Slide show
Ad Code
JSON Variables
Total Pageviews
Blog Archive
-
▼
2021
(800)
-
▼
August
(70)
- उच्छिष्ट गणपति सहस्रनामस्तोत्रम्
- उच्छिष्ट गणेश स्तोत्र
- उच्छिष्ट गणपति
- श्रीकृष्ण कवचम्
- कृष्णचन्द्राष्टकम्
- श्रीकृष्णद्वादशनामस्तोत्रम्
- नागपत्नीकृत कृष्णस्तुतिः
- श्रीकृष्ण कवचम्
- श्रीकृष्णस्तवराज
- राधामाधव प्रातः स्तवराज
- श्रीकृष्ण ब्रह्माण्ड पावन कवच
- श्रीयुगलकिशोराष्टक
- श्रीकृष्णस्तोत्रम्
- श्रीकृष्णशरणाष्टकम्
- श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र
- कृष्ण जन्म स्तुति
- गर्भगतकृष्णस्तुति
- कृष्णाष्टकम्
- अद्वैताष्टकम्
- आनन्द चन्द्रिका स्तोत्रम्
- अच्युताष्टकम्
- मधुराष्टकम्
- वैदिक हवन विधि
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 17
- डी पी कर्मकांड भाग-१८ नित्य होम विधि
- डी पी कर्मकांड भाग-१७ कुशकंडिका
- भैरव
- रघुवंशम् छटवां सर्ग
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 16
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड– अध्याय 15
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 14
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 13
- हिरण्यगर्भ सूक्त
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 12
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 11
- कालसर्प दोष शांति मुहूर्त
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 10
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 09
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 08
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 07
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 06
- कालसर्प योग शांति प्रार्थना
- नागसहस्रनामावलि
- सदाशिवाष्टकम्
- सशक्तिशिवनवकम्
- सदाशिव शाकिनी कवचम्
- भैरव स्तुति
- शिवाष्टकम्
- शिवमहापुराण –रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 05
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 04
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 03
- शिवमहापुराण – रुद्रसंहिता सृष्टिखण्ड – अध्याय 02
- शिवमहापुराण – द्वितीय रुद्रसंहिता प्रथम-सृष्टिखण्ड...
- डी पी कर्मकांड भाग- १५ क्षेत्रपाल
- अग्न्युत्तारण प्राण-प्रतिष्ठा
- देवी देवताओं का गायत्री मन्त्र
- कालसर्प योग
- मार्तण्ड भैरव अष्टोत्तरशत नामावलि
- मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
- बटुक भैरव कवचम्
- नागराज अष्टोत्तरशतनामावलिः
- ब्रह्मस्तोत्रम्
- ब्रह्मस्तोत्रम् अथवा पञ्चरत्नस्तोत्रम्
- ब्रह्माष्टोत्तरशतनामावलिः
- श्रीमद्भागवतमहापुराण- चतुर्थ स्कन्ध- अध्याय- २४ (च...
- श्रीमहाकाल भैरव कवचम्
- महाकाल भैरव कवचम्
- श्रीब्रह्मकवचम्
- भैरवाष्टकम्
- मानसिक पूजा
-
▼
August
(70)
Search This Blog
Fashion
Menu Footer Widget
Text Widget
Bonjour & Welcome
About Me
Labels
- Astrology
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड
- Hymn collection
- Worship Method
- अष्टक
- उपनिषद
- कथायें
- कवच
- कीलक
- गणेश
- गायत्री
- गीतगोविन्द
- गीता
- चालीसा
- ज्योतिष
- ज्योतिषशास्त्र
- तंत्र
- दशकम
- दसमहाविद्या
- देवी
- नामस्तोत्र
- नीतिशास्त्र
- पञ्चकम
- पञ्जर
- पूजन विधि
- पूजन सामाग्री
- मनुस्मृति
- मन्त्रमहोदधि
- मुहूर्त
- रघुवंश
- रहस्यम्
- रामायण
- रुद्रयामल तंत्र
- लक्ष्मी
- वनस्पतिशास्त्र
- वास्तुशास्त्र
- विष्णु
- वेद-पुराण
- व्याकरण
- व्रत
- शाबर मंत्र
- शिव
- श्राद्ध-प्रकरण
- श्रीकृष्ण
- श्रीराधा
- श्रीराम
- सप्तशती
- साधना
- सूक्त
- सूत्रम्
- स्तवन
- स्तोत्र संग्रह
- स्तोत्र संग्रह
- हृदयस्तोत्र
Tags
Contact Form
Contact Form
Followers
Ticker
Slider
Labels Cloud
Translate
Pages
Popular Posts
-
मूल शांति पूजन विधि कहा गया है कि यदि भोजन बिगड़ गया तो शरीर बिगड़ गया और यदि संस्कार बिगड़ गया तो जीवन बिगड़ गया । प्राचीन काल से परंपरा रही कि...
