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- त्रिपुट (त्रिशक्तिरूपा) लक्ष्मीकवच
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- नारदसंहिता अध्याय ४७
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- भवनभास्कर अध्याय २०
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अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
दत्तात्रेयतन्त्र पटल २०
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् पटल १९ में
आपने जय की विधि पढ़ा, अब पटल २० में वाजीकरण
बतलाया गया है।
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् विंश: पटलः
दत्तात्रेयतन्त्र बीसवां पटल
दत्तात्रेयतन्त्र पटल २०
दत्तात्रेयतन्त्र
विंश पटल
वाजीकरण
ईश्वर उवाच
बलेन नारी परितोषमेति न हीनवीर्यस्य
कदापि सौख्यम् ।
अतो बलार्य॑ रतिलम्पटस्य वाजी विधान
प्रथम प्रवक्ष्ये ॥१ ॥
शिवजी बोले- (हे दत्तात्रेय जी ! )
बल से नारी प्रसन्न होती है अतएव बलहीन पुरुष को कभी सुख नहीं होता इस कारण रति के
अभिलाषी पुरुष की निर्बलता दूर करने के लिये प्रथम वाजीकरण को कहता हूं ।। १ ॥
निक्षिपेन्मृण्मये पात्रे
चूतवृक्षस्य वल्कलम् ।
तस्थोपरि जल क्षिप्त्वा ततो
बस्त्रेण रक्षयेत् ॥ २ ॥।
आम की छाल को लेकर मिट्टी के पात्र में
रक्खे फिर उसमें जल डाल कर वस्त्र से ढक दे ।। २ ॥
प्रातर्दुग्धेन सहितं यः
पिबेन्मदनातुरः ।
धातुवृद्धिकरं लोके बलपुष्टिकरं
नृणाम् ॥ ३ ॥।
प्रात: समय जो पुरुष दूध के साथ
पिये तो धातु की वृद्धि हो एवं बलवान् और पुष्ट हो ।। ३।।
कुमारीकंदमादाय गोक्षोरेण च यः
पिबंत् ।
बलपुष्टिकरं धातुर्जायते नात्र
संशय: ।। ४ ॥।
घीग्वार की जड को गौ के दूध के साथ
पान से मनुष्य निश्चय बलवान् होजाता है और उसकी धातु पुष्ट होती है ।
भिण्डीफलं गृहीत्वा तु रविवारे च
पूर्वबत् ।
छायाशुष्कं च तच्चूर्णमश्वगन्धा
समन्वितम् ।। ५ ॥।
मुशली गोक्षुरं चैव विजयाबीजसंयुतम्
।
एकवर्णंगवां क्षीरे यः पिबेट्टङ्कमात्रत:
॥। ६ ॥।
बलपुष्टिकरं देहें स्तम्भंकं
धातुबृद्धिकृत् ।
सिद्धयोगमिमं कृत्वा कामदेवो भवेन्नर:
।। ७ ॥।
रविवार के दिन भिंडी के फल को ले
पूर्व समान छाया में सुखाय उसका चूर्ण करे फिर असगन्ध,
मुशली, गोखरू और भाँग के बीज मिलाय जो मनुष्य
४ मासे गौ के दूध के साथ पीवे तो उसका शरीर बलवान् एवं पुष्ठ होता है और उसकी
धातु अचल होकर बढती है, इस सिद्धयोग से मनुष्य कामदेव के
समान रूपवान् हो जाता है ।
अश्वत्थफलमानीय छायाशुष्कं
तुकारयेत् ।
दुग्धसार्द्धं पिबेत्सत्यं जायते
मकरध्वज: ॥ ८ ॥।
पीपल के फल को ले छाया में सुखाय
चूर्ण कर दूध के साथ पीने से निश्चय कामदेव के समान बलवान् हो जाता हैं।
गृहीत्वा ह्यमृतामूलं रविवारेऽभिमंत्रितम्
।
छायाशुष्कं यस्य चूर्ण शर्करासहितं
परम् ।। ९ ॥॥
महापुष्टिकरं पुंसां तस्योपरि गवां
पय: ।
यस्मै कस्मै न दातव्यं रक्षणीयं
सुयत्नवत् ॥। १० ॥।
रविवार को गिलोय की जड़ ले मन्त्र से
अभिमंत्रित कर छाया में सुखाय चूर्णकर चीनी मिलावे। फिर उसे खाय ऊपर से गौ का दूध
पीवे तो मनुष्य को महापुष्टि देता है इस प्रयोग की यत्न से रक्षा कर हरेक को न दे
।
इति श्रीदत्तात्रेयतन्त्रे
दत्तात्रेयेश्वरसंवादेबाजीकरण- प्रयोगों नाम विशतितम: पटल: ॥। २० ॥।
आगे जारी........
श्रीदत्तात्रेयतन्त्रम् पटल २१ द्रावणादिकथन ॥
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