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- हनुमत्सहस्रनामस्तोत्रम्
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- श्रीहनुमत्स्तोत्रम्
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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
राम पूजन विधि
राम-पूजन विधि-प्रात:काल
स्नान, सन्ध्या आदि नित्यकर्म से निवृत्त होकर रामपूजनार्थ पवित्र आसन
पर बैठकर
आचमन प्राणायाम कर ॐ अपवित्र:
पवित्रो वा०’
इससे अपने
शरीर का
और पूजन
सामग्री का
पवित्र जल
से सम्प्रोक्षण करें । तत्पश्चात गौरी-गणेश,नवग्रह,कलश,सर्वतोभद्रमंडल देवों आदि का पूजन पश्चात् अपने दाहिने
हाथ में अक्षत,
पुष्प तथा
जल लेकर
इस प्रकार
सङ्कल्प करें---
“ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:०
आर्यावर्तैकदेशानार्गत अमुकक्षेत्रे अमुकनगरे अमुकग्रामे विकमशके बौद्धावतारे अमुकनामसंवत्सरे अमुकायने अमुकऋतौ महामाङ्गल्यप्रदमासोत्तमेमासे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकनक्षत्रे अमुकयोगे अमुककरणे अमुकराशिस्थिते चन्द्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये
अमुकराशिस्थिते देवगुरौ शेषेषु
ग्रहेपु यथायथाराशिस्थानस्थितेषु सत्सु
एवं ग्रहगुणगणविशेषणविशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ अमुकगोत्र: अमुकशर्माऽहम् अमुकवर्माऽहम्,
अमुकगुप्तोऽहम् ममात्मन: श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थं धर्मार्थकाममोक्ष-चतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं यथोपचारै श्रीरामपूजनमहं करिष्ये ।”
राम-पूजन विधि
अब विधि पूर्वक भगवान श्री रामचन्द्र जी का पूजन प्रारम्भ
करें-
ध्यान- अक्षत
पुष्प लेकर भगवान श्री रामचन्द्र जी का ध्यान करें-
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं
सीतासमारोपितवामभागम्
।
पाणौ महासायकचारु चापं नमामि रामं
रघुवंशनाथम् ॥
आवाहन-पुष्प लेकर श्री राम जी का आवाहन करें-
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्राक्ष: सहस्रपात् ।
स भूमिर्ठ० सर्व्वतस्पृत्त्वाऽत्त्यतिष्ठ्ठद्दशाङ्गुलम् ॥
आवाहयामि विश्वेशं जानकीवञ्जभं प्रभुम् ।
कौसल्यातनयं विष्णुं श्रीरामं प्रकृते: परम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
आवाहनं समर्पयामि ।
आसन - आसन के
लिए सुंदर पीला रेशमी वस्त्र या पुष्प चढ़ावे-
ॐ पुरुष ऽएवेदर्ठ० सर्व्वं वद् भूतं वच्च भाव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानो वदन्नेनातिरोहति ॥
राजाधिराज राजेन्द्र रामचन्द्र महीपते ।
स्वर्णसिंहासनं दिव्यं गृहाण
करुणाकर ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
आसनं समर्पयामि ।
पाद्य- रजत अथवा ताम्र पात्र में गङ्गाजल, चन्दन, पुष्प लेकर भगवन् का पाँव धुलाये-
ॐ एतावानस्य महिमाऽतो ज्यायांश्च पूरुष: ।
पादोऽस्य व्विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि
॥
त्रैलोक्यपावनानन्त सूर्यवंशमहामणे ।
पाद्यं
गृहाण देवेश
राम-राजीवलोचन ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
पादयो: पाद्यं
समर्पयामि ।
अर्ध्य- रजत अथवा ताम्र के अर्ध्यपात्र में गङ्गाजल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, तुलसीदल लेकर
