भवनभास्कर अध्याय २०

भवनभास्कर अध्याय २०                   

भवनभास्कर के इस अध्याय २० में गृहप्रवेश का वर्णन किया गया है।

भवनभास्कर अध्याय २०

भवनभास्कर बीसवाँ अध्याय

भवनभास्कर

बीसवाँ अध्याय

गृहप्रवेश

( १ ) अकपाटमनाच्छन्नमदत्तबलिभोजनम् ।

गृहं न प्रविशेदेवं विपदामाकरं हि तत् ॥( नारदपुराण, पूर्व० ५६। ६१९)

' बिना दरवाजा लगा, बिना छतवाला, बिना देवताओं को बलि ( नैवेद्य ) तथा ब्राह्मण - भोजन कराये हुए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिये; क्योंकि ऐसा घर विपत्तियों का घर होता है ।'

( २ ) गृहप्रवेश माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठमास में करना चाहिये । कार्तिक और मार्गशीर्ष में गृहप्रवेश मध्यम है । चैत्र, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और पौष में गृहप्रवेश करने से हानि तथा शत्रुभय होता है ।

माघमास में गृहप्रवेश करने से धन का लाभ होता है ।

फाल्गुनमास में गृहप्रवेश करने से पुत्र और धन की प्राप्ति होती है ।

वैशाखमास में गृहप्रवेश करने से धन – धान्य की वृद्धि होती है ।

ज्येष्ठमास में गृहप्रवेश करने से पशु और पुत्र का लाभ होता है ।

( ३ ) जिस घर का द्वार पूर्व की ओर मुखवाला हो, उस घर में पञ्चमी, दशमी और पूर्णिमा में प्रवेश करना चाहिये ।

जिस घर का द्वार दक्षिण की ओर मुखवाला हो, उस घर में प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथियों में प्रवेश करना चाहिये ।

जिस घर का द्वार पश्चिम की ओर मुखवाला हो, उस घर में द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी तिथियों में प्रवेश करना चाहिये।

जिस घर का द्वार उत्तर की ओर मुखवाला हो, उस घर में तृतीया, अष्टमी और त्रयोदशी तिथियों में प्रवेश करना चाहिये।

चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या - इन तिथियों में गृहप्रवेश करना शुभ नहीं है ।

( ४ ) रविवार और मंगलवार के दिन गृहप्रवेश नहीं करना चाहिये । शनिवार में गृहप्रवेश करने से चोर का भय रहता है।

भवनभास्कर अध्याय २० सम्पूर्ण                            

आगे जारी.......................भवनभास्कर अध्याय २१   

About कर्मकाण्ड

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.

0 $type={blogger} :

Post a Comment