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मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
श्री लक्ष्मी द्वादशनाम व अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम् व श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् का पाठ करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और मनचाहा फल प्रदान करती हैं...
अथ श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम्
ईश्वरीकमला
लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा
पद्मालया सम्पद् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि
नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा
लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।
अर्थ - ईश्वरी,
कमला,
लक्ष्मी,
चला,
भूति,
हरिप्रिया,
पद्मा,
पद्मालया,
संपद्,
रमा,
श्री,
पद्मधारिणी।
इन १२ नामों से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाए तो स्थिर लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति
होती है।
इति: श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम् ॥
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
देव्युवाच
देवदेव!
महादेव! त्रिकालज्ञ! महेश्वर!
करुणाकर
देवेश! भक्तानुग्रहकारक! ‖
अष्टोत्तर शतं
लक्ष्म्याः श्रोतुमिच्छामि तत्त्वतः ‖
ईश्वर उवाच
देवि! साधु
महाभागे महाभाग्य प्रदायकं।
सर्वैश्वर्यकरं
पुण्यं सर्वपाप प्रणाशनम् ‖
सर्वदारिद्र्य
शमनं श्रवणाद्भुक्ति मुक्तिदम्।
राजवश्यकरं
दिव्यं गुह्याद्-गुह्यतरं परं ‖
दुर्लभं
सर्वदेवानां चतुष्षष्टि कलास्पदम्।
पद्मादीनां
वरान्तानां निधीनां नित्यदायकम् ‖
समस्त देव
संसेव्यं अणिमाद्यष्ट सिद्धिदं।
किमत्र
बहुनोक्तेन देवी प्रत्यक्षदायकं ‖
तव
प्रीत्याद्य वक्ष्यामि समाहितमनाश्शृणु ।
अष्टोत्तर
शतस्यास्य महालक्ष्मिस्तु देवता ‖
क्लीं बीज
पदमित्युक्तं शक्तिस्तु भुवनेश्वरी।
अङ्गन्यासः
करन्यासः स इत्यादि प्रकीर्तितः ‖
ध्यानम्
वन्दे
पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यामभयप्रदां
मणिगणैः नानाविधैः भूषितां।
भक्ताभीष्ट
फलप्रदां हरिहर ब्रह्माधिभिस्सेवितां
पार्श्वे
पङ्कज शङ्खपद्म निधिभिः युक्तां सदा शक्तिभिः॥ ‖
सरसिज नयने
सरोजहस्ते धवल तरांशुक गन्धमाल्य शोभे।
भगवति
हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीदमह्यम् ॥ ‖
स्तोत्रम्
प्रकृतिं,
विकृतिं,
विद्यां,
सर्वभूत
हितप्रदां ।
श्रद्धां,
विभूतिं,
सुरभिं,
नमामि
परमात्मिकाम् ॥ ‖
वाचं,
पद्मालयां,
पद्मां,
शुचिं,
स्वाहां,
स्वधां,
सुधां।
धन्यां,
हिरण्ययीं,
लक्ष्मीं,
नित्यपुष्टां,
विभावरीम्॥ ‖
अदितिं च,
दितिं,
दीप्तां,
वसुधां,
वसुधारिणीं ।
नमामि कमलां,
कान्तां,
क्षमां,
क्षीरोद
सम्भवाम् ॥ ‖
अनुग्रहपरां,
बुद्धिं,
अनघां,
हरिवल्लभां ।
अशोका,ममृतां दीप्तां, लोकशोक विनाशिनीम् ॥ ‖
नमामि
धर्मनिलयां, करुणां, लोकमातरं।
पद्मप्रियां,
पद्महस्तां,
पद्माक्षीं,
पद्मसुन्दरीम्
॥ ‖
पद्मोद्भवां,
पद्ममुखीं,
पद्मनाभप्रियां,
रमां ।
पद्ममालाधरां,
देवीं,
पद्मिनीं,
पद्मगन्धिनीम्
॥ ‖
पुण्यगन्धां,
सुप्रसन्नां,
प्रसादाभिमुखीं,
प्रभां ।
नमामि
चन्द्रवदनां, चन्द्रां, चन्द्रसहोदरीम् ॥ ‖
चतुर्भुजां,
चन्द्ररूपां,
इन्दिरा,मिन्दुशीतलां ।
आह्लाद जननीं,
पुष्टिं,
शिवां,
शिवकरीं,
सतीम् ‖॥ ‖
विमलां,
विश्वजननीं,
तुष्टिं,
दारिद्र्य
नाशिनीं ।
प्रीति
पुष्करिणीं, शान्तां, शुक्लमाल्याम्बरां, श्रियम् ॥ ‖
भास्करीं,
बिल्वनिलयां,
वरारोहां,
यशस्विनीं ।
वसुन्धरा,
मुदाराङ्गां,
हरिणीं,
हेममालिनीम् ‖॥ ‖
धनधान्यकरीं,
सिद्धिं,
स्रैणसौम्यां,
शुभप्रदां ।
नृपवेश्म
गतानन्दां, वरलक्ष्मीं, वसुप्रदाम् ॥ ‖
शुभां,
हिरण्यप्राकारां,
समुद्रतनयां,
जयां ।
नमामि मङ्गलां
देवीं, विष्णु वक्षःस्थल स्थिताम् ॥ ‖
विष्णुपत्नीं,
प्रसन्नाक्षीं,
नारायण समाश्रितां
।
दारिद्र्य
ध्वंसिनीं, देवीं, सर्वोपद्रव वारिणीम् ॥ ‖
नवदुर्गां,
महाकालीं,
ब्रह्म विष्णु
शिवात्मिकां ।
त्रिकालज्ञान
सम्पन्नां, नमामि भुवनेश्वरीम् ॥ ‖
लक्ष्मीं
क्षीरसमुद्रराज तनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीं ।
दासीभूत
समस्तदेव वनितां लोकैक दीपाङ्कुराम् ॥ ‖
श्रीमन्मन्द
कटाक्ष लब्ध विभवद्-ब्रह्मेन्द्र गङ्गाधरां ।
त्वां
त्रैलोक्य कुटुम्बिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम् ॥ ‖
मातर्नमामि!
कमले! कमलायताक्षि!
श्री विष्णु
हृत्-कमलवासिनि! विश्वमातः!
क्षीरोदजे कमल
कोमल गर्भगौरि!
लक्ष्मी!
प्रसीद सततं समतां शरण्ये ॥ ‖
त्रिकालं यो
जपेत् विद्वान् षण्मासं विजितेन्द्रियः ।
दारिद्र्य
ध्वंसनं कृत्वा सर्वमाप्नोत्-ययत्नतः ॥
देवीनाम
सहस्रेषु पुण्यमष्टोत्तरं शतं ।
येन श्रिय
मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ॥ ‖
भृगुवारे शतं
धीमान् पठेत् वत्सरमात्रकं ।
अष्टैश्वर्य
मवाप्नोति कुबेर इव भूतले ॥ ‖
दारिद्र्य
मोचनं नाम स्तोत्रमम्बापरं शतं ।
येन श्रिय
मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ॥ ‖
भुक्त्वातु
विपुलान् भोगान् अन्ते सायुज्यमाप्नुयात् ।
प्रातःकाले
पठेन्नित्यं सर्व दुःखोप शान्तये ।
पठन्तु
चिन्तयेद्देवीं सर्वाभरण भूषिताम् ॥ ‖
इति श्री
लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं सम्पूर्णम्
श्री लक्ष्मी द्वादशनाम व अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
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