भगवान् राम
को अर्ध्य-प्रदान करें---
ॐ त्रिपाद्र्ध्व ऽउदैत्पुरुष: पादोऽस्येहाभवत्पुन: ।
ततो
व्विष्वङ व्यक्क्रामत्साशनाशने ऽअभि ॥
परिपूर्ण परानन्द कौशल्यानन्दवर्द्धन ।
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं सर्वलोकैकरक्षक ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
अर्ध्य समर्पयामि ।
आचमन-एक आचमनी जल छोड़े-
ॐ ततो व्विराडजायत व्विराजो ऽअधिपूरुष: ।
स जातो
ऽअत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुर: ॥
सत्यप्रिय सत्यसन्ध रावणान्तकर प्रभो ।
गृहाणाचमनं देव सर्वलौकैकरक्षक ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
आचमनीयं जलं
समर्पयामि ।
मधुपर्कं- दही,घी और शहद मिलाकर मधुपर्कं बनाकर भगवान जी को अर्पित करे-
ॐ यन्मधुनो मधव्यं परमर्ठ० रुपमन्नाद्यम् ।
तेनाहं मधुनो
मधव्येन परमेण
रूपेणान्नाद्येन परमो मधव्योऽन्नादोऽसानि ॥
जानकीहृदयानन्द प्रजावत्सलतत्पर ।
मधुपर्कं गृहाणेमं मर्यादापालक प्रभो ।
श्रीभगवते रामाय नम:
मधपर्कं समर्पयामि ।
स्नान- शुद्ध
जल से राघव को स्नान करावें-
ॐ तस्माद्यज्ञात्सर्व्वहुत: सम्भृतं पृषदाज्यम् ।
पशूँस्ताँश्चक्क्रे व्वायव्यानारण्या ग्राम्याश्च वे ॥
गङ्गासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै: ।
स्नापितोऽसि मया देव तथा
शान्तिं कुरुष्व मे ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
स्नानार्थं जलं समर्पयामि ।
पञ्चामृतस्नान-
पञ्चामृत से स्नान कराये-
ॐ पञ्च नद्य: सास्वतीमपियन्ति सस्रोतस: ।
सरस्वती तु पञ्चधा सो
देशेऽभवत्सरित् ॥
पञ्चामृतं भयानीतं पयो दधि घृतं मधु ।
शर्करा च
मया दत्तं
गृहाण परमेश्वर ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि ।
शुद्धोदकस्नान- पुनः शुद्ध जल या गंगा जल या तीर्थ जल से राघव
को स्नान करावें-
ॐ शुद्धवाल:
सर्व्वशुद्धवाली मणिवालस्त ऽआश्विना: ।
श्येत: श्येताक्षोऽरुणस्ते कर्ण्णा वामा ऽअवलिप्ता रौद्द्रा
नभोरूपा: पार्ज्जन्या:
॥
ब्रह्माण्डोदरमध्यस्थैस्तीर्थैंश्च रधुनन्दन ।
स्नार्पायष्याम्यहं भक्त्या प्रसीद परमेश्वर ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि
सुगन्धिद्रव्यस्नान- अष्टगंध ,चन्दन आदि मिश्रित जल से स्नान कराकर
सुगन्धित द्रव्य (इत्र
आदि) रामजी को अर्पण करे –
ॐ त्र्यम्बकं वजामहे सुगन्धिं पुष्ट्टिवर्द्धनम् ।
उर्व्वारुकमिव
बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्
॥
मनोहरं गन्धद्रव्यं रुदिरागुरुवासितम् ।
देहशोभकरं नित्यं गृहाण परमेश्वर ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
सुगन्धिद्रव्यस्नानं समर्पयामि ।
पश्चात् ‘ॐ सहस्रशीर्षा पुरुष:०,श्री राम स्तुति, श्रीरामचालीसा, श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम् ,
श्रीरामनामस्तुतिः श्रीराघवेन्द्राष्टकम् आदि मन्त्रों से भगवान् राम का अभिषेक करें ।
अक्षत -अब
अक्षत चढ़ाये –
ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यव प्रिया अधूषत ।
अस्तोषत
स्वभानवो विप्रा नविष्ठया मती योजान्विन्द्र ते हरी ॥
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुम्युक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, अक्षतान् समर्पयामि ।
