जैमिनी ज्योतिष अध्याय १४
जैमिनी ज्योतिष अध्याय १४ के इस भाग में जैमिनी दशा में वर्ष निर्धारण का वर्णन किया गया है।
जैमिनी ज्योतिष अध्याय १४
Jaimini
Astrology chapter 14
जैमिनी ज्योतिष चौदहवाँ अध्याय
जैमिनी
ज्योतिष
जैमिनी ज्योतिष चतुर्दशोऽध्यायः
अथ चतुर्दशोऽध्यायः
जब जैमिनी दशा के वर्ष निर्धारित
करने हों तब सबसे पहले आप सम और विषम राशियों की एक तालिका बना लें । कुण्डली में
जिस राशि के दशा वर्ष निर्धारित करने है उस राशि के स्वामी से राशि तक गिनती करें ।
यदि दशाक्रम सव्य है तो गिनती भी सव्य क्रम में होगी । जैसे पाठ एक की उदाहरण
कुण्डली एक में मेष राशि के दशा वर्ष निर्धारित करने हैं तब आप मेष से मंगल तक
सव्य क्रम में गिनती आरम्भ करें । मेष से मंगल तक पाँच वर्ष आते हैं इसका अर्थ यह
हुआ कि मेष राशि की दशा पाँच वर्षों की होगी । इन पाँच वर्षों में चर दशा की भाँति
एक वर्ष की कटौती नहीं होगी । उदाहरण कुण्डली दो में दशाक्रम अपसव्य चलेगा । इस
कुण्डली में मेष राशि से मंगल तक अपसव्य गिनती करेगें । अपसव्य क्रम में गिनने पर
ग्यारह वर्ष आते हैं । इसका अर्थ हुआ कि मेष राशि की दशा ग्यारह वर्षों की होगी ।
जैमिनी मण्डूक दशा में एक वर्ष की कटौती नहीं होती । जो ग्रह स्वराशि में स्थित
होते है उनकी दशा 12 वर्षों की होती है । उदाहरण कुण्डली एक में सूर्य अपनी राशि
में स्थित है तो सिंह राशि की दशा 12 वर्ष की होगी । जो ग्रह गिनती करने पर अपनी
राशि से बारहवें भाव में आएंगें । उन ग्रहों की दशा भी बारह वर्षों की होगी ।
मण्डूक दशा में वृश्चिक तथा कुम्भ राशियों के लिए कोई विशेष नियम नहीं है । इस
राशि दशा में राहु अथवा केतु को गणना में शामिल नहीं किया गया है । जैमिनी मण्डूक
दशा में यदि किसी राशि का स्वामी अपने भाव से सप्तम भाव में स्थित है तब उस राशि
की दशा दस वर्ष की होगी । उदाहरण कुण्डली दो में शनि अपनी राशि मकर से सप्तम भाव
में स्थित है तब मकर राशि की दशा दस वर्ष की होगी ।
अन्तर्दशा की अवधि Period
of Antardasha
महादशा के वर्षों के अनुसार
अन्तर्दशा की अवधि होगी । महादशा दो वर्ष की है तो अन्तर्दशा दो माह की होगी।
अन्तर्दशा दस वर्ष की है तो प्रत्येक राशि की अन्तर्दशा दस माह की होगी ।
आगे जारी- जैमिनी ज्योतिष अध्याय 15
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