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कर्मकाण्ड

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देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र

देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र

डी०पी०कर्मकाण्ड के तन्त्र श्रृंखला में मन्त्रमहार्णव के गायत्री तन्त्र से विभिन्न देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र दिया जा रहा है।

गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। आर्ष मान्यता के अनुसार गायत्री एक ओर विराट् विश्व और दूसरी ओर मानव जीवन, एक ओर देवतत्व और दूसरी ओर भूततत्त्व, एक ओर मन और दूसरी ओर प्राण, एक ओर ज्ञान और दूसरी ओर कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देती है। सभी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये उनके अलग-अलग गायत्री मन्त्र हैं..

देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र

देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र

गायत्री मंत्र :

" ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् "

परमहंसगायत्रीमन्त्र:

ॐ परमहंसाय विद्महे महातत्त्वाय धीमहि । तन्नो हंसः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ परमहंसाय हृदयाय नमः ॥१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महातत्त्वाय शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो हंसः नेत्रत्रयाय वौषट ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

हंसमन्त्र:

ॐ सोहं सोहं परो रजसे सावदोम् ।

ब्रह्मगायत्रीमन्त्र :

ॐ वेदात्मने च विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि । तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ वेदात्मने च हृदयाय नमः ॥१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ हिरण्यगर्भाय शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो ब्रह्मा नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

सरस्वतीगायत्रीमन्त्र:

ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ ऐं वाग्देव्यै हृदयाय नमः ॥१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ कामराजाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

विष्णुगायत्रीमन्त्र :

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ श्री विष्णुवे च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वासुदेवाय शिखायै वषट् ।।३।।

धीमहि कवचाय हुम् ।।४॥

ॐ तन्नो विष्णुर्नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

द्वितीय विष्णुगायत्री :

ॐ त्रैलोक्यमोहनाय विद्महे आत्मारामाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।

तृतीय विष्णुगायत्री :

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।

लक्ष्मीगायत्रीमन्त्र:

ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ महादेव्यै च हृदयाय नमः ॥९॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ विष्णुपत्न्यै च शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो लक्ष्मीर्नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

लक्ष्मीमन्त्र :

ॐ क्लीं श्रौं श्री लक्ष्मीदेव्यै नमः ।

द्वितीय लक्ष्मीगायत्री :

ॐ महादेवी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमाहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।

वा

ॐ महालक्ष्यै च विद्महे महाश्रियै च धीमहि । तन्नः श्रीः प्रचोदयात् ।

नारायणगायत्रीमन्त्र :

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो नारायणः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ नारायणाय हृदयाय नमः ॥१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वासुदेवाय शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो नारायणो नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐप्रचोदयादस्त्राय फट् ।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

मूलमन्त्र :

ॐ ह्रीं श्रीं श्रीमन्नाराणाय नमः ।

श्रीरामगायत्रीमन्त्र :

ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि । तन्नो रामः प्रचोदयात् ।

विनियोग :

ॐ अस्य श्रीरामगायत्रीमन्त्रस्य वामदेव ऋषिः । गायत्री छन्दः । श्रीजानकीवल्लभो देवता । श्रीरामेति बीजम् दशरथायेति शक्तिः । गायत्र्यावाहने जपे विनियोगः।।

ऋष्यादिन्यास :

ॐ वामदेवऋषये नमः शिरसि ॥१॥

गायत्री छन्दसे नमः मुखे ।।२।।

श्रीजानकीवल्लभ देवतायै नमः हृदये ॥३॥

श्रीरामेति बीजाय नमः गुह्ये ।।४।।

दशरथायेति शक्तये नमः पादयोः ।।५।।

विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ।

षडङ्गन्यास :

ॐ दाशरथाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा  ॥२॥

ॐ सीतावल्लभाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो रामः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

श्रीराममूलमन्त्र :

ॐ ह्रां ह्रीं राँ रामाय नमः ।

श्रीरामतारकमन्त्र :

ॐ जानकीकान्ततारक राँ रामाय नमः ।

जानकीगायत्रीमन्त्र :

ॐ जनकजायै विद्महे रामप्रियायै धीमहि । तन्नः सीताप्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ जनकजायै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ रामप्रियायै शिखायै वषट् ।।३।।

 ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नः सीता नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

सीतामूलमन्त्रः

ॐ सीं सीतायै नमः ।

लक्ष्मणगायत्रीमन्त्र:

ॐ दाशरथाय विद्महे अलबेलाय धीमहि । तन्नो लक्ष्मणः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ दाशरथाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ अलबेलाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो लक्ष्मणः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

लक्ष्मणमूलमन्त्र :

ॐ ह्रां ह्रीं रां रां लं लक्ष्मणाय नमः ।

हनुमद्गायत्रीमन्त्र :

ॐ अंजनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि । तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ अंजनीजाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वायुपुत्राय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो हनुमान् नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

हनुमद् मूलमन्त्र :

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: ।

गरुडगायत्रीमन्त्र :

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपर्णाय (तन्त्रान्तरे तु सुवर्णपक्षायेति पाठः) धीमहि । तन्नो गरुडः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ सुवर्णपर्णाण शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो गरुडो नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रूं ग्रैं ग्रौं ग्रः।

श्रीकृष्णगायत्रीमन्त्रः

ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ देवकीनन्दनाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वासुदेवाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नः कृष्णः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।

द्वितीय श्रीकृष्णगायत्रीमन्त्र :

ॐ श्रीकृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।

गोपालगायत्रीमन्त्र:

ॐ गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि । तन्नो गोपाल: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ गोपालाय हृदयाय नमः ।।१ ।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ गोपीजनवल्लभाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो गोपाल: नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ गोपालाय गोचराय वंशशब्दाय नमो नमः।

राधिकागायत्रीमन्त्रः

ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि । तन्नो राधिका प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ वृषभानुजायै हृदयाय नमः ।।१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ कृष्णप्रियायै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४॥

ॐ तन्नो राधिका नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्रः

ॐ राँ राधिकायै नमः ।

परशुरामगायत्रीमन्त्र:

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि । तन्न: परशुरामः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

 ॐ जामदग्न्याय हदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महावीराय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्न: परशुरामो नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र:

ॐ राँ राँ ॐ राँ रॉ ॐ परशुहस्ताय नमः।

नृसिंहगायत्रीमन्त्र :

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि । तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

 ॐ उग्रनृसिंहाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्यहे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वज्रनखाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नोः नृसिंहः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ नृं नृं नृं नृसिंहाय नमः ।

द्वितीय नृसिंहगायत्रीमन्त्र :

ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि । तन्नो नारसिंह: प्रचोदयात्।

हयग्रीवगायत्रीमन्त्र :

ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि । तन्नो हंसः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ वागीश्वराय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्यहे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ हयग्रीवाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो हंसः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

शिवगायत्रीमन्त्रः

ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि। तन्नः शिवः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ महादेवाय हदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ रुद्रमूर्तये शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्न: शिवः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ सं सं सं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ शिवाय नमः।

रुद्रगायत्रीमन्त्रः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महादेवाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो रुद्र: नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

दक्षिणामूर्तिगायत्रीमन्त्र :

ॐ दक्षिणामूर्तये विद्यहे ध्यानस्थाय धीमहि । तन्नो धीशः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ दक्षिणामूर्तये हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ ध्यानस्थाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४॥

ॐ तन्नो धीशः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

गौरीगायत्रीमन्त्रः

ॐ सुभगायै च विद्महे काममालायै धीमहि । तन्नो गौरी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ सुभगायै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विग्रहे शिरसे स्वाहा ॥२॥

ॐ काममालायै शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो गौरी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र : ॐ क्लीं ॐ गौं गौरीभ्यो नमः ।

गणेशगायत्रीमन्त्रः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ वक्रतुण्डाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तत्रो दन्तिः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

षण्मुखगायत्रीमन्त्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि । तन्नः षण्मुख: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्यहे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महासेनाय शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्न: षण्मुख: नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

नन्दीगायत्रीमन्त्रः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो नन्दिः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विग्रहे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ चक्रतुण्डाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो नन्दिः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

सूर्यगायत्रीमन्त्र :

ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय (तन्त्रान्तरे तु 'महाधुतिकरायेति पाठः) धीमहि । तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ भास्कराय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महातेजाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्न: सूर्यः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्रः

