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कर्मकाण्ड

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श्रीदेवीरहस्य पटल ९

श्रीदेवीरहस्य पटल ९

रुद्रयामलतन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्यम् के पटल ९ में देवी, वैष्णव और शाक्त मन्त्रों के सम्पुट की विधि के विषय में बतलाया गया है।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९

रुद्रयामलतन्त्रोक्तं श्रीदेवीरहस्यम् नवमः पटल सम्पुटविधिः

Shri Devi Rahasya Patal 9

रुद्रयामलतन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य नौवाँ पटल

रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्यम् नवम पटल

श्रीदेवीरहस्य पटल ९  सम्पुट की विधि

अथ नवमः पटल:

सम्पुटविधिः

श्रीभैरव उवाच

अथाहं सर्वमन्त्राणां वक्ष्ये सम्पुटसङ्क्रमम् ।

यं विज्ञाय भवेद् देवि सर्वसौख्यमयः सुधीः ॥ १ ॥

श्री भैरव ने कहा कि हे देवि ! अब मैं सभी मन्त्रों को सम्पुटित करने की विधि का वर्णन करता हूँ, जिसकी जानकारी होने से साधक सभी सुखों को प्राप्त करता है । । १ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- बालामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

बालायाः शक्तिबीजं तु दद्यादादौ महेश्वरि ।

बालात्रिपुरसुन्दर्याः सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥२॥

बाला मन्त्र का सम्पुट मन्त्र - बाला मन्त्र के शक्तिबीज सौ: को मन्त्र के पहले लगाने से इसका सम्पुट होता है। मन्त्र होता हैसौः ऐं क्लीं सौः ।। २ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- त्रिकूटामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

मायात्रयं पठेदन्ते त्रिकूटाया महेश्वरि ।

साध्यस्त्रिपुरभैरव्याः सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥३॥

त्रिपुरसुन्दरी मन्त्र का सम्पुट मन्त्र- त्रिकूटा पंचदशी मन्त्र के तीनों ह्रीं को मन्त्र के अन्त में लगाने से सम्पुट होता है। मन्त्र का स्वरूप होगा - कएईलह्रीं हसकहलह्रीं सकल ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ।। ३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- त्रिपुर भैरवीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

शक्त्यादिकूटं मन्त्रस्य दद्यादादौ जपेन्मनुम् ।

महात्रिपुरसुन्दर्या मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥४॥

महात्रिपुरसुन्दरी मन्त्र सम्पुटनउपरि वर्णित पञ्चदशी मन्त्र के शक्तिकूट 'सकलह्रीं' को मन्त्र के पहले लगाकर जप करने से महात्रिपुरसुन्दरी 'का सम्पुट होता है। मन्त्र होगा - सकलह्रीं कएईलह्रीं हसकहलह्रीं सकलह्रीं ॥ ४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- दक्षिणकालीमन्त्रसम्पुटमन्त्रः

श्यामास्ति दक्षिणाकाली द्वाविंशत्यक्षरी शिवे ।

सर्वदोषविनिर्मुक्ता पुरापि कथितं मया ॥ ५ ॥

दक्षिणकाली मन्त्र सम्पुटन- श्यामा काली के बाईस अक्षर का मन्त्र सर्व दोषविनिर्मुक्त है, ऐसा मैंने पहले ही कहा है।।५।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- भद्रकालीमन्त्रसप्पुटीकरणमन्त्रः

भद्रिकामञ्चले दत्त्वा जपेन्मूलं महेश्वरि ।

भद्रकाल्या अयं मन्त्रः सम्पुटाख्योऽस्ति सुन्दरि ॥६॥

भद्रकाली मन्त्र सम्पुटन भद्रकाली मन्त्र के अन्त में 'भैं' लगाकर जप करने से इसका सम्पुटन होता है।। ६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- राजमातङ्गिनीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारमन्ते जपेद् देवि त्रिवारं प्रोच्चरेत् सुधीः ।

राजमातङ्गिनीदेव्याः सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥७॥

राजमातङ्गिनी मन्त्र सम्पुटन राजमातङ्गिनी मन्त्र के अन्त में तीन बार '' का उच्चारण करने से इसका सम्पुट होता है ।।७।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- भुवनेश्वरीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वान्ते च पराबीजं दशवारं पठेच्छिवे ।

