शैवरामायण
शिव पार्वती संवाद रूप में प्राप्त,
१२ अध्यायों(सर्ग) में विभक्त शैवरामायण का प्रतिपाद्य विषय
सहस्रकंठ पर राम की विजय का वर्णन है। शैवरामायण की यह कथा सम्पूर्ण रामकथाओं में
विशिष्ट है एवं विविधताओं से युक्त भी है। इसकी कथा अन्यत्र किसी भी साहित्य में
दिखाई नहीं पड़ती। राम और सहस्रकंठ के मध्य युद्ध का प्रतिपादन है; क्योंकि इन दोनों के बीच अश्वमेघ यज्ञ के अश्व के अपहरण को लेकर ही युद्ध
हुआ था जो कि किसी भी रामकथा परक साहत्यि में वर्णित नहीं मिलता । शैव रामायण में
राम द्वारा सहस्रकंठ का वध वर्णित मिलता है। इसी आख्यान को राम विजय के रूप में
यहाँ वर्णित किया गया है।
शैव रामायण
शैव रामायण में राम के सौ अश्वमेध
यज्ञ से लेकर लव-कुश का राज्याभिषेक तथा राम-सीता का लक्ष्मी-नारायण रूप में
वैकुंठ में मिलने तक का वर्णन है ।
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