गन्धपुष्पादिभिर्युतम् ।
पाद्यं ददाम्यहं देवि गृहाणाशु
नमोऽस्तु ते ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।
(पाद्य अर्पित करें।)
अर्घ्य :
अष्टगन्धसमायुक्तं
स्वर्णपात्रप्रपूरितम् ।
अर्घ्यं गृहाणमद्यतं महादेवि
नमोऽस्तु ते ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं हस्तयोरर्घ्य समर्पयामि ।
(चन्दन मिश्रित जल अर्घ्यपात्र से
देवी के हाथों में दें।)
आचमन :
सर्वलोकस्य या विद्या
ब्रह्मविष्ण्वादिभिः स्तुता ।
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं आचमनीयं जलं समर्पयामि । (जल चढ़ाएँ।)
स्नान :
मन्दाकिन्याः
समानीतैर्हेमाम्भोरुहवासितैः ।
स्नानं कुरुष्व देवेशि सलिलैश्च
सुगन्धिभिः ॥
इदं स्नानीय
जलं समर्पयामि ।(स्नानीय जल अर्पित करें।)
स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(ॐ महासरस्वत्यै नमः' बोलकर आचमन हेतु जल दें।)
दुग्ध स्नान :
कामधेनुसमुत्पन्नां सर्वेषां जीवनं
परम् ।
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः
स्नानार्थमर्पितम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं पयः स्नानं समर्पयामि ।
पयः स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि । (कच्चे दूध से स्नान कराएँ,
पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ ।)
दधिस्नान :
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं
शशिप्रभम् ।
दध्यानीतं मया देवि स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं
जिष्णोरश्वस्य वाजिनः
सुरभि नो मुखा करत्प्र ण आयू ঌ षि तारिषत् ।
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं दधिस्नानं समर्पयामि ।
दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि । (दधि से स्नान कराएँ,
फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ ।)
घृतस्नान :
नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम् ।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ घृतं घृतपावनः पिबत वसां वसापावनः
पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा ।
दिशः प्रदिश आदिशो विदिश उद्दिशो
दिग्भ्यः स्वाहा ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं घृतस्नानं समर्पयामि ।
घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि । (घृत स्नान कराकर शुद्ध जल से
स्नान कराएँ ।)
मधुस्नान :
तरुपुष्पसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं
मधु ।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति
सिन्धवः ।
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः ॥
मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिवঌ रजः ।
मधु द्यौरस्तु नः पिता ॥
मधुमान्ना वनस्पतिर्मधुमाँ ঌ अस्तु सूर्यः ।
माध्वीर्गावो भवंतु नः ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं मधुस्नानं समर्पयामि ।
मधुस्नानन्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
(शहद स्नान कराकर शुद्ध जल से
स्नान कराएँ ।)
शर्करास्नान :
इक्षुसारसमुद्भूता शर्करा
पुष्टिकारिका ।
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ अपा ঌ रसमुद्वयस ঌ सूर्ये सन्त ঌ समाहित्म ।
अपा ঌ रसस्य यो रसस्तं
वो
गृह्याम्युत्तममुपयामगृहीतोसीन्द्राय
त्वा जुष्टं
गुढाम्येष ते योनिरिन्द्राय त्वा
जुष्टतमम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः, इदं शर्करास्नानं
समर्पयामि,
शर्करा स्नानान्ते पुनः शुद्धोदक
स्नानं समर्पयामि । (शर्करा स्नान कराकर जल से
स्नान कराएँ ।)
पञ्चामृत स्नान : (दूध,
