मृतवत्सादि शान्ति कवच
क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल ६ में
मृतवत्सादि की शान्ति के लिए कवच बतलाया गया है।
मृतवत्सादिशान्तिकवचम्
Mritavatsaadi shanti kavacham
क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल ६ - मृतवत्सादिशान्तिकवचम्
क्रियोड्डीश महातन्त्रराज षष्ठः
पटल:
मृतवत्सादि शान्ति कवच
क्रियोड्डीशमहातन्त्रराजः
अथ षष्ठः पटल:
अथ मृतवत्सादिशान्तिकवचम्
मृतवत्सामृतगर्भापुत्रहीनानां
शान्तिः कवचधारणात् । कवचं प्रथमम् ।
ॐ नमो नरसिंहाय नमो महाविपन्नाशाय
दिव्यरूपाय नरसिंहाय नमः । स्थौं सौं क्षौं रामाय नमः । रां रामाय नमः । ॐ ह्रीं
श्रीं फणं हुं हां फेत्कारशब्देन सर्वबालकस्य सर्वभयोपद्रवनाशाय इमां विद्यां पठति
धारयति यदि तदा नरसिंहो रक्षति सदा हुँ फट् स्वाहा ।
मृतवत्सादि शान्तिकवच - जिन
स्त्रियों के गर्भ में ही पुत्रादि मर जाते हैं, उन्हें मृतवत्सा कहते हैं। इन स्त्रियों को उपरोक्त 'ॐ नमो.. ..फट् स्वाहा' तक के
कवच को धारण करने से लाभ होता है।
प्रकारान्तरेण द्वितीयकवचम्
ॐ नमो नरसिंहाय
हिरण्यकशिपोर्वक्षःस्थलविदारणाय त्रिभुवनव्यापकाय भूतप्रेतपिशाचडाकिनीकुलनाशाय
स्तम्भोद्भवाय समस्तदोषान् हर हर विष विष पच पच मथ मथ हन हन फट् हुँ फट् ठः ठः एहि
रुद्रो ज्ञापयति स्वाहा ।
ॐ क्षौं नमो भगवते नरसिंहाय
ज्वालामालिने दीप्तदंष्ट्राय अग्निनेत्राय सर्वरक्षोघ्नाय सर्वभूतविनाशाय
सर्वज्वरविनाशाय दह दह पच पच रक्ष रक्ष हुँ फट् स्वाहा ।
गोरोचनया भूर्जे विलिख्य स्वर्णथा
गुटिका स्त्रिया वामकरे पुरुषेण दक्षिणे करे धार्या कदापि न दोषः ।
दूसरा कवच है- ॐ नमो....हुँ फट् स्वाहा। इस कवच को भोजपत्र के ऊपर लिखकर सोने के ताबीज में बन्द
कर स्त्रियों को बायीं एवं पुरुषों को दाहिनीं भुजा में धारण करना चाहिए। किसी भी
स्थिति में यह दूषित नहीं होता है।
इति क्रियोड्डीशे महातन्त्रराजे
देवीश्वर-संवादे षष्ठः पटलः । । ६ । ।
क्रियोड्डीश महातन्त्रराज में
देवी-ईश्वरसंवादात्मक षष्ठ पटल पूर्ण हुआ ।। ६ ।।
आगे जारी...... क्रियोड्डीश महातन्त्रराज पटल 7
0 $type={blogger} :
Post a Comment