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कर्मकाण्ड

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श्रीदेवीरहस्य पटल ३

श्रीदेवीरहस्य पटल ३

रुद्रयामलतन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्यम् के पटल ३ में देवी, वैष्णव और शाक्तमन्त्रनिरूपण अंतर्गत शिवमन्त्रोद्धार के विषय में बतलाया गया है।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३

रुद्रयामलतन्त्रोक्तं श्रीदेवीरहस्यम् तृतीयः पटलः शिवमन्त्रोद्धारः

Shri Devi Rahasya Patal 3

रुद्रयामलतन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य तीसरा पटल

रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्यम् तृतीय पटल

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ शिवमन्त्रोद्धारः

अथ तृतीयः पटलः शिवमन्त्रोद्धारः

श्रीभैरव उवाच

यो देवदेवो देवेशि महामृत्युञ्जयः स्मृतः ।

मन्त्रोद्धारं प्रवक्ष्यामि तस्याहं शृणु पार्वति ॥ १ ॥

श्री भैरव ने कहा कि हे पार्वति । देवेशि ! देवदेव महादेव का जो महामृत्युञ्जय मन्त्र है, मैं उसका वर्णन करता हूँ, सुनो ।। १ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ मृत्युञ्जयमन्त्रोद्धारः

त्र्यक्षं हृज्जं शक्तिशोभेऽपि शङ्का मां तस्माद्वै पालय द्विस्तथैव ।

तस्माच्छक्ति: खं शरद् हृज्जतारं मन्त्रोद्धारो देवि मृत्युञ्जयस्य ॥ २ ॥

मृत्युञ्जय मन्त्रोद्धार त्र्यक्षं=ॐ, हृज्जं= जूं शक्ति= सः, मां पालय पालय, शक्ति = सः, खं शरद जूं, ॐ के योग से जो मृत्युञ्जय मन्त्र बनता है, वह यह हैॐ जूं सः मां पालय पालय सः जूं ॐ। रोग कष्टनिवारण में इसका जप होता है ।। २ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ अमृतेश्वरमन्त्रोद्धारः

अमृतेशस्य वक्ष्यामि मन्त्रोद्धारं महेश्वरि ।

येन विज्ञातमात्रेण दीक्षाफलमवाप्नुयात् ॥३॥

तारं हृज्जं शरन्नाम मध्ये विश्वं तथाञ्चले ।

मन्त्रोऽयं सर्वसिद्धीशः सुमुखीशिववल्लभः ॥४॥

अमृतेश्वर मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, हृज्ज= जूं, शर= फट्, अमृतेशाय नमः के योग से अमृत मृत्युञ्जय मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ जूं फट् अमृतेशाय नमः।  यह मन्त्र सभी सिद्धियों का ईश्वर है। हे सुमुखि ! यह मुझे बहुत प्रिय है।। ३-४।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ बटुक भैरवमन्त्रोद्धारः

प्रणवं भूतिबीजं च बटुकाय समुद्धरेत् ।

आपदुद्धारणायेति कुरुयुग्मं समुच्चरेत् ॥५॥

बटुकाय पराबीजं मन्त्रोऽयं देवदुर्लभः ।

वटुक मन्त्रोद्धार - प्रणव= ॐ भूति ह्रीं बटुकाय, आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं के योग से बटुकभैरव का यह द्वाविंशाक्षरी मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं । यह मन्त्र देवदुर्लभ है ।। ५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ महेश्वरमन्त्रोद्धारः

तारं व्योषं महादेवि ततो महेश्वराय च ॥ ६ ॥

विश्वमन्ते मनोर्दद्यान्मन्त्रोऽयं सर्वसिद्धिदः ।

महेश्वर मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, व्योष= ह्रां, महेश्वराय, विश्व नमः के योग से महेश्वर का यह मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ह्रां महेश्वराय नमः । यह मन्त्र सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है ।। ६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ शिवमन्त्रोद्धारः

तारं विश्वं शिवायेति मन्त्रोऽयं भोगमोक्षदः ॥७॥

शिव मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, विश्व नमः शिवाय के योग से यह शिवमन्त्र बना है। यह मन्त्र भोग मोक्ष प्रदायक है। मन्त्र है - ॐ नमः शिवाय। यह शिव का पञ्चाक्षर मन्त्र है ।।७।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ अपरशिवमन्त्रोद्धारः