मन्त्रोऽयं भुवनेश्वर्याः सम्पुटाख्यः सुसिद्धिदः ॥

भुवनेश्वरी मन्त्र का सम्पुटन- मन्त्र ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः के बाद 'ह्रीं' का उच्चारण दश बार करने से इसका सम्पुट होता है सम्पुटित मन्त्र सुसिद्धिप्रद होता है ।।८।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- उग्रतारामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तुरगं मूलमन्त्रादौ जपेत् पार्वति साधक: ।

उग्रतारामनोरेष मन्त्रः श्रीसम्पुटाभिधः ॥ ९ ॥

उग्रतारा मन्त्र सम्पुटन उग्रतारा मन्त्र के पहले 'फट्' लगाकर जप करने से इसका सम्पुटन होता है।। ९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- छिन्नमस्तामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

मायाद्वयं जपेदन्ते साधक: साधकेश्वरि ।

मन्त्रोऽयं छिन्नमस्ताया: सम्पुटाख्योऽतिदुर्लभः ॥ १० ॥

छिन्नमस्ता मन्त्र सम्पुटन छिन्नमस्ता मन्त्र के अन्त में 'ह्रीं ह्रीं' लगाकर जप करने से दुर्लभ मन्त्र बनता है ।। १० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- उच्छिष्टमातङ्गी (सुमुखी) मन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

पद्मत्रयं पठेदादौ मायामन्ते महेश्वरि ।

देव्या उच्छिष्टमातङ्गयाः सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥ ११ ॥

उच्छिष्टमातङ्गी मन्त्र सम्पुटन उच्छिष्टमातङ्गी मन्त्र के पहले 'ठः ठः ठः' और अन्त में 'ह्रीं' लगाकर जप करने से मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ११ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- सरस्वतीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वाग्भवं च मनोरन्ते पठेत् साधकसत्तमः ।

सरस्वत्या मनोर्देवि मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ १२ ॥

सरस्वती मन्त्र सम्पुटन-सरस्वती मन्त्र के अन्त में 'ऐं' लगाकर जप करने से यह सम्पुटित मन्त्र बनता है ।। १२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- अन्नपूर्णामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारं कामं मनोरन्ते दद्यात् पार्वति साधकः ।

अन्नपूर्णामनोरेष मनुः स्यात् सम्पुटाभिधः ॥१३॥

अन्नपूर्णा मन्त्र सम्पुटन- अन्नपूर्णा मन्त्र के अन्त में 'ॐ क्लीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। १३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- महालक्ष्मीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वाग्भवं प्रथमं दद्यादन्ते दद्याच्च मन्मथम् ।

देवताया महालक्ष्म्याः सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥१४॥

महालक्ष्मी मन्त्र सम्पुटन - अन्नपूर्णा मन्त्र के पहले 'ऐं' और बाद में 'क्लीं' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। १४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- शारिकामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

सिन्धुरं साधको दद्यान्मनोरन्ते महेश्वरि ।

शारिकामूलमन्त्रस्य मन्त्रः सम्मुटकाभिधः ॥ १५ ॥

शारिका मन्त्र सम्पुटन- शारिका मन्त्र के अन्त में 'फ्रां' जोड़कर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। १५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- शारदामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारं कामं मनोरन्ते पठेत् साधकसत्तमः ।

शारदाया: सरस्वत्या मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ १६ ॥

शारदा मन्त्र सम्पुटन - शारदा सरस्वती मन्त्र के पहले 'ह्रीं' और बाद में 'ऐं' लगाने से यह सम्पुटित होता है ।। १६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- इन्द्राक्षीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

शक्तिमादौ पठेन्मन्त्री वाणीमन्ते महेश्वरि ।

इन्द्राक्ष्या वज्रहस्ताया मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ १७॥

इन्द्राक्षी मन्त्र सम्पुटन- इन्द्राक्षी मन्त्र के पहले 'सौ:' और अन्त में 'ऐं' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है।।१७।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- बगलामुखीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

रसनां मृत्तिकाबीजं मनोरन्ते पठेत् सुधीः ।

श्रीदेव्या बगलामुख्या मन्त्रः सम्पुटकाभिधः ॥ १८ ॥

बगलामुखी मन्त्र सम्पुटन- बगलामुखी मन्त्र के बाद 'क्रीं ह्रीं' जोड़कर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। १८ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- महातुरीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारं दद्यान्मनोरन्ते जपेत् पार्वति साधकः ।

