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नवग्रह करावलंब स्तोत्र

नवग्रह करावलंब स्तोत्र

नवग्रह करावलंब स्तोत्र नौ ग्रहों की स्तुति परक स्तोत्र है। प्रत्येक ग्रह के लिए अलग-अलग छंद हैं, जो उस ग्रह के विशिष्ट गुणों और प्रभावों का वर्णन करते हैं। इस स्तोत्र में प्रत्येक ग्रह से उसकी विशिष्ट विशेषताओं और शक्तियों के आधार पर आशीर्वाद मांगा गया है। नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सफलता और समृद्धि के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से स्वास्थ्य, वित्तीय या रिश्तों आदि की सभी समस्याएं दूर होती है और व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र संवर्धन, सुरक्षा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करता है।

नवग्रह करावलंब स्तोत्र

नवग्रह करावलम्बस्तोत्रम्

Navagraha Karavalamba Stotram

नवग्रह करावलंब स्तोत्र

ज्योतीश देव भुवनत्रय मूलशक्ते

गोनाथ भासुर सुरादिभिरीद्यमान ।

नॄणांश्च वीर्य वर दायक आदिदेव

आदित्य वेद्य मम देहि करावलम्बम् ॥ १॥

हे ज्योतिषी देव, तीनों लोकों को जीवन देनेवाले, गोनाथ, तेजस्वी, और देवताओं द्वारा पूजित, मनुष्यों को बल का वर देनेवाले, आदिदेव, सूर्य मुझे बल, ज्ञान और समृद्धि प्रदान करें।

नक्षत्रनाथ सुमनोहर शीतलांशो

श्री भार्गवी प्रिय सहोदर श्वेतमूर्ते ।

क्षीराब्धिजात रजनीकर चारुशील

श्रीमच्छशांक मम देहि करावलम्बम् ॥ २॥

हे नक्षत्रनाथ, अत्यंत मनोहर, शीतलता के अंश, भार्गवी(शुक्र) के प्रिय भ्राता, श्वेतमूर्ति, क्षीरसागर से उत्पन्न,  रजनीकर, सुंदर स्वभाव वाले चंद्रमा मुझे अपनी शरणागति प्रदान करें।   

रुद्रात्मजात बुधपूजित रौद्रमूर्ते

ब्रह्मण्य मंगल धरात्मज बुद्धिशालिन् ।

रोगार्तिहार ऋणमोचक बुद्धिदायिन्

श्री भूमिजात मम देहि करावलम्बम् ॥ ३॥

हे रुद्र के पुत्र, बुध द्वारा पूजित, रौद्र रूप वाले, ब्राह्मणों के हितैषी, शुभ, पृथ्वी के पुत्र, बुद्धिमान मंगल देव मुझे रोगों, कर्ज और अज्ञानता से मुक्ति प्रदान करें।   

सोमात्मजात सुरसेवित सौम्यमूर्ते

नारायणप्रिय मनोहर दिव्यकीर्ते ।

धीपाटवप्रद सुपंडित चारुभाषिन्

श्री सौम्यदेव मम देहि करावलम्बम् ॥ ४॥

हे सोमात्मजात (चंद्रमा के पुत्र), देवताओं द्वारा पूजित, सौम्यमूर्ति, नारायण को प्रिय, मनभावन, दिव्य कीर्ति वाले, बुद्धि की शक्ति और विद्वत्ता प्रदान करने वाले, सुंदर वक्ता श्री सौम्यदेव बुध मुझे प्रवीणता प्रदान करें।   

वेदान्तज्ञान श्रुतिवाच्य विभासितात्मन्

ब्रह्मादि वन्दित गुरो सुर सेवितांघ्रे ।

योगीश ब्रह्म गुण भूषित विश्व योने

वागीश देव मम देहि करावलम्बम् ॥ ५॥

जो वेदान्त के ज्ञान से प्रकाशित हैं, श्रुतियों द्वारा जिनकी महिमा कही गई है, ब्रह्मादि देवों द्वारा वंदित हैं, और जो देवताओं द्वारा पूजित हैं, हे योगियों के ईश्वर, ब्रह्मा गुणों से सुशोभित, जगत के पिता, वागीश (बृहस्पति) मुझे बुद्धि, ज्ञान और वाक्पटुता प्रदान करें।

उल्हास दायक कवे भृगुवंशजात

लक्ष्मी सहोदर कलात्मक भाग्यदायिन् ।

कामादिरागकर दैत्यगुरो सुशील

श्री शुक्रदेव मम देहि करावलम्बम् ॥ ६॥

हे भृगुवंश में उत्पन्न, आनंददायक, कवि, लक्ष्मी के सहोदर, कलात्मक, भाग्यदायक, काम और अन्य इच्छाओं को उत्पन्न करने वाले, दैत्यों के गुरु, सुशील, श्री शुक्रदेव, मुझे कला, प्रेम, धन, और ऐश्वर्य प्रदान करें।

शुद्धात्म ज्ञान परिशोभित कालरूप

छायासुनन्दन यमाग्रज क्रूरचेष्ट ।

कष्टाद्यनिष्ठकर धीवर मन्दगामिन्

मार्तंडजात मम देहि करावलम्बम् ॥ ७॥

जो शुद्ध आत्म ज्ञान से सुशोभित, समय का रूप, छाया पुत्र और यम (मृत्यु के देवता) का बड़े भाई हैं, कठिन और क्रूर कर्मों में समर्पित रहनेवाले, धीवर (मछुआरा), धीमी गति से चलने वाले, हे मार्तण्ड(सूर्य) पुत्र मुझे कष्टों से मुक्ति प्रदान करें।   

मार्तंड पूर्ण शशि मर्दक रौद्रवेश

सर्पाधिनाथ सुरभीकर दैत्यजन्म ।

गोमेधिकाभरण भासित भक्तिदायिन्

श्री राहुदेव मम देहि करावलम्बम् ॥ ८॥

जो सूर्य और चन्द्र को ग्रहण लगाने वाले, सर्पों के राजा, सुगंधित शरीर वाले, दैत्य के रूप में जन्म लेने वाले, गोमेद रत्न से सुशोभित और भक्ति प्रदान करने वाले हैं, ऐसे श्री राहु देव, मुझे सुरक्षा प्रदान करें।

आदित्य सोम परिपीडक चित्रवर्ण

हे सिंहिकातनय वीर भुजंग नाथ ।

मन्दस्य मुख्य सख धीवर मुक्तिदायिन्

श्री केतु देव मम देहि करावलम्बम् ॥ ९॥

ग्रहमण्डल जिसमें आदित्य (सूर्य), सोम (चंद्र), परिपीडक (मंगल), चित्रवर्ण (बुध), हे सिंहिकातनय (राहु), वीर भुजंग नाथ (केतु), मन्दस्य (शनि), मुख्य (गुरु), सख धीवर (शुक्र) और मुक्तिदायिन् (केतु) शामिल हैं, ऐसे श्री केतु देव, मुझे शुभ आशीष प्रदान करें।

नवग्रहकरावलम्ब स्तोत्र फलश्रुति:

मार्तंड चन्द्र कुज सौम्य बृहस्पतीनाम्

शुक्रस्य भास्कर सुतस्य च राहु मूर्तेः ।

केतोश्च यः पठति भूरि करावलम्ब

स्तोत्रम् स यातु सकलांश्च मनोरथारान् ॥ १०॥

जो साधक नौ ग्रहों सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु के अनुकूलता के लिए इस करावलंब स्तोत्र का पाठ करता है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इतिश्रीकरावलम्ब स्तोत्रम् सम्पूर्ण: ॥

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