तारं व्योषं शिवायेति नमोऽन्तेऽस्त्यपरो मनुः ।

इति शिवस्य मन्त्राः ।

अपर शिव मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, व्योष= ह्रां, शिवाय नमः के योग से यह मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ह्रां शिवाय नमः।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ सदाशिवमन्त्रोद्धारः

तारं वाणी शरत् कामः सदाशिवाय प्रोद्धरेत् ।

विश्वमन्ते स्मृतो मन्त्रो मन्त्रमौलिमणिः परः ॥८ ॥

इति सदाशिवस्य ।

सदाशिव मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, वाणी= ऐं, शरत= सौ, काम=क्लीं, सदाशिवाय, विश्व नमः के योग से यह मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ऐं सौः क्लीं सदाशिवाय नमः । यह मन्त्र समस्त मन्त्रों में मणि के समान है ।।८।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ रुद्रमन्त्रोद्धारः

तारं व्योषं शिवो रुद्र प्रसीदेति युगं वदेत् ।

अन्ते ठद्वयमीशानि मन्त्रोऽयं देवदुर्लभः ॥९॥

इति रुद्रस्य ।

रुद्र मन्त्रोद्धार- तार = ॐ, व्योष = ह्रां, रुद्र, प्रसीद प्रसीद और अन्त में ठद्वय स्वाहा लगाने से यह मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ह्रां रुद्र प्रसीद प्रसीद नमः। यह देव-दुर्लभ मन्त्र है ।। ९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ महादेवमन्त्रोद्धारः

तारं परा शिवो देवि महादेवाय ठद्वयम् ।

मन्त्रः शिवप्रदो देवि शैवानां परमार्थदः ॥ १० ॥

इति महादेवस्य ।

महादेव मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, परा= ह्रीं, महादेवाय, ठद्वय स्वाहा के योग से यह महादेव मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ह्रीं महादेवाय स्वाहा । यह मन्त्र कल्याणकारक है एवं शैवों का परमार्थ प्रदायक है ।। १० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ करालमन्त्रोद्धारः

तारं काली शिवो नाम तुरीरूपं च ठद्वयम् ।

मन्त्रो भैरवाख्यातः कलौ भोगापवर्गदः ॥ ११ ॥

इति करालस्य ।

कराल मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, काली= क्रीं, शिव नाम तुरीरूप शिवाय, ठद्वय = स्वाहा के योग से कराल भैरव का मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ क्रीं शिवाय स्वाहा। यह विख्यात भैरवमन्त्र भोग और अपवर्ग को देने वाला है ।।११।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ विकरालमन्त्रोद्धारः

तारं वाग्भवमायाया विकरालाय विन्यसेत् ।

अन्ते ठद्वयमुच्चार्य मन्त्रराजोऽयमीरितः ॥ १२ ॥

इति विकरालस्य ।

विकराल मन्त्रोद्धार - तार= ॐ, वाग्भव= ऐं, माया= ह्रीं, विकरालाय, ठद्वय के योग से यह मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ऐं ह्रीं विकरालाय स्वाहा। इसे मन्त्रराज कहा जाता है ।। १२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ नीलकण्ठमन्त्रोद्धारः

प्रणवं हरितं डिम्बं नीलकण्ठाय चाश्मरी ।

दुर्गेशनीलकण्ठस्य मन्त्रोद्धारो दशाक्षरः ।।१३।।

नीलकण्ठ मन्त्रोद्धार प्रणव= ॐ, हरित= ह्सौः, डिम्ब= ह्रां, नीलकण्ठाय, अश्मरी = नमः को एक साथ मिलाने पर नीलकण्ठ मन्त्र बनता है। यह मन्त्र है - ॐ हसौः ह्रां नीलकण्ठाय नमः । यह मन्त्र दशाक्षर है ।। १३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ शर्वमन्त्रोद्वार:

