क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२     

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२ में वशीकरण, वशीकरणमन्त्र तथा राजवशीकरण का वर्णन किया गया है। 

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२

क्रियोड्डीश महातन्त्रराजः द्वादश:  पटल:

Kriyoddish mahatantraraj Patal 12

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२       

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज द्वादश पटल

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज बारहवाँ पटल

क्रियोड्डीशमहातन्त्रराजः

अथ द्वादश: पटल:

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल १२  – वशीकरणम्

पलार्द्धस्वर्णेन रजतेन वा साध्यस्य प्रतिमां कृत्वा सार्थहस्तं गर्तं कृत्वा हरितालहरिद्राचूर्णकं पलार्द्ध तत्र निःक्षिप्य रक्तासने तत्रोपविश्य चतुर्दिश पताकां निवेश्य तिलपूर्णघटमधः कृत्वा संस्थाप्य प्राणप्रतिष्ठां कृत्वा पूर्वास्य प्रवालमालया दशसाहस्त्रजपेन प्रयोगार्हो भवेत् ।

वशीकरण - सर्वप्रथम आधे पल की सोने या चाँदी की साध्य की प्रतिमा बनाकर भूमि में एक हाथ गहरा गड्ढा खोदकर उसमें चूर्ण की हुई हरिताल तथा हल्दी का चूर्ण बनाये। साधक लाल रंग के आसन के ऊपर आसीन होकर चारो दिशाओं में पताका (ध्वजा) लगाकर तिल से पूर्ण घट की प्राणप्रतिष्ठा कर उसे स्थापित करे। मूंगा की माला से पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करने पर वह प्रतिमा प्रयोग के योग्य हो जाती है।

मन्त्रः

प्रणवं पूर्वमुच्चार्य मायाबीजं द्वितीयकम् ।

कात्वं त्वल्लाकिनीयुक्तं वामकर्णेन्दुभूषितम् ।। १ ।।

ततो मत्रपदं ब्रूयाच्चामुण्डे तदनन्तरम् ।

साध्यनाम ततो न्यस्य वशमानय तत्परम् ।।२।।

वह्निजायावधिर्मन्त्रं जयेद्दशसहस्त्रकम् ।

अथान्यत्- चामुण्डे मोहय मोहय अमुकं वशमानय स्वाहा। प्रातः स्नात्वा हविष्याशी जितेन्द्रियः शुचिर्भूत्वा प्रातः कालमारभ्य मध्यन्दिनावधिजपसमाप्तेर्दशांशादिक्रमेण होमादींश्च कारयेत् ।

जातीपुष्पैर्होमेन वशयेन्नात्र संशयः ।।३।।

कामतुल्यश्च नारीणां रिपूणां शमनोपमः ।

यावज्जीवनपर्यन्तं स्मरणं च प्रजायते ।।४।।

सर्वप्रथम प्रणव का उच्चारण करे तथा द्वितीय बार मायाबीज (ह्रीं) का उच्चारण करे। तीसरी बार कात्वं त्वल्लाकिनी तथा इन्दुभूषित वामकर्ण एवं तत्त पद का उच्चारण करे। तदुपरान्त चामुण्डे, इसके उपरान्त साध्य नाम, तत्पश्चात् वशमानय स्वाहा का उच्चारण करे। इस प्रकार इस मन्त्र का दश हजार जप करे। अथवा चामुण्डे मोहय मोहय अमुकं वशमानय स्वाहा मन्त्र का प्रातः स्नान कर, हविष्यान्न ग्रहण कर जितेन्द्रिय एवं पवित्र होकर प्रातः काल से प्रारम्भ कर मध्याह्न तक जप करके दशांश हवन करे। जातिपुष्प से होम करने पर साध्य अवश्य ही वश में हो जाता है, इसमें संशय नहीं है। इससे साधक स्त्रियों के लिये कामदेवसदृश तथा शत्रुओं के लिये यम-सदृश जीवनपर्यन्त प्रतीत होगा ।। १- ४॥

अन्यच्च

श्वेतापराजितामूलं पेषयेद्रोचनायुतम् ।

शतेन मन्त्रितं कृत्वा तिलकं कारयेत्ततः ।। ५ ।।

वशयेन्नात्र सन्देहः ।

श्वेत अपराजिता की जड़ को गोरोचन के साथ पीस कर उपरोक्त मन्त्र से उसे सौ बार अभिमन्त्रित कर तिलक करने पर अवश्य ही वशीकरण होता है। इसमें सन्देह नहीं है ॥ ५॥

राजवशीकरणम्

रक्तपुष्पेण चामुण्डापूजा ध्यानम्-

दंष्ट्राकोटिविशङ्कटा सुवदना सान्द्रा कृकारे स्थिता

खट्वाङ्गासिनिगूढदक्षिणकरा वामेन पाशांकुशा ।

श्यामा पिङ्गलमूर्द्धजा भयकरी शार्दूलचर्मावृता

चामुण्डा शववाहिनी जपविधौ ध्येया सदा साधकैः ।। ६ ।।

जप्त्व किंशुककुसुमैर्हुत्वा फलप्राप्तिः ।

आद्यन्ते महती पूजा पञ्चदिनप्रयोगेण राजानं वशमानयेत् ।

राजवशीकरण- रक्तपुष्प से चामुण्डा का पूजन करे। ध्यान दंष्ट्राकोटिविशंकटा, सुन्दर मुखवाली, दक्षिण हस्त में खड्ग धारण करने वाली वाम हस्त में पाश एवं अंकुश धारण करने वाली, श्यामा, पिंगल अर्थात् भूरे या पीले केशों वाली, भयंकरी, शार्दूल चर्म से आवृत्त शववाहिनी श्री चामुण्डा का ध्यान जपकर्म में साधकों को सदा करना चाहिये। जप के पश्चात् टेसू (किंशुक) वे फूलों से हवन करने पर फल की प्राप्ति होती है। आदि और अन्त में वृहत पूजन करने पर पाँच दिन में राजा भी वशीभूत हो जाता है ।। ६ ।।

प्रकारान्तरेण वशीकरणम्

मृगशीर्षे तु संग्राह्यं सुरक्तकरवीरकम् ।

नवांगुलं कीलकं तत् सप्तवाराभिमन्त्रितम् । । ७ ।।

यस्य नाम्ना खनेद्भूमौ स वश्यो भवति धुवम् ।

मन्त्रः

ऊँ हुँ हुँ स्वाहा ।

तत्तत्स्थाने यथासंख्यामनुक्ते त्वयुतं जपेत् ॥१८॥

वशीकरण की अन्य विधि- मृगशिरा नक्षत्र में लाल कनेर का काष्ट लेकर नौ अंगुल की एक कील बनाकर उसे ॐ हुँ हुँ मंत्र से सात बार अभिमन्त्रित कर साध्य व्यक्ति का नाम उच्चारण कर पृथ्वी में दबा दे । जिस प्रयोग में जितना कहा गया है, उतना ही जप करे। जहाँ कुछ नहीं कहा गया है, वहाँ दस हजार बार मन्त्र का जप करे ॥७-८॥

इति क्रियोड्डीशमहातन्त्रराजे गौरीश्वर- संवादे द्वादशः पटलः । । १२ । ।

क्रियोड्डीश महातन्त्रराज में गौरी-शंकर संवादात्मक बारहवाँ पटल पूर्ण हुआ ।। १२ ।।

आगे जारी...... क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल 13

About कर्मकाण्ड

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.

0 $type={blogger} :

Post a Comment