वस्त्र- पहने
जाने वाले वस्त्र या मौलीधागा या पीताम्बर आदि चढ़ाये-
ॐ तस्माद्यज्ञात् सर्व्वहुत ऽऋच: सामानि जज्ञिरे ।
छन्दा
सि
जज्ञिरे
तस्माद्यजुस्तस्मादजायत
॥
तप्तकाञ्चनवर्णाभं पट्टवस्त्रमिं प्रभो ।
गृहाण त्वं
जागन्नाथ रामचन्द्र महाद्युते ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
वस्त्रं समर्पयामि ।
यज्ञोपवीत- भगवान
को यज्ञोपवीत पहनावें-
ॐ तस्मादश्वा ऽअजायन्त वे के चोभयादत: ।
गावो ह
जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता ऽअजावय:
॥
रामचन्द्र महाराज श्रीधरानन्त राधव ।
ब्रह्मसूत्रं सोत्तरीयं गृहाण रधुनन्दन ॥
श्रीभगवते रामाय नम: यज्ञापवीत समर्पयामि ।
यज्ञोपवीतान्तेआचमनीयं जलं
समर्पयामि ।
चन्दन- केशर
कस्तुरी अष्टगंध युक्त नानापरिमल चन्दन लगावें-
ॐ तं वज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन्पुरुषं जातमग्रत: ।
तेन देवा
ऽअयजन्त साध्या
ऋषयश्च वे
॥
कुङ्कुमागुरुकस्तूरीकर्पूरयुतचन्दनम् ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं संगृहाण रधूत्तम ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
चन्दनं समर्पयामि ।
पुष्पमाला- नाना
प्रकार के फूलों की माला समर्पित करे -
ॐ वत्पुरुषं व्यदधु: कतिधाव्यकल्पयन्
मुखं
किमस्यासीत् किं बाहू
किमूरू पादा
ऽउच्येते ॥
प्रत्यग्रनीलकमलै: पुष्पमाल्यैश्च राधव ।
भक्त्या त्वां
भूषयिष्यामि गृहाण रधुनायक ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
पुष्पमालां समर्पयामि ।
तुलसीदल- भगवान
जी को तुलसीदल मंजरी सहित चढ़ावे-
ॐ इदं व्विष्णुर्व्विचक्क्रमे ञ्रेधा निदधे पदम् ।
समूढमस्य पा सुरे
स्वाहा ॥
तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम् ।
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
तुलसीदलानि समर्पयामि ।
अङ्गपूजन- अष्टगंध
मिश्रित अक्षत चढ़ाते हुए रामजी के सभी अंगो का स्मरण करते हुए चढ़ावे-
ॐ रामचन्द्राय नम: पादौ पूजयामि ॥१॥
ॐ राजीवलोचनाय नम: गुल्फौ पूजयामि ॥२॥
ॐ रावणान्तकाय नम: जानुनी पूजयामि ॥३॥
ॐ वाचस्पतये नम: ऊरू पूजयामि ॥४॥
ॐ विश्वरूपाय नम: जङ्घे पूजयामि ॥५॥
ॐ लक्ष्मणाग्रजाय नम:
कटिं पूजयामि ॥६॥
ॐ विश्वमूर्तये नम: मेढ्र’ पूजयामि ॥७॥
ॐ विश्वमित्रप्रियाय नम:
नाभिं पूजयामि ॥८॥
ॐ परमात्मने नम: हृदयं पूजयामि ॥९॥
ॐ श्रीकण्ठाय नम: कण्ठं पूजयामि ॥१०॥
ॐ सर्वास्त्रधारिने नम: बाहू पूजयामि ॥॥११॥
ॐ रधूद्वहाय नम: मुखं पूजयामि ॥१२॥
ॐ पद्मनाभाय नम: जिह्नां पूजयामि ॥१३॥
ॐ दामोदराय नम: दन्तान् पूजयामि ॥१४॥
ॐ सीतापतये नम: ललाटं पूजयामि ॥१५॥
ॐ ज्ञानगम्याय नम: शिर: पूजयामि ॥१६॥
ॐ सर्वात्मने नम: सर्वाङ्गं पूजयामि ॥१७॥
धूप- अब धूप
देकर आचमन करें-
ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्य: कृत: ।
ऊरू
तदस्य वद्वैश्य:
पद्भ्या,
शूद्रो ऽअजायत
॥
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढय: सुमनोहर: ।
रामचन्द्र देवरूप धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
धूपमाघ्रापयामि ।
दीप -सुगंधित कपूर
मिश्रित दीप अगरबत्ती से दीप दिखाए-
ॐ चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो: सूर्व्वो ऽअजायत ।