महातुर्या मनोरेष सम्पुटाख्योऽस्ति सिद्धिदः ॥ १९ ॥

महातुरी मन्त्र सम्पुटन महातुरी मन्त्र के अन्त में '' जोड़कर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है।।१९।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- महाराज्ञीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वह्निं वाणीं पठेदन्ते जपेत् पार्वति साधकः ।

महाराज्ञ्या मनोरेष मनुः स्यात् सम्पुटाभिधः ॥ २० ॥

महाराज्ञी मन्त्र सम्पुटन- महाराज्ञी मन्त्र के अन्त में 'रां ऐं' जोड़कर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। २० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- ज्वालामुखीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कूर्चमादौ हरं चान्ते जपेन्मूलं महेश्वरि ।

ज्वालामुख्या अयं मन्त्रः सम्पुटाख्योऽस्ति पार्वति ॥ २१ ॥

ज्वालामुखी मन्त्र सम्पुटन - ज्वालामुखी मन्त्र के पहले 'हूं' और बाद में 'फट्' लगाने से यह सम्पुटित होता है ।। २१ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- भीड़ामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारं शक्तिं मनोरन्ते ठद्वयं प्रथमं पठेत् ।

सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मन्त्रो भीडाया देवदुर्लभः ॥ २२ ॥

भीड़ा देवी मन्त्र सम्पुटन- भीड़ा देवी मन्त्र के पहले 'स्वाहा' और बाद में 'ॐ सौः' लगाने से मन्त्र सम्पुटित होता है ।। २२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- कालरात्रिमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कुरु- बीजं जपेदादौ विश्वान्ते प्रणवं पठेत् ।

कालरात्रिमनोरेष मन्त्रः सम्पुटकारणम् ॥ २३ ॥

कालरात्रि मन्त्र सम्पुटन कालरात्रि मन्त्र के पहले कुरुबीज 'ऐं' और अन्त में '' लगाकर जप करने से इसका सम्पुटन होता है।। २३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- भवानीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

रमां तारं पठेदन्ते कूर्चमादौ महेश्वरि ।

भवानीमूलमन्त्रस्य सम्पुटोऽयं मयेरितः ॥ २४ ॥

भवानी मन्त्र सम्पुटन भवानी मन्त्र के पहले 'हूं' और अन्त में 'श्रीं ॐ' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। २४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- वज्रयोगिनी मन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारादौ सकलां दद्यादन्ते तारं जपेत् प्रिये ।

सम्पुटो वर्णितो देवि श्रीवज्रयोगिनीमनोः ॥ २५॥

वज्रयोगिनी मन्त्र सम्पुटन- वज्रयोगिनी मन्त्र के पहले 'ॐ ह्रीं' और बाद में "ॐ' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। २५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- धूम्रवाराहीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

मठबीजं जपेदादौ मन्त्रान्ते पङ्कजं जपेत् ।

मन्त्रोऽयं धूम्रवाराह्याः सम्पुटाख्यो मयेरितः ॥ २६ ॥

धूम्रवाराही मन्त्र सम्पुटन धूम्रवाराही मन्त्र के पहले 'ग्लौं' और अन्त में 'ठ:' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। २६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- सिद्धलक्ष्मीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कामराजं जपेदादौ विश्वान्ते वाग्भवं जपेत् ।

सिद्धलक्ष्मीमनोरेष सम्पुटो वर्णितो मया ।। २७ ।।

सिद्धलक्ष्मी मन्त्र सम्पुटन - सिद्धलक्ष्मी मन्त्र के पहले 'क्लीं' और बाद में 'ऐं' लगाने से इसका सम्पुटन होता है।। २७ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- कुलवागीश्वरीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

स्पृहामादौ जपेद् देवि वनान्ते पङ्कजं जपेत् ।

मन्त्रोऽयं सम्पुटाख्योऽस्ति कुलवागीश्वरीमनोः ॥ २८॥

कुलवागीश्वरीमन्त्र सम्पुटन - कुलवागीश्वरी मन्त्र के पहले 'झं' और बाद में 'ठ:' लगाकर जप से यह सम्पुटित होता है ।। २८ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- पद्मावतीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कामराजं जपेदादौ वनान्ते सकलां जपेत् ।