तारं परा रमा बीजं शर्वायेति पदं वदेत् ।

अन्तेऽश्मरी मनोर्देवि मन्त्रोऽयं भोगदः स्मृतः ॥ १४ ॥

शर्व मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, परा= ह्रीं, रमा= श्री, शर्वाय अश्मरी नमः के योग से भोगप्रदायक शर्वमन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ ह्रीं श्रीं शर्वाय नमः ।। १४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ पशुपतिमन्त्रोद्धारः

प्रणवो वाग्भवो मारः शक्तिः पशुपतेर्वनम् ।

मन्त्रोऽयं देवदेवस्य वल्लभो मुक्तिसाधनम् ॥ १५ ॥

पशुपति मन्त्रोद्धार- प्रणव= ॐ, वाग्भव= ऐं, मार= क्लीं, शक्ति= सौः, पशुपते, वनं= स्वाहा के योग से पशुपति मन्त्र बना है। मन्त्र है - ॐ ऐं क्लीं सौः पशुपते स्वाहा । देवदेव पशुपति का यह मन्त्र मन्त्रराज है और मोक्ष का साधन है।।१५।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ मृडमन्त्रोद्धारः

तारं परा मृडायेति विश्वमन्ते मनुः स्मृतः ।

मृड मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, परा= ह्रीं, मृडाय, विश्वम् नमः के योग से यह मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ ह्रीं मृडाय नमः ।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ पिनाकीमन्त्रोद्धारः

तारं हृज्जं परा लक्ष्मीर्मध्ये ब्रूयात्पिनाकिने ।। १६ ।।

अन्तेऽश्मरी मनोर्देवि मन्त्रोऽयं वैरिसूदनः ।

पिनाकी मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, हृज्जं= जूं, परा= ह्रीं लक्ष्मी= श्री, पिनाकिने अश्मरी नमः के योग से पिनाकी मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ जूं ह्रीं श्रीं पिनाकिने नमः । यह मन्त्र वैरी- विनाशक है।। १६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ गिरीशमन्त्रोद्धारः

तारं शिवो मठं देवि गिरिशायाश्मरी मनुः ॥ १७ ॥

गिरीश मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, शिव= गं, मठं= ग्लौं, गिरीशाय, अश्मरी= नमः के योग से गिरीश मन्त्र बनता है। वह है - ॐ गं ग्लौं गिरीशाय नमः ।। १७ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ भीममन्त्रोद्धारः

तारं परा भद्रिका च भीमायान्तेऽश्मरी मनुः ।

भीम मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, परा= ह्रीं, भद्रिका= भैं, भीमाय, अश्मरी नमः के योग से भीम शिव का मन्त्र बनता हैं। मन्त्र है - ॐ ह्रीं भै भीमाय नमः ।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ महागणपतिमन्त्रोद्धारः

माया शिवाक्षरं माया महागणपमुद्धरेत् ॥१८॥

तयेऽश्मरी मनोरन्ते मन्त्रोऽयं विघ्नहारकः ।

महागणपति मन्त्रोद्धार-माया= ह्रीं, शिवाक्षर=गं, माया= ह्रीं, महागणपतये, अश्मरी के योग से सम्पन्न महागणपति का मन्त्र होता हैह्रीं गं ह्रीं महागणपतये नमः । यह मन्त्र विघ्न विनाशक है।। १८ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ प्रमथाधिपमन्त्रोद्धारः

मारं परा च वाह्लीकं प्रमथाधिपमुद्धरेत् ॥१९॥

प्रसीद-द्वयमापोऽन्ते मन्त्रोऽयं देवदुर्लभः ।

प्रमथाधिप मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, परा= ह्रीं, वाह्रीक=ग्लौं, प्रमथाधिप, प्रसीद प्रसीद, आपो स्वाहा के योग से यह मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ ह्रीं ग्लौ प्रमथाधिप प्रसीद प्रसीद स्वाहा । यह मन्त्र देवदुर्लभ हैं ।। १९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ कुमारमन्त्रोद्धारः

छवि: कुमाराय मनोरन्ते विश्वं मनुः परः ॥ २० ॥

सर्वदेवेन्द्रपददो भोगदो मोक्षदः स्मृतः ।

कुमार मन्त्रोद्धार छवि = ह्रां, कुमाराय विश्वं नमः के योग से कुमार का मन्त्र बनता है। मन्त्र है- ह्रां कुमाराय नमः यह मन्त्र सर्व देवेन्द्र पद प्रदायक, भोगप्रद और मोक्षप्रद कहा जाता है।। २० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ क्रोधनेशमन्त्रोद्धारः

