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दत्तात्रेयतन्त्र पटल ८

दत्तात्रेयतन्त्र पटल   

श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् पटल ७ में आपने सर्वजनवशीकरण प्रयोग पढ़ा, अब पटल ८ में स्त्रीवशीकरण  प्रयोग बतलाया गया है ।

दत्तात्रेयतन्त्र पटल ८

श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् अष्टम: पटलः

दत्तात्रेयतन्त्र आठवां पटल

दत्तात्रेयतन्त्र पटल ८       

दत्तात्रेयतन्त्र

अष्टम पटल

स्त्रीवशीकरण

रविवारे गृहीत्वा तु कृष्णधत्तूर पुष्पकम्‌ ।

शाखां लतां गृहीत्वा तु पत्रं मूलं तथैव च ॥ १॥

महादेवजी बोले (हे दत्तात्रेयजी ! ) रविवार के दिन काले धतूरे को पुष्प, लता, पत्ते और जड़ सहित लावे ।

पिष्टवा कर्पूरसंयुक्तं कुंकुमं रोचनं समम्‌ ।

तिलक: स्त्रीवशकरो यदि साक्षादरुन्‍्धती ।। २ ॥

और उसमें कपूर, केशर एवं गोरोचन मिलाय तिलक बनाकर मस्तक पर लगावे तो अरुन्धती के समान स्त्री को भी वशीभूत करता है ॥२॥

काकजंघा बचा कुष्ठं शुक्र शोणितमिश्रितम्‌ ।

दत्ते तु भोजने बाला वशीकरणमद्भुतम्‌ ।। ३ ॥

काकजंघा, वच और कूठ को (चूर्णकर) अपने वीर्य और रक्‍त में मिला जिस स्त्री को भोजन में दे तो अद्भुत वशीकरण होता है ।। ३ ॥

चिताभस्म वचा कुष्ठं रोचनाकुंकुमै: समम्‌ ।

चूर्ण स्त्रीशिरसि क्षिप्तं वशीकरणमद्भुतम्‌ ॥ ४ ॥

१ काकजंघा (कौआटीडी ) जडी होती है ।

चिता की भस्म, वच, कूठ, गोरोचन और केंसर का समान भाग लेकर चूर्ण बनाय स्त्री के शिर पर डालने से अद्भुत वशीकरण होता है ।। ४ ॥

भौमबारे लबङ्गं च लिङ्गच्छिद्रे विनिक्षिपेत्‌ ।

बुधे निष्कास्य तांबूले दद्यात्सा वशगा भवेत्‌ ॥ ५ ॥

मंगल के दिन लौंग को लिंग के छिद्र में रक्खे और बृध के दिन उसे निकाल पान में रख जिस स्त्री को खिलावे वह वशीभूत हो जाती है ॥। ५ ॥।

करपादनखानां च भस्म तांबूलपत्रके ।

रविवारे प्रदातव्यं वशीकरणमद्भुतम्‌ ।। ६ ॥

हाथ पैरों के नखों की भस्म बनाय पान में रख रविवार के दिन जिस स्त्री को दी जाय वही वशीभूत हो जाती है ॥। ६ ।॥।

जिह्वामलं दन्‍तमलं नासाकर्णमलं तथा ।

तांबूलेन प्रदातव्यं बशीकरणमद्भुतम्‌ ।। ७ ॥।

जीभ का मल, दांतों का मेल, नाक का मल और कान के मैल को ले पान में रख स्त्री को देने से अद्भुत वशीकरण होता है ।। ७ ।॥।

धूकमांसं गृहीत्वा तु खाद्ये पेये प्रदापयेत्‌ ।

सिद्धयोगो ह्ययं ज्ञेयो वशीकरणमद्भुतम्‌ ॥॥ ८ ॥।

उल्लू पक्षी का मांस खिलाने से पिलाने से अद्भुत वशीकरण होता है इसको सिद्धयोग जानो ॥। ८ ॥।

वामपादतलात्पांसूं वनिताया: शनौ हरेत्‌ ।

तस्य पुत्तलिकां कुर्य्यात्तस्य: केशान्नियोजयेत्‌ ॥९।।

नीलवस्त्रेर्वेष्टयित्वा स्ववीर्य तु भगे क्षिपेत्‌ ।

सिदूरेण सामायुक्तं निखनेद्द्वारदेशके ॥ १० ॥।

उल्लङ्घनाद्वशं याति प्राणैरपि धनैरपि ।

कृतज्ञ: स्ववशं कुर्य्यान्मोदते च चिरं भुवि ।। ११ ॥।

शनि के दिन स्त्री के बायें पैर के तले की घूलि लेकर पुतली बनावे और उस स्त्री के केश पुतली के केश के स्थान पर लगावे। नीले कपडे में लपेट उस पुतली के भग में अपना वीर्य डाले और मस्तक पर सिंदूर लगाय दरवाजे पर गाड़ दे। उस स्थान को लांघने से वह स्त्री धन और प्राण से मनुष्य के वशीभूत हो जाती है, कृतज्ञ पुरुष ऐसे स्त्री को वशकर चिरकाल तक आनन्द भोगता है ॥९-११॥

तांबूलरसमध्ये च पिष्ट्वा तालं मनःशिलाम् ।

भौमे च तिलकं कृत्वा वशीकुर्याच्च योषितः ।। १२ ।।

मंगल के दिन पान के रस में मनशिल को पीस तिलक लगाने से मनुष्य स्त्रियों को वशीभूत करता है ॥ १२ ॥

गोरोचन पद्मपत्रे लिखित्वा तिलकं कृतम्‌ ।

शनिवारे कृते योगे वशीभवति निश्चितम्‌ ॥ १३ ।॥

शनिवार के दिन गोरोचन से कमल के पत्ते पर स्त्री का नाम लिख फिर उसी का तिलक लगाने से निश्चय ही स्त्री वशीभूत हो जाती है । १३ ॥।

गृहीत्वा मालतीपुष्पं कृत्वा तु पटवर्तिकाम्‌ ।

भुगुवारे नृकपाले एरंडतेलकज्जलम्‌ ॥। १४ ॥।

अञ्जयेन्नेत्रयुगले दृष्टिमात्रे वशीभवेत्‌ ।

बिना मन्‍्त्रेण सिद्धि: स्यान्नान्यथा मम भाषितम्‌ ॥। १५ ॥।

चमेली के फूल को सूत के कपडे में लपेट बत्ती बनाय अंडी के तेल में शुक्रवार के दिन मनुष्य की खोपडी के बीच दीपक जलाय काजल पारे फिर उस काजल को दोनों नेत्रों में आँजें तो उसके देखते ही स्त्री वशीभूत हो जाती है, मेरा कहा यह सिद्ध प्रयोग है इसमें मन्त्र की भी आवश्यकता नहीं है।। १४ १५॥।

ओं नमः कामाक्ष्यै देव्यै अमुकां में वशं कुरु-कुरु स्वाहा ॥

(सपादलक्ष जपात्सिद्धिभंवति)

ओ नमः कामाक्ष्यै से' 'स्वाह्य' तक स्त्रीवशीकरण का मन्त्र है सवा लाख जपने से यह सिद्ध होता है ।

इति श्रीदत्तात्रेयतन्त्रे दत्तात्रेयेश्वरसंवादे स्त्रीवशीकरण नामाष्टम: पटल: ॥ ८ ॥

आगे जारी........ श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् पटल ९  पुरुषवशीकरण ॥

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