दही, घी, शकर एवं शहद
मिलाकर पंचामृत बनाएँ व निम्न मंत्र से स्नान कराएँ
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करयान्वितम्
।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ पंच नद्यः सरस्वतीमपि यन्ति
सस्त्रोतसः ।
सरवस्ती तु पञ्चधा सो देशेऽभवत्
सरित् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं पंचामृतस्नानं समर्पयामि,
पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं
समर्पयामि ।
(पंचामृत स्नान व जल से स्नान
कराएँ ।)
गन्धोदक स्नान :
मलयाचलसम्भूतं चन्दनागरुसम्भवम् ।
चन्दनं देवदेवेशि स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं गन्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(चंदनयुक्त जल से स्नान कराएँ ।)
अब श्री सूक्त, देवी अथर्वशीर्ष अथवा पुरुष सूक्त आदि से पुष्पार्चन अथवा जल अभिषेक करें।
शुद्धोदक स्नान :
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं
शुभम् ।।
तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराएँ ।)
आचमन:
पश्चात 'ॐ महासरस्वत्यै नमः' से
आचमन कराएँ ।
वस्त्र:
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं
त्वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ॥
ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना
सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्
कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं वस्त्रं समर्पयामि,
आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(वस्त्र अर्पित करें, आचमनीय जल दें।)
उपवस्त्र:
कंचुकीमुपवस्त्रं च नानारत्नैः
समन्वितम् ।
गृहाण त्वं मया दत्तं मंगले जगदीर्श्वरि
॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं उपवस्त्रं समर्पयामि,
आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(उपवस्त्र चढ़ाएँ, आचमन के लिए जल
दें।)
यज्ञोपवीत :
ॐ तस्मादअकूवा अजायंत ये के
चोभयादतः ।
गावोह यज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता
अजावयः ॥
ॐ यज्ञोपवीतं परमं वस्त्रं
प्रजापतयेः त्सहजं पुरस्तात ॥
आयुष्यम अग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं
यज्ञोपवीतं बलमस्तुतेजः ।
ॐ महासरस्वत्यै नमः । इदं यज्ञोपवीतं
समर्पयामि ।
आभूषण :
रत्नकंकणवैदूर्यमुक्ताहारादिकानि च
।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि
स्वीकुरुष्व भोः ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं नानाविधानि कुंडलकटकादीनि
आभूषणानि समर्पयामि । (आभूषण समर्पित
करें।)
गन्ध :
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं
सुमनोहरम् ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठे चन्दनं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं गन्धं समर्पयामि ।
(केसर मिश्रित चन्दन अर्पित करें।)
रक्त चन्दन :
रक्तचन्दनसम्मिश्रं
पारिजातसमुद्भवम् ।
मया दत्तं महादेवि चन्दनं
प्रतिगृह्यताम ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं रक्तचन्दनं समर्पयामि ।
(रक्त चंदन चढ़ाएँ।)
सिन्दूर :
सिन्दूरं रक्तवर्णं च
सिन्दूरतिलकप्रिये ।
भक्तया दत्तं मया देवि सिन्दूरं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ सिन्धोरिव प्राध्वने शूघनासो वात
प्रमियः पतयन्ति यह्वाः ।
घृतस्य धारा अरुषो न वाजी काष्ठा
भिन्दन्नूर्मिभिः पिन्वमानः ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं सिन्दूरं समर्पयामि ।
(सिन्दूर चढ़ाएँ ।)
कुंकुम :
कुंकुम कामदं दिव्यं कुंकुम
कामरूपिणम् ।
