अग्निपुराण अध्याय ११८
अग्निपुराण
अध्याय ११८ में भारतवर्ष का वर्णन है।
अग्निपुराणम् अष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः
Agni puran chapter 118
अग्निपुराण एक सौ अठारहवाँ अध्याय
अग्नि पुराण अध्याय ११८
अग्निपुराणम् अध्यायः ११८– भारतवर्षं
अथ अष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः
अग्निरुवाच
उत्तरं
यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणं ।
वर्षं
तद्भारतं नाम नवसाहस्रविस्तृतं ॥१॥
कर्मभूमिरियं
स्वर्गमपवर्गं च गच्छतां ।
महेन्द्रो
मलयः सह्यः शुक्तिमान् हेमपर्वतः ॥२॥
विन्ध्यश्च
पारिपात्रश्च सप्तात्र कुलपर्वताः ।
इन्द्रद्वीपः
कसेरुश्च ताम्रवर्णो गभस्तिमान् ॥३॥
नागद्वीपस्तथा
सौम्यो गान्धर्वस्त्वथ वारुणः ।
अयं तु
नवमस्तेषु द्वीपः सागरसंवृतः ॥४॥
अग्निदेव कहते
हैं- समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण जो वर्ष है, उसका नाम 'भारत'
है। उसका विस्तार नौ हजार योजन है। स्वर्ग तथा अपवर्ग पाने की
इच्छावाले पुरुषों के लिये यह कर्मभूमि है। महेन्द्र, मलय,
सह्य शुक्तिमान्, हिमालय, विन्ध्य और पारियात्र – ये सात यहाँ के कुल पर्वत हैं। इन्द्रद्वीप,
कसेरु, ताम्रवर्ण, गभस्तिमान्,
नागद्वीप, सौम्य, गान्धर्व
और वारुण-ये आठ द्वीप हैं। समुद्र से घिरा हुआ भारत नवाँ द्वीप है॥१-४॥
योजनानां
सहस्राणि द्वीपोयं दक्षिणोत्तरात् ।
नव भेदा
भारतस्य मध्यभेदेऽथ पूर्वतः ॥५॥
किराता
यवनाश्चापि ब्राह्मणाद्याश्च मध्यतः ।
वेदस्मृतिमुखा
नद्यः पारिपात्रोद्भवास्तथा ॥६॥
विन्ध्याच्च
नर्मदाद्याः स्युः सह्यात्तापी पयोष्णिका ।
गोदावरीभीमरथीकृष्णवेणादिकास्तथा
॥७॥
भारतद्वीप
उत्तर से दक्षिण की ओर हजारों योजन लंबा है। भारत के उपर्युक्त नौ भाग हैं । भारत की
स्थिति मध्य में है। इसमें पूर्व की ओर किरात और (पश्चिम में) यवन रहते हैं।
मध्यभाग में ब्राह्मण आदि वर्णों का निवास है। वेद स्मृति आदि नदियाँ पारियात्र
पर्वत से निकली हैं। विन्ध्याचल से नर्मदा आदि प्रकट हुई हैं। सह्य पर्वत से तापी, पयोष्णी, गोदावरी,
भीमरथी और कृष्णवेणा आदि नदियों का प्रादुर्भाव हुआ है ॥ ५-७ ॥
मलयात्कृतमालाद्यास्त्रिसामाद्या
महेन्द्रजाः ।
कुमाराद्याः शुक्तिमतो
हिमाद्रेश्चन्द्रभागका ॥
पश्चिमे कुरुपाञ्चालमध्यदेशादयःस्थिताः
॥८॥
मलय से
कृतमाला आदि और महेन्द्र पर्वत से त्रिसामा आदि नदियाँ निकली हैं। शुक्तिमान् से कुमारी
आदि और हिमालय से चन्द्रभागा आदि का प्रादुर्भाव हुआ है। भारत के पश्चिमभाग में
कुरु, पाञ्चाल और मध्यदेश आदि की स्थिति है ॥ ८ ॥
इत्याग्नेये
महापुराणे भारतवर्षं नामाष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः ॥
इस प्रकार आदि
आग्नेय महापुराण में 'भारतवर्ष का वर्णन' नामक एक सौ अठारहवाँ अध्याय पूरा
हुआ ॥११८॥
आगे जारी.......... अग्निपुराण अध्याय 119
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