-
रघुवंशम् द्वितीय सर्ग Raghuvansham dvitiya sarg महाकवि कालिदास जी की महाकाव्य रघुवंशम् प्रथम सर्ग में आपने पढ़ा कि-महाराज दिलीप व उनकी प...
-
रूद्र सूक्त Rudra suktam ' रुद्र ' शब्द की निरुक्ति के अनुसार भगवान् रुद्र दुःखनाशक , पापनाशक एवं ज्ञानदाता हैं। रुद्र सूक्त में भ...
Popular Posts
अगहन बृहस्पति व्रत व कथा
मार्तण्ड भैरव स्तोत्रम्
श्रीकृष्णस्तवराज
भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता व प्रीति के लिए नित्य स्तवराज का पाठ करें । यहाँ श्रीनारदपञ्चरात्र में वर्णित नारद द्वारा किया गया और कृष्णदासविरचित श्रीकृष्णस्तवराज दिया जा रहा है।
श्रीकृष्णस्तवराज
श्रीकृष्णस्तवराज श्रीमहादेव उवाच ।
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि स्तोत्रं
परमदुर्लभम् ।
यज्ज्ञात्वा न पुनर्गच्छेन्नरो
निरययातनाम् ॥ १॥
नारदाय च यत्प्रोक्तं ब्रह्मपुत्रेण
धीमता ।
सनत्कुमारेण पुरा
योगीन्द्रगुरुवर्त्मना ॥ २॥
श्रीनारद उवाच ।
प्रसीद
भगवन्मह्यमज्ञानात्कुण्ठितात्मने ।
तवांघ्रिपङ्कजरजोरागिणीं
भक्तिमुत्तमाम् ॥ ३॥
अज प्रसीद भगवन्नमितद्युतिपञ्जर ।
अप्रमेयं
प्रसीदास्मद्दुःखहन्पुरुषोत्तम ॥ ४॥
स्वसंवेद्य
प्रसीदास्मदानन्दात्मन्ननामय ।
अचिन्त्यसार विश्वात्मन्प्रसीद
परमेश्वर ॥ ५॥
प्रसीद तुङ्गतुङ्गानां प्रसीद
शिवशोभन ।
प्रसीद गुणगम्भीर गम्भीराणां महाद्युते
॥ ६॥
प्रसीद व्यक्तं विस्तीर्णं
विस्तीर्णानामगोचर ।
प्रसीदार्द्रार्द्रजातीनां
प्रसीदान्तान्तदायिनाम् ॥ ७॥
गुरोर्गरीयः सर्वेश प्रसीदानन्त
देहिनाम् ।
जय माधव मायात्मन् जय
शाश्वतशङ्खभृत् ॥ ८॥
जय शङ्खधर श्रीमन् जय नन्दकनन्दन ।
जय चक्रगदापाणे जय देव जनार्दन ॥ ९॥
जय रत्नवराबद्धकिरीटाकान्तमस्तक ।
जय पक्षिपतिच्छायानिरुद्धार्ककरारुण
॥ १०॥
नमस्ते नरकाराते नमस्ते मधुसूदन ।
नमस्ते ललितापाङ्ग नमस्ते नरकान्तक
॥ ११॥
नमः पापहरेशान नमः सर्पभवापह ।
नमः सम्भूतसर्वात्मन्नमः
सम्भृतकौस्तुभ ॥ १२॥
नमस्ते नयनातीत नमस्ते भयहारक ।
नमो विभिन्नवेषाय नमः श्रुतिपथातिग
॥ १३॥
नमश्चिन्मूर्तिभेदेन
सर्गस्थित्यन्तहेतवे ।
विष्णवे त्रिदशारातिजिष्णवे
परमात्मने ॥ १४॥
चक्रभिन्नारिचक्राय चक्रिणे
चक्रवल्लभ ।
विश्वाय विश्ववन्द्याय
विश्वभूतानुवर्तिने ॥ १५॥
नमोऽस्तु
योगिध्येयात्मन्नमोऽस्त्वध्यात्मिरूपिणे ।
भक्तिप्रदाय भक्तानां नमस्ते
मुक्तिदायिने ॥ १६॥
पूजनं हवनं चेज्या ध्यानं
पश्चान्नमस्क्रिया ।
देवेश कर्म सर्वं मे भवेदाराधनं तव
॥ १७॥
इति हवनजपार्चाभेदतो विष्णुपूजा-
नियतहृदयकर्मा यस्तु मन्त्री चिराय
।
स खलु सकलकामान् प्राप्य
कृष्णान्तरात्मा
जननमृतिविमुक्तोऽत्युत्तमां
भक्तिमेति ॥ १८॥
गोगोपगोपिकावीतं गोपालं गोषु
गोप्रदम् ।
गोपैरीड्यं गोसहस्रैर्नौमि
गोकुलनायकम् ॥ १९॥
प्रीणयेदनया स्तुत्या जगन्नाथं
जगन्मयम् ।