श्रोञ्राद् वायुश्च प्प्राणश्च मुखादग्निरजायत ॥
चन्द्र-सूर्य-बह्निनेत्र सर्वज्योतिप्रवर्त्तक ।
गृहाण
दीपकं दिव्यं
त्रैलोक्यतिमिरापहम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
दीपं दर्शयामि । हस्तप्रक्षालनम् ।
नैवेद्य- नाना
प्रकार से भक्क्ष-भोज्य पदार्थ का भोग अर्पित करें-
ॐ नाभ्या ऽआसीदन्तरिक्षर्ठ० शीर्ष्णो द्यौ: समवर्त्तत ।
पद्भ्यां
भूमिर्द्दिश: श्रोत्रात्तथा लोकाँ२
ऽअकल्पयन् ॥
इदं दिव्यान्नममृतंरसै: षडभि: समन्वितम् ।
रामचन्द्रेण देवेश नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम: नैवैद्य निवेदयामि ।
नैवेद्यान्ते आचमनीयं जलं
समर्पयामि ।
करोद्वर्त्तन
चन्दन- गन्ध
समर्पित करे-
ॐ अर्ठ० शुनाते ऽअर्ठ० शु: पृच्यतां परुषा परु: ।
गन्धस्ते सोममवतु मदाय
रसो ऽअच्युत:
॥
करोद्वर्त्तनकं देव सुगन्धै: परिवासितै: ।
गृहीत्वा मे वरं
देहि परत्र
च परां
गतिम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम: करोद्वर्त्तनार्थे गन्धं समर्पयामि ।
हस्तप्रक्शालनार्थं जलं समर्पयामि ।
ऋतुफल- ऋतु
अनुसार मिलने वाले फल व नारियल चढ़ाये-
ॐ वा: फलिनीर्व्वा ऽअफला ऽअपुष्पा वाश्च पुष्पिणी: ।
बृहस्पतिप्प्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वर्ठ०हस: ॥
नानाविधानि दिव्यानि मधुराणि फलानि वै ।
भक्त्यार्पितानि सर्वाणि गृहाण
परमेश्वर ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
ऋतुफलानि समर्पयामि ।
ताम्बूल- मुख
शुद्धि के लिए भगवान जी को लौंग-इलायची-सुपाड़ी आदि मिलाकर पान चढ़ावें –
ॐ वत्पुरुषेण हविषा देवा वज्ञमतन्वत ।
व्वसन्तोऽस्यासीदाज्यं
ग्रीष्म
ऽइध्म:
शरद्धवि:
॥
नागवल्लीदईदलैर्युक्तं पूगीफलसमन्वितम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां देव कर्पूरैलादिसंयुतम् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
ताम्बूलं समर्पयामि ।
दक्षिणा- अब
द्रव्य-दक्षिणा अर्पित करें-
ॐ हिरण्यगर्भ:
समवर्त्तताग्रे भूतस्य जात:
पतिरेक ऽआसीत्
।
स दाधार
पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा
व्विधेम ॥
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: ।
अनन्तपुण्यफलदमत: शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
दक्षिणाद्रव्यं समर्पयामि ।
अब यदि हवन करना हो तो श्रीरामजी के मंत्रों से या सर्वतोभद्र
से हवन करे-
आरती- अब कपूर
आदि से सुगंधित आरती करें-
ॐ इदर्ठ०
हवि: प्रजननं मे ऽअस्तु दशवीरर्ठ० सर्व्वगणर्ठ० स्वस्तये ।
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि ।
अग्नि: प्रजां
बहुलां मे
करोत्त्वन्नं पयो रेतो
ऽअस्मासु धत्त ॥१॥
ॐ आ
राञ्रि पार्थिवर्ठ० रज: पितुरप्प्रायि धामभि: ।
दिव: सा
सि बृहती
व्वि तिष्ठ्ठस ऽआ त्त्वेषं व्वर्त्तते तम: ॥२॥
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
आरार्तिक्यं समर्पयामि ।
प्रदक्षिणा-आरती पश्चात प्रदक्षिणा करें-
ॐ सप्तास्यासन्परिधयस्त्रि: सप्त समिध: कृता: ।
देवा
वद्यज्ञं तन्वाना ऽअबध्नन्पुरुषं पशुम्
॥
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
प्रदक्षिणां समर्पयामि ।
मन्त्रपुष्पाञ्जलि-
हाथों में पुष्प लेकर श्रीराम जी को अर्पित कर दें –
ॐ वज्ञेन
