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मदन मोहन अष्टक

मदन मोहन अष्टक

इस मदन मोहन अष्टक का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, सफलता और प्रत्येक कार्य में विजय, शत्रुनाश साथ ही सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है। व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान मदनमोहन जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होती है।

मदन मोहन अष्टक

श्रीमदनमोहनाष्टकम्

Madan Mohan Ashtak

मदन मोहन अष्टकं

मदनमोहन अष्टक हिन्दी अर्थ सहित

मदनमोहन अष्टक स्तोत्र

जय श‌ङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम् ।

जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम् ॥१॥

हे शंख और गदा धारण करने वाले, नीले वर्ण वाले, पीले वस्त्र वाले, चंदन से सुशोभित, कानों में कुंडल और कौस्तुभ मणि से सुशोभित, मुझे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। 

जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम् ।

जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम सुन्दर देहि पदम् ॥२॥

हे कमल-नयन, कामदेव को मोहित करने वाले, पापों के विनाशक, (वेणुवादक) बांसुरी बजाने वाले, रास में विहार करने वाले और सुंदर (टेढ़ी) चाल वाले भगवान श्रीकृष्ण मुझे अपने चरणों का आश्रय प्रदान करें।

जय धीरधुरन्धर अद्भुतसुन्दर दैवतसेवित देहि पदम् ।

जय विश्वविमोहन मानसमोहन संस्थितिकारण देहि पदम् ॥३॥

हे धीरधुरन्धर (धैर्य के स्वामी अथवा धारक), अद्भुत और सुंदर रूपवाले, देवताओं द्वारा पूजे जाने वाले, विश्व को मोहित करने वाले, ब्रह्मांड को धारण करने वाले, मनमोहन मुझे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। 

जय भक्तजनाश्रय नित्यसुखालय अन्तिमबान्धव देहि पदम् ।

जय दुर्जनशासन केलिपरायण कालियमर्दन देहि पदम् ॥४॥

हे भक्तों के आश्रय, दुष्टों (अशुभों) का नाश करने वाले, अंधकार को नष्ट करने वाले, कालिय नाग का मर्दन करने वाले, बान्धवप्रिय भगवान मुझे अपने चरणों का शरण प्रदान करें।

जय नित्यनिरामय दीनदयामय चिन्मय माधव देहि पदम् ।

जय पामरपावन धर्मपरायण दानवसूदन देहि पदम् ॥५॥

हे नित्य निरामय, दीनानाथ, ज्ञान के भण्डार, माधव, पतित पावन, धर्म का आचरण करने वाले, राक्षसों का संहार करने वाले, मदन मोहन मुझे अपने चरणों का शरण प्रदान करें।

जय वेदविदांवर गोपवधूप्रिय वृन्दावनधन देहि पदम् ।

जय सत्यसनातन दुर्गतिभञ्जन सज्जनरञ्जन देहि पदम् ॥६॥

हे वेदों के स्वामी, गोपियों के प्रिय, वृन्दावन के धन स्वरूप, सत्य सनातन देव, दुर्गति का नाश करने वाले और सज्जनों को आनंदित करने वाले, भगवान मुझे अपने चरणों का आश्रय प्रदान करें। 

जय सेवकवत्सल करुणासागर वाञ्छितपूरक देहि पदम् ।

जय पूतधरातल देवपरात्पर सत्त्वगुणाकर देहि पदम् ॥७॥

हे सेवकों या भक्तों के प्रति प्रेम रखने वाले, करुणा के सागर, इच्छाओं को पूर्ण करने वाले, पृथ्वी के रक्षक, देवों में भी श्रेष्ठ, सत्वगुणों से युक्त भगवान श्रीकृष्ण मुझे अपने चरणों का आश्रय प्रदान करें। 

जय गोकुलभूषण कंसनिषूदन सात्वतजीवन देहि पदम् ।

जय योगपरायण संसृतिवारण ब्रह्मनिरञ्जन देहि पदम् ॥८॥

हे गोकुल के आभूषण, कंस के संहारक, सात्विक जीवन देने वाले, योग में लीन रहने वाले, संसार से पार करने वाले, निर्गुण ब्रह्म आपकी जय हो। हे मदन मोहन मुझे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। 

॥ इति श्रीमदनमोहनाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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