तारं काली शिवो देवि क्रोधनेशाय चाश्मरी ॥ २१ ॥

मन्त्रोऽयं सर्वसिद्धीशो वैरिवर्गनिवर्हणः ।

क्रोधनेश मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, काली= क्रीं, शिवो= गं, क्रोधनेशाय, अश्मरी नमः के योग से क्रोधनेश का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ क्रीं गं क्रोधनेशाय नमः। यह मन्त्र सभी सिद्धियों का ईश्वर एवं वैरीवर्ग का विनाशक है।। २१ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ ईशमन्त्रोद्धारः

तारं परा रमा लक्ष्मीरीशायेति वनं मनुः ॥ २२ ॥

ईश मन्त्रोद्धार - तार = ॐ, परा= ह्रीं, रमा= श्री, लक्ष्मी= श्री, ईशाय, वनं= स्वाहा के योग से जो मन्त्र बनता हैं, वह मन्त्र है - ॐ ह्रीं श्रीं श्रीं ईशाय स्वाहा ।। २२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ कपालीशमन्त्रोद्धारः

तारं शिवः कामराजः कपालीशाय संवदेत् ।

अन्ते उद्वयमुद्धृत्य मन्त्रोऽयं स्याद् दशाक्षरः ॥ २३ ॥

कपालीश मन्त्रोद्धार तार= ॐ, शिव= गं, कामराज= क्लीं, कपालीशाय, ठद्वय = स्वाहा के योग से यह मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ गं क्लीं कपालीशाय स्वाहा। यह मन्त्र दशाक्षर है ।। २३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ क्रूर भैरवमन्त्रोद्धारः

तारं कालीयुगं माया क्रूरभैरव प्रोद्धरेत् ।

प्रसीद द्वयमापोऽन्ते मन्त्रोऽयं सर्वसिद्धिदः ॥ २४ ॥

क्रूर भैरव मन्त्रोद्धार-तार= ॐ, कालीयुग= क्रीं क्रीं, माया = ह्रीं, क्रूरभैरव, प्रसीद प्रसीद, आपः = स्वाहा के योग से क्रूरभैरव का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ क्रीं क्रीं ह्रीं क्रूरभैरव प्रसीद प्रसीद स्वाहा। इस मन्त्र से साधक को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं ।। २४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ संहार भैरवमन्त्रोद्धारः

तारं वाणी शरत् कामः संहारायाञ्चले वनम् ।

मन्त्रोऽयं देवदेवस्य वर्णितस्ते दशाक्षरः ॥ २५ ॥

संहारभैरव मन्त्रोद्वार-तार= ॐ, वाणी= ऐं, शरत्= सौः, काम = क्लीं, संहाराय, वनं = स्वाहा के योग से संहारभैरव का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ ऐं क्लीं सौः संहाराय स्वाहा। यह मन्त्र दशाक्षर है ।। २५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ ईश्वरमन्त्रोद्धारः

तारं मा भूतिर्मा लक्ष्मीरीश्वरायाश्मरी मनुः ।

ईश्वर मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, मा= श्री, भूति= ह्रीं, मा= श्री, लक्ष्मी= श्रीं, ईश्वराय, अश्मरी = नमः के योग से ईश्वर का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ श्रीं ह्रीं श्री श्री ईश्वराय नमः ।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ भर्गमन्त्रोद्धारः

तारं च भास्वती माया भर्गायान्तेऽश्मरी मनुः ॥ २६ ॥

भर्ग मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, भास्वती= भैं, माया= हीं, भर्गाय, अश्मरी नमः के योग से भर्ग का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ भैं ह्रीं भर्गाय नमः ।। २६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ रुरुभैरवमन्त्रोद्धारः

तारं चाब्धिः परा बीजं रुरवे चाश्मरी मनुः ।

रुरुभैरव मन्त्रोद्धार - तार= ॐ, अब्धि=रूं, परा= ह्रीं, रुरवे, अश्मरी नमः के योग से रुरु का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ रूं ह्रीं रुरवे नमः ।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ कालाग्निभैरवमन्त्रोद्धारः