पद्मावतीमनोरेष मन्त्रः स्यात् सम्पुटाभिधः ॥ २९ ॥

पद्मावती मन्त्र सम्पुटन-पद्मावती मन्त्र के पहले 'क्लीं' और बाद में 'ह्रीं' लगाने से यह सम्पुटित होता है।। २९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- कुब्जिकामन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वागुरां प्रणवादौ च वनान्ते पङ्कजं जपेत् ।

कुब्जिकामूलमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ३० ॥

कुब्जिका मन्त्र सम्पुटन- कुब्जिका मन्त्र के पहले 'प्रीं ॐ' और बाद में ठः लगाने से यह सम्पुटित होता है।।३०।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- गौरीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

मठमादौ महादेवि ठद्वयान्ते शिवं जपेत् ।

गौरीमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटो वर्णितो मया ॥३१॥

गौरी मन्त्र का सम्पुटन- गौरी मन्त्र के पहले 'ग्लौं' और अन्त में 'स्वाहा' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ३१ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- खेचरीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वान्ते सञ्जपेत् कूटं कूटादौ शरदं जपेत् ।

खेचरीमूलमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ३२ ॥

खेचरी मन्त्र सम्पुटन- खेचरी मन्त्र के अन्त में 'सौ: क्लीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है।।३२।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- नीलसरस्वतीमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कूर्चं जपेन्मनोरादौ वनान्ते तुरगं जपेत् ।

मनोर्नीलसरस्वत्याः सम्पुटो वर्णितो माया ।। ३३ ।।

नीलसरस्वती मन्त्र सम्पुटन- नीलसरस्वती मन्त्र के पहले 'हूं' और बाद में 'फट्' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ३३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- पराशक्तिमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वाग्भवं प्रथमं देवि प्रणवं उद्वयाञ्चले ।

पराशक्तिमनोरेष मन्त्रः सम्पुटकारणम् ॥३४॥

पराशक्ति मन्त्र सम्पुटन- परा शक्ति मन्त्र के पहले ऐं और स्वाहा के बाद ॐ लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।।३४।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- शैवमन्त्रसम्पुटनप्रकारकथनम्

निष्कीलितानां मन्त्राणां शैवानां कुलपूजिते ।

सर्वसाधारणं वक्ष्ये सम्पुटं सुरपूजिते ॥ ३५ ॥

शैव मन्त्र - भैरव ने कहा कि हे सुरपूजिते ! कुलपूजिते !! शैव मन्त्र कीलित नहीं हैं। सर्व साधारण के लिए उन मन्त्रों के सम्पुटन मन्त्र को कहता हूँ ।। ३५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- सामान्यशैवमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारद्वयं जपेदादौ मध्ये नामाञ्चले पराम् ।

सर्वेषां शैवमन्त्राणां सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥ ३६ ॥

सामान्य शैव मन्त्र सम्पुटन सभी शैव मन्त्रों के प्रारम्भ में दो बार '' का जप और मध्य में नाम के बाद 'ह्रीं' के जप से मन्त्र सम्पुटित होता है। जैसे-ॐ भैरवाय नमः का सम्पुटित रूप होगा ॐ ॐ ॐ भैरवाय ह्रीं नमः ।। ३६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- मृत्युञ्जयमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारं हृज्जं पठेन्मध्ये पालय द्वयमादितः ।

मृत्युञ्जयमनोरेष सम्पुटो वर्णितो मया ।। ३७ ।।

मृत्युञ्जय मन्त्र सम्पुटन-मृत्युजंय में 'पालय पालय' के पहले 'ॐ जूं' लगाने से मन्त्र होता है - ॐ जूं सः ॐ जूं पालय पालय सः ॐ । यही मृत्युञ्जय का सम्पुटित मन्त्र है ।। ३७।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- अमृतेश्वरमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वमादौ महादेवि शक्तिमन्ते जपेत् सुधीः ।

अमृतेश्वरमन्त्रस्य सम्पुटाख्योऽस्त्ययं मनुः ॥ ३८ ॥

अमृतेश्वर मन्त्र सम्पुटन अमृतेश्वर मन्त्र के पहले 'ऐं ऐं' और अन्त में 'सौ:' लगाकर जप करने से इस मन्त्र का सम्पुटन होता है। मन्त्र इस प्रकार बनता है - ऐं ऐं ॐ जूं फट् अमृतेशाय नमः सौः ।। ३८ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- वटुकभैरवमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कुरु द्वयादौ प्रणवं परान्तेऽपि कुरु- द्वयम् ।