अखण्डकामसौभाग्यं कुंकुमं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं कुंकुमं समर्पयामि ।
(कुंकुम अर्पित करें ।)
पुष्पसार (इत्र) :
तैलानि च सुगन्धीनि द्रव्याणि
विविधानि च ।
मया दत्तानि लेपार्थं गृहाण
परमेश्वरि ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं पुष्पसारं च समर्पयामि ।
(इत्र चढ़ाएँ ।)
अक्षत :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठे कुंकुमाक्ताः
सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण
परमेश्वरि ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं अक्षतान् समर्पयामि ।
(कुंकुमाक्त अक्षत चढ़ाएँ ।)
पुष्पमाला :
माल्यादीनि सुगन्धीनि माल्यादीनि वै
प्रभो ।
मयानीतानि पुष्पाणि पूजार्थं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि ।
(श्वेत या लाल कमल के पुष्प तथा
पुष्पमालाओं से अलंकृत करें ।)
दूर्वा :
विष्ण्वादिसर्वदेवानां प्रियां
सर्वसुशोभनाम् ।
क्षीरसागरसम्भूते दूर्वां स्वीकुरू
सर्वदा ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं दूर्वांकुरान् समर्पयामि ।
(दूर्वांकुर अर्पित करें।)
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
अङ्ग पूजनम् :
हाथों में अक्षत,पुष्प,अष्टगंध लेकर
माता सरस्वति के समस्त अंग पूजन का पूजन करें-
ॐ ऐं भारत्यै नमः, शिरःपूजयामि ।
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः नेत्रे पूजयामि।
ॐ सरस्वत्यै नमः, मुखं पूजयामि ।
ॐ शारदायै नमः, ग्रीवा पूजयामि ।
ॐ हंसवाहिन्यै नमः, स्कन्धौ पूजयामि
।
ॐ जगतिख्यातायै नमः, हस्तौ पूजयामि
।
ॐ वाणीश्वर्यै नमः, हृदयं पूजयामि ।
ॐ कौमार्यै नमः, उदरं पूजयामि ।
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः, कटि पूजयामि।
ॐ बुद्धिदात्र्यै नमः, जानुद्वय
पूजयामि ।
ॐ वरदायिन्यै नमः, गुल्फौ पूजयामि।
ॐ क्षुद्रघण्टायै नमः, पाद्मं
पूजयामि ।
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
सर्वाङ्ग पूजयामि ।
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
आवरणपूजा
अब षट्कोण में प्रथम आवरणपूजा
करें –
अग्निकोण में - ॐ आँ हृदयाय नमः
।
निर्ऋतिकोण में - ॐ आँ शिरसे स्वाहा ।
वायव्यकोण में - ॐ आँ शिखायै वषट् ।
ईशान में - ॐ आँ कवचाय हुम् ।
प्रतिमा और यजमान के मध्य में - ॐ
आँ नेत्रत्रायाय वौषट् ।
देवी के पश्चिमे में - ॐ आँ
अस्त्राय फट् ।
अब पुष्प लेकर-
ॐ अभीष्ठसिद्धिं मे देहि
शरणागतवत्सले ॥
भक्त्या समर्पये तुभ्यं
प्रथमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए -
विद्याधिष्ठातृदेवताः साङ्गाः
सपरिवाराः सम्पूजितास्तर्पिताः सन्तु । इति
प्रथमावरणम्। ...
अब अष्टदल में प्रतिमा और यजमान के
मध्य पूर्वादिक्रम से द्वितीय आवरण में शक्ति पूजन करें –
ॐ भोगायै नमः,
ॐ सत्यायै नमः । ॐ विमलायै नमः ।
ॐ ज्ञानायै नमः । ॐ बुद्धयै नमः । ॐ
स्मृत्यै नमः ।
ॐ मेधायै नमः । ॐ प्रज्ञायै नमः ।
अब पुष्प लेकर -
ॐ अभीष्ठसिद्धिं मे देहि
शरणागतवत्सले ॥
भक्त्या समर्पये तुभ्यं
द्वितीयावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए -
विद्याधिष्ठातृदेवताः साङ्गाः
सपरिवाराः सम्पूजितास्तर्पिताः सन्तु । इति
द्वितीयावरणार्चनम् ।
पुनः अष्टदल में प्रतिमा और यजमान
के मध्य पूर्वादिक्रम वामावर्त से तृतीय आवरण में मातृकाओं का पूजन करें–
ॐ ब्राह्मयै नमः। ॐ महेश्वर्यै नमः
। ॐ कौमार्यै नमः ।
ॐ वैष्णव्यै नमः । ॐ वाराह्यै नमः।
ॐ इन्द्राण्यै नमः।
ॐ चामुण्डायै नमः। ॐ महालक्ष्म्यै
नमः ।
अब पुष्प लेकर-
ॐ अभीष्ठसिद्धिं मे देहि
शरणागतवत्सले ॥
भक्त्या समर्पये तुभ्यं
तृतीयावरणार्चनम् ॥ .
पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए -
विद्याधिष्ठातृदेवताः साङ्गा:
सपरिवाराः सम्पूजितास्तर्पिताः सन्तु । इति
तृतीयावरणार्चनम् ।
अब भूपुर में पूर्वादिक्रम से चतुर्थ
आवरण में दशदिक्पालों का पूजन करें–
ॐ लं इन्द्राय नमः । ॐ रं अग्नये
नमः। ॐ मं यमाय नमः।
ॐ क्षं निर्ऋतये नमः। ॐ वं वरुणाय
नमः। ॐ यं वायवे नमः।
ॐ कं कुबेराय नमः। ॐ हं ईशानाय नमः।
'ईशान पूर्व के मध्य
ॐ आं ब्रह्मणे नमः।
निर्ऋत्य पश्चिम के मध्य
ॐ ह्रीं अनन्ताय नमः।
अब पुष्प लेकर-
ॐ अभीष्टसिद्धिं मे देहि
शरणागतवत्सले ॥
भक्त्या समर्पये तुभ्यं
चतुर्थावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए -
विद्याधिष्ठातृदेवताः साङ्गाः
सपरिवाराः. सम्पूजितास्तर्पिताः सन्तु । इति
चतुर्थावरणार्चनम् ।
इसके बाद भूपुर में इन्द्रादि के समीप
पञ्चम आवरण में वज्रादि आयुधाओं का पूजन करें–
ॐ वं वज्राय नमः । ॐ शं शक्तये नमः
। ॐ दं दण्डाय नमः।
ॐ खं खङ्गाय नमः । ॐ पां पाशाय नमः।
ॐ अं अङ्कुशाय नमः ।
ॐ गं गदायै नमः। ॐ त्रिं त्रिशूलाय
नमः।
ॐ पं पद्माय नमः । ॐ चं चक्राय नमः
।
अब पुष्प लेकर-
ॐ अभीष्टसिद्धिं मे देहि
शरणागतवत्सले ॥
भक्त्या समर्पये तुभ्यं
पञ्चमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए -
विद्याधिष्ठातृदेवताः साङ्गाः
सपरिवाराः सम्पूजितास्तर्पिताः सन्तु । इति
पञ्चमावरणार्चनम्।
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
आवरणपूजा के पश्चात्
धूप :
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यः
सुमनोहरः ।
आप्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
इदं धूपमाघ्रापयामि ।
(धूप आघ्रापित करें।
दीप:
कार्पास वर्तिसंयुक्त घृतयुक्त
मनोहरम् ।
तमो नाशकरं दीपं गृहाण परमेश्वरि ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं दीपं दर्शयामि ।
(दीपक दिखाकर हाथ धो लें।)
नैवेद्य : (मालपुए सहित
पंचमिष्ठान्न व सूखे मेवे ।।
नैवेद्यं गृह्यतां देवि भक्ष्यभोज्य
समन्वितम् ।
षड्रसैन्वितं दिव्यं लक्ष्मी देवि
नमोऽस्तु ते ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं नैवेद्यं निवेदयामि ।।
आचमनी में जल छोड़ते हुए निम्न
मंत्र बोलें :
१. ॐ प्राणाय स्वाहा २. ॐ अपानाय
स्वाहा . ३ ॐ समानाय स्वाहा
४. ॐ उदानाय स्वाहा ५. ॐ व्यानाय
स्वाहा ।
मध्ये पानीयम्,
उत्तरापोशनार्थं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं
समर्पयामि ।।
नैवेद्य निवेदित कर पुनः हस्तप्रक्षालन
के लिए जल अर्पित करें।)
"इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं
सरस्वतयै समर्पयामि" मंत्र से नैवैद्य
अर्पित करें।
मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: "इदं
शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि" बालें।
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन
करायें।
करोद्वर्तन :
ॐ महासरस्वत्यै नमः '
यह कहकर करोद्वर्तन के लिए हाथों में चन्दन उपलेपित करें।
आचमन :
शीतलं निर्मलं तोयं कर्पूरण
सुवासितम् ।
आचम्यतां जलं ह्येतत् प्रसीद
परमेश्वरि ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(आचमन के लिए जल दें।)
ऋतुफल : (केला,सेब,सीताफल,
गन्ना, सिंघाड़े व अन्य फल नारियल आदि ।)
फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं
सचराचरम् ।
तस्मात् फलप्रदादेन पूर्णाः सन्तु
मनोरथाः ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं अखण्डऋतुफलं समर्पयामि,
आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(ऋतुफल अर्पित करें तथा आचमन के लिए जल दें।)
ताम्बूल :
पूगीफलं महादिव्यं
नागवल्लीदलैर्युतम् ।
एलादिचूर्णसंयुक्त ताम्बूलं
प्रतिगृह्यताम् ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि ।
(लवंग,
इलायची एवं ताम्बूल अर्पित करें।)
दक्षिणा :
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं
विभावसोः ।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ
मे ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः,
इदं दक्षिणां समर्पयामि ।
(दक्षिणा चढ़ाएँ।)
लेखनी पुस्तक पूजन :
लेखनी (कलम) पर नाड़ा(मौली) बाँधकर
सामने की ओर रखें । निम्न मंत्र बोलकर पूजन करें :
लेखनी निर्मिता पूर्वं ब्रह्मणा
परमेष्ठिना ।
लोकानां च हितार्थाय तस्मात्तां
पूजयाम्यहम् ॥
ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नमः
गंध,
पुष्प, पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करें :
शास्त्राणां व्यवहाराणां
विद्यानामाप्नुयाद्यतः ।
अतस्त्वां पूजयिष्यामि मम हस्ते
स्थिरा भव ॥
या कुन्देन्दुतुषारहार धवला या
शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या
श्वेतपद्यासना ॥
या
ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्यापहा ॥
ध्यान बोलकर प्रणाम करें।
ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्री
सरस्वत्यै नमः'
आरती : निम्न लिखित मन्त्र पढ़ते
हुए आरती करें :
चक्षुर्दै सर्वलोकानां तिमिरस्य
निवारणम् ।
आर्तिक्यं कल्पितं भक्तया गृहाण
परमेश्वरि ॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या
शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या
श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः
सदा पूजिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्यापहा ॥
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
हवन प्रारंभ
पूजन के पश्चात् भूमि को स्वच्छ
करके एक हवन कुण्ड बनाएं। आम की अग्नि प्रज्वलित करें। हवन में सर्वप्रथम गौरी-गणपति,
नवग्रह, सर्व आवाहित देवों का तत्पश्चात् सर्वतोभद्र मंडल देवताओं के मन्त्र में
क्रम से स्वाहा लगाकर हवन करें, तत्पश्चात्
सरस्वती माता के मंत्र 'ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा' से १०८ बार हवन करें।
अथवा
ॐ गौरी-गणपत्ये नमः स्वाहा ।
ॐ नवग्रहमंडलदेवताभ्यो नमः स्वाहा ।
ॐ सर्व आवाहित देवताभ्यो नमः स्वाहा
।
ॐ सर्वतोभद्रमंडलदेवताभ्यो
नमः स्वाहा ।
तत्पश्चात् माता सरस्वती के निम्न मंत्रों
से हवन करें-
ॐ सरस्वत्यै नमः स्वाहा । ॐ महाभद्रायै नमः स्वाहा । ॐ महामायायै नमः
स्वाहा ।
ॐ वरप्रदायै नमः स्वाहा । ॐ श्रीप्रदायै नमः स्वाहा । ॐ पद्मनिलयायै नमः
स्वाहा ।
ॐ पद्माक्ष्यै नमः स्वाहा । ॐ
पद्मवक्त्रायै नमः स्वाहा । ॐ शिवानुजायै नमः स्वाहा ।
ॐ पुस्तकभृते नमः स्वाहा । ॐ
ज्ञानमुद्रायै नमः स्वाहा । ॐ रमायै नमः स्वाहा ।
ॐ परायै नमः स्वाहा । ॐ कामरूपायै नमः स्वाहा । ॐ महाविद्यायै नमः स्वाहा
।
ॐ महापातक नाशिन्यै नमः स्वाहा । ॐ
महाश्रयायै नमः स्वाहा । ॐ मालिन्यै नमः स्वाहा ।
ॐ महाभोगायै नमः स्वाहा । ॐ
महाभुजायै नमः स्वाहा । ॐ महाभागायै नमः स्वाहा ।
ॐ महोत्साहायै नमः स्वाहा । ॐ दिव्याङ्गायै नमः स्वाहा । ॐ सुरवन्दितायै नमः
स्वाहा ।
ॐ महाकाल्यै नमः स्वाहा । ॐ
महापाशायै नमः स्वाहा । ॐ महाकारायै नमः स्वाहा ।
ॐ महाङ्कुशायै नमः स्वाहा । ॐ
पीतायै नमः स्वाहा । ॐ विमलायै नमः स्वाहा ।
ॐ विश्वायै नमः स्वाहा । ॐ
विद्युन्मालायै नमः स्वाहा । ॐ वैष्णव्यै नमः स्वाहा ।