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: ॐ विष्णु तेजसे ज्वालामणिकुण्डलाय स्वाहा ।

द्वितीय सूर्यगायत्रीमन्त्रः

ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि । तन्नः सूर्य: प्रचोदयात् ।

चन्द्रगायत्रीमन्त्र :

ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि । तन्नश्चन्द्र: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

 ॐ क्षीरपुत्राय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ अमृततत्त्वाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नश्चन्द्र: नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ चन्द्रत्त्वां चन्द्रेण क्रीणामि शुक्रेण मृतममृतेनगोरस्मोरतेचन्द्राणि ।

भौमगायत्रीमन्त्र :

ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि । तन्नो भौम: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ अङ्गारकाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ शक्तिहस्ताय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तत्रो भौमः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ अं अङ्गारकाय नमः।

पृथिवीगायत्रीमन्त्र:

ॐ पृथिवीदेव्यै च विद्महे सहस्त्रमूर्त्यै च धीमहि । तन्नो मही प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ पृथिवीदैव्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विग्रहे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ सहस्रमूर्त्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो मही नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

मूलमन्त्र :

ॐ भूरसिभूतादिरसिश्विस्यधायाभुवनस्यमाहिंसीर्नमः।

अग्निगायत्रीमन्त्र:

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निमध्याय धीमहि । तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ महाज्यालाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ अग्निमध्न्याय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नोऽग्निः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ अं अं अग्नये नमः।

द्वितीय अग्निगायत्री:

ॐ वैश्वानराय विद्महे लालीलाय धीमहि । तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ।

जलगायत्रीमन्त्र :

ॐ जलबिंबाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि । तन्नस्त्बंबू प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ जलबिम्बाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ नीलपुरुषाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नस्त्वम्बु नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।। ६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

जं जं ॐ वं वं ॐ लं लं ॐ जलबिम्बाय नमः ।

आकाशगायत्रीमन्त्र:

ॐ आकाशाय च विद्महे नभोदेवाय धीमहि। तन्नो गगनं प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ आकाशाय हदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ नभोदेवाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।। ४।।

ॐ तन्नो गगनं नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।

मूलमन्त्र : ॐ गं गं ॐ नं नं ॐ आँ आँ ॐ गगनाय नमः ।

पवन (वायु) गायत्रीमन्त्र :

ॐ पवनपुरुषाय विद्महे सहस्रमूर्तये च धीमहि । तन्नो वायुः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ पवनपुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ सहस्रमूर्तये च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो वायु: नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ पं पं ॐ वाँ वाँ ॐ युं युं ॐ पवनपुरुषाय नमः ।

इन्द्रगायत्रीमन्त्र :

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि । तन्न इद्रः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ सहस्राक्षाय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्न इन्द्रः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

कामगायत्रीमन्त्र:

ॐ मन्मथेशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि । तन्नोनङ्ग: प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ मन्मयेशाय हृदयाय नमः ॥१॥

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ कामदेवाय शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नोनङ्गः नेत्रत्रयाय वषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

द्वितीय कामगायत्री :

ॐ कामदेवाय विद्महे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नोनङ्ग: प्रचोदयात् ।

गुरुगायत्रीमन्त्र :

ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि । तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ गुरुदेवाय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ परब्रह्माय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो गुरु: नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ हुँ सँ क्रॉ सौः गुरुदेवपरमात्मने नमः।

तुलसीगायत्रीमन्त्र :

ॐ श्रीत्रिपुराय हृदयाय तुलसीपत्राय धीमहि । तन्नतुलसी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास:

ॐ श्रीत्रिपुराय हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ तुलसीपत्राय शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नतुलसी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

देवीगायत्रीमन्त्रः

ॐ देव्यब्रह्माण्यै विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ देव्याब्रह्माण्यै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महाशक्त्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

मूलमन्त्र :

ॐ ह्रां श्रीं क्लीं नमः ।

शक्तिगायत्रीमन्त्र:

ॐ सर्वसम्मोहिन्यै विद्महे विश्वजनन्यै धीमहि। तन्नः शक्तिः प्रचोदयात्।

षडङ्गन्यासः

ॐ सर्वसम्मोहिन्यै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ विश्वजनन्यै शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नः शक्तिः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५॥