सम्पुटाख्यो मनुः प्रोक्तो वटुकस्य मया शिवे ॥ ३९ ॥

बटुक मन्त्र सम्पुटन बटुक मन्त्र में '' के पहले 'कुरु कुरु' और अन्त में 'कुरु कुरु' लगाने से मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ३९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- नीलकण्ठमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

हरितं द्विः समुच्चार्य मध्ये नाम ततः पराम् ।

मन्त्रोऽयं नीलकण्ठस्य सम्पुटाख्यो मयेरितः ॥ ४० ॥

नीलकण्ठ मन्त्र सम्पुटननीलकण्ठ मन्त्र के पहले 'ह्सौः ह्सौः' लगाकर मध्य में चतुर्थ्यन्त नीलकण्ठ नाम के बाद ' ह्रीं ' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है। जैसेह्सौः ह्सौः ॐ ह्सौः ह्रां नीलकण्ठाय ह्रीं नमः ।।४० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- सद्योजातमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारमन्ते परामादौ जपेत् साधकसत्तमः ।

सद्योजातस्य मन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ४१ ॥

सद्योजात मन्त्र सम्पुटन- सद्योजात मन्त्र के पहले 'ह्रीं' और अन्त में '' लगाने से मन्त्र सम्पुटित होता है।।४१।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- महागणपतिमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

परात्रयं शिवान्ते च प्रणवान्ते शिवत्रयम् ।

महागणपतेरेष मन्त्रः सम्पुटकारकः ॥ ४२ ॥

महागणपति मन्त्र सम्पुटन मन्त्र है- ह्रीं गं ह्रीं गणपतये नमः । महागणपति मन्त्र में 'गं' के बाद तीन 'ह्रीं' और 'नमः' के बाद तीन 'गं' लगाने से मन्त्र सम्पुटित होता है। जैसे- ह्रीं गं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं गणपतये नमः ॐ गं गं गं ।। ४२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- अघोर भैरवमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वबीजं जपेदादौ विश्वमन्ते जपेत् प्रिये ।

मन्त्रोऽस्त्यघोरदेवस्य वर्णितः सम्पुटाभिधः ॥ ४३ ॥

अघोर मन्त्र सम्पुटन अघोर मन्त्र के पहले 'नमः' और अन्त में 'नमः' लगाकर जप करने से मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ४३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- कामेश्वरमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

कूटमादौ महादेवि कूटान्ते वाग्भवं जपेत् ।

श्रीकामेश्वरमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ४४ ॥

कामेश्वर मन्त्र सम्पुटन - कामेश्वर मन्त्र के कूटों के पहले और बाद में 'ऐं' लगाकर जप करने से मन्त्र सम्पुटित होता है। जैसेऐं ऐं क्लीं सौः ऐं ऐं ॐ श्रीं ह्रीं कामेश्वर ह्रीं श्रीं ॐ ऐं ऐं सौः क्ली ऐं ऐं ।। ४४ ।।

एतेषामपि मन्त्राणां शैवानां कुलनायिके ।

निष्कीलितो महाकालमन्त्रो दोषविवर्जितः ॥४५ ॥

हे कुलनायिके! इन समस्त शैव मन्त्रों में महाकाल का मन्त्र कीलित नहीं है, अतः वह दोषवर्जित है ।। ४५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- वैष्णमन्त्रसम्पटनप्रकारकथनम्

अधुना वैष्णवानां ते मन्त्राणां परमेश्वरि ।

वक्ष्ये सम्पुटमन्त्रांश्च साधकानां हितेच्छया ॥४६ ॥

वैष्णव मन्त्र- हे परमेश्वरि ! अब मैं साधकों के हित के लिये वैष्णव मन्त्रों के सम्पुटीकरण को बतलाता है।।४६।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- लक्ष्मीनारायणमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

नामान्ते कमलां देवि विश्वान्ते प्रणवं जपेत् ।

लक्ष्मीनारायणमनोर्मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥४७॥

लक्ष्मीनारायण मन्त्र सम्पुटन- लक्ष्मीनारायण मन्त्र में नाम के अन्त में 'श्रीं' और 'नमः' के बाद '' जोड़कर जप करने से मन्त्र सम्पुटित होता है। जैसे- ॐ ह्रीं हसौः ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण श्रीं नमः ॐ ।। ४७ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- राधाकृष्णमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

हरमादौ महादेवि ठद्वयान्ते रमां जपेत् ।

श्रीराधाकृष्णमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥४८॥

राधाकृष्ण मन्त्र सम्पुटन - राधाकृष्ण मन्त्र के पहले 'फट्' और अन्त में 'श्रीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।।४८।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- विष्णुमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारमन्ते जपेदादौ विश्वं विश्वसमर्चिते ।

श्रीविष्णुमूलमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥४९॥

विष्णु मन्त्र सम्पुटन श्रीविष्णु मन्त्र के पहले 'नमः' और अन्त में '' लगाकर जप करने से इसका सम्पुटन होता है ।। ४९ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- लक्ष्मीनृसिंहमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

स्मरमादौ जपेद् देवि रमाबीजं तथाञ्चले ।

लक्ष्मीनृसिंहमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ५० ॥

लक्ष्मीनृसिंह मन्त्र सम्पुटन - लक्ष्मीनृसिंह मन्त्र के पहले 'क्लीं' और अन्त में 'श्रीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ५० ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- लक्ष्मीवराहमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वमादौ मनोदेवि नाम्नोऽग्रे सकलां जपेत् ।

लक्ष्मीवराहमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥ ५१ ॥

लक्ष्मीवराह मन्त्र का सम्पुटन- लक्ष्मीवराह मन्त्र के पहले 'क्लीं' और अन्त में 'श्रीं' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ५१ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- भार्गवराममन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

सरोजं प्रथमं देवि वनान्ते च रमां जपेत् ।

जामदग्न्यमनोरेष मन्त्र: सम्पुटकारकः ॥५२॥

परशुराम मन्त्र सम्पुटन - जामदग्न्य परशुराम मन्त्र के पहले 'ठ:' और अन्त में 'श्रीं' लगाने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ५२ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- सीताराममन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

तारमन्ते वनं चादौ जपेत् साधकसत्तमः ।

श्रीसीताराममन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥५३॥

सीताराम मन्त्र सम्पुटन- सीताराम मन्त्र के पहले 'नमः' और अन्त में '' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ५३ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- जनार्दनमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

विश्वान्ते नाम देवेशि मायुगं प्रथमं जपेत् ।

श्रीजनार्दनमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिः ॥ ५४ ॥

श्री जर्नादन मन्त्र सम्पुटन श्री जनार्दन मन्त्र के पहले 'श्रीं श्रीं' और अन्त में नाद '' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है ।। ५४ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- विश्वक्सेनमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

परमादौ परामन्ते जपेत् साधकनायकः ।

विश्वक्सेनमनोरेष मन्त्रः सम्पुटकारकः ॥५५॥

विश्वक्सेन मन्त्र सम्पुटन - विश्वक्सेन मन्त्र के पहले 'ह्रीं' और अन्त में 'ह्रीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है।। ५५ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९- वासुदेवमन्त्रसम्पुटीकरणमन्त्रः

वाणीमादौ जपेद् देवि लक्ष्मीमन्ते महेश्वरि ।

श्रीवासुदेवमन्त्रस्य मन्त्रोऽयं सम्पुटाभिधः ॥५६ ।।

श्री वासुदेव मन्त्र सम्पुटन श्री वासुदेव मन्त्र के पहले 'ऐं' और अन्त में 'श्रीं' लगाकर जप करने से यह मन्त्र सम्पुटित होता है।। ५६ ।।

श्रीदेवीरहस्य पटल ९

इतीदं मन्त्रसर्वस्वं रहस्यं तत्त्वमुत्तमम् ।

तव स्नेहेन निर्णीतं गोपनीयं मुमुक्षुभिः ॥५७॥

यह वर्णन मन्त्रसर्वस्व और उत्तम तत्त्व का रहस्य है। तुम्हारी भक्ति के वश में होकर मैंने इसका वर्णन किया है। मुमुक्षुओं के लिये भी यह गोपनीय है ।। ५७ ।।

इति श्रीरुद्रयामले तन्त्रे श्रीदेवीरहस्ये सम्पुटविधिनिरूपणं नाम नवमः पटलः ॥ ९ ॥

इस प्रकार रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य की भाषा टीका में सम्पुटविधिनिरूपण नामक नवम पटल पूर्ण हुआ।

आगे जारी............... रुद्रयामल तन्त्रोक्त श्रीदेवीरहस्य पटल 10

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