यक्षिणी साधना भाग २
कामरत्न नामक तन्त्र-ग्रन्थ में
यक्षिणी-साधना की विधियों का वर्णन उल्लिखित है। यहाँ पूर्व में भाग १ पढ़ा, अब भाग २ को दिया जा रहा है।
यक्षिणी साधना भाग २
Yakshini sadhana
चिञ्चिपिशाची यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
“ॐ क्रीं
चिञ्चिपिशाचिनि स्वाहा ।"
साधन विधि-नील वर्ण के भोजपत्र के
ऊपर गोरोचन, केशर और दूध से अष्टदल कमल
बनाए। फिर प्रत्येक दल पर माया बीज लिखकर मस्तक पर धारण करे । यन्त्र के स्वरूप को
नीचे की ओर प्रदर्शित किया गया है। इसी के अनुसार बना ले।
मन्त्र को मस्तक पर धारण करने के
उपरान्त मंत्र का यथाशक्ति संख्या में जप करे ।
इस प्रकार सात दिन तक यत्नपूर्वक जप
करने से 'चिञ्चिपिशाची यक्षिणी' साधक पर प्रसन्न होकर स्वप्न
में भूत, भविष्यत् के सब वृत्तान्त को कह देती है ।
विचित्रा यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
"ॐ विचित्र विचित्र रूपे
सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।"
साधन विधि - वटवृक्ष के नीचे,
पवित्र होकर उक्त मंत्र का एक लाख बार जप करे तथा बंधूक के फूल,
शहद, अन्न और दूध - इन सब को मिलाकर हवन करे,
तो 'विचित्रा यक्षिणी' प्रसन्न
होकर साधक को मनवांछित फल प्रदान करती है ।
हंसी
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
ॐ हंसि हंसि जने ह्रीं क्लीं स्वाहा
।"
साधन विधि - नगर के भीतर प्रवेश
करके,
पवित्र होकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करे तथा घी में मिले हुए कमल
के पत्तों का दशांश घी में हवन करे तो 'हंसी यक्षिणी'
प्रसन्न होकर साधक को एक अंजन देती है, जिसे
आँखों में लगाने से पृथ्वी में गढ़ा हुआ दिखाई देने लगता है । साधक को चाहिए कि जब
उसे पृथ्वी में गढ़ा धन दिखाई दे तो उसे निर्भयता से ग्रहण कर ले ।
मदना
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
“ॐ मदने विडम्बिनी
अनंगसगं सन्देहि देहि क्लीं क्रीं स्वाहा ।"
साधन विधि - पवित्र होकर स्थिर
चित्त से इस मंत्र का एक लाख जप करे तथा दूध और चमेली के फूलों की एक लाख आहुति दे
तो 'मदना यक्षिणी' प्रसन्न होकर साधक को एक गुटिका देती
है, जिसे मुंह में धारण करने से मनुष्य अदृश्य हो जाता है,
अर्थात् और लोगों को दिखाई नहीं देता ।
कालकर्णिका
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
"ॐ ह्रीं क्लीं कालकर्णिके ठः
ठः स्वाहा ।”
साधन विधि - इस मंत्र का एक लाख जप
करे तथा ढाक की लकड़ी, घी और शहद का हवन
करे तो 'कालकर्णी यक्षिणी' प्रसन्न
होकर साधक को अनेक प्रकार के ऐश्वर्य देती है ।
लक्ष्मी
यक्षिणी साधना
मन्त्रः---
“ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं
कमलधारिणि कलहंसः स्वाहा ।"
साधन विधि - इस मन्त्र का एक लाख जप
करे,
फिर अपने घर में बैठकर लाल कनेर के फूलों से दशांश हवन करे तो 'लक्ष्मी यक्षिणी' प्रसन्न होकर साधक को दिव्य रसायन
प्रदान करती है ।
शोभना
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
“ॐ अशोक
पल्लवाकारकरतले शोभने श्रीं क्षः स्वाहा।"
साधन विधि - चतुर्दशी के दिन लाल
माला एवं लाल वस्त्र धारण करके इस मन्त्र का एक लाख जप करे तो 'शोभना यक्षिणी' प्रसन्न होकर साधक को अनेक प्रकार के
भोग प्रदान करती है।
नटी
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
ॐ ह्रीं क्रीं नटि महानटि रूपवति
स्वाहा ।"
साधन विधि - अशोक वृक्ष के नीचे
जाकर चन्दन का मण्डल लगाकर देवी का पूजन करके एक सहस्र बार धूप दे तथा एक हजार वार
उक्त मंत्र का जप करे । इस विधि से एक महीने तक साधन करे । साधन-काल में रात्रि
में केवल एक बार भोजन करे तथा रात्रि में फिर मन्त्र जपकर अर्द्ध रात्रि में पूजन
करे तो 'नटी यक्षिणी' प्रसन्न होकर साधक को रस- अंजन तथा
अन्य दिव्य भोग प्रदान करती है ।
पद्मिनी
यक्षिणी साधना
मन्त्रः-
"ओ३म् क्रीं पद्मिनि स्वाहा
।"
साधन विधि-चौक के भीतर चन्दन का हाथ
भर चौका लगाकर 'पद्मिनी यक्षिणी' का पूजनकर गूगल की धूप देकर, एक सहस्र आहुति दे तथा
एक मास तक रात्रि जागरण करके रात्रि भर यथाशक्ति संख्या में उक्त मंत्र का जप करे
। अवधि पूरी होने पर 'पद्मिनी यक्षिणी' साधक पर प्रसन्न होकर अर्द्ध रात्रि के समय दिव्य भोग तथा धन प्रदान करती
हैं।
आगे जारी...........यक्षिणी साधना भाग 3
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