ॐ प्रचोदयादस्वाय फट् ॥६॥

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

दुर्गागायत्रीमन्त्रः

ॐ कात्यायन्यै विद्यहे कन्याकुमार्यै धीमहि । तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ कात्यायन्यै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ कन्याकुमार्यै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो दुर्गाः नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

द्वितीय दुर्गागायत्रीमन्त्र:

ॐ महादेव्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि । तन्नो देवि प्रचोदयात् ।

जयदुर्गागायत्रीमन्त्र :

ॐ नारायण्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि । तन्नो गौरी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ नारायण्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्यहे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ दुर्गायै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४॥

ॐ तन्नो गौरी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

अन्नपूर्णागायत्रीमन्त्र:

ॐ भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि। तन्नोऽन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ भगवत्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ माहेश्वर्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४।।

ॐ तन्नोऽन्नपूर्णा नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

कालीगायत्रीमन्त्रः

ॐ कालिकायै विद्महे श्मशानवासिन्यै धीमहि । तन्नोऽघोरा प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ कालिकायै हृदयाय नमः ।।१।। ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ श्मशानवासिन्यै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नोऽघोरा नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

तारागायत्रीमन्त्र:

ॐ तारायै च विद्महे महोग्रायै च धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास:

ॐ तारायै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महोग्रायै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

षोडशी (त्रिपुरसुन्दरी) गायत्रीमन्त्र :

ॐ ऐं त्रिपुरादेव्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहि । सौस्तन्न: क्लिन्ने प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ ऐं त्रिपुरादेव्यै हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ शिरसे विद्महे स्वाहा ।।२।।

ॐ क्लीं कामेश्वर्यै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ सौस्तन्न: क्लिन्ने नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

द्वितीय त्रिपुरासुन्दरीगायत्रीमन्त्रः

ॐ क्लीं त्रिपुरादेव्यै विद्यहे कामेश्वरी धीमहि । तन्न: क्लिन्ने प्रचोदयात् ।

तृतीय त्रिपुरासुन्दरीगायत्रीमन्त्र :

ॐ ऐं वागीश्वर्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहिर्यै । सोस्तन्न: शक्तिः प्रचोदयात् ।

इति षोडशीभेदेन बालागायत्रीमन्त्रः।

भुवनेश्वरीगायत्रीमन्त्र :

ॐ नारायण्यै च विद्महे भुवनेश्वर्यै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ नारायण्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ भुवनेश्वर्यै शिखायै वषट् ॥३॥

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

भैरवीगायत्रीमन्त्र :

ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ त्रिपुरायै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ भैरव्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

छिन्नमस्तागायत्रीमन्त्रः

ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ वैरोचन्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ छिन्नमस्तायै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

धूमावतीगायत्रीमन्त्र:

ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि । तन्नो धूमा प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यासः

ॐ धूमावत्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ संहारिण्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो धूमा नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

बगलामुखीगायत्रीमन्त्र:

ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ बगलामुख्यै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ स्तम्भिन्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्वाय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

अथ मातङ्गीगायत्रीमन्त्र :

ॐ मातङ्गयै च विद्महे उच्छिष्टचाण्डाल्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ मातङ्गायै च हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ उच्छिष्टचाण्डाल्यै च शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

महिषमर्दिनीगायत्रीमन्त्र:

ॐ महिषमर्दिन्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ महिषमर्दिन्यै हृदयाय नमः ।। १ ।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ दुर्गायै शिखायै वषट् ॥३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ।।४।।

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

त्वरितागायत्रीमन्त्र :

 ॐ त्वरिता देवी विद्महे महानित्यायै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

षडङ्गन्यास :

ॐ त्वरिता देवी हृदयाय नमः ।।१।।

ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ।।२।।

ॐ महानित्यायै शिखायै वषट् ।।३।।

ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥

ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ।।५।।

ॐ प्रचोदयादस्वाय फट् ।।६।।

इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।

इति श्रीत्र्यधिकपञ्चाशद्देवता गायत्रीमन्त्रे गायत्रीपटलतंत्रं समाप्तम्।

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