प्रणवं कमला माया कालाग्नये पदं ततः ॥ २७ ॥

विश्वमन्ते मनोर्देवि मन्त्रराजोऽयमीरि ।

कालाग्नि भैरव मन्त्रोद्धार- प्रणव = ॐ, कमला= श्रीं, माया = ह्रीं, कालाग्नये, विश्वं = नमः के योग से कालाग्नि का मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ श्रीं ह्रीं कालाग्नये नमः । इसे मन्त्रराज कहा जाता है।। २७।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ सद्योजातमन्त्रोद्धारः

तारं व्योषं शिवो देवि सद्योजाताय चाश्मरी ॥ २८ ॥

उग्रताराशिवस्यायमव्ययस्य मनुः स्मृतः ।

सद्योजात मन्त्रोद्धार-तार = ॐ, व्योष = ह्रां, शिव= गं, सद्योजाताय, अश्मरी= नमः के योग से सद्योजात मन्त्र बनता है। मन्त्र है - ॐ ह्रां गं सद्योजाताय नमः । उग्रतारा के शिव का यह अव्यय मन्त्र माना जाता है।। २८ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ अघोरमन्त्रोद्धारः

मात्रादिः षडभिज्ञवह्निकुलिशास्तस्माद्विलं मारजि-

द्वह्री वज्रकगौतमाग्नियुगलं सत्र्यग्निवज्राङ्कितम् ।

शङ्कौ र्वौ च तमी शुभौ बकयुतौ शक्तयौर्ववज्राश्मका

रात्र्यब्धीन्दुजसिन्दुमत्स्यकुलिशा मन्त्रोऽयमाघोरिकः ॥ २९ ॥

अघोर मन्त्रोद्धार - इस श्लोक के उद्धार करने पर निम्नवत् अघोर मन्त्र निष्पन्न होता है-

अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः ।

सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ महाकालमन्त्रोद्धारः

कूर्चद्वन्द्वं महाकाल प्रसीदेति पदद्वयम् ।

मायाद्वयं वह्निजाया राजराजेश्वरो मनुः ॥ ३० ॥

महाकाल मन्त्रोद्धार कूर्चद्वन्द्व = हूं हूं, महाकाल प्रसीद प्रसीद, मायाद्वय= ह्रीं ह्रीं, वह्निजाया= स्वाहा के योग से महाकाल का मन्त्र इस प्रकार होता है-हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा। यह मन्त्र राज राजेश्वर है।।३०।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ कामेश्वरमन्त्रोद्धारः

वाग्भवं मदनशक्तितारका मा परा सकलविद्ययाञ्चिता ।

तारयुक्तविपरीतबीजकः षोडशाक्षरविधि: शिवः स्मृतः ॥ ३१ ॥

कामेश्वर मन्त्रोद्धार वाग्भव=ऐं, मदन= क्लीं, शक्ति= सौः, तार= ॐ, मा= श्रीं, परा= ह्रीं, कमेश्वर, तारयुक्त विपरीतबीजकः के योग से कामेश्वर का षोडशाक्षर मन्त्र बनता है। मन्त्र है-ऐं क्लीं सौः ॐ श्रीं ह्रीं कामेश्वर ह्रीं श्रीं ॐ सौः क्लीं ऐं ।। ३१ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ३ पटलोपसंहारः

इतीदं मन्त्रसर्वस्वं रहस्यं परमं परम् ।

तव भक्त्या मयाख्यातं न चाख्येयं दुरात्मने ॥ ३२ ॥

यह मन्त्र सर्वस्व है । उत्तमोत्तम रहस्य है। हे पार्वति तुम्हारी भक्ति से विवश होकर मैंने इसे प्रकट किया है। दुरात्माओं को इसे नहीं बताना चाहिये ।। ३२ ।।

इति श्रीरुद्रयामले तन्त्रे श्रीदेवीरहस्ये शिवमन्त्रोद्धारनिरूपणं नाम तृतीयः पटलः ॥ ३ ॥

इस प्रकार रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य की भाषा टीका में शिवमन्त्रोद्धार नामक तृतीय पटल पूर्ण हुआ।

आगे जारी............... रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य पटल 4

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