धर्मार्थकाममोक्षाणामाप्तये
पुरुषोत्तमः ॥ २०॥
इति श्रीनारदपञ्चरात्रे
श्रीकृष्णस्तवराजः सम्पूर्णः ॥
श्रीकृष्ण स्तवराजः
श्रीकृष्णस्तवराजः
अनन्तकन्दर्पकलाविलासं किशोरचन्द्रं रसिकेन्द्रशेखरम् ।
श्यामं महासुन्दरतानिधानं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ १॥
अनन्तविद्युद्युतिचारुपीतं
कौशेयसंवीतनितम्बबिम्बम् ।
अनन्तमेघच्छविदिव्यमूर्तिं श्रीकृष्णचन्द्रं
शरणं गतोऽस्मि ॥ २॥
महेन्द्रचापच्छविपिच्छचूढं
कस्तूरिकाचित्रकशोभिमालम् ।
मन्दादरोद्घूर्णविशालनेत्रं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ३॥
भ्राजिष्णुगल्लं मकराङ्कितेन
विचित्ररत्नोज्ज्वलकुण्डलेन ।
कोटीन्दुलावण्यमुखारविन्दं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ४॥
वृन्दाटवीमञ्जुलकुञ्जवाद्यं
श्रीराधया सार्धमुदारकेलिम् ।
आनन्दपुञ्जं ललितादिदृश्यं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ५॥
महार्हकेयूरककङ्कणश्रीग्रैवेयहारावलिमुद्रिकाभिः
।
विभूषितं किङ्किणिनूपुराभ्यां
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ६॥
विचित्ररत्नोज्ज्वलदिव्यवासाप्रगीतरामागुणरूपलीलम्
।
मुहुर्मुहुः प्रोदितरोमहर्षं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ७॥
श्रीराधिकेयाधरसेवनेन
माद्यन्तमुच्चै रतिकेलिलोलम् ।
स्मरोन्मदान्धं रसिकेन्द्रमौलिं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरणं गतोऽस्मि ॥ ८॥
अङ्के निधाय प्रणयेन राधां मुहुर्मुहुश्चुम्बिततन्मुखेन्दुम्
।
विचित्रवेषैः कृततद्विभूषणं
श्रीकृष्णचन्द्रं शरण गतोऽस्मि ॥ ९॥
इति कृष्णदासविरचितः श्रीकृष्णस्तवराजः सम्पूर्णः ।
Related posts
vehicles
business
health
Featured Posts
Labels
- Astrology (7)
- D P karmakand डी पी कर्मकाण्ड (10)
- Hymn collection (38)
- Worship Method (32)
- अष्टक (54)
- उपनिषद (30)
- कथायें (127)
- कवच (61)
- कीलक (1)
- गणेश (25)
- गायत्री (1)
- गीतगोविन्द (27)
- गीता (34)
- चालीसा (7)
- ज्योतिष (32)
- ज्योतिषशास्त्र (86)
- तंत्र (182)
- दशकम (3)
- दसमहाविद्या (51)
- देवी (190)
- नामस्तोत्र (55)
- नीतिशास्त्र (21)
- पञ्चकम (10)
- पञ्जर (7)
- पूजन विधि (80)
- पूजन सामाग्री (12)
- मनुस्मृति (17)
- मन्त्रमहोदधि (26)
- मुहूर्त (6)
- रघुवंश (11)
- रहस्यम् (120)
- रामायण (48)
- रुद्रयामल तंत्र (117)
- लक्ष्मी (10)
- वनस्पतिशास्त्र (19)
- वास्तुशास्त्र (24)
- विष्णु (41)
- वेद-पुराण (691)
- व्याकरण (6)
- व्रत (23)
- शाबर मंत्र (1)
- शिव (54)
- श्राद्ध-प्रकरण (14)
- श्रीकृष्ण (22)
- श्रीराधा (2)
- श्रीराम (71)
- सप्तशती (22)
- साधना (10)
- सूक्त (30)
- सूत्रम् (4)
- स्तवन (109)
- स्तोत्र संग्रह (711)
- स्तोत्र संग्रह (6)
- हृदयस्तोत्र (10)
No comments: