महादेव विवाह शाखोच्चार
विवाह उत्सव के समय श्रीमहादेव
विवाह शाखोच्चार का पाठ करने से वर-वधु के वैवाहिक जीवन में सुख और खुशहाली बढ़ती
है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महादेव विवाह शाखोच्चार
Mahadev vivah shakhochar
श्रीमहादेव विवाह शाखोच्चार
महादेव विवाह शाखोच्चार
श्री महादेवजी के विवाह का शाखोच्चार
श्री आनन्दी सुमिरि के,
सुमरूं देव गणेश ।
निशि दिन आनन्द से,
करत बुद्धि प्रवेश ॥ १ ॥
कैलाशी शंकर जहां,
सब देवन के देव ।
गौरी के बड़भाग हैं,
कीन्ही उनकी सेव ॥ २ ॥
नृपति हिमाचल खुशी हो,
पण्डित लियो बुलाय ।
देव उठानी एकादशी,
साइत लियो कढ़ाय ॥३॥
कैलाशी आए सबै,
हेमांचल के द्वार ।
प्रकट भए उस नगर में,
दीनी नार उचार ॥४॥
नरनारी पूछन लगे,
तुम ही हो सरकार ।
हँस-हँसकर कहने लगे,
शोभा अतिहि अपार ॥ ५ ॥
गौरी दीनी पत्रिका,
सुनिए दीन दयाल ।
बरण फेरि करि आइए,
दासी जान कृपाल ॥ ६ ॥
शम्भू सिंहासन चढ़े,
सकल बने सुर भूप ।
हाथी-घोड़ा पालकी,
शोभा अधिक अनूप ॥ ७ ॥
विधि ने आय महेश के,
धर्यो शीश पर मोर।
परसुराम जमदग्नि सुत,
सुर तैंतीस करोर ॥ ८ ॥
इन्द्र अखाड़ा के जुड़े,
बाग बन्यो अनमोल ।
नारदादि मुनि नृत्य करि,
हरषें करें किलोल ॥९॥
फहरें जरी निशान सो,
सुन्दर शोभित होत ।
डमरू बजे महेश का,
नृप घर मंगल होत ॥ १० ॥
रतन जटित पृथ्वी बनी,
सुन्दर चौक पुराय ।
कियो आरती विविध विधि,
तरण लियो छुवाय ॥ ११ ॥
कंचन कलश धराइ कै,
भरे अमृत सो पान ।
कर जोरे विनती करत,
लीजै याहि सुजान ॥ १२॥
आकाशी मण्डप बने,
हीरा लगे अमोल ।
सुन्दरी गातीं सीठना,
करि करि कलित कलोल ॥ १३ ॥
विप्र वेद तहं पढ़त हैं,
पूजन करत गणेश ।
कन्या दान कियो नृपति,
लीजै आप महेश ॥ १४ ॥
दीन दक्षिणा द्विजन कूं,
सबके मन आनन्द ।
नारनोल द्विज तनीरग,
शाखी रच्यो अमन्द ॥ १५ ॥
कृपा कियो रघुनाथ जो,
शाखी दियो सुनाय ।
शिव गौरी के ब्याह की,
अस्तुति कहूं बनाय ॥ १६॥
जितनी मेरी उक्ति थी,
उतनी दई सुनाय ।
रडेमल सुत यों कहत है,
गौरी शिवहिं सुनाय ॥ १७॥
॥ इति महादेवजी के विवाह का शाखोच्चार समाप्त ॥
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