वज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्म्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह
नाकं महिमान:
सचन्त वत्र
पूर्व्वे साध्या: सन्ति
देवा: ॥
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मे कामानू कामकामाय मह्यम् कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥
कुवेराय वैश्रवणाय महाराजाय नम: ।
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठयं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं समन्तपर्यायी स्यात्,
सार्वभौम: सार्वायुष आन्तादापरार्धात् पृथिव्यै
समुद्रपर्यन्ताया एकराडिति तदप्येष श्लोलोऽभिगीतो
मरुत: परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन् गृहे ।
आविक्षितस्य कामप्रेविश्वेदेवा: सभासद इति
॥
ॐ व्विश्वतश्चक्षुरुत व्विश्वतो मुखो व्विश्वतो बाहुरुत व्विश्वतस्पात् ।
सम्बाहुब्भ्यां धमति सम्पतत्त्रैर्द्यावाभूमी जनयन्देव ऽएक: ॥
राम-गायत्री
ॐ दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि ।
तन्नो
राम: प्रचोदयात् ॥
श्रीभगवते रामाय नम:
मन्त्रपुष्पाञ्जलि समर्पयामि ।
प्रणाम-भागवान जी को दंडवत प्रणाम करें-
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम् ।
पाणौ महासायकचारु चापं नमामि रामं
रधुवंशनाथम् ।
क्षमा-प्रार्थना- पूजन आदि में जो गलतियाँ हो गयी हों , उनके लिए हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥१॥
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् ।
पूजां चैव
न जानामि
क्षमस्व परमेश्वर ॥२॥
अपराधसह स्नाणि क्रियन्तेऽहनिशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा
क्षमस्व परमेश्वर ॥३॥
अनायासेन मरणं विना दैन्येन जीवनम् ।
देहि
मे कृपया
राम त्वयि
भक्तिमचञ्चलाम् ॥४॥
मत्समो नास्ति पापिष्ठ: त्वत्समो नास्ति पापहा ।
इति मत्वा
दयासिन्धो यथेच्छसि तथा कुरु
॥५॥
त्वमेव माता
च पिता
त्वमेव त्वमेव
बन्धुश्च सखा त्वमेव
।
त्वमेव विद्या
द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं
मम देव
देव ॥६॥
अनन्तर निम्नाङ्कित वाक्य कड कर
यह पूजत-कर्म भगवान्
राम को समर्पित करें---
अनेन यथाशक्तिकृतेन पूजनेन
भगवान् श्रीराम:
प्रीयतां न मम
।
पश्चात् भगवान्
राम का
स्मरण करें---
प्रमादात्कुर्वतां कर्म प्रच्यवेताध्वरेषु यत् ।
स्मरणादेव तद्विष्णो: सम्पूर्णं स्यादिति श्रुति: ॥
पस्य स्मृत्या च नामोत्त्या तपोपज्ञक्रियादिषु ।
न्यूतं
सम्पूणेतां याति सद्या
वन्दे तमच्युतम् ॥
ॐ विष्णवे नम: ॥ ॐ
विष्णवे नम:
॥ ॐ
विष्णवे नम:
॥
राम-पूजन विधि- रामजी की आरती
नखसिख छविधर की।
आरती करिये सियावर की॥
लालपीत अम्बर अति साजे।
मुख निरखत पूरण शशि लाजे।
चंदन खोर भाल पर राजे।
कुमकुम केसर की॥
शीश मुकुट कुंडल झलकत है।
चन्द्रहार मोती लटकत है।
कर कंकण की छवि दरसत है।
जगमग दिनकर की ॥
मृदु चरनन में अधिक ललाई,
हास विलास ना कछु
कही जाई
चितवन की गति अति सुखदाई,
मनकू मनहर की ॥
सिहासन पर चवर दुलत है,
वाद्य बजत जय जय
उच्चरत है
स्तुति सादर भक्त करत है
सेंदूर रघुवर की ॥
भक्त हेतु अवतार लियो है,
दुष्टन को संघार
कियो है
हरि दासन्ह आनंद कियो है,
पदचर अनुचर की
आरती करिये रघुवर की..
राम-पूजन विधि समाप्त
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