ॐ चन्द्रिकायै नमः स्वाहा । ॐ
चन्द्रवदनायै नमः स्वाहा । ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः स्वाहा ।
ॐ सावित्र्यै नमः स्वाहा । ॐ
सुरसायै नमः स्वाहा । ॐ देव्यै नमः स्वाहा ।
ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः स्वाहा ।
ॐ वाग्देव्यै नमः स्वाहा । ॐ वसुधायै नमः
स्वाहा ।
ॐ तीव्रायै नमः स्वाहा । ॐ
महाभद्रायै नमः स्वाहा । ॐ महाबलायै नमः स्वाहा ।
ॐ भोगदायै नमः स्वाहा । ॐ भारत्यै नमः स्वाहा । ॐ भामायै नमः स्वाहा ।
ॐ गोविन्दायै नमः स्वाहा । ॐ
गोमत्यै नमः स्वाहा । ॐ शिवायै नमः स्वाहा ।
ॐ जटिलायै नमः स्वाहा । ॐ
विन्ध्यावासायै नमः स्वाहा । ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः स्वाहा ।
ॐ चण्डिकायै नमः स्वाहा । ॐ
वैष्णव्यै नमः स्वाहा । ॐ ब्राह्मयै नमः स्वाहा ।
ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः स्वाहा
। ॐ सौदामिन्यै नमः स्वाहा । ॐ सुधामूर्त्यै नमः स्वाहा ।
ॐ सुभद्रायै नमः स्वाहा । ॐ
सुरपूजितायै नमः स्वाहा । ॐ सुवासिन्यै नमः स्वाहा ।
ॐ सुनासायै नमः स्वाहा । ॐ
विनिद्रायै नमः स्वाहा । ॐ पद्मलोचनायै नमः स्वाहा ।
ॐ विद्यारूपायै नमः स्वाहा । ॐ
विशालाक्ष्यै नमः स्वाहा । ॐ ब्रह्मजायायै नमः स्वाहा ।
ॐ महाफलायै नमः स्वाहा । ॐ
त्रयीमूर्त्यै नमः स्वाहा । ॐ त्रिकालज्ञायै नमः स्वाहा ।
ॐ त्रिगुणायै नमः स्वाहा । ॐ
शास्त्ररूपिण्यै नमः स्वाहा । ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः स्वाहा ।
ॐ शुभदायै नमः स्वाहा । ॐ
स्वरात्मिकायै नमः स्वाहा । ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः स्वाहा ।
ॐ चामुण्डायै नमः स्वाहा । ॐ
अम्बिकायै नमः स्वाहा । ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः स्वाहा ।
ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः स्वाहा । ॐ
सर्वदेवस्तुतायै नमः स्वाहा । ॐ सौम्यायै नमः स्वाहा ।
ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः स्वाहा । ॐ
कालरात्र्यै नमः स्वाहा । ॐ कलाधारायै नमः स्वाहा ।
ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः स्वाहा । ॐ
वाग्देव्यै नमः स्वाहा । ॐ वरारोहायै नमः स्वाहा ।
ॐ वाराह्यै नमः स्वाहा । ॐ
वारिजासनायै नमः स्वाहा । ॐ चित्राम्बरायै नमः स्वाहा ।
ॐ चित्रगन्धायै नमः स्वाहा । ॐ
चित्रमाल्यविभूषितायै नमः स्वाहा । ॐ कान्तायै नमः स्वाहा ।
ॐ कामप्रदायै नमः स्वाहा । ॐ
वन्द्यायै नमः स्वाहा । ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः स्वाहा ।
ॐ श्वेताननायै नमः स्वाहा । ॐ
नीलभुजायै नमः स्वाहा । ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः स्वाहा ।
ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः स्वाहा
। ॐ रक्तमध्यायै नमः स्वाहा । ॐ निरञ्जनायै नमः स्वाहा ।
ॐ हंसासनायै नमः स्वाहा । ॐ
नीलजङ्घायै नमः स्वाहा । ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः स्वाहा ।
हवन के पश्चात् बलिदान करें और उसके
उपरांत पूर्णाहुति का संकल्प कर शेष बचे हवनीय सामग्री,नारियल गिरी व घृत लेकर
पूर्णाहुति करें हवन का भभूत माथे पर लगाएं।
सरस्वती पूजन सम्पूर्ण विधि
आरती
हवन के पश्चात् सरस्वती माता की
मुख्य आरती संपन्न करें-
माँ सरस्वती की आरती
आरती जय सरस्वती माता की
ॐ जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
चंद्रवदनि पद्मासिनी,
ध्रुति मंगलकारी ।
सोहें शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥ जय…..
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर में माला ।
शीश मुकुट मणी सोहें,
गल मोतियन माला ॥ जय…..
देवी शरण जो आएं,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥ जय…..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह,
अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..
धूप,
दीप, फल, मेवा मां
स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥ जय…..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन
गावें ।
हितकारी,
सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥ जय…..
ॐ जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥ जय…..
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
नीराजनं समर्पयामि ।
(जल छोड़ें व हाथ धोएँ।)
प्रदक्षिणा :
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि
च ।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे
पदे ॥(प्रदक्षिणा करें।)
मंत्र -पुष्पांजलि : ( अपने हाथों
में पुष्प लेकर निम्न मंत्रों को बोलें) : -
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि
धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे
साध्याः सन्ति देवाः ॥
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो
वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मे कामान् कामकामाय मह्यं
कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भौज्यं
स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं
महाराज्यमपित्यमयं समन्तपर्यायी
स्यात् सार्वभौमः सार्वायुषान्तादापरार्धात् ।
पृथिव्यै समुद्रपर्यन्ताया एकराडिति
तदप्येष श्लोकोऽभिगीतो मरुतः
परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन् गृहे ।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः
सभासद इति ।
ॐ विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो
विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात् ।
सं बाहुभ्यां धमति सं
पतवैद्यावाभूमी जनयन् देव एकः ॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या
शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या
श्वेतपद्मासना ।
ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः
सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्यापहा ॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ,
मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि॥(पुष्पांजलि
अर्पित करें।)
क्षमा प्रार्थना
साष्टांग प्रणाम करें,
अब हाथ जोड़कर निम्न क्षमा प्रार्थना बोलें : -
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्
॥ अथवा विसर्जनम् कहें
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व
परमेश्वरि ॥
मन्त्रहीन क्रियाहीनं भक्तिहीनं
सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु
मे ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम देवदेव ।
पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा
पापसम्भवः ।
त्राहि माम् परमेशानि सर्वपापहरा भव
॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं
मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व
परमेश्वरि ॥
पूजन समर्पण : हाथ में जल लेकर
निम्न मंत्र बोलें : -
यस्य स्मृत्या च नाम्नोक्त्या तपः
पूजा क्रियादिशु ।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो
वन्दे तं अच्युतम् ।
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ।
'ॐ अनेन यथाशक्ति
अर्चनेन श्री महासरस्वती प्रसीदतुः ॥' (जल छोड़ दें, प्रणाम करें)
विसर्जन : अब हाथ में अक्षत लें
प्रतिष्ठित देवताओं को अक्षत छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जन कर्म करें :
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय
मामकीम् ।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्भपि
पुनरागमनाय च ॥
प्रसाद ग्रहणं सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये य॑म्बिके गौरी नारायणी
नमोस्तुते ।
ॐ सरस्वत्यै नमः । सरस्वती देवी
प्रसादं शिरसा गृणामि ।
तीर्थ ग्रहणं अकाल मृत्यु हरणं सर्व
व्याधी विनाशनम् ।
सर्व दद्रितोप शमनं देवी पादोदकं
शुभं ।
ॐ सरस्वत्यै नमः। सरस्वती देवी
तीर्थं शिरसा गृह्णामि ।
विद्यारम्भ : नए छात्रो के लिए ये
निम्न लिखित श्लोक उच्चारण करके विद्यारम्भ करे
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि
।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु
मे सदा ॥
नमो भगवति ! हे सरस्वति ! वन्दे तव
पदयुगलम् ॥
विद्या बुद्धिं वितनु भारति चित्तं
कारय मम विमलम् ॥
वीणावादिनि शुभमतिदायिनि
पुस्तकहस्ते देवनुते ।
वर्णज्ञानं सकलनिदानं सन्निहितं
कुरु मम चित्ते ॥ नमो ॥
हंसवाहिनि ब्रह्मवादिनि करुणापूर्णा
भव वरदे ।
नि नाटयविलासिनि लास्यं कुरु मम
रसनाग्रे ॥ नमो ॥
॥ इति सरस्वती पूजनं विधि: सम्पूर्ण॥
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