जैमिनी ज्योतिष अध्याय १०
जैमिनी ज्योतिष अध्याय १० के इस भाग में राशि बल का वर्णन किया गया है।
जैमिनी ज्योतिष अध्याय १०
Jaimini
Astrology chapter 10
जैमिनी ज्योतिष दसवाँ अध्याय
जैमिनी
ज्योतिष
जैमिनी ज्योतिष दसमोऽध्यायः
अथ दसमोऽध्यायः
जैमिनी स्थिर दशा में सबसे पहले
राशि बल का आंकलन किया जाता है। राशि बल को निकालने के लिए तीन प्रकार के बलों को
निकाला जाता है। फिर उन तीनों का कुल जोड़ राशि बल कहलाता है। यह तीन बल हैं :- चर
बल, स्थिर बल तथा दृष्टि बल। सबसे
पहले चर बल की गणना की जाएगी।
(1) चर बल Char
Bala
जैमिनी ज्योतिष में राशियों के बल
को मुख्य आधार माना जाता है। प्रत्येक राशि का अपना विशेष स्वभाव होता है। जैसा कि
आपने पिछले अध्यायों में पढा़ है कि बारह राशियों को तीन वर्गों में बाँटा गया है।
चर राशि, स्थिर राशि तथा द्वि-स्वभाव
राशि। मेष, कर्क,तुला तथा मकर राशि चर
राशियाँ हैं। वृष, सिंह, वृश्चिक तथा
कुम्भ राशियाँ स्थिर राशियाँ हैं। मिथुन,कन्या,धनु तथा मीन राशियाँ द्वि-स्वभाव राशियाँ हैं। चर बल में राशियों को अंक
प्राप्त होते हैं। जैमिनी ज्योतिष में तीनों वर्गों की राशियों के लिए कुछ अंक
निर्धारित किए गए हैं। वह निम्नलिखित हैं :-
* चर राशियाँ को 20 षष्टियाँश अंक
मिलेगें।
* स्थिर राशियों को 40 षष्टियाँश
अंक मिलेगें।
* द्वि-स्वभाव राशियों को 60
षष्टियाँश अंक मिलेगें।
उपरोक्त अंकों के आधार पर
द्वि-स्वभाव राशियों को सबसे अधिक अंक मिलते हैं। इस प्रकार यह राशियाँ सबसे अधिक
बली हो जाती हैं।
(2) स्थिर बल Sthir
Bala
राशि बल निकालने की दूसरी कडी़
स्थिर बल है। इस बल को निकालने के लिए राशियों में बैठे ग्रह को देखा जाता है। जिस
राशि में कोई ग्रह स्थित है तो उस राशि को 10 अंक प्रप्त हो जाएंगें। यदि किसी
राशि में दो ग्रह बैठे हैं तब उस राशि को 20 अंक प्राप्त हो जाएंगें। जिस राशि में
कोई ग्रह नहीं है उस राशि को शून्य अंक प्राप्त होगा। जैसे चर दशा के पाठ दो की
उदाहरण कुण्डली में कुम्भ राशि में पाँच ग्रह हैं तो कुम्भ राशि को 50 अंक प्राप्त
होगें और जिन राशियों में कोई ग्रह नहीं है उन राशियों को शून्य अंक मिलेगें।
(3) दृष्टि बल Dristhi
Bala
राशि बल में का अंतिम बल दृष्टि बल
कहलाता है। आपने देखा कि अभी तक राशियों के आधार पर बल प्राप्त हो रहा था लेकिन
दृष्टि बल में ग्रहों की दृष्टियों के आधार पर बल की गणना की जाती है। जैमिनी
पद्धति से फलित करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जैमिनी में राशियों की
दृष्टि लेनी है। दृष्टि बल में जो राशि अपने स्वामी से दृष्ट होती है उसे 60 अंक
मिलते हैं अथवा राशि स्वामी अपनी ही राशि में स्थित है तब भी उस राशि को 60 अंक
मिलते हैं। चर दशा के पाठ दो में चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित है और वृश्चिक
राशि की दृष्टि कर्क राशि पर पड़ रही है। कर्क राशि अपने स्वामी ग्रह चन्द्रमा से
दृष्ट भी हो गई है। इसलिए कुण्डली में कर्क राशि को 60 अंक प्राप्त होगें।दृष्टि
बल में ग्रहों की दृष्टि के अनुसार तथा ग्रहों की अपनी ही राशि में स्थिति के
अनुसार अंक प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त जिन राशियों में बुध और गुरु ग्रह
बैठे हैं उन राशियों को भी 60 अतिरिक्त अंक मिलते हैं। जिन राशियों पर बुध तथा
गुरु ग्रह की दृष्टि पड़ती है उन राशियों को भी 60 अंक और मिलते हैं। उपरोक्त नियम
को एक बार संक्षेप में फिर से समझते हैं। दृष्टि बल में जो ग्रह अपनी राशि में
स्थित होता है अथवा जिस राशि का स्वामी अपनी राशि को देखता है उस राशि को 60 अंक
प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त बुध तथा गुरु जिस राशि में स्थित होते हैं उन
राशियों को 60-60 अंक मिलते हैं। बुध तथा गुरु जिन राशियों को देखते हैं उन
राशियों को भी 60-60 अतिरिक्त अंक मिलते हैं। माना किसी कुण्डली में बुध मेष राशि
में स्थित है और गुरु कन्या राशि में स्थित है। बुध मेष राशि में स्थित होकर
अपनी निकटवर्ती राशि वृष को दृष्टि नहीं
देगा। बाकी अन्य तीन स्थिर राशियों सिंह, वृश्चिक तथा कुम्भ पर दृष्टि डालेगा। इस प्रकार इन तीनों स्थिर राशियों को
भी 60 अंक मिलेगें। बुध मेष में स्थित है तो मेष राशि को भी 60 अंक मिलेगें। यही
नियम गुरु ग्रह के लिए भी लागू होगा। माना गुरु ग्रह कन्या राशि में स्थित है तो
कन्या राशि को तो 60 अंक मिलेगें ही साथ ही कन्या राशि की दृष्टि अन्य तीनों
द्वि-स्वभाव राशियों(मिथुन,धनु तथा मीन राशि) पर होने से
तीनों को 60-60 अतिरिक्त अंक प्राप्त होगें। चर बल, स्थिर बल
तथा दृष्टि बल का कुल योग करेगें।
आगे जारी- जैमिनी ज्योतिष अध्याय 11
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